अमेरिका का फैसला हीरा उद्योग पर पड़ सकता है भारी

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सूरत- मंदी के भंवर में उलझे हुए सूरत के हीरा उद्योग के लिए परिस्थितियां और विपरीत हो सकती है। क्योंकि अमेरिका के कस्टम और सीमा सुरक्षा विभाग ने हाल में ही जारी किए एक निर्णय के अनुसार अब से अमेरिका में हीरा स्पोर्ट एक्सपोर्ट करने वालों को ओरिजन आफ गुड्स का सर्टिफिकेट देना पड़ेगा। दरअसल अमेरिका से आयात होने वाले हीरो पर प्रतिबंध लगाने के लिए अप्रत्यक्ष ढंग से यह प्रयास कर रहा है। हीरा उद्योग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के समय से ही अमेरिका सहित जी-7 के देश रूस के हीरो पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

भारत रूस से आयात होने वाले हीरो का सबसे बड़ा ग्राहक है। भारत में 40% हीरे रस से आयात किए जाते हैं।यदि रूस के हीरो पर प्रतिबंध लगाता है तो सीधा असर भारत के हीरा उद्योग पर पड़ेगा। जी7 देशों ने बीते वर्ष हीरा उद्योग का दौरा भी किया था और बीते साल मार्च महीने से 1कैरेट से अधिक तथा सितंबर महीने से0.50 कैरेट से अधिक के हीरो पर प्रतिबंध भी लगा दिया है।इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए अब 0.50 कैरेट से कम के हीरो पर भी अप्रत्यक्ष तौर से अंकुश लगाने का प्रयास किया जा रहा है।दरअसल बात ऐसी है कि जी-7 देश के प्रयास के बाद भी अभी तक रूस से बड़े पैमानों पर हीरे का आयात हो रहा है।इसे देखते हुए अमेरिका सहित अन्य देश इस फैसले पर अमल करना चाह रहे हैं।हालांकि यह भी बताया जा रहा है कि हीरा‌उद्यमियों कोअपना सेल्फ डिक्लेरेशन भी इस बारे में दे सकते हैं। उसे भी मान्य रखा जाएगा।

इस बारे में मिली अतिरिक्त जानकारी के अनुसार सूरत से बड़े पैमाने पर कट और पॉलिश्ड हीरे विदेश में भेजे जाते हैं जिसमें की 40% से अधिक हीरे अमेरिका खरीदता है। ऐसे में सूरत के हीरा उद्यमियों को आप डायमंड के साथ ओरिजिन ऑफ कंट्री का सर्टिफिकेट भी देना पड़ेगा।यह नियम अप्रैल से लागू हो जाएगा।

जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन के चेयरमैन विपुल शाह ने बताया कि काउंसिल केंद्र सरकार के साथ मिलकर अमेरिका सरकार में गुहार लगाएगा। क्योंकि हीरा उद्यमियों केलिए ओरिजिन ऑफ कंट्री के बारे में निर्णय ले पाना मुश्किल है। हम इस बारे में पेशकश करेंगे।