सूरत में हज़ारों परप्रांतीय श्रमिक वतन जाने की ज़िद्द के साथ सड़क पर उतरे

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सूरत
सूरत में लॉकडाउन के दौरान जिस बात की चिंता थी वही हो रहा है मंगलवार को सबेरे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा की । इसके बाद कई क्षेत्रों में श्रमिकों ने सड़क पर उतरकर हमारे गाँव भेज दो यह जिद्द पकड़ी थी ।

सूरत में है लाखों परप्रांतिय श्रमिक
मिली जानकारी के अनुसार सूरत में कपड़ा उद्योग में UP, बिहार, छत्तीसगढ़ राजस्थान के लाखों श्रमिक नौकरी करते हैं लॉक डाउन होने के कारण इन दिनों का बेरोज़गार हो गए हैं ।सामाजिक संस्थाओं की ओर से उन्हें भोजन की व्यवस्था दी जा रही है ।लेकिन वह इतना काफ़ी है ।उनके पास जब ख़र्चे के लिए भी रुपया नहीं है ।

कई क्षेत्रों में श्रमिक उतरें सड़कों पर
शहर के वराछा, एके रोड, लसकाणा और पांडेसरा क्षेत्र में हज़ारों श्रमिकों ने अपने वतन जाने की माँग के सड़कों पर उतर आए और लॉकडाउन मे पर्याप्त व्यवस्था नही मिलने पर नाराज़गी व्यक्त की।हालाँकि उन्होंने कोई हिंसक प्रदर्शन नहीं किया लेकिन उन्हें क़ाबू में पाने के लिए पुलिस को दम लगाना पड़ा । वराछा के मोहन नगर के पास लूम्स और एम्ब्रॉयडरी कारख़ाने आए हैं ।यहाँ पर श्रमिकों ने सड़क पर इकट्ठा होकर प्रशासन से हमें हमारे गाँव भेज दो की माँग की ।इसी तरह से एके रोड पर भी श्रमिक सड़क पर आ गए और गाँव जाने की व्यवस्था के लिए माँग की । पांडेसरा में बड़ी संख्या में कपडा कारख़ानों में काम करने वाले श्रमिक सड़कों पर इकट्ठा हो गए उन्हें क़ाबू पाने के लिए पुलिस को भारी ज़हमत उठानी पड़ी ।

परिवारजनों की चिंता

बड़ी बात तो यह है कि वह हज़ारों किलोमीटर दूर अपने परिवार जनों से यहाँ आए हैं ।उन्हें गाँव मैं अपने माता पिता भी बच्चों की चिंता हो रही है। कोरोना की गंभीरता को समझते हुए उन्होंने 21 दिन का लॉकडाउन तो जैसे तैसे काट लिया ।

14 अप्रेल के बाद छूट मिलने की उम्मीद थी
14 अप्रैल के बाद लॉकडाउन में कुछ छूट मिलेगी ऐसी उम्मीद श्रमिकों को थी। उन्हें लगता था की शायद वह अपना वतन जा सकेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ लॉकडाउन 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया ।ऐसे में पर प्रांतीय श्रमिको में चिंता का माहौल है।शाम के समय वराछा, ओके रोड, लसकाणा और पांडेसरा में हज़ारों श्रमिक सड़क पर उतर आए ।

लसकाणा में तो 2 दिन पहले से विरोध चल रहा है

लसकाणा में तो 2 दिन पहले से विरोध चल रहा है ।उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार और मनपा प्रशासन तथा स्थानीय सामाजिक करता है श्रमिकों को परेशानी न हो इसके लिए पूरा प्रयास करेंगे लेकिन इसके बावजूद कहीं कहीं श्रमिकों में नाराज़गी मिल रही है प्रशासन को श्रमिकों के लिए कुछ करना ही पड़ेगा