जल संचय की जागरूकता के लिए कपड़े के बिलों पर स्लोगन लिखेंगे व्यापारी

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एसजीटीटीए की बोर्ड मीटिंग में कई अहम मुद्दों पर चर्चा

सूरत. कपड़ा बाजार के व्यापारी अपने कपड़े के बिलों पर स्लोगन के जरिए कैच दी रेन और सेव वाटर के जनअभियान में केन्द्र सरकार की मुहिम में साथ देंगे। इसके लिए वे कपड़ा बाजार के व्यापारियों के साथ मीटिंग आदि कर उन्हें अपने कपड़े के बिलों पर सेव वाटर का स्लोगन छपवाने के लिए प्रेरित करेंगे। इस संबंध में साउथ गुजरात टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन एसजीटीटीए की एक आवश्यक बोर्ड मीटिंग शुक्रवार को एसोसिएशन के कार्यालय में की गई। बैठक में अन्य कई मुद्दों पर अहम चर्चा की गई।

बैठक में अध्यक्षता करते हुए अध्यक्ष सुनील जैन ने सभी को नए वर्ष की शुभकामनाएं दी और जल संचय को लेकर व्यापक चर्चा का आह्वान किया । सभी बोर्ड डायरेक्टर्स ने इस बात पर सहमति जताई कि कि सेव दी रेन, जल संचय का कार्यक्रम केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री सी आर पाटिल की कार्यशैली की वजह से जन- आंदोलन में परिणीत हो रहा है। जल ही जीवन है, इस बात को जनमानस तक पहुंचाने में एसोसिएशन अपने स्तर पर भी प्रयास करेगा। जल संचय के विषय में कपड़ा व्यापारी अपने बिल, पॅकिंग एवं प्रचार सामग्री पर सेव दी वाटर स्लोगन का व्यापक प्रचार- प्रसार करेंगे l

अध्यक्ष सुनील जैन ने कहा कि इस बार टेक्सटाइल के अच्छे व्यापार की गूंज चहुं ओर सुनी गई। लेकिन, दीपावाली के बाद पूरे नवंबर के दौरान कारीगरों की कमी की वजह से टेक्सटाइल के व्यापार के सभी घटकों में बंद जैसी स्थिति आज भी बनी हुई है और इसलिए किसी भी प्रकार का नया क्रिएशन देखने को नहीं मिला। व्यापारी मान रहे हैं कि 15 दिसंबर से जुलाई तक लग्नसरा की वजह से अच्छे व्यापार की उम्मीद है और मीटिंग में सभी डायरेक्टर्स ने इस बात पर सहमति जताई कि इस बार अधिक लग्नसरा होने से व्यापार में निरंतरता बनी रहेगी। बोर्ड मीटिंग में एक आंकड़ा पेश किया गया कि पिछले 15-20 सालों में अधिक से अधिक विवाह की तारीखें 46 रही हैं, लेकिन इस बार इन तारीखों की संख्या 76 है।उन्होंने व्यापारियों से अपील की कि वे संयमपूर्वक उत्पादन करें।
एमएसएमई के विषय में अध्यक्ष ने कहा कि इसका फिलहाल प्रभाव नजर नहीं आता है। देसावर एवं सूरत के व्यापारी संभवत: इस चीज को स्वीकार कर चुके हैं। पिछले साल एमएसएमई का जो अचानक भूचाल आया था, लेकिन इस साल देसावर और सूरत के व्यापारी भी इसे लेकर सहज और सजग दोनों हैं। एमएसएमई के विषय में सभी का मानना है कि न तो इसका डर है और ना ही किसी तरह का दबाव व्यापारियों पर आएगा। एमएसएमई के विषय में डायरेक्टर्स ने कहा कि इससे डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन इसे हल्के में भी नहीं लेना चाहिए। यदि हम इसके नियमों का पालन नहीं करते हैं तो भविष्य में नोटिस आदि का सामना करना पड़ सकता है।

कपड़ा बाजार की दुकानों की रेंट पर आरसीएम लगने से निवेश बढ़ेगा। इस विषय पर एसोसिएशन अपना एतराज आगामी दिनों में सरकार तक प्रेषित करेगा। बैठक का संचालन महामंत्री सचिन अग्रवाल, संकलन उपाध्यक्ष सुनील कुमार मित्तल और आभार उप मंत्री मोहन कुमार अरोरा ने किया। मीटिंग में कोषाध्यक्ष संतोष माखरिया, प्रदीप केजरीवाल, नितिन गर्ग, संजय अग्रवाल, सुदर्शन मातनहेरिया, विनोद अग्रवाल, प्रह्लाद गर्ग, छितरमल जैन, सुरेन्द्र जैन, श्रीराम खंडेलवाल, महेश जैन उपस्थित रहे।

जल संचय की जागरूकता के लिए कपड़े के बिलों पर स्लोगन लिखेंगे व्यापारी

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