रिज़र्व बैंक ऑफ इन्डिया ने 2000 के नोट पर सर्क्युलेशन से बाहर लेने की घोषणा के बाद ज्वेलर के यहाँ 25 प्रतिशत व्यापार बढ़ गया है। इसके अलावा लोग पुराने पेमेन्ट भी 2000 के नोट मे कर रहे है। हालाँकि इससे व्यापार पहले की तरह प्रभावित नहीं होगा।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा कि 2000 रुपये के करेंसी नोटों के संबंध में आरबीआई का आदेश नागरिकों को अपनी दैनिक खरीदारी में डिजिटल भुगतान को स्वीकार करने और अपनाने के लिए प्रेरित करने और प्रोत्साहित करने की दिशा में एक सही और सहरानीय कदम है। देश कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है जिसका सपना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देखा था। कैट पिछले कई वर्षों से व्यापारिक समुदाय के बीच डिजिटल भुगतान की स्वीकृति की सक्रिय रूप से वकालत कर रहा है और आगे भी इस दिशा में कार्य करते रहेगा।

कैट के गुजरात चैप्टर के प्रमुख प्रमोद भगत ने कहा कि सरकार के इस कदम से छोटे व्यापारियों के व्यापार पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन निश्चित रूप से बड़े और संपन्न वर्ग को झटका लगेगा, जिन्होंने बड़ी मात्रा में 2000 रुपये के नोटों का स्टॉक किया होगा।
दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि व्यापारियों के व्यापार में कोई गड़बड़ी नहीं होगी । आरबीआई ने 2000 रुपये को कानूनी निविदा के रूप में घोषित करके और छोटे मूल्यवर्ग के नोटों के साथ 2000 रुपये के नोटों के आदान-प्रदान के लिए चार महीने की अनुमति प्रदान करके व्यापार में सुचारू लेनदेन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं।