सूरत

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने देश भर में बढ़ रही फर्जी फर्मों के संदूषण को रोकने के लिए नई फर्मों को पंजीकरण प्रदान करते समय कुछ चीजों को कड़ा कर दिया है। अधिकारियों को सभी दस्तावेजों की सत्यता या असत्यता की जांच के साथ-साथ स्थल सत्यापन और अन्य संबंधित जांच में ढील दी गई है। इसलिए व्यापारियों को आने वाले दिनों में नई फर्म का पंजीकरण लेने के लिए कुछ जांच का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।

जीएसटी विभाग के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जीएसटी कानून लागू होने के बाद से कुछ धोखेबाज आधार कार्ड, पैन कार्ड सहित अन्य लोगों के दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ कर फर्जी कंपनियां बना रहे हैं और जीएसटी पंजीकरण करा रहे हैं और लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. लाखों रुपये के फर्जी बिलिंग घोटाले चलाकर सरकार जांच में भी जिनके पास दस्तावेज हैं वही सामने आते हैं लेकिन मास्टरमाइंड सामने नहीं आता. इस प्रकार जीएसटी विभाग भी ऐसे धोखेबाजों के खिलाफ कार्रवाई करने में असमर्थ हो जाता है।

देश भर में लगातार बढ़ते प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए, सीबीआईसी ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे किसी भी नई पीढ़ी को पंजीकरण प्रदान करते समय कुछ दिशानिर्देशों का पालन करें। जिसमें से किसी भी आधार कार्ड या पैन कार्ड की जानकारी को ऑनलाइन सत्यापित करना होगा कि जानकारी सही है या नहीं, अगर किसी ने लाइट बिल दिया है तो उसका मिलान संबंधित बिजली कंपनी के रिकॉर्ड से भी किया जाएगा। अब तक कुछ मामलों में यह पाया गया है कि दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ कर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जीएसटी नंबर लिया गया है और सीबीआईसी ने ऑनलाइन जांच के आदेश दिए हैं. इसके अलावा, जिस स्थान के लिए व्यवसाय शुरू किया जाना है, उसकी प्रामाणिकता के लिए स्थान सत्यापन का भी सुझाव दिया गया है, जिसमें यह भी शामिल है कि क्षेत्र व्यवसाय के लिए उपयुक्त है या नहीं। यदि पैन कार्ड पर पहले पंजीकरण दिया गया है, तो उस फर्म की स्थिति क्या है, यह सारी जानकारी अधिकारियों द्वारा जांची जानी है।

बोगस पीढि़यों पर लगाम लगेगी

सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स ने नए रजिस्ट्रेशन के दौरान कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी है। जिसमें दस्तावेजों की ऑनलाइन जांच के साथ ही स्पॉट वेरिफिकेशन के साथ ही पैन कार्ड पर कितनी फर्म पंजीकृत हैं, इसकी जांच करने के निर्देश दिए हैं. इन सावधानियों से नियंत्रित होगी फर्जी पीढ़ी

हालोल के बसका गांव में स्थित जयकुबेर फ्लो एंड फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में तलाशी के बाद सेंट्रल जीएसटी के अधीक्षक ने केंद्रीय जीएसटी अधीक्षक (कक्षा-2) व निरीक्षक (वर्ग-3) ने 10 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की। जिन्हें कि 2.50 लाख रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया।


केंद्रीय जीएसटी अधीक्षक नितिन कुमार रामसिंह गौतम और अन्य कर्मचारियों ने 15 जून को जयकुबेर hiफ्लो एंड फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड पर सर्च की थी। यह कंपनी मिनरल वाटर, नमकीन और शीतल पेय बनाने वाली कंपनी है। इसके बाद जीएसटी विभाग ने कंपनी के व्यापारी को तलब कर 22 तारीख को उपस्थित रहने को कहा। उस समय अधिकारी नितिन कुमार रामसिंह गौतम ने कहा, ''अगर आप पैसे देंगे तो हम बात करेंगे और कंपनी को सील नहीं करेंगे.'' बदले में उसने 10 लाख रुपये की मांग की और कार्यालय में इंस्पेक्टर शिवराज को देने को कहा।

