टैक्स रिटर्न फाइल करने की समय सीमा बढ़ी, लेकिन ग़लतफ़हमी में मत रहना!!

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सरकार ने रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 31 जुलाई से बढ़ा दी है, लेकिन देर से रिटर्न दाखिल करने वालों को ब्याज देना होगा।
इस दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए, करदाताओं को 31 जुलाई से पहले कर दे देना होगा, और बाद में सितंबर तक रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।

देश में कोरोना महामारी को देखते हुए आयकर विभाग ने रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 30 सितंबर 2021 तक बढ़ा दी है, लेकिन देर से रिटर्न दाखिल करने वाले करदाताओं को जुर्माना के तौर पर ब्याज देना होगा।

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आयकर अधिनियम के अनुसार, यदि कोई करदाता आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 234A, 234B और 234C के तहत कर रिटर्न दाखिल करने में देरी करता है, तो करदाता को बकाया कर पर ब्याज का भुगतान करना होता है। आयकर की धारा 234A के अनुसार, ब्याज तब भी लागू होता है जब करदाता रिटर्न दाखिल करने में देरी करता है। फ़िलहाल कोरोना के कारण सरकार ने रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 सितंबर कर दी है, लेकिन जुलाई की समय सीमा के बाद रिटर्न दाखिल करने वालों को एक फीसदी प्रति माह की दर से ब्याज देना होगा।

अगर आप 31 जुलाई के बजाय 7 अगस्त को रिटर्न दाखिल करते हैं, तब भी आपको पूरे महीने का टैक्स देना होगा। 7-दिन की देरी पूरे महीने के लिए गिना जाएगा। हालांकि, धारा 234ए के तहत कानून केवल उन करदाताओं पर लागू होता है जिनका टैक्स 1 लाख रुपये तक है। इसका मतलब है कि टैक्स रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 सितंबर कर दी गई है, लेकिन 31 जुलाई के बाद रिटर्न फाइल करने वाले टैक्सपेयर की टैक्स देनदारी अगर 1 लाख रुपये से ज्यादा है तो उसे 1 फीसदी की दर से मासिक ब्याज देना होगा।


सीए बिरजू शाह और सीए दीपक सक्सेना ने कहा कि कोरोना की गंभीर स्थिति को देखते हुए सीबीडीटी ने रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा बढ़ा दी है. लेकिन जिन टैक्सपेयर्स पर 1 लाख रुपये से ज्यादा टैक्स देनदारी है, उन्हें टैक्स लेट करने पर कानून के मुताबिक ब्याज देना होगा। इस दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए करदाताओं को 31 जुलाई से पहले कर दाखिल करना होगा, बाद में रिटर्न जमा किया जा सकता है।

आयकर विभाग ने करदाताओं को दी बड़ी राहत!

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आयकर विभाग ने करदाताओं, विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों को राहत प्रदान करने के लिए कर और रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा बढ़ाने का फैसला किया है इस साल अप्रैल में कोरोना महामारी के कारण देश में हजारों लोगों की जान चली गई, लोग पहले से परेशान है ऐसे में विभाग ने लोगों को ध्यान में रखते हुए यह फ़ैसला किया।

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आयकर विभाग ने विवाद से विश्वास योजना की अवधि 30 जून से बढ़ाकर 31 अगस्त कर दी है। करदाता 31 अगस्त तक योजना का लाभ उठा सकेंगे। वह 31 अक्टूबर तक योजना के तहत बकाया किश्तों का भुगतान भी कर सकेगें।इस अवधि के लिए ब्याज भी नहीं लिया जाएगा।
इसके साथ ही एसेसमेन्ट अवधि 30 सितंबर तक बढ़ा दी गई है।

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अधिकारियों के पास आकलन के लिए तीन महीने का अतिरिक्त समय होगा।

पैन-आधार लिंक करने की समयसीमा को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. अब टैक्सपेयर्स 30 जून की बजाय 30 सितंबर 2021 तक पैन से आधार को लिंक कर सकते हैं। इसके अलावा इनकम टैक्स से जुड़े कई कंप्लायंस की समय सीमा को भी 15 दिन 2 महीने आगे बढ़ा दिया है. इसमें TDS स्टेटमेंट दाखिल करने की आखिरी तारीख 30 जून से बढ़ाकर 15 जुलाई की गई है।

