सूरत एपीएमसी( एग्री कल्चर प्रोडक्ट मार्केटिंग कमेटी) पूरे देश के 2487 एमपीएसी मार्केट में से पहला मार्केट बन गया है जिसमें कि बच गई खराब सब्जी का इस्तेमाल कर बायो सीएनजी गेस उत्पन्न किया जाता है। देश के वाणिज्य मंत्री पियुष गोयल ने अपने ट्वीटर अकाउन्ट पर ट्वीट कर इसकी जानकारी दी और सूरत एपीएमसी को बधाई दी।
मिली जानकारी के अनुसार सूरत की एपीएमसी मार्केट में प्रतिदन कई राज्यों में से 1700 से 2300 टन सब्जियां आती है। इनमें से अंदाजन प्रतिदिन 25 टन सब्जी बिगड़ जाती है। सड़ीं हुई सब्जियों का निकाल करना एक समस्या के समान था। एपीएमसी ने इसके लिए सूरत महानगरपालिका को ठेका दिया था। पालिका यह सड़ी हुई सब्जियां ले जाती थी। इसके अवेज में एपीएमसी प्रतिदिन पांच हजार रुपए लेती थी। कई बार तो पालिका के स्टाफ नही आने के कारण सब्जियां वहीं बास मारने लगती थी।
इस दौरान गुजरात गैस कंपनी ने यदि एपीएमसी इन सड़ी हुई सब्जियों में से सीएनजी गैस बनाए तो खरीदने के लिए उत्सुकता दिखाई। सूरत एपीएमसी के चेरमेन रमण जानी ने बताया कि प्लान्ट की क्षमता पचास टन की है लेकिन फिलहाल यहां पर पच्चीस टन की क्षमता से गैस बनाई जा रही है। यहां प्रतिदिन 1000 क्यूबिक मीटर गैस बनती है। पहले यह सब्जी मनपा ले जाती थी और डम्प कर देती थी इससे प्रदषण का खतरा था जो कि अब नहीं है। बताया जा रहा है कि पूरे देश में 2487 एपीएमसी मे सूरत एपीएमसी एक मात्र मार्केट है जो कि गैस उत्पादन भी करती है।
इसके अलावा गैस के उत्पादन के दौरान 16 हजार स्लरी लिक्विड भी बनता है जो कि एपीएमसी की ओर से ग्राहकों को प्रति लीटरक दो रूपए की कीमत से बेच दिया जाता है। इस तरह एपीएमसी जो कि पहले खराब सब्जियों को हटाने के लिए प्रतिदिन पाच हजार रुपए खच्र कतरी थी वह अब प्रतिमाह गैस और लिक्विड के माध्यम से 11.61 लाख रूपए कमा रहा है।राज्य सरकार ने इसके लिए 1.25 करोड रुपए की ग्रान्ट दी है जबकि एपीएमसी को 4.75 करोड रुपए खर्च करना पड़ा है। यह प्लान् सात महीने पहले एपीएमसी ने छह करोड रुपए की लागत से पचास टन बायोगैस बनाने के लिए प्लान्ट तैयार किया।