कोरोना में लॉकडाउन के कारण बीते नौ महीने से कोर्ट बंद होने के कारण वकीलों की हालत भी पतली हो गयी है। वकीलों ने इस बारे में बार बार राज्य सरकार से कोर्ट में फ़िज़िकल सुनवाई का काम शुरू करने और आर्थिक पैकेज देने की माँग की है लेकिन, इसके बावजूद सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने के कारण नाराज़ वकीलों ने बुधवार की दोपहर कोर्ट के आगे प्रतीक धरना का कार्यक्रम आयोजित किया।
हालाँकि वकीलों को पुलिस की ओर से मंज़ूरी नहीं होने के कारण पुलिस ने तभी वकीलों को डिटैन कर लिया। वकीलों की माँग थी की सभी ज़रूरत मंद वकीलों को दो लाख रुपये के लोन बिना ब्याज के भी जाए साथ ही कोर्ट में फिजिकल कार्रवाई भी शुरू की जाए।
मार्च महीने से ही फिजिकल कोर्ट की कार्यवाही बंद है। कोर्ट में अर्जेंट केस की वीडियो ग्राफी से की जा रही है।
फिलहाल सूरत,अहमदाबाद,वडोदरा,राजकोट जैसे मेट्रोपोलिटन शहरों में कोरोनावायरस के बढ़ते केस के कारण शहरों को छोड़कर अन्य जिला तहसील में फिजिकल कार्यवाही नियमों के अंतर्गत कोर्ट शुरू की गई। कुछ वकीलों ने अन्य व्यवसाय में भी हाथ आजमाना शुरू कर दिया है। सीनियर वकीलों के यहां काम करने वाले जूनियर वकीलो को भी नौकरी से निकाल दिया गया है।
वकील महिला और वकील दंपत्ति की हालत और खराब हो रही है। सूरत जिला वकील मंडल (गुजरात) के माध्यम से जरूरतमंदों को आर्थिक सहायता राशि नहीं मिलने के कारण लोग परेशान हैं। जिसके चलते फिजिकल कार्यवाही शुरू होने के साथ ही आर्थिक पैकेज की घोषणा की मांग की जा रही है।
आज दोपहर वकीलों के प्रतीक धरना के कार्यक्रम के दौरान वकीलों की संख्या कम रही। पुलिस में वकीलों का कार्यक्रम शुरू होने के कुछ देर में ही डिटैन कर लिया।