सोशल डिस्टेंस नहीं रखने का अपराध सबसे पहले सूरतीओ के नाम!!

एपेडेमिक डीसिज एक्ट के तहत मनपा नें 24700 रूपए वसूले
सूरत
सूरत में बढ़ रहे हैं और कोरोना के मामलों को देखते हुए प्रशासन गंभीर हो गया है।रविवार को कोरोना के तीन पॉज़िटिव मामले सामने आए थे। इसके बाद सोमवार को भी कोरोना के तीन पॉज़िटिव मामले सामने आए।अब तक सूरत में कुल 17 पॉज़िटिव मामले आ चुके हैं |लगातार दो दिन से कोरोना पॉज़िटिव के तीन-तीन मामले सामने आते ही प्रशासन की नींद उड़ गई है ।प्रशासन ने अब और कड़े क़दम उठाना शुरू कर दिए हैं।


सूरत महानगर पालिका के कमिश्नर ने साफ़ कर दिया कि अब कोरोना के केस जिस तरह बड़ी संख्या में आ रहे हैं वह शहर के लिए चिंताजनक है।इसे रोकने के लिए सोशल डिस्टेंस और लॉक डाउन के नियमों का पालन अनिवार्य तौर पर करना पड़ेगा।
मास्क नहीं पहनने वालों के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की जाएगी।उन्होने यह बताया कि सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं करने वाले 247 लोगों से एपेडेमिक डीसिज एक्ट के तहत 100 रुपये के हिसाब से आज 24 हज़ार 700 रुपये वसूल किए गए | सोश्यल डिस्टैंस नही पालने पर दंड का मामला देशभर में सूरत में पहली बार बना है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि सोमवार की शाम तक कुल 213 मामलों की कोरोना जॉच की गई थी। जिसमें कि 17 मामले पॉज़िटिव आए पाँच का रिपोर्ट पेंडिंग है। और बाक़ीके रिपोर्ट नेगेटिव है ।सूरत में आज जिन तीन लोगों का कोरोना रिपोर्ट पॉज़िटिव आया है। उसमें से दो रांदेर के हैं और एक बेगमपूरा क्षेत्र की महिला है। सूरत महानगर पालिका की ओर से अब तक लगभग 1400 लोगों को क्वारन्चाइन में रहने का निर्देश दिया गया है।इसके अलावा प्रशासन ने लॉकडाउन के दौरान नियम का उल्लंघन कर बेवजह घूम रहे कई लोगों की गाड़ियाँ जमाकर कार्रवाई शुरू की है।

जानिए- क्या है एपेडेमिक डीसिज एक्ट, कोरोना में राज्य सरकारें क्यों ले रही इस एक्ट का सहारा


सूरत
कोरोना में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पूरे राज्य में महामारी रोग अधिनियम लागू किया गया है। ब्रिटिश काल में भारत में पहली बार महामारी रोग अधिनियम (महामारी कानून) 1897 में लागू किया गया था। मुंबई में प्लेग के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए 123 साल पहले कानून को पहली बार लागू किया गया था।
सूरत में रविवार को चौकबाजार पुलिस ने महामारी कानून के तहत दो मामले बनाए। आंकड़ों के अनुसार, देश के सभी राज्यों में महामारी रोग अधिनियम लागू होता है, अगर किसी राज्य केंद्र को संदेह है कि महामारी के कारण बड़ी तबाही हो सकती है। एक बीमारी पहले से ही देश या राज्य में प्रवेश कर चुकी है, जिससे स्थानीय लोगों को संक्रमण हो सकता है और बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हो सकते हैं। फिर, केंद्र या राज्य सरकार इस अधिनियम को लागू कर सकती है।
महामारी रोग अधिनियम में चार खंड हैं। इसमें धारा 2 को संबंधित सरकार को पूर्ण अधिकार दिया गया है। यदि कोई महामारी राज्य में फैली हुई है और लोगों के लिए घातक हो सकती है, तो सरकार महामारी को नियंत्रित करने के लिए महामारी रोग अधिनियम का उपयोग करती है। इस कानून के तहत सरकार किसी भी व्यक्ति को बीमारी फैलने से रोक सकती है। अधिनियम राज्य को महामारी को रोकने के लिए अनंतिम कानून बनाने की भी अनुमति देता है। वर्तमान सरकार इस कानून का उपयोग कर रही है, जो सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षिक, खेल, सांस्कृतिक या सभी प्रकार के आयोजनों पर प्रतिबंध लगाती है और स्कूल, कॉलेज, थिएटर, जिम, मल्टीप्लेक्स और साप्ताहिक बाजार बंद हैं। दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों के लिए राज्य की सीमा पर पर्याप्त हैंड सैनिटाइज़र लगाए गए हैं। राज्य के बाहर से आने वाले यात्रियों की जांच के लिए अधिकारियों को नियुक्त करने का भी प्रावधान किया गया है। यदि जांच के दौरान संदिग्ध होने पर, अधिकारी यात्री को अस्पताल ले जा सकता है या जहां व्यवस्था की गई है। कॉरपोरेट सेक्टर में काम करने वालों को भी घर से काम करने की हिदायत दी गई है। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार को लागत एकत्र करने का अधिकार भी दिया गया है, जिसके लिए राज्य सरकार को व्यय की वसूली का अधिकार होगा।
धारा -3 में, यदि कोई व्यक्ति इस कानून का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ IPC-188 के तहत शिकायत दर्ज करने का प्रावधान किया गया है। जिसमें 6 महीने की कैद और जुर्माने का प्रावधान शामिल है।
धारा 4 केंद्र सरकार को पूरे देश में हवाई अड्डों या बंदरगाहों या ट्रेनों और यातायात पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार देता है।
इसके अलावा, भारतीय दंड संहिता की धारा 269 और 270 के प्रसारण के लिए दंड का प्रावधान है। पुलिस सीआरपीसी की धारा 154 के तहत कार्रवाई कर सकती है और आरोपी को दो साल तक की जेल हो सकती है।