भारत में बड़े पैमाने पर नशे के तौर पर इस्तेमाल किए जानेवाले भांग को विदेशों में अब दवा के तौर पर इस्तेमाल करने की छूट दी गई है। दुनिया के कई देशों में भांग नशीली औषधि के तौर पर ही मानी जाती है। अब तक युएन में भांग नशीली औषधि मानी जाती थी, लेकिन अब से इसे इस सूची से बाहर किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र (UN) में भांग के लिए एक ऐतिहासिक मतदान के बाद आखिरकार उसे दवा के रूप में मान्यता दे दी गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के विशेषज्ञों की राय के बाद संयुक्त राष्ट्र ने यह निर्णय लिया है। इस फ़ैसले के बाद से भांग की माँग बढ़ने से उत्पादन बढ़ने की उम्मीद बताई जा रही है।
नारकोटिक ड्रग्स पर संयुक्त राष्ट्र आयोग ने अपनी नशीले पदार्थ की सूची से भांग को हटा दिया है जिसमें हेरोइन जैसी खतरनाक दवाएं भी थीं। इस सूची में ऐसी दवाएं शामिल हैं जो अत्यधिक नशे की लत हैं, मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक हैं, और जिनके चिकित्सा लाभ न्यूनतम या नगण्य हैं।भांग को अब इस सूची से हटा दिया गया है।
हालांकि, संयुक्त राष्ट्र के कानून के तहत, भांग अभी भी गैर-चिकित्सा उपयोग के लिए निषिद्ध दवा है। मिली जानकारी के अनुसार संयुक्त राष्ट्र की ओर से भांग के संबंध में आयोजित मतदान के दौरान भांग के औषधि के तौर में समर्थन में 27 देशों ने और 25 के खिलाफ मतदान किया था। इस ऐतिहासिक वोट के दौरान, संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन ने भांग के औषध के पक्ष में मतदान किया, जबकि भारत, पाकिस्तान, नाइजीरिया और रूस ने इसका विरोध किया।
संयुक्त राष्ट्र के इस फैसले से भांग से बनी दवाओं के इस्तेमाल में बढ़ोतरी हो सकती है। भारत में भांग का उपयोग नशीले पदार्थ के ताक़तों की के तौर पर तो कियाजाता है, लेकिन भारत में भांग का धार्मिक महत्व भी बताया जा रहा है।
भारत में बड़े पैमाने पर लोग चोरी छुपे भांग का सेवन करते हैं। कई राज्यों में तो भांग की खेती भी होती है। हालाँकि इसके लिए राज्य सरकार से अनुमति की ज़रूरत होती है। भारत में भांग का व्यापार भीचोरी छुपे बड़े पैमाने पर लोग करते हैं। भारत के कुछ राज्यों में तो भांग के नशे के कारण बड़ी संख्या में लोग व्यसनी बन गए हैं।
संयुक्त राष्ट्र के फैसले के बाद, कई देश भांग और गाँजा के उपयोग पर अपनी नीति बदल सकते हैं। उल्लेखनीय है कि हाल के दिनों में भांग और गाँजा के चिकित्सीय लाभों पर चर्चा को गति मिली है। वर्तमान में, 50 से अधिक देशों ने भांग की औषधिय क्षमता को माना है। यूएन के इस फ़ैसले के चलते भांग की माँग बढ़ने की संभावना है।