कोरोना के लिए दुनिया भर के सभी देश पहले से ही चीन को दोषी मान रहे हैं। अब अमेरिका के गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट ने इस आशंका को और प्रबल बना दिया है। अमेरिका के गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोनावायरस की बिमारी शुरू हुई।
इसके पहले वहां इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी लेबोरेटरी में काम करने वाले कई वैज्ञानिक 2019 में बीमार पड़े थे। यह संशोधक कोरोनावायरस पर काम कर रहे थे। उस दौरान इन्हें चमगादड ने काट लिया था ऐसा दावा किया गया है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने कोरोना की जांच के दौरान कई विरोध खड़े किए हैं। वहां लेबोरेटरी में बीमार हुए कई वैज्ञानिकों की जानकारी सरकार ने भी छुपाई थी। इस लेबोरेटरी के हेड शिन जेंग लिंग ने दावा किया कि लेबोरेटरी में स्टाफ और विद्यार्थियों में किसी को कोरोनावायरस के लक्ष्ण नहीं हैं।
हालाकि उनका दावा विश्वसनीय नहीं है। इसके पहले 2004 में सार्स नाम की बीमारी भी चीन से ही फैली थी। इस दौरान चीनी मीडिया के हवाले से एक वीडियो पर कई बातें जानने को मिली है। वीडियो के माध्यम से मिली इस जानकारी का स्त्रोत चीन की चैनल सीसीटीवी 13 है। जिसमें कि कई लोग पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट पहनकर अंधेरी गुफा में चमगादड़ का सैंपल लेते नजर आ रहे हैं।
2017 के एक वीडियो में एक संशोधक में यह बात मानी थी कि उल्लू ने उन्हें काटा था। उन्होंने माना कि रबड़ के मोजे पहनने के बावजूद उल्लू ने उन्हें काट लिया। बताया जा रहा है कि इस रिपोर्ट के बाद से चीन की समस्या बढ़ जाएगी।
फिलहाल वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की टीम चीन में कोरोना कहां से फैला इसकी जांच में है। यह टीम कोरोना के और चीन के बीच संबंध का पता लगाएगी। अमेरिका ने मांग की है कि डब्ल्यूएचओ को वुहान लेबोरेटरी में कोरोनावायरस पर किए गए सभी काम का दस्तावेज लेना चाहिए। इस रिकॉर्ड में कई परिवर्तन किए गए हैं और कई जानकारियां डिलीट कर दी गई है। चीन कोरोना की जांच का विरोध करते रहा है।