सूरत और मुंबई में कार्यरत वर्षों पुरानी आंगडिया पेढी 1000 करोड़ रुपए में कमजोर हो जाने की चर्चा हीरा बाज़ार में चल रही है। इस आंगडिया पेढी में सूरत और मुंबई हीरा बाज़ार के कई हीरा उद्यमियों के रूपए फँस गए है। ऐसी चर्चा के कारण हीरा उद्यमियों की हालत और पतली हो गई है।
बताया जा रहा है कि सूरत मे इस हीरा पेढी का मुख्य कार्यालय है। गुजरात और मुंबई मे कुल 10 शाखाए है। सभी स्थानो पर ताला लगा है। बताया जा रहा है कि यह पेढी नोटबंदी के दिनों में ही कमजोर पड गई थी, लेकिन सूरत के तीन बड़े हीरा उद्यमियों मे अपने रुपए निकालने के लिए इसमे और निवेश किया और बीते दिनों वह रुपए निकाल लिए। उन्होंने बड़ी ही युक्ति से यह काम किया।
इस कारण यह पेढी कमजोर हो गई। फ़िलहाल कहीं भी पुलिस स्टेशन या डायमंड एसोसिएशन पर किसी ने भी पैसे फँसे होने की शिकायत नही दर्ज कराई है। हीरा उद्योग में पहले से ही मंदी का माहौल है। लॉकडाउन के कारण हीरा उद्यमियों के पास कार्यशील पूँजी नहीं है ऐसे में इस पलायन के कारण कई छोटे और मध्यम वर्गीय हीरा उद्यमियों की समस्या बढ जाएगी। आगामी दिनों मे पलायन की घटना और बढ सकती है।
हीरा श्रमिको को लॉकडाउन के दिनों का वेतन चुकाने के लिए गुहार
गुजरात डायमंड वर्कर यूनियन ने सूरत के कलक्टर को ज्ञापन देकर हीरा श्रमिकों को लॉकडाउन के दिनों का वेतन नहीं दिए जाने की शिकायत करते हुए इसकी व्यवस्था कराने की मांग की है।
गुजरात डायमंड वर्कर यूनियन ने कलक्टर को ज्ञापन में बताया है कि सरकार की ओर से लॉकडाउन के दिनों में पूरा पगार चुकाने और छंटनी नहीं करने को कहा था। इसके बावजूद हीरा श्रमिकों को वेतन नहीं दिया गया है साथ ही कई कंपनियां छंटनी कर रही है। इसके अलावा इन दिनो हीरा श्रमिक पहले से ही परेशान हैं।
ऐसे में कई कंपनियों में कम वेतन पर उनसे काम कराया जा रहा है। मंदी के बहाने हीरा श्रमिकों के वेतन में 40 प्रतिशत तक कमी की जा रही है। इसलिए कलक्टर से मध्यस्थी कर हीरा श्रमिकों से अन्याय नहीं हो ऐसी व्यवस्था करने की मांग की है।
यूनियन के रमेश जिलरिया और भावेश टाँक ने कलक्टर से मदद की गुहार लगाई है।