छोटे और मध्यम कपड़ा कारोबारियों के लिए अब अस्तित्व का संघर्ष!

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सूरत
कपड़ा उधोग के लिए आगे की डगर कांटो भरी नज़र आ रही है। ख़ासकर छोटे और मध्यम वर्गीय व्यापारियों के लिए व्यापार का अस्तित्व बचा पाना भी मुश्किल नज़र आ रहा है।एक ओर जहां कोरोना के बाद पूँजी की समस्या आएगी वहीं दूसरी ओर उन्हें कई पेमेंट भी करने होंगे । बड़े उधमी तो जैसे तैसे कर अपनी नाव निकाल लेंगे, लेकिन छोटे व्यापारियों के लिए अस्तित्व बचा पाना कठिन होने की आशंका है।


कपड़ा बाज़ार के सूत्रों का कहना है कि सूरत का कपड़ा व्यापार उधार पर चलता है। यहाँ के व्यापारी अन्य राज्यों के व्यापारियों को उधार माल बेचते है। इसके बाद व्यापारी अपनी अपनी शर्तों के अनुसार एक से तीन माह के बीच पेमेंट करते हैं।

जीएसटी और नोटबंदी के बाद छह महीने पहले के पेमेन्ट भी सूरत के व्यापारियों के फँस गए हैं। सूरत के व्यापारी तगड़ी पूँजी लगाते है। इसके बाद व्यापार चलाते है। उन पर प्रतिमास डाइंग यूनिट, एम्ब्रॉयडरी यूनिट, श्रमिकों का वेतन लोन का हप्ता, बिजली बिल, घर का खर्च सहित अन्य खर्च निभाने की ज़िम्मेदारी है।

लगभग डेढ माह से बाज़ार बंद होने के कारण सब की आय शून्य हो गई है और खर्च बने हुए है। शायद ही एकाध खर्च कम हुआ है। फ़िलहाल व्यापार कब शुरू होगा यह पता नही है लेकिन व्यापार खुलने के साथ ही वीवर, प्रोसेसर, एम्ब्रॉयडरी, जॉबवर्कर, बैंक लोन आदि मुँह फाड कर खड़े हो जाएँगे। ऐसे संजोगों में छोटे और मध्यम वर्गीय व्यापारियों के लिये व्यापार संभालना मुश्किल होगा।

व्यापारियों का कहना है कि जो माल अभी भेजा गया है। उसमें से आधा माल तो वापिस आना है और दूसरे कि पैमेन्ट भी कब मिलेगा यह तय नहीं है। 25 प्रतिशत राशि कम से कम डूबने की भी आशंका है।इन विपरीत परिस्थिति में व्यापारी को पूँजी जुटा कर व्यापार शुरू करना और अपने खर्च चलाने का दोनों ही भार रहेगा। आवक सिमित और खर्च अपार यह गणित व्यापारियों का समीकरण बिगाड़ने को काफ़ी है।यदि सरकार और बैंक व्यापारियों का साथ नहीं देगी तो निश्चित मानिए इस भँवर से उबर पाना मुश्किल हो जाएगा।

कपड़ा उधमी गिरधर गोपाल मूंदडा का कहना है कि कोरोना के कारण सभी देशों के सकल विकास दर में कमी आई है। इसके बावजूद दुनिया के अमरीका, जापान, कनाडा सहित कई विकसित देशों ने अपने विकास दर में से कुछ हिस्सा कम मानते हुए इन्डस्ट्री के लिए प्रोत्साहन देने की तैयारी दिखाई है। हम भी सरकार से उम्मीद लगाए बैठे है। यदि सरकार इन्ड्स्ट्री की मुसीबत समझते हुए लॉकडाउन पीरियड में लोन का ब्याज माफ़ कर दे तो भी हमें राहत होगी।

फैडरेशन ऑफ सूरत टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री चंपालाल बोथरा ने बताया कि लॉकडाउन के बाद व्यापार खुलते ही व्यापारियों पर एक साथ कई खर्च आ जाएँगे। जैसे कि उन्होंने जो माल बना रखे है उसके लिए वीवर, प्रोसेसर, एम्ब्रॉयडरी आदि के पैमेन्ट की ज़िम्मेदारी आ जाएगी। इसके बाद बैंक हप्ता, स्कूल फीस, सरकारी टैक्स आदि कई चींजे व्यापारी को परेशान कर सकती है।

व्यापारियों के लिए चिंताजनक बात यह है कि उन्होंने तैयार किए करोड़ों का माल अब दिसंबर के बाद ही बिक सकता है। दूसरे राज्यों में से पैमेन्ट भी जल्दी मिलने की उम्मीद नहीं है। इसलिए आने वाले दिनों में व्यापारियों को वर्किंग कैपिटल की समस्या से जूझना पड सकता है। हमने सरकार से दो से पाँच करोड़ तका का टर्न ओवर वाले व्यापारियों को कम दर पर लोन मुहैया कराने, मुद्रा योजना के तहत लोन देने, राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के कई टैक्स से छूट देने तथा लॉकडाउन के पीरियड के बैंकों का ब्याज माफ़ करने की माँग की है। इसके अलावा जिन शहरों में लॉकडाउन खुल रहा है वहाँ माल भेजने की व्यवस्था करने की गुहार लगाई है ताकि वहाँ माल जाए और बिक्री हो सके। इससे पैमेन्ट आना शुरू हो जाएगा।