कंपनी में तलाशी के समय अधीक्षक ने व्यापारी से 50 हजार रुपये लिए थे। व्यापारी ने एसीबी में अधिकारी से 10 लाख रुपये माँगने की शिकायत की थी।इस दौरान अधीक्षक ने व्यापारी को इंस्पेक्टर शिवराज सत्यनारायण मीणा को 2.50 लाख रुपये की रिश्वत देने को कहा।

एसीबी पी.आई. जेएम डामोर और अन्य अधिकारियों ने मंगलवार को सुभानपुरा स्थित सीजीएसटी कार्यालय में जाल बिछाया और अधीक्षक नितिन गौतम और इंस्पेक्टर शिवराज मीणा को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। एसीबी ने शाम को दोनों अधिकारियों के घरों की तलाशी ली।


जीएसटी लागू होने के बाद से अब तक जीएसटी के नियमों में 900 से अधिक बार परिवर्तन किए जा चुके हैं। इसे लेकर कॉन्फिडरेशन ऑफ ऑल इन्डिया ट्रेडर्स ने नाराजगी भी व्यक्त की है। इसी बीच अब संभावना है कि केंद्र सरकार जीएसटी की 12 फीसदी और 18 फीसदी की दर को मिलाकर एक दर बनाने के पक्ष में है।

जानकारी के मुताबिक कुछ राज्यों ने बारे में गुहार लगाई थी और पंद्रहवें वित्त आयोग ने भी मांग की है। मार्च में होने वाली जीएसटी काउंसिल की की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है। कीमती रत्नों और धातुओं पर 0.25 फीसदी और 3 फीसदी की विशेष दर भी लगाई जा सकती है।

भारत में वर्तमान में जीएसटी की चार प्रमुख दरें 5, 12, 18 और 28 फीसदी हैं। इस नियम से एक बार फिर से व्यापार उदयोग में उथलपाथल हो सकती है। सूरत की बात करें तो सूरत में यार्न, फेब्रिक आदि पर अलग-अलग ड्यूटी है।

इसलिए कई संगठन इसे एक करने की मांग कर रहे थे, जबकि कई संगठन वर्तमान परिस्थिति यथावत रखने की मांग कर रहे हैं। चैम्बर का कहना है कि यदि अब फिर से परिवर्तन किया गया तो लाखो लोग बेरोजगार हो जाएंगे।


जानकारो का कहना है इन दोनों दरों को एक करने से 12 वाली दर को जहां नुकसान होगा वहीं 18 वाली दर में आने वाले सामान और सेवा को फायदा होगा। अगर काउंसिल एक दर पर सहमत हो जाती है तो घी, मक्खन, चीज और चश्मे जैसी चीजें महंगी हो जाएंगी जबकि साबुन, रसोई का सामान और कपड़े सस्ते हो जाएंगे।


सूरत डीजीजीआई के अधिकारियों द्वारा वापी और नवसारी व्यापारियों से जबरदस्ती टैक्स रिकवरी के मुद्दे पर गुजरात हाइकोर्ट में जस्टिस जेबी पारडीवाला और जस्टिस इलेश जे वोरा की बेंच में आज भूमि एसोसिएट सहित कुल चार मामलों की सुनवाई  की गई।

ऑनलाइन सुनवाई में डॉ. सतीश धावले(अतिरिक्त महानिदेशक, सूरत डीजीजीआई) सहित कुल 10 अधिकारी उपस्थित थे अदालत के सवाल के जवाब में, डॉ. सतीश धावले ने बताया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच शुरू कर दी गई है। घटना में दोषी अधिकारियों पर पर जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। हालांकि उन्होंने कहा कि याचिका में लगाए गए कुछ आरोप गलत है।

एडीशनल जनरल सोलिसिटर देवांग व्यास अदालत के समक्ष उनका विवरण प्रस्तुत करेंगे। देवांग व्यास ने कहा कि न्यायालय जिन चार मुद्दों को दिशा देना चाहता है। वह CBIC द्वारा दिया जाना चाहिए। इस बात पर हाइकोर्ट ने भी CBIC को मामले में पार्टी बनाकर 23 फरवरी को अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा। साथ ही कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान जिन चार मु्द्दो की बात कही गई थी, उसे क्यों अमल में नहीं लाया जाए।