टैक्स डिडक्शन सर्टिफिकेट जारी करने की आखिरी डेट 15 जुलाई की जगह 31 जुलाई, फॉरेन रेमिटेंस स्टेटमेंट दाखिल करने की तारीख 15 जुलाई से 31 जुलाई, ट्रस्ट या संस्था के रजिस्ट्रेशन की तारीख 30 जून से 31 अगस्त, नो-टीडीएस क्लेम मामलों के फॉर्म अपलोड करने की अंतिम तारीख 15 जुलाई से बढ़ाकर 31 अगस्त की गई है।

चार्टर्ड अकाउंटेंट ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण दो महीने बर्बाद हो गए। व्यवसाय बंद थे। जहां कई करदाता, अधिकारी और कर व्यवसायी अभी तक कोरोना से उबर नहीं पाए हैं, वहीं आयकर विभाग के इस फैसले का स्वागत है.

कोरोना की दूसरी लहर में आईटी डिपार्टमेन्ट ने 15.47 लाख करदाताओं को 26276 करोड का रिफंड दिया

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देश में कोरोना की दूसरी लहर के कारण व्यापार उद्योग बंद होने से बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए है। लोगो की आवक घट गई है। लोगों के सामने आर्थिक समस्या आ गई है। इसके अलावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा स्वनिर्भर भारत योजना की घोषणा के बाद रिफंड की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।

सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टेक्स ने करदाताओं को रिफंड देने की प्रक्रिया तेज कर दी है। आयकर विभाग ने शुक्रवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में अब तक करदाताओं को 15.47 लाख करदाताओं को 26,276 करोड़ रुपये रिफंड किए गए हैं। लौटाई गई कुल राशि में से रु. व्यक्तिगत आयकर के तहत 15.02 लाख करदाताओं को 7,538 करोड़ रुपये दिए गए हैं, जबकि 44,531 करोड़ करदाताओं को 18,738 करोड़ का रिफंड किया गया है।

आयकर विभाग ने ट्विटर पर लिखा, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 1 अप्रैल, 2021 से 31 मई, 2021 के बीच 15.47 लाख से अधिक करदाताओं को 26,276 करोड़ रुपये से अधिक की वापसी की है। आयकर विभाग ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि यह राशि किस वित्तीय वर्ष से संबंधित है। हालांकि, यह माना जाता है कि रिफंड वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए दाखिल किए गए टैक्स रिटर्न से संबंधित है।

पिछले वित्त वर्ष में आयकर विभाग ने करदाताओं को 2.38 करोड़ रुपये लौटाए। वित्तीय वर्ष 2020-21 में करदाताओं को लौटाई गई राशि रु. 2019020 में चुकाई गई 1.83 लाख करोड़ की अपेक्षा 43.2 प्रतिशत विभाग ने पहले कहा था कि उसने 1 अप्रैल, 2021 से 10 मई, 2021 के बीच 13 लाख करदाताओं को 17,061 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है। 12,71,401 करदाताओं को 5,575 करोड़ रुपये लौटाए गए। कंपनी ने 29,592 कर मामलों में करदाताओं को 11,486 करोड़ रुपये वापस किए हैं।कोरोना काल में करदाताओं के लिए यह बड़ी राहत की बात है।

आयकर विभाग ने विवाद से विश्वास योजना की समय सीमा बढ़ाई

आयकर विभाग की ओर से करदाताओं के लिए बड़ी खबर है। सेन्ट्ल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स ने क़ानूनी दाँवपेंच में पड़े आयकर से जुड़े मामलों के लिए लागू विवाद से विश्वास योजना में आवेदन की अंतिम तारीख बढ़ाकर 31 मार्च कर दी है।

यह जानकारी ट्विटर के माध्यम से दी। इससे पहले केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आवेदन जमा करने की अंतिम तारीख 28 फरवरी रखी थी। आयकर विभाग ने ने ट्वीट कर कहा, ‘सीबीडीटी ने विवाद से विश्वास एक्ट, 2020 के तहत आवेदन करने की तारीख 31 मार्च, 2021 तक आगे बढ़ा दिया है। विवाद से विश्वास के तहत बिना किसी अतिरिक्त राशि के भुगतान करने की तारीख को भी बढ़ाकर 30 अप्रैल, 2021 की गई है।’

