एक ओर जहां कोरोना के कारण लोग परेशान है और सभी ने अपने हिस्से की सावधानी बरतना शुरू कर दी है। वहीं कई स्थानों पर सार्वजनिक तौर पर की जाने वाली लापरवाही कोरोना संक्रमण को तेजी से फैलने में बढावा दे रही है। बैंक के अंदर तो बैंक कर्मी कोरोना से बचने के सारे नियम कानुन का पालन करते हैं लेकिन वही दूसरी ओर शहर के कई एटीएम ऐसे भी जहां के बड़ी संख्या में लोग जाते हैं और रुपए निकालने के साथ रुपए डिपोजिट करने सहित अन्य बैंकिंग काम करते हैं।

कोरोना के दौरान बैंकिंग कामकाज घट जाने के कारण लोग बैंको में जाने के बजाय मशीनो में रुपए डिपोजीट करना और निकालना आदि पसंद कर रहे हैं। ऐसे में एटीएम और कियोस मशीन का इस्तेमाल करने वालों की संख्या भी बढी है। बैंकों को चाहिए कि यहां पर सेनेटाइजर की व्यवस्था की जाए। लेकिन शहर के कई क्षेत्रों में एटीएम मशीनों में कोरोना की गाईडलाइन का पालन नहीं हो रहा।

एक ही मशीन के की बोर्ड पर कई लोग बार बार हाथ लगाते हैं ऐसे में संक्रमण फैलने का भय बना है। हालाकि यह भी कहा जाता है कि एटीएम सेन्टरो से सेनेटाइजर चोरी हो जाते हैं लेकिन इस तर्क से कोरोना का भय समाप्त नहीं हो जाता। इसलिए बैंको को एटीएम मशीनों के आगे सेनेटाइजर की व्यवस्था करनी चाहिए।

कोरोना के कारण लाचार लघु, सूक्ष्म और मध्यम वर्गीय उद्यमियों की मदद के लिए सरकार की ओर से 300000 करोड रुपए की पैकेज की घोषणा की गई थी। यह राहत उद्यमियों को लोन के तौर पर देने का तय किया गया था। अब वित्त मंत्रालय की ओर से सभी बैंकों को उद्यमियों को यह लोन ज्यादा से ज्यादा दिया जा सके इसलिए दबाव किया जा रहा है। 


दूसरी ओर बैंक भी  असुरक्षित लोन देने में डर रहे हैं। जिसके चलते बैंकों ने इस लोन का स्वरूप ही बदल दिया है। बैंकों ने सीधे लोन देने की बजाय खातेदार को के सीसी अथवा ओडी लिमिट 20% तक बढ़ा दी है। जिसके चलते राष्ट्रीयकृत बैंकों में अकाउंट होल्डर ओके बैंक खातों में उनके सीसी और ओवरड्राफ्ट अकाउंट की लिमिट बढ़ा दिए जाने का मैसेज आ रहा है।

जिसे देखकर उद्यमी चौक गए इसी तरह से शहर के एक बड़े उद्यमी के मैसेज आया कि उनकी 2 करोड रुपए के प्रे अप्रूव्ड लोन स्वीकार कर ली गई है। यह जानकर दंग रह गए और जब बैंक में गए तो उन्हें पता चला कि बैंक की ओर से उनके सीसी लिमिट और ओवरड्राफ्ट लिमिट बढ़ा दी गई है।

बैंको की ओर से इस तरह से बिना बताए सीसी क्रेडिट और ओडी लिमिट बढा दिए जाने के कारण उद्यमियों में कौतूहल फैल गया है। बीते एक सप्ताह से कई उद्यमियों की सीसी क्रेडिट लिमिट और ओडी लिमिट बिना किसी मांग के कर दिए जाने से लोग सोच में पड़ गए हैं। 

केंद्र सरकार ने कोरोना के बीच बैंक कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर दी है। बीते 3 साल से लंबित राष्ट्रीयकृत बैंको के कर्मचारियों के वेतन में सालाना 15 प्रतिशत का इजाफा सरकाारन ने मान लिया है। बैंक कर्मचारी संघ और भारतीय बैंक संघ के बीच इसे लेकर समझौता हुआ है। बताया जा रहा है कि बैंक कर्मचारियों को एरियर के रूप में भी मोटी रकम मिलेगी।


सूरत में लगभग 10000 से 12000 राष्ट्रीयकृत बैंक कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा। मिली जानकारी के अनुसार बैंक यूनियन और आईबीए के बीच हुए समझौते के अनुसार वेतन में बढ़ोतरी का की गिनती नवंबर 2017 से मानी जाएगी। इसके अलावा वेतन और भत्तो में सालाना 15% बढ़ोतरी 31 मार्च 2017 के वेतन के अनुसार होगी। गुजरात बैंक वर्कर्स यूनियन के संगठन मंत्री वसंत बारोट ने बताया कि संगठन ने इस बारे में बहुत लंबा संघर्ष किया है। जिसके चलते बैंक कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।


बताया जा रहा है कि बैंक कर्मचारियों को बैंक कर्मचारियों को 5 दिन के प्रिविलेज लीव के बदले नकद मिलेगी। 55साल के ऊपर के कर्मियों को 7 दिन का नकद दिया जाएगा। इस फैसले के कारण बैंक कर्मचारियों में खुशी का माहौल है। इस फैसले के कारण सरकार की तिजोरी पर लगभग 7500 करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा।


यह मामला 3 साल से लंबित पड़ा था। पहले सरकार ने 4% बढ़ाने पर तैयारी दिखार्। इसके बाद आठ फिर 10 इस तरह से सरकार संगठनों के आगे झुकते हुए 15 तक पहुंची। सूरत में इस फैसले को लेकर खुशी का माहौल देखा जा रहा है।


उल्लेखनीय है कि हाल में ही राष्ट्रीय कृत बैंक के कर्मचारियों ने जो क्षेत्र कोरोनावायरस वहां बैंक शाखाओं का समय बदलने की मांग की थी इसके अलावा अन्य कई मांगे भी बैंक संगठनों ने रखी थी।