इस पर देवांग व्यास सीबीआइसी के साथ चर्चा कर कारण बताए। कोर्ट ने डॉ.धावले से आश्वासन मांगा कि वह अधिकारी भविष्य में व्यापारियों को परेशान नहीं करेंगे। अदालत ने यह भी कहा कि वे मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं। क्योंकि अधिकारी कर वसूलने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और कर चोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं। DGGI आगे के सर्च अभियान शुरू कर सकता है।
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 अधिकारियों के पास जबरदस्ती वसूली करने का अधिकार  नहीं
एडवोकेट अविनाश पोद्दार ने बताया कि हाइकोर्ट ने चारो मामलों की सुनवाई करते हुए कहा कि डीजीजीआई अधिकारियों के पास सर्च के दौरान जबरन वसूली का अधिकार नहीं है। अधिकारियों को नियम और कानून की सीमा में वसूली की कार्यवाही का संचालन करना चाहिए।


सेन्ट्रल जीएसटी डिपार्टमेन्ट ने करचोरो पर कार्रवाई का अभियान जारी रखते हुए बोगस बिलींग मामले में बड़ी कार्रवाई की है। इसमें विभाग ने 408 करोड़ रुपए के बोगस बिलींग घोटाला मामले में फर्जीवाड़ा करने वाले एक शख्स को गिरफ्तार कर लिया।


जीएसटी विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सूरत सेन्ट्रल जीएसटी डिपार्टमेन्ट ने वडोदरा के सेन्ट्रल इन्टेलिजन्स यूनिट से मिली जानकारी के अनुसार हाजी इम्तियाज हाजी इकबाल गोदिल को गिरफ्तार कर लिया।

विभाग का कहना है कि हाजी इम्तियाज ने सात से आठ बोगस फर्म बनाई थी। यह कंपनियां बोगस ई-वे बिल बनाने तथा खरीद-बिक्री के नकली बिल बनाकर आइटीसी क्रेडिट हांसिल करने और पास-ओन करने का खेल कर रही थी। इस तरह से हाजी इम्तियाज ने कुल 408 करोड़ रुपए के बिल बनाए और इनके आधार पर क्रेडिट लिया तथा पास-ऑन किया था। इस पर से सरकार को 20.40 करोड़ रुपए का टैक्स मिलना था।

जीएसटी विभाग ने इन्हें गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू की है। मिली जानकारी के अनुसार हाजी इम्तियाज की जांच के दौरान इन्हें कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इसके चलते फिलहाल सिविल होस्पिटल में ले जाया गया है।

आगामी दिनों में कोरोना से ठीक होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। उल्लेखनीय है कि इनसे बोगस बिल खरीदने वालों के खिलाफ भी जीएसटी विभाग कार्रवाई करेगा। इसके पहले भी जीएसटी विभाग ने कई लोगों को बोगस आइटीसी मामले में गिरफ्तार किया है।

डायरेक्क्ट्रेट जनरल ऑफ गुड्स एन्ड सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट ने अडाजण पाटिया के मोहम्मद जायेद चक्कीवाला को फर्जी बिलों के आधार पर 6.54 करोड़ रुपये का फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के आरोप में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया।


प्राप्त जानकारी के डायरेक्क्ट्रेट जनरल ऑफ गुड्स एन्ड सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट ने वेडरोड रोड पर डायमंड पार्क इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स में वेडन इम्पेक्स लिमिटेड पर छापा मारा, लेकिन पार्टी कागज में बताए गए पते पर नहीं थी। विभाग की जांच के दौरान, यह पाया गया कि विडेन इम्पेक्स के निदेशक मोहम्मद जायद चकीवाला ने बिना किसी खरीद-फरोख्त के 13 फर्जी कंपनियों से फर्जी बिल लिए थे।

इस आधार पर उन्हें सरकार से 6.54 करोड़ रुपये का फर्जी इनपुट क्रेडिट मिला था। जब विभाग ने इन 13 स्थानों का निरीक्षण किया, तो भी इन 13 कंपनियों को GST विभाग द्वारा दिए गए पते पर नहीं मिला। उसके आधार पर, विभाग ने पूरे मामले को उजागर किया। मामले में, विभाग ने विडेन कंपनी के एक निदेशक मोहम्मद जायद चक्कीवाला को गिरफ्तार किया। मामले में आने वाले दिनों में अन्य लोगों की गिरफ्तारी की आशंका व्यक्त की जा रही है।


