सूरत
कोरोना वायरस के कारण 21 दिनों का लॉक डाउन होने से सूरत में श्रमजीवियों की समस्या बढ़ गई है ।सूरत के कपड़ा उद्योग और हीरा उद्योग में काम करने वाले हज़ारो श्रमिक 21 दिनों तक बिना किसी काम धाम के घर में बैठने के बजाए पैदल ही अपने वतन का रस्ता नापने में लग गए हैं ।
बताया जा रहा है कि लॉक डाउन के दौरान कई सामाजिक संस्थाओं ने मदद करने की पेशकश की है , लेकिन इसके बावजूद श्रमिकों का पलायन नहीं रूक रहा है ।सूरत में हीरा उद्योग में और काम करने वाले सूरत के बाहर के लाखों लोग हैं ।कपड़ा उद्योग में काम करने वाले ज़्यादातर लोग UP बिहार झारखंड उड़ीसा मध्य प्रदेश आदि राज्यों के रहा है जबकि हीरा उद्योग में काम करने वाले ज़्यादातर श्रमिक उत्तर गुजरात के हैं । लॉक डाउन के कारण हीरा उद्योग और कपड़ा उद्योग दोनों ही बंद हो चुके हैं ।ज़्यादातर श्रमिक २१ दिनों तक लॉकडाउन के दौरान घर ख़र्च का वाहन कर सके ऐसे हाल में नहीं है ।इसलिए वह सरकार के लाखों प्रयास के बाद अपने वतन की ओर निकल पड़े हैं सरकार ने उन्हें रोकने के लिए कई प्रयास कर लिए लेकिन अब पर रोकने के मूड में नहीं है ।
कोई पैदल तो कोई साइकिल पर ही अपना बिस्तरा पोटला बांटकर निकल चुका है पलायन करने वालों में ज़्यादातर उत्तर गुजरात के लोग हैं जो कि निजी वाहन पर साइकल पर हाँ पैदल ही निकल पड़े हैं ।अन्य राज्य के लोग जो कि गुजरात राज्य से सटे हुए राज्यों से हैं ।वह भी पिछले 3 चार दिनों से इसी तरह निकाल रहे हैं ।श्रमिकों का मानना है कि यहाँ उनके पास कोई रोज़गार नहीं है और कोरोना का भय लगा हुआ है ऐसे में वह अपने गाँव मे अपने परिवार जनों के बीच सुरक्षित रहेंगे और कम से कम रोज़गार की चिंता तो नहीं परेशान करेगी ।