कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री एवं चाँदनी चौक से भाजपा सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की पिछले वर्षों की तरह इस बार भी होली की त्यौहारी बिक्री में चीन का बने हुए सामान का व्यापारियों एवं ग्राहकों ने बहिष्कार किया और केवल भारत में ही निर्मित हर्बल रंग एवं गुलाल, पिचकारी, ग़ुब्बारे, चंदन , पूजा सामग्री, परिधान सहित अन्य सामानों की जमकर बिक्री हो रही है वहीं मिठाइयां, ड्राई फ्रूट , गिफ्ट आइटम्स, फूल एवं फल, कपड़े , फ़र्निशिंग फैब्रिक, किराना, एफएमसीजी प्रोडक्ट, कंज्यूमर ड्युरेबल्स सहित अन्य अनेकों उत्पादों की भी ज़बरदस्त माँग बाज़ारों में दिखाई दे रही है ।उपभोक्ता खर्च में वृद्धि के चलते विभिन्न व्यापार के क्षेत्रों में होली की त्यौहारों की बिक्री तेजी से हो रही है।

रंग-अबीर खेलने के लिए लोग सफेद टी-शर्ट और कुर्ता-पाजामा, सलवार सूट की मांग कर रहे हैं। वहीं, हैप्पी होली लिखे टी-शर्ट की मांग भी बाज़ार में लगातार बनी हुई है। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया ने कहा की भारत त्योहारों का देश है और हर त्यौहार अथवा किसी भी धार्मिक आयोजन से व्यापार निश्चित रूप से बढ़ता है। होली से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे स्थानीय व्यवसायों, छोटे व्यापारियों, लघु उद्योगों एवं एमएसएमई सेक्टर विशेष रूप से लाभ होता है। यह होली देश भर में व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं के लिए भी फायदेमंद साबित होगी।कैट के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष होली का त्योहार व्यापारियों के लिए 60,000 करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 20% अधिक है। पिछले वर्ष यही कारोबार लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपये का था। एक अनुमान के अनुसार दिल्ली के बाजारों में ही लगभग 8 हज़ार करोड़ से अधिक के व्यापार होने की संभावना है।

दोनों व्यापारी नेताओं ने बताया की इस वर्ष भी दिल्ली सहित देश भर में भर में बड़े पैमाने पर होली समारोहों का आयोजन हो रहा है जिसके चलते बैंक्वेट हाल, फार्म हाउस, होटलों ,रेस्टोरेंट एवं सार्वजनिक पार्कों में होली समारोहों आयोजनों का तांता लगा हुआ है| अकेले दिल्ली भर में छोटे बड़े मिलाकर 3 हज़ार से ज़्यादा होली मिलन समारोह आयोजित हो रहे हैं और सभी कार्यक्रमों में शामिल लोगों को चेहरों पर एक नई ख़ुशी तथा उत्साह का वातावरण देखने को मिल रहा है। बड़ी संख्या में व्यापारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक संगठन होली मिलन समारोह आयोजित कर रहे हैं। होली का पर्व नजदीक आते ही दिल्ली सहित देश के सभी राज्यों के सभी थोक एवं खुदरा बाजार पूरी तरह सजे हुए हैं। सभी बाजारों में दुकानों पर गुलाल और पिचकारी के साथ होली के अन्य सामानों की खरीदारी के लिए भीड़ लगी है।होली केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि भोजन और व्यंजनों का भी पर्व है।

मिठाई की दुकानों पर ख़ास तौर से होली पर बनने वाली गुंजिया आदि के बड़े स्तर पर बिक्री हो रही ह। कैट ने कहा की दिल्ली में 13 मार्च को होली जलाई जाएगी जबकि रंगों का पर्व 14 मार्च को मनाया जाएगा ।होली के रंग में बाजार भी रंगे हुए नजर आने लगे हैं। बाजार में रंग बिरंगे गुलाल और पिचकारी के अलावा गुजिया के हार और मेवा से दुकानें सजी हुई है।बाजार में खरीददारी के लिए लोगों की प्रतिदिन बड़ती जा रही है ।उन्होंने बताया की होली पर रिश्तेदारों के यहां फल और मिठाई के साथ में मेवे की माला ले जाने की परंपरा के चलते खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ दुकानों पर लगी रही। इसके चलते बाजार में चहल पहल बनी हुई है । केमिकल युक्त गुलाल एवं रंग की बजाय हर्बल रंग, अबीर और गुलाल की सर्वाधिक माँग बाज़ारों में है वहीं ग़ुब्बारे और पिचकारी की माँग पिछले सालों के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा ही है |इस बार बाजार में अलग-अलग तरह की पिचकारी गुब्बारे और अन्य आकर्षक आइटम आए हैं। प्रेशर वाली पिचकारी 100 रुपये से 350 रुपये तक की उपलब्ध है। टैंक के रूप में पिचकारी 100 रुपये से लेकर 400 रुपये तक में उपलब्ध है। इसके अलावा फैंसी पाइप की भी बाजार में धूम मची है। बच्चे स्पाइडर मैन, छोटा भीम आदि को बच्चे खूब पसंद कर रहे है वहीं गुलाल के स्प्रे की माँग बेहद हो रही है ।