DGGI ने गत दिनों रामपुरा निवासी अंसारी अरशद मोहम्मद निजाम को गिरफ्तार किया। केंद्रीय जीएसटी विभाग ने दो दिन पहले वराछा क्षेत्र में भी छापा मारा था और फर्जी बिलिंग के मामले को उजागर किया था और 35 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का खुलासा किया था।

सेन्ट्रल जीएसटी विभाग की ओर से शनिवार की दोपहर वेसू क्षेत्र के एक निर्माणाधिन कन्स्ट्रक्शन प्रोजेक्ट पर बडे पैमाने पर जांच शुरू की गई। चर्चा है कि विभाग की कार्रवाई शुरू होते ही यहां पर उपस्थित भागदोड मच गई, जिसमें कि उपर से नीचे गिरे इंजिनियर को गभीर चोट लगने से मौत हो गई। जीएसटी विभाग ने स्पष्ट किया कि छापे की कार्रवाई और इंजीनियर के गिरने के बीच दूर दूर तक कोई संबंध नहीं है। बल्कि इस घटना के बारे में अधिकारियों को खुद बहुत देर बाद पता चला।


मिली जानकारी के अनुसार सेन्ट्रल जीएसटी विभाग की प्रिवेन्टिव टीम ने शनिवार की दोपहर वेसू में सेलेस्टियल ड्रीम नाम के प्रोजेक्ट पर जांच शुरू की थी। जब जांच शुरू हुई तो प्रोजेक्ट में कार्यालय में कई लोग मौजूद थे।

चर्चा है कि जैसे ही जीएसटी के अधिकारी पहुंचे वैसे ही वहां उपस्थित लोगों में भागदौड मच गई। कुछ लोग सीढी से उतरने में सफल रहे। जबकि 55 वर्षीय सिविल इंजिनियर अनिल जसमत वसोया इस दौरान रहस्यमय ढंग से नीचे गिर पड़े। उनके सिर में गंभीर चोट लगने के कारण उनकी मौत हो गई। अनिल वसोया का पोस्टमार्टम सिविल होस्पिटल में कराया गया। वसोया की मौत जानने के लिए उनके मृतदेह का फोरेन्सिक पोस्टमार्टम करवाया गया। पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की है।


जीएसटी विभाग ने शनिवार दोपहर से शाम तक जांच कार्रवाई के दौरान बड़े पैमाने पर दस्तावेज जब्त किए है। जांच के बाद करचोरी का आंकड़ा सामने आएगा। उल्लेखनीय है कि दिवाली के पहले जीएसटी विभाग अन्य कई बिल्डर के यहां कार्रवाई कर सकता है।

विभाग की कार्रवाई से घटना का संबंध नहीं

हालाँकि जीएसटी विभाग ने स्पष्ट किया कि छापे की कार्रवाई और इंजीनियर के गिरने के बीच दूर दूर तक कोई संबंध नहीं है। बल्कि इस घटना के बारे में अधिकारियों को खुद बहुत देर बाद पता चला।


पिछले वर्षो में कर नही चुका सकने वाले करदाताओं को राहत देने के साथ-साथ कर संग्रह को बढ़ाने के उद्देश्य से वित्त विभाग द्वारा वर्ष 2019 में कर सुधार योजना-2018 की घोषणा की गई थी। योजना के लाभार्थियों को 15 मार्च, 2020 तक पहली किस्त के रूप में कुल कर राशि का 10 प्रतिशत भुगतान करना था।

शेष राशि का भुगतान अप्रैल 2020 से महीने की अंतिम तारीख को 11 समान किश्तों में किया जाना था, लेकिन इस अवधि के दौरान राज्यव्यापी लॉकडाउन के कारण, व्यापारी या ग्राहक सहित सभी लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं जा सकते थे। सभी लोगों के कार्यालय और व्यवसाय बंद हो गए। परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में लोग करों का भुगतान नहीं कर सके। इन सबर सब के कारण व्यापारी संगठनों ने राज्य सरकार से योजना की तारीख बढाने की मांग की थी।

