सूरत
कोरोना के कारण डेढ महीने से लॉकडाउन में फंसे श्रमिकों ने अपने वतन की राह पकड़ी है। लॉकडाउन के दौरान का डेढ महीने का समय उनके लिए बहुत बुरे एहसास की तरह रहा। अब अपने वतन लौट रहे ज्यादातर श्रमिकों के पास दौ सौ रुपए रुपए से ज्यादा नहीं है। मिल मालिकों की ओर से वेतन नहीं दिए जाने के कारण उनकी हालत पतली हो गई है।
ओडिशा जा रहे एक श्रमिक प्रदीप स्वाइ ने बताया कि वह पांडेसरा में रहता है। लॉकडाउन शुरू होने के बाद एक बार मिल मालीक ने वेतन दिया लेकिन दोबारा उसे वेतन नहीं मिला। उसके पास अब भोजन के लिए रुपए भी नहीं है। मित्रों से पांच सौ रुपए लेकर एक सप्ताह तक गुजरान चलाया, लेकिन अब कोई चारा नहीं है। मकान मालिक को किराया देना है और अन्य कई खर्च है। मिल मालिक फोन भी नहीं उठा रहा। इसलिए उसने जैसे तैसे रुपए का इंतजाम कर वतन जाने का मन बनाया है। जिस इन्डस्ट्री में उसने 10 साल काम किया वहां इतने बुरे अनुभव के बाद वह दोबारा नहीं लौटना चाहता।
इसी तरह से सूरत से उत्तर प्रदेश वाया मध्य प्रदेश होकर सायकल से जा रहे एक दर्जन मजदूरों ने झांसी में अपना दर्द व्यक्त करते हुए कहा कि वह लॉकडाउन के 15 दिनों बाद गुजरात के उधना क्षेत्र से चले थे। उनके पास वेतन समाप्त हो जाने के बाद कोई विकल्प नहीं बचा था। साथ ही उन्हें लग रहा था कि अभी लॉकडाउन ज्यादा चलेगा। सरकारी मदद मिल रही थी, लेकिन रोज-रोज लाइन लगानी पड़ रही थी।लॉकडाउन के कारण हमें कुछ दिनो में ही अच्छे बुरे का अनुभव हो गया। अब वह दोबारा लौटकर सूरत नहीं जाएंगे। इसी तरह से कई श्रमिकों के मन में फिलहाल तो यही विचार आ रहा है। लॉकडाउन में हुआ कड़वा अनुभव कभी नहीं भूलेगें।
केन्द्र ने सूरत को रेडजॉन मे शामिल किया, लॉकडाउन से छूट मु्श्किल!!
लॉकडाउन की अंतिम तिथि 3 मई को है। इसके बाद इसे यथावत रखना है या हटाना है यह शहर की परिस्थिति पर आधारित होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने गुरूवार को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर कोरोना के रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन के बारे में जानकारी दी है। अब इसके आधार पर राज्य सरकार अपना निर्णय करेंगे। देश के 130 जिलों में 3 मई के बाद भी सख्ती जारी रह सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन्हें रेड जोन घोषित किया है। उन्होंने कहा है कि कोरोना के कारण बीमार लोगों का रिकवरी रेट बढ़ा है। गुजरात में नौ रेड ज़ोन है जिसमें कि अहमदाबाद, सूरत राजकोट, वडोदरा, आणंद, पंचमहाल, भावनगर, साबरकांठा, अरवल्ली शामिल है। इसके अलावा दिल्ली में नौ, तमिलनाडु में 11 राजस्थान में आठ, उत्तरप्रदेश में 19 रेड जॉन है।