मुस्लिम दोस्त ने हिंदू दोस्त के लिए कुछ ऐसा किया कि आप बोलेगें… वाह!

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मांगरोल तालुका के वांकल गांव में रहने वाले एक मुस्लिम दोस्त ने हिंदू दोस्त की मौत के बाद उसकी अंतिमक्रिया हिंदू विधी से कर दोस्ती की मिशाल कायम की है।


मली जानकारी के अनुसार वांकल तहसील के भराडिया गांव के प्रफुलभाई पटेल बीते दिनो संपन्न थे, लेकिन समय के साथ उनकी आर्थिक हालत दयनीय हो गई। बीते 18 साल से वह अपने दोस्त शब्बीर शाह के साथ रहते थे। अंतिम दिनों में भी वह उन्हीं के साथ थे। कुछ दिनो पहले प्रफुल भाई के मौत के बाद भी शब्बीर भाई ने मित्रता निभाई।

प्रफुल्ल भाई के परिवारजनो की ओर से कोई नहीं होने के कारण शब्बीर भाई ने ही पंडित से अंतिम विधि के लिए तमाम विधि करवाई और तेरही की विधी कर ब्राम्हणो को भोजन कराया। 


बताया जा रहा है कि प्रफुलभाई पहले संपन्न थे, लेकिन माता-पिता भाई के अवसान के बाद उनकी पत्नी भी छोडकर चली गई। इसके बाद से उनकी हालत खराब हो गई। कुछ दिनो पहले बच्ची की शादी के बाद वह अकेले हो गए थे।

सूरत से गाँव जा रहे बिहार के श्रमिक की बस में मौत

मंगलवार की रात सूरत से गया लौटने के बाद सिवान आने के क्रम में बस में एक श्रमिक की मौत हो गई।

मिली जानकारी के अनुसार लॉकडाउन के कारण सूरत में व्यापार उधोग बंद होने से श्रमिक अपने राज्य लौट रहे है। ऐसे में उनके साथ कई घटनाएँ भी हो रही है। दो दिन पहले ओड़िशा के श्रमिक की ट्रेन में मोत होने के बाद बुधवार को बिहार के सिवान से श्रमिक की मौत की जानकारी सामने आ रही है।

बताया जा रहा है कि अनिल विश्वनाथ सिंह सूरत से श्रमिक ट्रेन से गया पहुँचने के बाद सीवान के लिए बस से जा रहा था उस दौरान गया से सिवान आने के दौरान रास्ते में ही अनिल की तबीयत अचानक बिगड़ गई। बस में आ रहे श्रमिकों के अनुसार अनिल को तेज पसीना आया और उल्टी भी हुई। कुछ ही देर में उसने दम तोड़ दिया।

इसके बाद बस में यात्रा कर रहे प्रवासी कामगारों में हलचल मच गई। जीरादेई में जिला स्तरीय रिसीविग सेंटर पर बस पहुंचने के बाद तैनात कर्मियों में हलचल मच गई। आनन-फानन में इसकी सूचना जीरादेई थाने को दी गई। कुछ ही देर में मृतक के स्वजन और मैरवा पुलिस भी वहां पहुंच गई। मृतक के स्वजन शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए तैयार नहीं थे। साथ आए मजदूरों से पूछताछ के बाद पुलिस ने पंचनामा बनाकर शव को मृतक के परिवार को दे दिया।


उल्लेखनीय है कि अनिल सिंह सूरत में मजदूरी करता था। लॉकडाउन के कारण काम बंद हो जाने से उनके समक्ष वहां रहने-खाने की समस्या उत्पन्न हो गई थी। कई दिनों तक सरकारी मदद और सामाजिक संस्थाएँ जो मदद कर रही थी इसके आधार पर वह टिका रहा। काफी जद्दोजहद के बाद क्षेत्र के दर्जनों लोगों के साथ घर आने का निर्णय लिया और दोस्तों के साथ मंगलवार को बिहार के लिए ट्रेन में बैठा।