विवाद से विश्वास एक्ट, 2020 के तहत अब तक 1,25,144 मामलों का निपटारा हो चुका है। योजना के आने से 97,000 करोड़ रुपये का टैक्स विवाद निपटाया जा चुका है।

टैक्स जानकारों का कहना है कि टैक्स संबंधित परेशानी से निजात पाने में करदाताओं के लिए सरकार की यह पहल सफल साबित हो रही है। इसी के मद्देजनर इसकी समयसीमा में विस्तार किया गया है। डायरेक्ट टैक्स विवाद से विश्वास अधिनियम, 2020 को विभिन्न अपीलीय फोरम में पड़े हुए प्रत्यक्ष कर विवादों को निपटाने के लिए 17 मार्च, 2020 को लागू किया गया था। इस योजना की समय सीमा दो बार बढ़ाई जा चुकी है।


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के बजेट में आयकर मामलों के समाधान के लिए ‘विवाद से विश्वास’ योजना की घोषणा की थी। देश भर में वर्ष 2020 की शुरुआत तक करीब 9 लाख करोड़ की रकम टैक्स विवाद में फंसी हुई है और ये मामले अलग-अलग ट्रिब्यूनल और न्यायालय में चल रहे हैं। इस योजना को बढाने से करदाताओं को लाभ होगा।

समय पर रिटर्न फाइल नहीं किया है तो अब आप बड़े आर्थिक नुकशान की ओर

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने बजट में सेक्शन 206 बी और सेक्शन 206 सी सी ए के नए प्रावधान लागू कर दिए हैं। इसके अनुसार बीते 2 वर्ष का इन्कम टैक्स रिटर्न समय पर नहीं फाइल किए हो ऐसे मामलों में 5 गुना अथवा डबल टैक्स इन दोनों में से जो भी अधिक होगा।

वह करदाता को भरना पड़ेगा। इतने कड़े प्रावधानों के कारण करदाताओं को परेशानी हो सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए चेंबर ऑफ कॉमर्स की इन्कम टैक्स कमेटी ने वित्त मंत्री से इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।


चेंबर ऑफ कॉमर्स के इनकम टैक्स कमेटी के चेयरमैन से विरेश रूदलाल ने बताया कि वित्त मंत्री ने बजट में सेक्शन 206 एबी और सेक्शन 206सीसीए के नए प्रावधान लागू करने की सूचना दी हैं। इसके अनुसार डिविडंड,ब्याज,इंश्योरेंस कमिशन,दलाली,कमिशन,किराया,प्रोफेशनल फीस मिलकर खरीदी और इन सभी से आवक प्राप्त करने वाले तथा स्क्रेप और लकड़ी सहित की खरीदी करने वाले करदाता यदि 2 वर्ष के इनकम टैक्स रिटर्न समय पर नहीं फाइल करते हैं तो टैक्स काटने वाले उनके 5 गुना टैक्स अर्थात की 1% के बदले 5% अथवा डबल 10% के स्थान पर 20% इनमें से जो भी अधिक होगा वह टीडीएस काटना होगा।

हालाकि इन मामलों में जिसका टैक्स कटेगा उसके बीते वर्षो का टीडीएस 50,000 से अधिक होना चाहिए। जिनका टैक्स काटा जाएगा उनके बीते 2 वर्षों के रिटर्न मांगने के उपरांत फॉर्म नंबर 268 की जानकारियां भी वह जल्दी नहीं देंगे ऐसे में टैक्स डिडक्टर को ही ब्याज और दंड का सामना करना पड़ सकता है। विरेश रूदलाल ने बताया कि नया धंधा शुरू करने वालों के पिछले वर्षों के रिटर्न मिलेंगे या नहीं तथा एक जिसका काटना है उनका यदि पिछला रिटर्न बाकी हो तो किस रेट के हिसाब से काटना है यह असमंजस बना है।

जीएसटी से खिलवाड़ करने वालों के ख़िलाफ़ आयकर विभाग भी करेगा जाँच!

