सूरत
लॉकडाउन के कारण बेरोज़गार लाचार श्रमिकों को प्रशासन ने अपने राज्यों तक पहुँचाने के लिए ट्रेन की व्यवस्था तो कर दी है, लेकिन कई लोग पहले ही पैदल निकल चुके है। अब वह हज़ारो किलोमीटर की यात्रा कर गाँव पहुँच गए है लेकिन अपनी व्यथा बता रहे हैं।
सूरत से पैदल निकलकर चार श्रमिक 1600 किलोमीटर चलकर यूपी के शहर बीते दिनों मऊ पहुंचे। चारों मजदूरों का मेडिकल परीक्षण के बाद 14 दिनों के आइसोलेशन में रखा गया। इसके बाद उन्हें गाँव जाने दिया गया।
मिली जानकारी के अनुसार कोरोना के कारण देशव्यापी लॉकडाउन में व्यापार-रोज़गार बंद हो जाने से अन्य राज्यों में फंसे मजदूरों के सामने आर्थिक समस्या खडी हो गई। आखिर लाचार होकर कई श्रमिक अपने अपने वतन लौट रहे हैं। यह सिलसिला अप्रेल से ही शुरू हो गया था। बीते दिनों गुजरात से भी बड़ी संख्या में लोग पैदल ही गाँव चले गए।गुजरात के सूरत शहर से यूपी के मऊ में 12 दिन पैदल चलकर पहुंचे मजदूरों को देखकर उनकी लाचारी का ख़्याल आ गया।
पंद्रह सौ किमी से ज्यादा की दूरी तय करने में उन्होंने बहुत कम आराम किया। ज़्यादातर समय चलने में दिया। मजदूरों का कहना था कि लॉकडाउन के कारण काम धंधा बंद हो जाने से उनके पास रूपए समाप्त हो गए। इसलिए सूरत में रूककर क्या करते? जिस हाल में थे उसी हाल में पैदल ही निकल पड़े।
रास्ते में कई बार प्यास लगी लेकिन पीने की व्यवस्था नही थी।एक श्रमिक ने बताया कि हम लोग 20 अप्रैल को पैदल ही निकल पड़े थे। रास्ते में ट्रक वालों ने कुछ दूरी तक सहारा दिया।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने ट्रेन तो शुरू कर दी है लेकिन उसे पाना अभी भी टेढ़ी खीर साबित हो रहा है और लोग अभी भी पैदल आ रहे हैं।