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मनपा प्रशासन की ओर से शहर के निजी अस्पतालों में कार्यरत तमाम स्टाफ के लिए गाइडलाइन जारी की गई है। इसके अनुसार निजी अस्पताल में कोरोना के डर से नौकरी छो़डने वासों के लिए कई प्रावधान किए गए हैं।
इसके अनुसार सूरत महानगर पालिका के क्षेत्र में उपचार करने वाली निजी अस्पतालों को कोविड होस्पिटल के तौर पर घोषित कर दिया गया है। इसके कारण यहां पर काम करने वाले सभी मेडिकल और नॉन मेडिकल स्टाफ को एपेडेमिक डीसिज एक्ट 1897 का पालन करना होगा। यदि वह किसी नियम का उल्लंघन करते हैं तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है।
बताया जा रहा है कि कोरोना के संक्रमण के कारण बिते दिनों निजी अस्पतालों मे काम करने वाले कई स्टाफ नौकरी छो़ड़कर चले गए थे। खासकर यह समस्या उन अस्पतालों में ज्यादा है जहां कि मनपा ने कोरोना मरीजों को इलाज देने का करार किया है।
यदि स्टाफ काम छो़ड़कर चले जाएंगे तो आने वाले दिनों में समस्या बढ़ सकती है इसलिए मनपा यह कदम उठा रही है।
मनपा ने शहर के 37 निजी अस्पतालों के साथ कोरोना के मरीजों को उपचार देने का करार किया है। वह मरीजों के कितनी फीस लेगे यह भी मनपा ने तय कर दिया है।
582 हीरा श्रमिक और 89 टैक्सटाइस श्रमिकों को हो चुका कोरोना
शहर में आज भी कोरोना की गति तेज रही। शनिवार को 190 से अधिक कोरोना संक्रमित दर्ज होने के बाद रविवार को शहर जिले में कुल 191 कोरोना के केस दर्ज हुए। इनमें सूरत शहर के 174 और सूरत जिले में 17 केस दर्ज हुए। सूरत में अब तक कुल 4839 केस दर्द हुए हैं।
इनमें 4345 शहर के और जिले के 494 है। रविवार को कुल आठ लोगों की मौत के साथ अब तक कुल मृतांक 174 पर पहुंच गया है। इसमें 160 सूरत सिटी के और जिले के 14 है। कुल डिस्चार्ज की संख्या 2929 हैं इसमें से 261 जिले के हैं।
बताया जा रहा है कि रविवार को जो केस दर्ज हुए इसमें सेंट्रल जोन के 16, वराछा-ए के 23, वराछा-बी के 18, कतारगाम के 66, लिंबायत के 10, उधना के 6 और अठवा जोन के 16 मरीज है। कतारगाम जोन में बढते मरीजों की संख्या प्रशासन के लिए चिंता का विषय बनी है