पुलिस ने पकड़े दो आरोपियों का कोरोना रिपोर्ट पॉज़िटिव! पुलिस चिंतित

Spread the love

सूरत
कोरोना के कारण शहर में बढ रहे मरीज़ों की संख्या के बीच सूरत शहर के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में विभिन्न अपराधों में शामिल 215 से अधिक आरोपियों के कोरोना परीक्षण के लिए नमूने लिए गए हैं। गत रोज दो आरोपियों सहित अब तक कुल पांच से अधिक आरोपियों की कोरोना रिपोर्ट कल पॉज़िटिव आ चुका है। इस रिपोर्ट के बाद उन्हें पकड़ने वालों सहित संपर्क में आने वाले तमाम पुलिस कर्मी चिंतित है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान सूरत शहर के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में विभिन्न अपराधों में शामिल 215 से अधिक आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू की है। सतर्कता के तौर पर पुलिस ने यह आरोपी किस इलाके में गए और किसके संपर्क में आए होंगे? इस कारण से उनका कोरोना टेस्ट करवाया था।अब तक, पांच से अधिक आरोपियों की कोरोना रिपोर्ट सकारात्मक आई है।


कल जिन दो लोगों की रिपोर्ट पॉज़िटिव आई उनमें गोपीपुरा के 50 वर्षीय अल्लाउद्दीन इब्राहिम शेख को दो दिन पहले डीसीबी पुलिस ने अडाजण इलाके में शराब की हेरा फेरी के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। जाँच के दौरान उनका रिपोर्ट कोरोना पॉज़िटिव आया।

इसी तरह से संग्राम परिदा नाम के युवक ने किट देने गए युवक पर हमला किया था। कतारगाम पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया। उनकी कोरोना की रिपोर्ट पॉज़िटिव आई।

श्रमिकों की कमी की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी उद्योगों को

सूरत से अब तक 12 लाख से ज्यादा श्रमिक अपने गांव लौट चुके हैं और दो-चार दिन में बड़ी संख्या में श्रमिक वापस लौट जाएंगे। ऐसे में प्रशासन की ओर से औद्योगिक इकाइयों और बाजार को शर्तों के साथ खोले जाने की छूट भी बिना किसी मायने की साबित होगी।
सूरत के लूम्स, प्रोसेसिंग मिल, एम्ब्रॉयडरी व इनसे जुड़े घटकों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ढंग से 10 लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं इसी तरह रिंग रोड के कपड़ा बाजार में भी 700000 से अधिक लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ढंग से रोजगार पाते हैं।


दो महीने से लॉकडाउन के कारण व्यापार धंधा बंद होने से बेरोजगार श्रमिकों के पास फूटी कौड़ी नहीं बची थी। ऐसे में वह अपना जीवन यापन करने के लिए गांव जाने को मजबूर थे। अब तक सूरत से अन्य राज्यों के लिए लगभग 400 ट्रेन जा चुकी है। जिसमें की सबसे ज्यादा ट्रेन यूपी की है। इसके बाद बिहार और उड़ीसा के श्रमिकों का नंबर आता है। कुल मिलाकर सूरत में काम करने वाले ज्यादातर श्रमिक उत्तर प्रदेश, बिहार,उड़ीसा आदि राज्यों के हैं जो कि अब तक 60 फ़ीसदी तक अपने गांव चले गए हैं।

इन श्रमिकों के बिना उद्योगों को चल पाना एक कल्पना करने के बराबर है। सरकार की ओर से लोग गांव में कुछ शर्तों के साथ कंटेंटमेंट जोन के बाहर व्यापार उद्योग खोलने की छूट दी गई है। संभवत 1 तारीख के बाद कपड़ा बाजार भी खुलने की संभावना है। यदि ऐसा ही कुछ रास्ता पहले भी हो जाता तो इतनी बड़ी संख्या में श्रमिकों को पलायन करने का नौबत नहीं आती। जो श्रमिक गांव जा रहे हैं। एक अंदाज के अनुसार इसमें से पांच से 10 प्रतिशत श्रमिक सूरत ही छोड़ देंगे। अन्य श्रमिकों की बात करें तो कुछ श्रमिक तो दिवाली तक सूरत में दर्शन नहीं देंगे। इसके बाद शादी ब्याह का सीजन शुरू हो जाएगा। तब भी वह सूरत आएंगे कि नहीं कोई भरोसा नहीं।

हालांकि जिन लोगों के सामने शहरों के अलावा और कोई रास्ता नहीं है उन्हें तो आना ही पड़ेगा। लेकिन यह मान के चलिए की सूरत के व्यापार उद्योग को फिर से पहले जैसा होने में समय लग जाएगा। कपड़ा उद्यमियों का कहना है कि उन्होंने श्रमिकों को रोकने का प्रयास तो किया लेकिन श्रमिक इस कदर व्याकुल थे कि उन्हें सिर्फ अपने गांव जाने की ही सूझ रहा थी। ऐसे में उद्यमियों ने की व्यवस्थाएं भी नाकाफी साबित हो रही थी।


सूरत के लूम्स , एंब्रॉयडरी प्रोसेसिंग यूनिट सहित कपड़ा उद्योग के तमाम घटकों में अन्य राज्यों के श्रमिकों का महत्वपूर्ण योगदान है। अब इनकी चमक तभी लौटेगी एक बार दोबारा फिर से सूरत की ओर रुख करेंगे।