गुजरात में जहां एक और विकास तेज गति से आगे बढ़ रहे होने की बात कही जाती है।वहीं दूसरी ओर खुली गटरों और सड़कों की बदतर हालत ने राज्य की पोल खोल कर रख दी है। कई जगह पर खुली गटर लोगों की मौत का भी कारण बन रही है। भारत में 1 साल में 102 लोगों की मौत खुली गटर के कारण हुई है। इसमें से 30 लोग गुजरात के हैं। मतलब की 29% प्रतिशत लोग गुजरात के हैं।
मीडिया सूत्रों के अनुसार गुजरात में 2015 से 2019 के बीच 135 लोगों ने खुली गटर में गिरने से मौत हो गई। औसतन देखें तो हर साल 27 लोगों की मौत गटर में गिर जाने से हुई है। 2019 में 30 लोगों की मौत गड्ढे में गिर जाने से हुई थी। जैसे ही बरसात होता है वैसे ही रोड पर गड्ढे गिरने और गटरें उभराने और खुली गटरों की समस्या आने की बातें सामान्य हो जाती हैं। 1 साल में गुजरात में लगभग 92 लोग गड्ढे में गिर जाने के कारण मर गए।
बीते 5 साल में 479 लोगों की मौत गड्ढे में गिरने से हुई है। इनमें से 2017 में सबसे अधिक 122 लोगों की और 2018 में 89 लोगों की गड्ढे में गिरने से मौत हो गई। पूरे देश में 2019 में तो 672 पुरुष और 227 महिला मिलकर 901 लोगों की गड्ढे में गिरने से मौत हो गई। इसके पहले 2018 में 700 लोगों की गड्ढे में गिरने से मौत हुई थी। मतलब कि एक ही साल में लगभग 27% की बढ़ोतरी हो गई।
गड्ढों में गिरकर मौत के मामले में राजस्थान से ऊपर है वहां पर 288 लोगों की मौत हुई थी। जबकि महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है। उल्लेखनीय है कि इन दिनो भी शहर की सडकों की हालत बरसात के कारण खराब हो गई है। शहर के सभी रास्तों पर बड़े बड़े गडढे नजर आने लगे हैं। कई स्थानों पर तो सड़क पर गड्ढे हैं या गड्ढो में सडक है पता ही नहीं चल पाता।