सूरत
लॉकडाउन के कारण पहले ही जीवन जीने के लिए अपनी पाई पाई ख़र्च कर चुके श्रमिकों के पास अब एक फूटी पारी नहीं है ऐसे में गाँव जाने के लिए उनसे टिकट के नाम पर की जा रही लूट ने सूरत शहर पर कलंक लगा दिया है। कल्पना करिए जिस के बाद एक वक़्त की रोटी के लिए मात्र ५० रुपया भी नहीं है। यदि उसे वतन जाने के लिए १००० रुपया या २००० रुपया इकट्ठा करने को कह दिया जाए दो इस पर क्या बीतेगी ?
सरकार की ओर से अन्य राज्यों के लिए ट्रेन की व्यवस्था कर दी गईलेकिन ट्रेन की टिकट कौन बांटेगा इसकी व्यवस्था योग्य ढंग से नहीं किए जाने के कारण श्रमिक लुटा रहे हैं।कुछ लोगों को जानकारी है लेकिन सब इतने जानकार नहीं। इसके बावजूद कई लोगों को तो अभी ये भी नहीं पता चल रहा है कि कौन टिकट देगा, यदि पता चल भी जा रहा है कि टिकिट इस चौखट पर मिलेगी ते भी वहाँ जाने के बाद उसे कई जगह ठगों का सामना करना पड़ रहा है।
जिस टिकिट की क़ीमत बेटी ७०० से८०० रुपये है उसके लिए उसे को दो हज़ार रुपये तक चुकाना पड रहा है। सूरत में रहकर भूखे प्यासे जान गंवाने की अपेक्षा घर में जो पड़ा है उसे बेचकर श्रमिक वतन जाना पसंद कर रहे है। प्रशासन की ओर से बार बार कहा जा रहा है कि टिकिट के ऊपर छपी क़ीमत ही पूरी क़ीमत है लेकिन आपको बता दें कि पाएँ जितने गाँव जाना है।
वह टिकिट ख़रीदते समय इस हालत में नहीं रखता कि टिकट बेचने वाले थे सौदेबाज़ी करें , और रही बात सौदेबाज़ी की तो श्रमिक उस समय सौदेबाज़ी के मूड नही रहते। वह ज़रा भी आवाज़ उठाए उतने पहले ही टिकट बेचने वाले उसे धक्का मारकर में बाहर निकाल देते है। बताया जा रहा है कि गाव की टिकिट के लिए कितने लोगों ने तो अपना प्रायमस बेचा, घड़ी बेची, पत्नी की ज्वेलरी बेची, गैस चूल्हा तक बेच दिया। इय तरह से वह टिकिट का इंतज़ाम कर पाए हैं ।
सरकार की ओर से यदि एक बार स्पष्टता हो जाती कि टिकट किस क़ीमत पर मिलेगा, कहाँ से मिलेगा तो लोगों को परेशान नहीं होना पड़ता। रेलवे ने शायद अपना भार कम करने के लिए यह ज़िम्मेदारी खुद नही ली है। आपको बता दें कि गरीबों के लॉकडाउन के कारण श्रमिकों के पास पहले से ही जीवन यापन के लिए रुपया नहीं है ऐसे में सरकार की इस अव्यवस्था ने श्रमिकों की मुसीबत बढ़ा दी है। सबेरे, दोपहर रात वह हाथ में फ़ॉर्म लेकर घूमते रहते हैं कि कोई वो उनका टिकट बुक करा दें ।उनकी एक लाचारी का फ़ायदा कई ठग ले रहे हैं कुछ तो पैसा लेकर भाग जाते हैं और पूरा मुँह माँगी क़ीमत पर उनकी टिकट बुक कर रहे हैं।
टिकिट की क़ीमत क्यों ले रहे ज़्यादा
टिकिट की क़ीमत ज़्यादा लेने के पीछे कुछ लोग ट्रेन में पानी की बोटल, नास्ता और अन्य सुविधाओं के लिए अतिरिक्त खर्च लिए जाने को कारण बता रहे है।प्रशासन को इसका ध्यान रखना चाहिए।