लोक डाउन के दौरान सोने की बढ़ती कीमतो के कारण कई लोग ज्वैलरी वापिस बेच रहे हैं। कुछ लोग जिनकी कोरोना के कारण व्यापार धंधा बंद हो जाने से रुपए की जरूरत है वह ज्वैलरी बेचकर जीवन निर्वाह कर रहे हैं और कुछ लोग फायदा कमाने के लिए ज्वैलरी बेच रहे हैं। ऐसे में जीएसटी काउन्सिल के सदस्य मंत्रीमंडल ने अब से जो लोग ज्वैलरी वापिस बेचेंगे उन्हें तीन प्रति जीएसटी चुकाने का प्रस्ताव रखा है।
फिलहाल अभी इस पर फैसला नहीं आया है लेकिन आगामी दिनों में इस पर निर्णय हो सकता है। मतलब की ज्वेलरी खरीदने वालों को दो बार चार्ज चुकाना पड़ सकता है। एक बार ज्वेलरी बनाने के नाम पर मेकिंग चार्ज और दूसरी बार बेचते समय जीएसटी के नाम पर। फिलहाल जीएसटी काउंसिल के समक्ष निर्णय विचाराधीन है।
इसके अलावा राज्य के भीतर ही ज्वैलरी के लिए एक ही राज्य में एक जगह से दूसरी जगह ले जाने पर भी ई-वे बिल लगाने के लिए भी सरकार सोच रही है। हालांकि मंत्रिमंडल ने इस पर निर्णय राज्य के अधीन छोड़ा है। ज्वैलर एसोसिएशन सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि व्यापार की गोपनीयता इससे खत्म हो जाएगी।
उनका भय है कि जीएसटी के तहत ई वे बिल में सारा ब्यौरा होता है। जिसे कर्मचारी गलत हाथों में सौंप सकते हैं। इससे ट्रांसपोर्टेशन के दौरान चोरी या लूट का भी खतरा बढ़ जाएगा। सोने का बड़ा व्यापार नगद होता है।
ई-वे बिल लागू करने से व्यापार खत्म होने का भय है। दूसरी ओर ज्वेलरी वापस बेचने पर भी 3% जीएसटी लगाने का भी विरोध चल रहा है। इंडियन बुलियन ज्वेलर्स एसोसिएशन के गुजरात के डायरेक्टर नैनेष पच्चीगर ने बताया कि लगभग 30% हो रही है। यदि सरकार रिवर्स मैकेनिज्म चार्ज लगाएगी तो लोगों की मुसीबत और बढेगी।