लॉकडाउन में अपने से मिलने को तरसती बुढ़ी निगाहें!!

Spread the love


सूरत
लॉकडाउन के कारण जहाँ एक ओर करोड़ों का व्यापार चौपट हो गया है, वहीं दुसरी ओर दिल से जुड़े रिश्ते एक दूसरे की एक झलक देखने के लिए तरस गए हैं। 21 दिनों के लॉकडाउन के कारण लॉग घर के बाहर नहीं निकल पा रहे हैं ।ऐसे में कल्पना करिए उन वृद्धों की जो के वृद्धाश्रम में बैठे हुए अपने बच्चों से मिलने के राह देख रहे हैं ।ये बात और है कि वह किसी न किसी कारण से वृधाश्रम भेजे गए है या कुछ खुद चले गये हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उनकी निगाहें इस लॉकडाउन में दरवाज़े से अपना आपके अंदर प्रवेश करने का इन्तज़ार कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं सूरत में पीपलोद स्थित अमेरिका ने अंबिका निकेतन ट्रस्ट संचालित भारतीमैया वृद्धाश्रम कि। यहाँ पर 60 वृद्ध रहते हैं, जो की कोई सूरत कोई मुंबई कोई अहमदाबाद आदि दूर दूर के शहरों से आए हुए हैं।इन वृद्धों में से कई वृद्ध अपनी मर्ज़ी से आए हैं तो कुछ परिवार जनों के किसी न किसी मजबूरी के कारण यहाँ रहते हैं ।

21 दिनों का लॉक डाउन चल रहा है इस कारण उनके परिवारीजन नहीं आ पा रहे हैं ।इनमें से कईयों के परिवारजन अक्सर मिलने आते रहते हैं, तो कुछ है लंबे समय बाद आते हैं।जिनके परिवारीजनों अक्सर आते हैं वह अब नहीं आ पा रहे हैं या ऐसे ही एक वृद्ध ज्ञापन सोलंकी ने बताया कि उनके बेटे दामाद और पुत्र अक्सर मिलने आते हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण नहीं आ पा रहे हैं ।कोई मिलने नहीं आ रहा लेकिन वह जहाँ भी यह स्वस्थ्य हैं इस बात की ख़ुशी उनके चेहरे पर नज़र आयी ।

उन्होने कहा लॉकडाउन समाप्त होते ही वह ख़ुद ही मिलने जाएंगे। क्योंकि परिवार में अधिक लोग होने के कारण सब मिलने नहीं आ सकते ।अन्य एक बुजुर्ग इन्दिरा बेन ने बताया कि वह यहाँ पे अपनी मर्ज़ी से रहती हैं। उनके पुत्र मिलने आते हैं पर अब लॉकडाउन की लाचारी के कारण वह मिलने नहीं आ पा रहे हैं ।लॉकडाउन समाप्त होते ही उनके पुत्र फिर मिलने आएंगे इसी तरह से सब ने अपने परिवारों से मिलने की उम्मीद व्यक्त की ! ।हालाँकि उन्हें यह भी डर लग रहा है कि कई लॉकडाउन की अवधि बढ़ा न दी जाए ।
वृद्धाश्रम के मैनेजर दिलीप सिंह सोलंकी ने बताया कि यह पहले तब वह एक साथ भोजन कराया जाता था, लेकिन जब से कोरोना का भय बढ़ा है तब से सभी को उनके रूम में ही भोजन पहुँचा दिया जाता है।