केंद्र सरकार फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने वालों के खिलाफ गंभीर कार्रवाई की शुरूआत की है। सरकार करचोरों की संपत्ति की नीलामी से लेकर सरकार तक सभी तरह के कदम उठाने पर विचार कर रही है। फिलहाल, सरकार अब फर्जी आईटीसी में पकड़े गए लोगों से आयकर वसूली की तैयारी कर रही है।

दक्षिण गुजरात में पिछले तीन वर्षों में, 500 से अधिक फर्जी आईटीसी से संबंधित मामलों में, सभी जीएसटी विभागों द्वारा 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का पर्दाफाश किया गया है। मामले में अब तक 25 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है और कुछ को तलब किया गया है।

फर्जी आईटीसी में शामिल अधिकांश स्कैमर एक और नामित पीढ़ी शुरू करते हैं। साथ ही जीएसटी रिटर्न की तुलना में उनकी कंपनी के आयकर रिटर्न में अलग-अलग जानकारी देते है।ये सभी मामले केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के संज्ञान में आए हैं। जीएसटी डिपार्टमेंट ने देश भर में ऐसे घोटालों की जानकारी आयकर विभाग से साझा की है।

जिसमें दक्षिण गुजरात में फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट घोटाले में पकड़े गए 350 से अधिक घोटालेबाज व्यापारियों की जानकारी सूरत आयकर विभाग को दी गई है। सूरत आयकर विभाग आने वाले दिनों में वसूली करेगा। यह उल्लेख किया जा सकता है कि हर तीन महीने में, सभी राजस्व विभाग एक-दूसरे के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के लिए मिलते हैं, लेकिन इस बार, अधिकांश करदाता करदाताओं को प्रदान की गई जानकारी में नए हैं।

अभी तक आयकर विभाग को कोई सूचना नहीं मिली है क्योंकि उसके खिलाफ या किसी अन्य कारण से जांच चल रही है। जीएसटी विभाग के बाद अब आयकर विभाग भी उन लोगों के पीछे पड़ जाएगा जो फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट का खेल खेलते हैं।  

इन्कमटैक्स रिटर्न फाइल करने की समय सीमा बढी


वित्त मंत्रालय द्वारा बुधवार, 30 दिसंबर को जारी की गई सूची के अनुसार, आयकर रिटर्न (गैर-ऑडिट) दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर से बढ़ाकर 10 जनवरी, 2021 कर दी गई है। यदि स्व मूल्यांकन कर 1 लाख रुपये तक है, तो देर से रिटर्न दाखिल करने पर ब्याज नहीं लगाया जाएगा। अनिवार्य ऑडिटेड आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर से बढ़ाकर 15 फरवरी 2021 कर दी गई है।

सीए का कहना है कि भले ही अनिवार्य ऑडिट वाले आयकर रिटर्न की तारीख 15 फरवरी तक बढ़ा दी गई है, तो भी इससे बहुत फायदा नहीं होगा। क्योंकि टैक्स ऑडिट रिपोर्ट 15 जनवरी, 2021 से पहले दाखिल की जानी है। विवाद से विश्वास योजना के लिए आवेदन की तारीख 31 दिसंबर से बढ़ाकर 31 जनवरी 2021 कर दी गई है।

जीएसटी रिटर्न फॉर्म -9 और 9-सी वित्त वर्ष 2018-19 के लिए कोई बदलाव नहीं किया गया। इसका मतलब है कि 31 दिसंबर 2020 आखिरी तारीख होगी। 2019-20 के फॉर्म -9 और 9-सी की समय सीमा 31 दिसंबर से बढाकर 28 दिसंबर कर दी गई है।

हालांकि, वित्त मंत्रालय द्वारा अभी तक एक आधिकारिक परिपत्र जारी नहीं किया गया है।

कैट ने समय बढ़ाने की माँग की

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने हाल ही में जीएसटी नियमों में जोड़े गए अनेक नियमों को स्थगित रखने की मांग को आज फिर दोहराया है और वित्त मंत्री निर्मला सीताराम से आग्रह किया है की जीएसटी एवं आयकर दोनों के तहत ऑडिट रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि को आगे बढ़ाया जाए ! कैट ने विवाद से विश्वास स्कीम को भी 31 मार्च तक आगे बढ़ाने की मांग की है !


केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन  को आज भेजे एक पत्र में कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि किसी भी जीएसटी नियम के तहत आने वाले व्यापारियों की संख्या, इस नियम को स्थगित करने का कोई कारण नहीं हो सकती बल्कि वास्तव में सबसे महत्वपूर्ण बात यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी नियम प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के अनुरूप है या नहीं।

 भरतिया और खंडेलवाल  ने कहा कि हाल ही में व्यापारियों के साथ कोई परामर्श किए बिना जीएसटी में विभिन्न नियम जोड़े गए हैं। इसके अलावा नियम 22 दिसंबर, 2020 को अधिसूचित किए गए थे और उनको लागू करने की तिथि 1 जनवरी, 2021 है। केवल 9 दिनों के थोड़े समय में इलेक्ट्रॉनिक सॉफ़्टवेयर पर आधारित नियमों को समझना और उनका पालन करना बेहद मुश्किल है !


 भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि अधिक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि जीएसटी में हाल ही में जोड़े गए उक्त नियम कर प्रणाली को जटिल बना रहे हैं और व्यापारियों पर अधिक अनुपालन बोझ डाल रहे हैं तथा प्रधान मंत्री  नरेन्द्र मोदी के “इज ऑफ़ डूइंग बिजनिस” के स्पष्ट आह्वान के तुरंत विरुद्ध हैं ! 

 भरतिया और  खंडेलवाल ने वित्त मंत्री सीतारमन  से आग्रह किया की जीएसटी एवं आय कर ऑडिट रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2020 के 31 मार्च 2021 तक आगे बढ़ाया जाए !चालू वर्ष में कोरोना ने व्यापारिक वर्ग के अनेक दर्द दिए हैं और हम व्यावसायिक गतिविधियों को फिर से जीवंत करने के लिए बिना किसी सरकार सहायता के अपने स्वयं के स्तर पर प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि विवाद से विश्वास ” योजना सरकार का एक बड़ा क्रांतिकारी कदम है लेकिन कोरोना के कारण अधिकतम व्यापारी उक्त योजना का लाभ नहीं उठा सके और इसलिए इस योजना की अंतिम तिथि भी 31 मार्च  2021  तक बढ़ाई जाए !

इन्कमटैक्स रिटर्न और टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की समयसीमा बढाने की मांग


चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के इन्कम टैक्स कमिटि के अध्यक्ष सीए वीरेश रुदलाल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आकलन वर्ष 2021-22 के लिए आयकर रिटर्न भरने की विस्तारित तारीख को 31-12-20 से बढ़ाकर 31-3-2021करने और फाइल कर ऑडिट रिपोर्ट २8 फरवरी २०२१  करने को कहा है।

इसके अलावा विवाद से विश्वास योजना और जीएसटी फॉर्म -9 और जीएसटी ऑडिट रिपोर्ट 9 को भी बढ़ाकर 31 दिसंबर 20 से बढाकर 31-3-2021 करने की मांग की है। रुदलाल ने आगे कहा कि दिवाली के बाद कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण अधिकांश शहरों में रात का कर्फ्यू लगाया गया है। उन परिस्थितियों में, ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करने में बाधा आ रही है।

इसके अलावा, 31 दिसंबर को आने वाली सभी नियत तारीखों के साथ, सीएस कर सलाहकार के काम की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है और उसे पूरा नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा, कर-भुगतान करने वाले व्यापारियों का एक बड़ा वर्ग कोरोना और उसके बाद के लॉकडाउन और इतने सारे  रिटर्न दाखिल करने के लिए आवश्यक डोक्यूमेन्ट के साथ तैयारी नहीं कर पाए है।

 पिछले साल की तुलना में इस साल केवल 40 प्रतिशत रिटर्न दर्ज किया गया है। सीबीडीटी रिटर्न फॉर्म नंबर 1 से 7 को 1 अप्रैलतक पोर्टल पर पोस्ट नहीं करता हैं और रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया और यूटिलिटी में रुक-रुक कर बदलाव के कारण रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया रूक जाती है।

इसके अलावा इस बार कोरोना की अवधि के दौरान रिटर्न में कई बदलाव हुए। इसके कारण सीए और कंसल्टेंट नियत तारीख के अनुसार रिटर्न दाखिल नहीं कर पाए।

जानिए क्यों नाराज़ है आयकर विभाग के कर्मचारी और अधिकारी सरकार से?