देशभर में व्यापारिक संगठनों द्वारा सिविल सोसाइटी के साथ सेमिनार और वर्कशॉप का आयोजन*प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित “वन नेशन, वन इलेक्शन” (एक राष्ट्र, एक चुनाव) एक दूरदर्शी कदम है, जो देश में राजनीतिक स्थिरता, आर्थिक मजबूती और सुशासन को सुनिश्चित करेगा। इस ऐतिहासिक पहल के समर्थन में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) ने देश भर में एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करने की घोषणा की है।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री तथा चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि इस अभियान के तहत देशभर में विभिन्न व्यापारिक संगठनों के माध्यम से सेमिनार, वर्कशॉप और संवाद सत्रों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें चुनाव सुधारों, आर्थिक प्रभाव और समाज तथा व्यापार जगत पर सकारात्मक प्रभाव जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी।कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया का मानना है कि बार-बार चुनाव होने से देश की आर्थिक प्रगति बाधित होती है, सरकारी नीतियों का कार्यान्वयन धीमा हो जाता है और व्यापारिक गतिविधियों पर नकारात्मक असर पड़ता है। यदि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएँ, तो इससे व्यापार, उद्योग और अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिलेगी, साथ ही सरकार की नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद मिलेगी।

अभियान की मुख्य विशेषताएँ:

देशभर में जागरूकता अभियान: व्यापारिक संगठनों के माध्यम से “वन नेशन, वन इलेक्शन” की जानकारी आम जनता और व्यापारियों तक पहुँचाई जाएगी। सेमिनार और वर्कशॉप: विभिन्न राज्यों में व्यापार संगठनों द्वारा विशेषज्ञों के साथ परिचर्चाएँ आयोजित की जाएँगी। विशेषज्ञों की भागीदारी: चुनाव सुधार विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री, कानूनी विशेषज्ञ और नीति निर्धारकों को आमंत्रित किया जाएगा।व्यापारियों की राय: इस अभियान के तहत देशभर के व्यापारियों से सुझाव और समर्थन जुटाए जाएँगे।

खंडेलवाल ने कहा की “वन नेशन, वन इलेक्शन से देश का लोकतांत्रिक ढांचा और मजबूत होगा, विकास कार्यों की रफ्तार तेज़ होगी और व्यापार जगत को स्थिरता मिलेगी। बार-बार चुनाव होने से सरकारी मशीनरी पर भारी आर्थिक बोझ पड़ता है और प्रशासन ठप हो जाता है। देश भर के व्यापारी कैट के झंडे तले इस ऐतिहासिक पहल का पूर्ण समर्थन करता है और इसे सफल बनाने के लिए देशभर में व्यापक जनजागरण अभियान चलाएगा।

कैट का यह अभियान व्यापारी वर्ग, सिविल सोसाइटी, नागरिक, समाज और नीति निर्धारकों को एक मंच पर लाकर “वन नेशन, वन इलेक्शन” की आवश्यकता पर सार्थक संवाद स्थापित करेगा। प्रधानमंत्री मोदी के इस दूरदर्शी कदम से देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और आर्थिक ढाँचा मजबूत होगा, जिससे भारत वैश्विक स्तर पर एक नई शक्ति बनकर उभरेगा।इस अभियान से जुड़ने और समर्थन देने के लिए कैट ने देशभर के व्यापारियों और संगठनों को जुड़ने के लिए आमंत्रित किया है।

हाल ही में मालदीव के कुछ सरकारी लोगों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ असम्मानजनक टिप्पणियों के जवाब में, कनफ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) ने आज दिल्ली में एक प्रदर्शन मार्च का आयोजन किया, जिसमें व्यापारियों एवं निर्यातकों से मालदीव के साथ व्यापार स्थगित करने की ज़बरदस्त अपील की गई।

"मालदीव के साथ व्यापार स्थगित करें" के बैनर के साथ मार्च में शामिल व्यापारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ किए गए आपत्तिजनक टिप्पणियों पर अपना गहरा रोष और आक्रोश व्यक्त किया।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि इस प्रदर्शन का उद्देश्य राजनीतिक सम्मान और सहयोग पर आधारित दो देशों के बीच संबंधों की महत्वपूर्णता पर ध्यान आकर्षित करना है। उन्होंने सरकार से उपयुक्त कदम उठाने के लिए आग्रह किया और प्रधानमंत्री के खिलाफ किए गए अपमानजनक टिप्पणियों के ख़िलाफ़ आवश्यक कदम उठाने की माँग की।

श्री खंडेलवाल ने कहा , "हम प्रधानमंत्री के खिलाफ किए गए किसी भी अपमानजनक टिप्पणी की निंदा में एकजुट खड़े हैं। व्यापार स्थगित करना एक प्रतीकात्मक कदम है जो हमारी मजबूत असंतुष्टि को बताने और मालदीव की सरकार को यह संदेश देगा कि यह टिप्पणी श्री मोदी के ख़िलाफ़ नहीं बल्कि पूरे भारत के ख़िलाफ़ है जिसकी जितनी निंदा की जाये कम है।

श्री खंडेलवाल ने बताया कि व्यापार स्थगित करना एक अस्थायी कदम है, जो स्थिति की गंभीरता को संकेत करता है इस गंभीर विवाद को शीघ्र निपटाने की दिशा में मालदीव की तुरंत माफ़ी माँगनी चाहिए ।

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने देश से ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देने हेतु देश भर के जिलों का लाभ उठाने के लिए ई-कॉमर्स खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफ़टी) की आलोचना की है। कैट ने कहा कि यह विचार तो अच्छा है, लेकिन यह छोटे व्यवसायों और जिलों में स्थित निर्माताओं के हितों के लिए बहुत हानिकारक होगा क्योंकि यह आशंका है कि ई-कॉमर्स कंपनियाँ जिलों के छोटे व्यवसायों को अपने बिज़नेस मॉडल के अनुरूप अपने एकाधिकार के चंगुल में ले लेंगे।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी. भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने डीजीएफटी के इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ई-कॉमर्स नीति और नियमों के अभाव में, यह कदम आत्मघाती साबित होगा और ई कॉमर्स कंपनियों के पहले से चले आ रहे अपवित्र बिज़नेस मॉडल को मज़बूत करेगा क्योंकि अब यह साफ़ हो गया है कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां देश के कानूनों का उल्लंघन कर रही हैं और ऐसे में डीजीएफटी का उन्हें समर्थन उनके बिजनेस मॉडल को वैधता प्रदान करेगा ज्ञातव्य है कि इन कंपनियों के ख़िलाफ़ सीसीआई और अन्य जांच एजेंसियों द्वारा काफी सवाल उठाए गये हैं और जाँच अभी भी पेंडिंग है।

श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने आगे कहा कि हमें निर्यात के लिए ई-कॉमर्स का लाभ उठाने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि कानून के दायरे में रह कर ही ई कॉमर्स कंपनियाँ काम कर रहा है या नहीं।डीजीएफटी का यह कदम ई-कॉमर्स कंपनियों को ज़िला स्तर तक के उद्यमियों के महत्वपूर्ण डेटा सहित उनके व्यापार पर आधिपत्य जमाने के बड़े मौक़े देगा।

श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि ऐसी घोषणा करने से पहले, डीजीएफटी ने स्टेकहोल्डर्स के साथ कोई परामर्श नहीं किया और न ही बोर्ड ऑफ़ ट्रेड में इस मुद्दे पर चर्चा की गई। श्री खंडेलवाल बोर्ड ऑफ़ ट्रेड के सदस्य हैं।

कैट ने आज केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल से ई-कॉमर्स नीति और नियमों को तुरंत लागू करने का आग्रह किया है जिसे ई-कॉमर्स कंपनियों की मनमानी पर अंकुश लग सके। कैट ने श्री गोयल से यह भी आग्रह किया है कि नीति और नियम अधिसूचित होने के बाद ही डीजीएफटी के इस कदम को अमल में लाया जाए।

इस त्योहारी सीजन में ई-कॉमर्स कारोबार से 90,000 करोड़ रुपये का व्यापार होने की मीडिया रिपोर्टों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि यह रिपोर्ट न केवल निराधार और ग़लत है, बल्कि नीति निर्माण को प्रभावित करने के लिए इसमें आँकड़ों की अत्यधिक हेरफेर भी है, क्योंकि सरकार ई-कॉमर्स नियमों और नीति को लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज एक बयान में कहा की ऐसे समय में जब सरकार ई कॉमर्स नियम एवं पालिसी को लागू करने के लिए तत्पर है, ऐसे समय में यह रिपोर्ट सीधे तौर पर पालिसी को प्रभावित करने का एक कुत्सित प्रयास है ।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी. सी. भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में रेडसीर की एक रिपोर्ट में ऑनलाइन शॉपिंग के आंकड़ों में हेरफेर और बढ़ा-चढ़ाकर बताया है कि भारत में 14 मिलियन ऑनलाइन शॉपर्स 90,000 करोड़ का कारोबार करेंगे। इस गणना के अनुसार त्योहारी सीजन में प्रत्येक उपभोक्ता पर 65000 रुपये खर्च होने की संभावना है जो कि हास्यास्पद, मनमौजी और समझ से परे लगता है।

