सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस मामलों के त्वरित निपटान के लिए एक समिति का गठन किया है। सरकार के साथ सहमति के बाद सुप्रिम कोर्ट ने यह फैसला किया है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के अनुसार, विभिन्न अदालतों में लंबित कुल मामलों में से लगभग 60 प्रतिशत मामले निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट से संबंधित हैं।

इसके सीजेआई बोबडे की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत आपराधिक मामलों के शीघ्र निवारण के लिए एक समिति का गठन किया है। यह समिति राज्य सरकारों सहित अन्य भागीदारों के साथ सुझावों पर गौर करेगी और 3 महीने में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी।

केंद्रीय वित्त मंत्रालय के वित्त विभाग के अलावा, विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के अधिकारी भी समिति में शामिल होंगे। सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आरसी चौहान समिति की अध्यक्षता कर रहे हैं। इसमें गवर्नर द्वारा नामित सदस्य भी शामिल होगा। आप को बता दें कि 

वर्तमान में, चेक बाउंस से जुड़े मामलों की संख्या 35 लाख को पार कर गई है।मौजूदा नियम के अनुसारआप का चेक बाउंस हो जाए तो आप पर सामने वाली पार्टी मुकदमा दायर कर सकते है। ऐसे में सेक्शन 138 के अनुसार आपके खिलाफ कोर्ट में शिकायत दर्ज की जा सकती है।

अगर इस केस में व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो व्यक्ति को चेक अमाउंट का दोगुना पैसा या 2 साल की सजा का प्रावधान है। हालांकि, शिकायत करने के लिए चेक बाउंस होने के 30 दिन के अंदर लीगल नोटिस देना पड़ता है। चेक के पैसे नहीं दिए जाते हैं तो 16वें दिन से 30 दिन के अंदर शिकायत कोर्ट में देनी होती है।  साथ ही चेक देने के बाद स्टॉप पेमेंट करवाने पर आप पर कार्रवाई हो सकती है।