सूरत के कपड़ा उद्यमियों ने हमेशा ही कुछ नया किया है और देश की परिस्थिति के अनुरूप कपड़ों का उत्पादन कर एक तरह से देश की मदद ही की है।देशभर में इन दिनों कोरोना की महामारी फैली है। लाखों कोरोना वॉरियर्स देश की सेवा में जुटे हुए है।ऐसे में उन्हें को कोरोना चेप लगने का भय अधिक है। परिस्थिति को समझते हुए सूरत के कपड़ा उद्यमियों ने कोरोना वायरस से बच सकें ऐसे बैक्टिरिया और वायरस प्रूफ़ शुट का उत्पादन करना शुरू किया है।इस शुट को पीपीई शुट कहा जाता है। मतलब की पर्सनल प्रोटेक्शन किट का उत्पादन सूरत के उधमी कर रहे हैं।सूरत के उद्यमियों ने इसे नोन-वुमन और वुवेन फैब्रिक दोनों पर ही बनाना शुरू कर दिया है।भारत सरकार की लेबोरेटरी और दक्षिण भारत की साउथ इंडिया टैक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन ने इसे प्रमाणित किया है।
सूरत में यश फैशन, लक्ष्मीपति ग्रुप और नोबेल टैक्स में पीपीई शुट का उत्पादन शुरू किया है।बताया जा रहा है कि यह शुट 30 बार री-यूज़ कर सकते हैं।
सूरत का कपड़ा उद्योग हमेशा से कुछ नया करने के लिए पहचाना जाता है नॉन-वुवन के बदले वूवन फैब्रिक में से पीपीई शुट तैयार कर टेक्सटाइल उद्योग को नई दिशा दी है। सूरत के पांडेसरा जीआईडीसी में यश फैशन ने भारत सरकार के मंत्रालय से मंजूरी लेकर प्रतिदिन 20000 पीपी शुट का उत्पादन शुरू कर दिया है। लक्ष्मीपति ग्रुप में भी प्रतिदिन 10000 सूट बनाना शुरू कर दिया है।
लक्ष्मीपति ग्रुप के संजय सरावगी ने बताया कि सूरत के कुछ कपड़ा उधमी पीपीई सुट का उत्पादन कर सकते हैं। नॉन-वुवन एक ही बार उपयोग में लिया जा सकता है जबकि, वॉवन फैब्रिक से तैयार किया गया है। शुट कम से कम 30 बार पहन सकते हैं।यह शुट 70 बार री-यूज हो सकता है। इस शुट के बारे में दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि नॉन वुवन शुट सिर्फ 4 घंटे ही पहन सकते हैं जबकि, वॉवन शुट 8 घंटे तक पहन सकते हैं। यह सिर से लेकर पांव तक होने के कारण पूरे शरीर को कवर करता है।
अन्य उद्यमी मनन गोंडलिया ने बताया कि गवर्मेंट ऑफ इंडिया की ओर से मंजूरी मिलने के बाद वह अपने डाइग मिल में पीपीई शुट तैयार कर रहे हैं। प्रतिदिन 60000 मीटर फैब्रिक से 20000 सूट का प्रोडक्शन किया जा रहा है। यह तमाम शुट भारत सरकार को सप्लाई किया जाएगा|यह सूट बैक्टीरिया, वायरस और सूक्ष्मजीवों के सामने टिक सकेंगे| इन्हें भारत सरकार की प्रयोगशाला से भी मंजूरी मिली है।
पलसाना में पीपीई शुट का उत्पादन करने वाले परेश चौधरी ने बताया कि उनके यहां 30000 मीटर फैब्रिक तैयार किया जा रहा है, जो कि अन्य शहरो में भेजा जा रहा है, फिलहाल सूरत से कानपुर दिल्ली, मुंबई, कोइम्बतूर आदि शहरों में फैब्रिक भेजा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि सूरत के कभी सूरत का कपड़ा उधोग सिर्फ़ पॉलिएस्टर कपड़ों के लिए जाना जाता था लेकिन समय ने करवट बदली है अब सूरत में अलग-अलग प्रकार के कपड़ों का उत्पादन किया जाता है। आनेवाले दिनों में सूरत के कपड़ा उधमियों के लिए अच्छे संकेत है।