श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने आगे कहा कि भारत में लगभग 30 मिलियन ऑनलाइन शॉपर्स हैं, न कि 14 मिलियन, जैसा कि रेडसीर ने बताया है और अगर हम इन शॉपर्स द्वारा त्योहारी सीज़न में प्रति व्यक्ति 8000 रुपये खर्च करने का मान भी लें, तो भी यह आंकड़ा 24000 करोड़ को पार नहीं कर सकता है।दोनों नेताओं ने ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा इस प्रायोजित रिपोर्ट जिसके अप्रमाणित प्रयास हैं, की कड़ी आलोचना की है ।

भारतीय रिटेल व्यापार पर बोलते हुए, श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि इस त्योहारी सीजन में भारतीय उपभोक्ताओं द्वारा त्यौहारों सीजन में ख़रीदी से लगभग 3 लाख करोड़ रुपये के व्यापार का अनुमान है और इस गणना का आधार बहुत सरल है क्योंकि भारत में ऑफ़लाइन खुदरा बिक्री के लिए लगभग 60 करोड़ उपभोक्ता हैं और अगर हम प्रति व्यक्ति 5000 खर्च आंकें तो 3 लाख करोड़ का आँकड़ा बेहद आसानी से प्राप्त किया जा सकता है ।

श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने आगे कहा कि अब लोग कोविड संकट को पूरी तरह से पीछे छोड़ चुके हैं और अपने जीवन के प्रति बेहद सकारात्मक दृष्टिकोण रख रहे हैं, वे त्योहारी सीजन को उत्सव और समृद्धि के साथ मनाना चाहते हैं। घरेलू सामान, उपकरण, उपहार, कपड़े, आभूषण, नकली आभूषण, बर्तन, सजावटी सामान, फर्नीचर और फिक्स्चर, बरतन, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर और बाह्य उपकरणों, बिजली के सामान, मिठाई और नमकीन कॉन्फ़ेक्शनरी, फल आदि में बड़े पैमाने पर उपभोक्ताओं द्वारा खर्च किया जाएगा।

कैट और मेटा ने व्हाट्सएप बिजनेस ऐप के माध्यम से 10 मिलियन स्थानीय व्यवसायों को डिजिटल बनाने के लिए 'व्हाट्सएप से व्यापार' साझेदारी का एलान किया

मुंबई | 24 जुलाई, 2023: देश भर में छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाने के प्रयास में, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) और वैश्विक कंपनी मेटा के स्वामित्व वाले व्हाट्सएप द्वारा अपनी पार्टनरशिप में एक बड़ा आयाम देते हुए देश में 10 मिलियन स्थानीय व्यापारियों को डिजिटल रूप से प्रशिक्षित और कुशल बनाने का आज दोनों ने संयुक्त रूप से ऐलान किया ।साझेदारी का लक्ष्य सभी 29 भारतीय राज्यों में 11 भारतीय भाषाओं में हाइपर-स्थानीय डिजिटल प्रशिक्षण के साथ व्यवसायों के लिए विकास के अवसरों को उजागर करने के लिए डिजिटलीकरण प्रयासों को अंतिम व्यापारी तक पहुँचाना है ।

पूरे भारत में 40,000 व्यापारी संगठनों से जुड़े लगभग 8 करोड़ व्यापारियों के अपने व्यापक नेटवर्क का लाभ उठाते हुए, कैट व्यवसायों को उनके स्टोरफ्रंट को डिजिटल बनाने और उनके 'डिजिटल' निर्माण में मदद करने के लिए आवश्यक ज्ञान से लैस करने के लिए व्यापक डिजिटल और कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई कार्यशालाओं की एक श्रृंखला देश भर में आयोजित करेगा जिसमें वहाट्सएप के बिजनेस ऐप पर 'दुकान', जिसमें उन्हें कैटलॉग, क्विक रिप्लाई, क्लिक टू व्हाट्सएप जैसी सुविधाएँ जो ऐप पर उपलब्ध हैं, के बारे में शिक्षित करना शामिल है, जो छोटे व्यवसायों को अपने ग्राहकों के साथ कुशलतापूर्वक जुड़ना आसान बनाते हैं

इन वर्षों में, व्हाट्सएप बिजनेस ऐप ने पूरे भारत में सूक्ष्म, लघु व्यवसायों और एकल उद्यमियों को अपने व्यवसाय के लिए एक पेशेवर डिजिटल पहचान बनाने के साथ-साथ नए बाजारों की खोज करने और अपने ग्राहकों की सेवा करने के लिए एक लोकतांत्रिक प्रवेश द्वार प्रदान किया है। यह साझेदारी भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाकर और नए युग की उपभोक्ता आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाकर संपन्न व्यापार समुदाय को सशक्त बनाने की दिशा में एक और कदम है।

