सूरत
लॉकडाउन के दौरान ट्रैफ़िक प्वाइन्ट पर लोगों को रोकते रोकते पुलिस कर्मचारी भी कहीं ऊब न जाए इसलिए पुलिस का मनोबल बढ़ाने के लिए शहर पुलिस कमिश्नर अब से खुद किसी न किसी ट्रैफ़िक प्वाइन्ट पर एक घंटे खड़े होकर पुलिस के जवानों का मनोबल बढ़ाएँगे|
सूरत के पुलिस आयुक्त आर.बी. ब्रह्मभट्ट ने निर्णय लिया है कि पुलिस का मनोबल बढ़ाने के लिए पुलिस आयुक्त, संयुक्त पुलिस आयुक्त, सभी पुलिस उपायुक्तों, सभी सहायक पुलिस आयुक्तों, पुलिस के सभी निरीक्षकों को प्रतिदिन सुबह एक घंटे और शाम को एक घंटे के लिए अपने क्षेत्र में ट्रेफिक प्वाइन्ट पर जाएँगे।
बताया जा रहा है कि पुलिस के बड़े अधिकारियों की ओर से लिए गए इस फ़ैसले के कारण दिन रात ट्रैफ़िक प्वाइन्ट पर काम करने वाले पुलिस कांस्टेबल से लेकर पुलिस सब-इंस्पेक्टर तक के अधिकारियों का जोश बढ़ेगा।
इस फ़ैसले का अमल शहर पुलिस कमिश्नर आर बी ब्रह्मभट्ट ने भी शुरू किया है। गुरुवार शाम और शुक्रवार की सुबह वह ट्रेफ़िक प्वाइन्ट पर खड़े थे।शुक्रवार की शाम वह उधना दरवाज़ा के पास रोकडिया हनुमान मंदिर के समीप ट्रैफ़िक प्वाइन्ट पर थे।
सूरत से कड़ी धूप में 1600 किलोमीटर पैदल ही चले गए श्रमिक
लॉकडाउन के कारण बेरोज़गार लाचार श्रमिकों को प्रशासन ने अपने राज्यों तक पहुँचाने के लिए ट्रेन की व्यवस्था तो कर दी है, लेकिन कई लोग पहले ही पैदल निकल चुके है। अब वह हज़ारो किलोमीटर की यात्रा कर गाँव पहुँच गए है लेकिन अपनी व्यथा बता रहे हैं। सूरत से पैदल निकलकर चार श्रमिक 1600 किलोमीटर चलकर यूपी के शहर मऊ पहुंचे।
चारों मजदूरों का मेडिकल परीक्षण के बाद 14 दिनों के आइसोलेशन में रखा गया। इसके बाद उन्हें गाँव जाने दिया गया।
मिली जानकारी के अनुसार कोरोना के कारण देशव्यापी लॉकडाउन में व्यापार-रोज़गार बंद हो जाने से अन्य राज्यों में फंसे मजदूरों के सामने आर्थिक समस्या खडी हो गई। आखिर लाचार होकर कई श्रमिक अपने अपने वतन लौट रहे हैं। यह सिलसिला अप्रेल से ही शुरू हो गया था। बीते दिनों गुजरात से भी बड़ी संख्या में लोग पैदल ही गाँव चले गए।गुजरात के सूरत शहर से यूपी के मऊ में 12 दिन पैदल चलकर पहुंचे मजदूरों को देखकर उनकी लाचारी का ख़्याल आ गया।