पदोन्नति, कैडर पुनर्गठन और आउटसोर्सिंग जैसे मुद्दों पर सरकार की ओर से विलंब किए जाने के विरोध में इंकमटेक्स कर्मचारी महासंघ और इंकमटेक्स गजेटेड ओफिसर् एसोसिएशन के सदस्यों ने गुरुवार को एक दिन की सांकेतिक हड़ताल कर नाराजगी व्यक्त की।

गुरूवार की दोपहर दोनों संगठनों के पदाधिकारियों ने धरना दिया और अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए भूख हड़ताल की। इनकम टैक्स कर्मचारी महासंघ और इनकम टैक्स गजेटेड ऑफिसर्स एसोसिएशन के संयुक्त विरोध में देश भर से सदस्य शामिल हुए। सभी कर्मचारी शुक्रवार से काम फिर से शुरू कर देंगे।

हालाँकि, स्टेटमेन्ट लेना तथा जांच के लिए जाना आदि कार्यो में सहयोग नहीं देंगे। उल्लेखनीय है कि दोनो संगठन लंबे समय से पदोन्नति, कैडर पुनर्गठन और आउटसोर्सिंग के खिलाफ सरकार से मांग कर रहे हैं। लेकिन उनका आरोप है कि सरकार उन पर ध्यान नहीं दे रही।

आयकर अधिकारियों के लिए सर्वे कर पाना अब नहीं होगा सरल, लेनी होगी डीआई विंग की मंज़ूरी


सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टेक्स ने 13 अगस्त को एक परिपत्र जारी कर सर्वे के लिए नियमों में कई परिवर्तन किए हैं। अब से किसी भी जगह सर्वे के लिए आयकर अधिकारियों को इन्वेस्टिगेशन विंग के शीर्ष अधिकारी से मंजूरी लेनी होगी।

अब तक रैंज के एडीशनल कमिश्नर सर्वे की कार्रवाई प्रिन्सिपिल कमिश्नर की मंजूरी से भी कर सकते थे। नए परिपत्र के अनुसार सीबीडीटी अनाधिकृत आयकर सर्वेक्षण और छापे पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार अब एक आदेश लेकर आई है कि केवल आयकर महानिदेशक (जांच) और आयकर आयुक्त (टीडीएस) आयकर छापे को मंजूरी देंगे।


सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स की ओर से जारी परिपत्र में बताया गया है कि अब से आयकर अधिकारी, रैंज कमिश्नर, ज्वाइन्ट कमिश्नर, और प्रिन्सिपल कमिश्नर की सत्ता वापिस ले ली गई है। इसके अलावा रिकवरी अधिकारियों की सत्ता भी वापिस ले ली गई है। नए नियमों के अनुसार यदि कोई सर्वे की कार्रवाई करनी हो तो इसके लिए इन्वेस्टिगेशन विंग से मंजूरी लेनी होगी।

टीडीएस कमिश्नर को टीडीएस के सर्वे की सत्ता दी गई है। बताया जा रहा है कि कई बार करदाताओं की ओर से आयकर विभाग की ओर से बिन जरूरी सर्वे की कार्रवाई करने के बारे मे सीबीडीटी को शिकायत मिलती थी। इसे देखते हुए सीबीडीटी ने बिन जरूरी सर्वे पर लगाम लगाने के लिए यह कदम उठाया है।


इसके अलावा अब से स्क्रूटनी के केसो के लिए भी करदाताओं को आयकर विभाग तक जाना नहीं होगा। देशभर मे फेसलेस स्कीम शुरू हो जाने के कारण करदाताओं को मेल के माध्यम से ही अपने सवालों का जवाब दे देना होगा