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, ''तेजी से विकसित हो रही व्यावसायिक जरूरतों के साथ, प्रौद्योगिकी, विकास के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवर्तक हो सकती है। हमारा मानना ​​है कि खुद को बेहतर बनाने के लिए सही उपकरणों के साथ, भारत भर के व्यापारी अपने व्यवसाय को बढ़ाने के नए तरीके सीखकर लाभान्वित हो सकते हैं। व्हाट्सएप बिजनेस ऐप जो पहुंच और सफलता प्रदान कर सकता है वह अद्वितीय है। हम 'व्हाट्सएप से व्यापार' कार्यक्रम पर मेटा के साथ अपनी साझेदारी का विस्तार करने के लिए उत्साहित हैं, जिसे भारत के 29 राज्यों में 10 मिलियन व्यापारियों को कौशल प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह साझेदारी व्यापारियों और व्यवसायों को अधिक व्यापक ग्राहक आधार बनाने, अपने व्यवसाय को बढ़ाने और भारत की बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था में और भी योगदान देने में मदद करेगी।

मेटा के ग्लोबल अफेयर्स के अध्यक्ष निक क्लेग ने कहा, “यह भारत में उद्यमिता का युग है। भारत एक डिजिटल क्रांति का अनुभव कर रहा है, और जिस तरह से भारतीय उद्यमियों और छोटे व्यवसायों ने व्हाट्सएप जैसी तकनीकों को अपनाया है, वह इसका एक बड़ा हिस्सा है। हम उद्यमियों और छोटे व्यवसायों को आगे के अवसरों का अधिकतम लाभ उठाने में मदद करना चाहते हैं और भारत के टेक के केंद्र में बने रहना चाहते हैं।'

यह साझेदारी 25,000 व्यापारियों को मेटा स्मॉल बिजनेस अकादमी तक पहुंच प्रदान करके व्यापारिक समुदाय के लिए कैट के डिजिटल कौशल चार्टर को भी गति देगी। मेटा स्मॉल बिजनेस अकादमी द्वारा प्रमाणन विशेष रूप से नए उद्यमियों और विपणक को मेटा ऐप्स पर बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण डिजिटल मार्केटिंग कौशल हासिल करने में मदद करेगा। कार्यक्रम को पूरे भारत में एमएसएमई तक पहुंचने में सक्षम बनाने के लिए, पाठ्यक्रम मॉड्यूल और परीक्षा सात भाषाओं - अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, बंगाली, कन्नड़, तमिल और तेलुगु में उपलब्ध हैं।

जी20 कार्यक्रमों के दौरान कैट ने दिल्ली उत्सव आयोजित करने हेतु उपराज्यपाल को भेजा पत्र

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे एक पत्र में उनसे आग्रह किया है कि भारत के जी -20 अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान देश में आयोजित होने वाले विभिन्न आयोजनों में देश के व्यापारी वर्ग की भागीदारी को भी सुनिश्चित करने के आदेश दें ! श्री मोदी को लिखे अपने पत्र में कैट ने कहा है कि देश का व्यापारिक समुदाय जी -20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान अपनी प्रमुख भूमिका निभाने के लिए बहुत प्रेरित है ! कैट ने कहा की जी 20 का अध्यक्षीय कार्यकाल भारत के लिए न केवल हमारे भारत की सदियों पुरानी और जीवंत संस्कृति को प्रदर्शित करने का अवसर है, बल्कि बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी और निश्चित रूप से व्यापार के मामले में देश में हुए विकास की गति को प्रदर्शित करने का भी अवसर है! कैट ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी और जी -20 शेरपा अमिताभ कांत को भी इसी आशय का पत्र भेजा है !

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया और महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने मोदी को भेजे पत्र में कहा है की इस बड़े आयोजन में बड़ी संख्या में विदेशी गणमान्य व्यक्ति और प्रतिनिधि विभिन्न शहरों में मीटिंग आदि करेंगे और निश्चित रूप से संबंधित शहरों में घूमेंगे और खरीदारी भी करेंगे। ऐसे परिदृश्य को देखते हुए प्रत्येक ऐसे शहर के व्यापारिक बाजारों को शहर की पुरानी विरासत और देश में व्यापार और वाणिज्य के विकास को दर्शाते हुए मार्केटों को बेहतर तरीक़े से रोशन किया जाना और सजाया जाना श्रेयस्कर होगा। कैट ने यह भी सुझाव दिया कि जी 20 के कार्यक्रम जिस शहर में हों , उन शहरों में विशेष प्रकार के "उत्सव" आयोजित किए जाएँ जहां न केवल एक वाणिज्यिक प्रदर्शनी आयोजित की जाए। बल्कि उस शहर की विकास यात्रा दिखाई जाए तथा अनेक प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएँ ।

भरतिया एवं खंडेलवाल ने बताया कि इस संबंध में कैट ने पृथक रूप से दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना को एक पत्र भेजकर दिल्ली के बाज़ारों को सजाये जाने तथा राजधानी में एक "दिल्ली उत्सव" आयोजित करने का सुझाव दिया है क्योंकि दिल्ली देश की राजधानी है और इस नाते से दिल्ली और देश की समृद्ध सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत से मेहमानों को रूबरू कराया जाना चाहिए जिससे देश की एक छवि स्थापित हो सके।