इसके अलावा राज्य में कोरोना की परिस्थित को देखते हुए सरकार ने जिन करदाताओं ने प्रथम किस्त नहीं चुकाई हो उन्हें पहली किश्त 31 जुलाई, 2020 तक और शेष नब्बे प्रतिशत का भुगतान जुलाई 2020 तक 11 समान मासिक किस्तों में करने का निर्देश दिया था। इसके अलावा, इस शर्त का उल्लंघन करने वालों को इस योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा। यह कहा था, लेकिन कई व्यापारी योजना का लाभ नहीं ले पाए थे।

इसे देखते हुए को फिर से सरकार ने योजना की मियाद बढा दी हैं। जो करदाता 31-7-2020 तक कर की किस्त का पहला हप्ता भुगतान नहीं कर पाए हैं, वे मासिक रूप से डेढ़ प्रतिशत के साथ 31-1-2020 तक किस्त का भुगतान कर सकेंगे। ब्याज की राशि की गणना महीने या उसके हिस्से के लिए 1.5% की दर से की जानी चाहिए। यदि उस महीने के पूरा होने के बाद मासिक किस्त की राशि का भुगतान नहीं किया जाता है, तो उसे अगले महीने की 20 तारीख तक एक और डेढ़ प्रतिशत ब्याज की राशि के साथ भुगतान करना होगा


सूरत
सेन्ट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स डिपाटर्मेन्ट ने बीत दिनों में बोगस इनपुट टैक्स क्रेडिट के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार सिविल अस्पताल में कोरोना की जांच करवाई। प्राथमिक जांच में यह मामला 15.50 करो़ड़ रुपए की टैक्सचोरी का पता चला है। आगे की जांच जारी है।

मिली जानकारी के अनुसार सेन्ट्रल जीएसटी की टीम ने गत दिनों जांच के आधार पर पाया कि राजेश मुंदड़ा और कमल किशोर मुंदडा ने दूसरों के नाम पर 16 बोगस पेढियां बनाकर इनका इस्तेमाल बोगस इनपुट टैक्स क्रेडिट का बेजालाभ उठाने के लिए कर रही है।जांच में पता चला कि दोनो ने अब तक 15.50 करोड़ रुपए की बोगस इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल की है।

अभी तक इसमें से ज्यादातर क्रेडिट का इस्तेमाल कर चुके है। पांच करोड क्रेडिट बाकी है। बीते दिनों यह दोनो डीआरआई की जांच में भी पकड़े गए थे। फरवरी में स्टेट जीएसटी ने भी इन्हें बोगस आइटीसी मामले में गिरफ्तार किया था। सेन्ट्रल जीएसटी ने इन्हें गिरफ्तार कर सिविल अस्पताल मं कोरोना की जांच करवाई। जांच के बाद इन्हें कोर्ट मे पेश किया जाएगा।

चीन ने शुरू किया भारतीयों को गुमराह करना

रोज नए-नए पैतरौ देश दुनिया को परेशान करने वाले चीन ने अब भारत के लोगों को गुमराह करने के लिए नई तरकीब आजमाई है।भारत में चीनी वस्तुओं का बहिष्कार देखते हुए घबरा गए चीन ने अब अपने प्रोडक्ट पर मेड इन इन चाइना लिखने की बजाए मेड इन पीसीआर लिखना शुरू कर दिया है।

दरअसल बात ऐसी है कि देशभर में चीन के खिलाफ नाराजगी है और भारत के लोग चीन की वस्तुओं का बहिष्कार कर रहे हैं। भारत के व्यापारियों की संस्था कैट ने भी 10 जून से भारत भर में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार करने का अभियान चलाया है।

ऐसे में चीन के उद्यमी घबरा गए हैं और उन्होंने मेड इन इंडिया चाइना लिखने के बजाय अपने प्रोडक्ट पर मेड इन पीसीआर लिखना शुरू कर दिया है। मेड इन पीसीआर का मतलब होता है मेड इन पीपल रिपब्लिक ऑफ चाइना जोकि चाइना का ही नाम है। मेड इन चाइना की नेगेटिव से छुटकारा पाने के लिए चीन के उत्पादकों ने यह तरकीब शुरू कर दी है।

मात्र भारत ही नहीं दुनियाभर के लोगों को अब इस तरह से चीन की कंपनियां बेवकूफ बना रही है हालांकि चीन के इस चालबाजी को समझ चुकी है और आने वाले दिनों में चीन को इसका करारा जवाब देने के लिए दुनिया के लोग तैयार बैठे हैं।