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि कैट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "जन भागीदारी" एवं छोटे क्षेत्रों को प्रोत्साहन दिए जाने के विजन से प्रेरित होकर देश भर में विशेष रूप से उन शहरों में जहां G- 20 बैठकें और अन्य कार्यक्रम होंगे, वहाँ की व्यापारी संगठनों को जी 20 बैठकों और अन्य कार्यक्रमों की मेजबानी के लिए शहरों को तैयार करने के लिए विभिन्न योजनाओं में शामिल किया जाना चाहिए ।यह कदम छोटे उद्योगों, स्टार्ट-अप्स, व्यापारियों और घरेलू व्यापार के अन्य कार्यक्षेत्रों के लिए जी-20 और अन्य देशों को अपने उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने का एक अच्छा अवसर होगा। बड़ी कंपनियों के अलावा, छोटे उद्योग और अन्य खुदरा क्षेत्र भी जी-20 शिखर सम्मेलन के उद्देश्यों और जनादेश में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए अच्छी स्थिति में हैं।

कैट के गुजरात चैप्टर के प्रमुख प्रमोद भगत ने कहा कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि 19 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं तथा यूरोपीय संघ के अलावा, 10 अन्य देश विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में और संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन, डब्ल्यूएचओ, आईएमएफ सहित 11 विश्व संगठन, आदि जी-20 की बैठकों में भाग लेंगे और तदनुसार सरकार द्वारा लगभग 200 आयोजनों की योजना बनाई गई है जो विभिन्न शहरों में आयोजित किए जाएंगे और इसलिए ऐसे प्रत्येक शहर में बड़ी संख्या में विदेशी गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिनिधियों के आने की संभावना है जिससे व्यापार में बड़ी वृद्धि होने की संभावना है ।

कैट ने स्थानीय व्यापार संघों और सरकारी प्रशासन के सहयोग से G20 कार्यक्रम के प्रत्येक मेजबान शहर में रोशनी और बाजारों के सौंदर्यीकरण को व्यवस्थित करने के लिए स्वयं सोनी सेवाएँ देने की पेशकश की है।

चीन को लगेगा 50 हजार करोड़ रुपये के त्यौहारीव्यापार का बड़ा झटका

कोरोना महामारी के दी वर्ष के बाद हुई सामान्य परिस्थितियों में इस वर्ष का दिवाली त्यौहार पूरी तरह से एक अलग ही अंदाज़ में पूरे देश में मनाया जाएगा जिसमें चीनी सामानों के स्थान पर भारतीय सामानों का बड़े पैमाने पर क्रय-विक्रय होने की प्रबल संभावना है जिसके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल पर वोकल एवं आत्मनिर्भर भारत को बड़ी मज़बूती भी मिलेगी । कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ (कैट) ने उम्मीद जताई है की इस वर्ष दिवाली के त्योहारी सीजन के दौरान देश भर के बाजारों में लगभग 125 लाख करोड़ रुपये की व्यापार होने की संभावना है । साथ ही यह भी स्पष्ट है की भारत के लोगों ने उत्सव के सामानों की खरीद-बिक्री के मामले में चीनी सामान की जगह अब भारतीय सामान को तरजीह देनी शुरू कर दी है ।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि देश भर से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष दीवाली त्यौहार सीजन बिक्री से देश भर में लगभग 125 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होगा और चीन को सीधे तौर पर लगभग 50 हजार करोड़ रुपये का व्यापार घाटा हुआ।दिवाली के सीजन में पिछले वर्षों में चीन भारत में लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपये के त्यौहार से जुड़े सामान भारत में बेचता था किंतु गत दो वर्षों में भारतीय उपभोक्ता जो पहले सस्ता होने की वजह से चीनी सामान ख़रीदता था , अब उसके ख़रीदी व्यवहार में बड़ा परिवर्तन आ गया है और एक अब सीधे भारत में ही बने सामान की माँग करता है ।

भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने बताया की रिटेल व्यापार के विभिन्न वर्गों जिसमें खास तौर पर भारत में बने एफएमसीजी उत्पाद, उपभोक्ता वस्तुएं, खिलौने, बिजली के उपकरण और सामान, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सफेद सामान, रसोई के सामान, उपहार की वस्तुएं, मिठाई- नमकीन , घर का सामान, टेपेस्ट्री, बर्तन, सोना और गहने, जूते, घड़ियाँ , फर्नीचर, फिक्सचर ,वस्त्र, फैशन परिधान, कपड़ा, घर की सजावट का सामान, मिट्टी के दिए सहित दीवाली पूजा का सामान, सजावटी सामान जैसे दीवार की लटकने ,हस्तकला की वस्तुएं, वस्त्र, घर द्वार पर लगाने वाले शुभ-लाभ,ओम, देवी लक्ष्मी के चरण आदि अनेक त्यौहारी सीजन वस्तुओं की बिक्री में बड़ा इजाफ़ा होने की संभावना है

भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि कैट के हिंदुस्तानी दिवाली मनाने के अभियान को देश भर में कैट के व्यापक समर्थन मिल रहा है ।कैट के प्रयासों से इस वर्ष पहली बार दिवाली पर बड़ी संख्या में स्थानीय व्यापारिक संगठन लोकल कारीगरों, मूर्तिकारों, हस्तशिल्प श्रमिकों और विशेष रूप से कुम्हारों के बनाये उत्पादों को एक बड़ा बाज़ार देने की कोशिश में जुटे हैं । पूरे देश में बाजारों, कार्यालयों और घरों एवं दुकानों को मिट्टी से बने छोटे तेल के दीयों से सजाया जाएगा ! पारंपरिक भारतीय सामानों का भी दुकानों और घरों को सजाने के लिए भी बड़ा इस्तेमाल होगा ! इस बार का दिवाली त्यौहार भारतीय त्योहारों को मनाने की सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक तरीकों का सही चित्रण करेगा


कोरोना के कारण व्यापार उद्योग बंद होने के कारण बीते डेढ साल से राज्य सरकार की आय पर बड़ा असर पड़ा है। इसलिए राज्य सरकार ने बीते दिने कई प्रकार के कर बढाने पर विचार किया था। इसके खिलाफ कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने विरोध किया था। लोगों की परिस्थिति को समझते हुए तथा कैट के आग्रह के बाद  गुजरात स्टेट बिजनेस एंड एम्प्लॉयमेंट टैक्स (संशोधन) एक्ट 2021 के तहत दाखिल बिल में किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं बढाने का फैसला किया है।

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इसका मतलब यह है कि प्रोफेशनल टैक्स की वर्तमान दर वही रहेगी। कैट के अध्यक्ष प्रमोद भगत ने कहा कि गुजरात के हजारों व्यापारियों की ओर से उन्होंने राज्य के वित्त मंत्री से  टैक्स न बढ़ाने और कोरोना के मामले में टैक्स माफ करने के लिए गुहार लगाई थी। नतीजतन, सरकार ने किसी भी तरह से मौजूदा व्यापार कर ढांचे में वृद्धि नहीं की है।

गुजरात सरकार के वित्त विभाग के उप सचिव (कर) संदीप सिंह चावड़ा ने मामले को स्पष्ट करते हुए आज सीएआईटी को एक परिपत्र भेजा है। उल्लेखनीय है कि गुजरात डायमंड वर्कर्स यूनियन हीरा उद्योग पर व्यापार कर को समाप्त करने के लिए आंदोलन चला रहा है। गुजरात विधानसभा चुनाव अगले साल हैं। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने व्यापार कर बढ़ाने की हिम्मत नहीं की है।

28 मई को आयोजित जीएसटी काउन्सिल की बैठक से पूर्व आज कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीथारमन तथा सभी राज्यों के वित्तमंत्रियों को एक पत्र भेजकर उनसे विभिन्न जीएसटीआर रिटर्न दाखिल करने की तारीख को 31 अगस्त तक आगे बढ़ाने करते हुए यह भी मांग की है की  जीएसटी अधिनियम और नियमों के तहत लगने वाले विलंब शुल्क और ब्याज को इस अवधि के लिए समाप्त किया जाए ! कैट ने यह भी आग्रह किया है कि कोविड महामारी और ब्लैक फंगस के इलाज़ के लिए आवश्यक सभी चिकित्सा और शल्य चिकित्सा उपकरणों पर जीएसटी की दर को भी काफी कम किया जाए ! कैट ने व्यापारियों के लिए वित्तीय पैकेज और बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से लिए गए ऋण पर छह महीने की मोहलत की भी मांग की है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष  बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन  खंडेलवाल ने  सीथारमन को भेजे पत्र में कहा कि वर्तमान कोरोनावायरस महामारी जिसने पूरे देश में व्यावसायिक गतिविधियों को अत्यधिक बाधित कर दिया है, ने देश के घरेलू व्यापार को काफी हद तक तबाह कर दिया है।ऐसे  समय में जब व्यापारी पिछले वर्ष के लॉक डाउन के कारण कठिनाइयों में आये व्यापार को संकट से उबार ही रहे थे ऐसे में कोरोना की दूसरी लहर के कारण एक बार फिर व्यापारियों को लॉक डाउन का सामना करना पड़ा है जिसके चलते व्यापारियों को लॉक डाउन खुलने के बाद एक बड़े वित्तीय संकट का सामना करना पड़ेगा !

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि कैट ने  सीथारमन को 22 मई,2021 को भेजे एक विस्तृत ज्ञापन में जीएसटी से सम्बंधित अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर उनका ध्यान आकृष्ट करते हुए व्यापारियों से बातचीत कर जटिल जीएसटी कर प्रणाली को आसान बनाने का आग्रह किया था किन्तु कल जीएसटी कॉउन्सिल की होने वाली बैठक के मद्देनज़र कैट ने कुछ बेहद जरूरी विषय उठाये हैं  जिन पर कॉउन्सिल लो निर्णय कर फिलहाल व्यापारियों पर से कर प्रावधानों की पालना को ताला जाना जरूरी है ! उन्होंने कहा की रिटर्न दाखिल करने के लिए विलंब शुल्क देर से कर जमा करने पर ,ब्याज आदि को माफ किया जाना चाहिए। जीएसटी रिटर्न के स्थान पर चालान को कर के भुगतान का आधार बनाया जाना चाहिए !

भरतिया एवं खंडेलवाल ने यह भी कहा की  इस समय किसी भी व्यापारी का पंजीकरण तब तक रद्द न किया जाए जब तक कि ऐसा करने के लिए आवश्यक कारण न हों। इससे व्यापार पूरी तरह से पटरी से उतर जाएगा। एक वर्ष में 20 करोड़ से कम टर्नओवर वाले सभी व्यापारियों के लिए, 17-18 और 18-19 के वर्षों के लिए कोई सर्वेक्षण या ऑडिट या विशेष मूल्यांकन का आदेश नहीं दिया जाना चाहिए। वर्तमान में व्यापारी इसे वहन नहीं कर सकते। जहां तक संभव हो, अधिकारियों को व्यापारियों को गिरफ्तार करने या उनके बैंक खाते संलग्न करने या उन्हें बयान के लिए बुलाने से पहले बहुत सतर्क रहने का निर्देश दिया जाना चाहिए। व्यापार में दहशत का माहौल है और ये कार्रवाइयां आगे संकट पैदा करेंगी जब तक कि ऐसा करने के लिए बहुत जरूरी कारण और औचित्य न हों।

 देश के सभी प्राधिकरणों को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वे तकनीकी आधार पर वाहनों को न रोकें या ई-वे बिल में मामूली त्रुटियां होने के कारणकोई वहां जब्त न किया जाए ! ये निर्देश कम से कम दिसंबर 2021 तक लागू रहने चाहिए। निर्यात संबंधी रिफंड के लिए राज्य जीएसटी स्तर के अधिकारियों को निर्देश दिया जाए कि वे यह सुनिश्चित करें कि वित्तीय संकट से उबरने के लिए रिफंड तुरंत जारी किया जाए और आईजीएसटी रिफंड को भी तुरंत जारी किया जाए ! वैसे भी ऑडिट करते वक़्त यदि कोई त्रुटि सामने आती है तो उसके अनुरूप उस समय कार्रवाई की जा सकती है ! इस समय व्यापार को बचाने और पटरी पर लाने की जरूरत है !

व्यापारियों के लिए वित्तीय पैकेज की आवश्यकता पर बल देते हुए भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि हालांकि इस मुद्दे का जीएसटी से कोई संबंध नहीं है, लेकिन इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि सभी राज्यों के वित्त मंत्री जीएसटी परिषद के सदस्य हैं और चूंकि यह केंद्र और राज्य सरकार दोनों का एकमात्र संयुक्त मंच है और व्यापारियों का भला करना  केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की संयुक्त जिम्मेदारी है, इस दृष्टि से दोनों सरकारें मिलकर व्यापारियों को वित्तीय सहायता देने का प्रारूप तैयार कर उसकी घोषणा करे !

ऐसे पैकेज की तत्काल आवश्यकता हैं क्योंकि व्यापारियों की दुकानें और बाजार पिछले एक महीने से अधिक समय से बंद हैं तथा पैसे की कोई आमद नहीं है, जबकि परिवार और स्थापना खर्चों जैसे कर्मचारियों के वेतन, बिजली बिल, पानी के बिल, संपत्ति कर और विभिन्न अन्य आकस्मिक खर्चों को पूरा करने के लिए पैसे का खर्च होना जारी है! कैट  ने वित्तमंत्री सीथरामन से अनुरोध किया है वो जीएसटी कॉउंसिल के अन्य सदस्यों के साथ बातचीत कर व्यापारियों को उनके अपने व्यवसाय को दोबारा ठीक तरह से चलाने के लिए एक व्यापक वित्तीय पैकेज प्रदान करने की घोषणा करें !

कैट  ने वित्तमंत्री से आग्रह किया है की सरकार बैंकों को निर्देश जारी करे की  ईएमआई, ब्याज आदि के भुगतान के लिए छह महीने की अवधि का एक मोरोटोरियम घोषित हो ! भरतिया और  खंडेलवाल ने कहा कि चूंकि व्यापारी सरकार के मानद कर संग्रहकर्ता हैं, इसलिए हमें केंद्र और राज्य सरकारों से ऐसी वित्तीय सुविधाओं की मांग करने का पूर्ण अधिकार है. गौरतलब है कि पिछले साल पिछले लॉकडाउन के दौरान व्यापारियों को एक भी पैकेज में एक रुपया भी नहीं दिया गया था।