शहर में आंखों मे लाल और दर्द के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, अकेले सिविल और स्मीमेर की ओपीडी में रोजाना 300 से ज्यादा मरीज आ रहे हैं। एक सप्ताह पहले सिविल में प्रतिदिन औसतन 10 केस आते थे, जो अब 150 से अधिक हो गए हैं। डॉक्टर कह रहे हैं कि यह बीमारी हवा से नहीं बल्कि छूने से फैलती है, इसलिए बार-बार सैनिटाइजर और साबुन से हाथ धोना जरूरी है।
सिविल की डा प्रीति कपाड़िया ने कहा कि अन्य शहरों की तुलना में सूरत में मामले ज्यादा हैं. अगर दवा ले ली तो 3-4 दिन में ठीक हो जाता है, नहीं तो 10-12 दिन लग जाते हैं. किरण हॉस्पिटल के डॉ. संकित शाह ने बताया कि यह बीमारी बच्चों में अधिक होती है. यह बीमारी स्कूल में प्रति कक्षा 5-7 बच्चों में देखी जाती है। अगर स्कूल में 3-4 दिन की छुट्टी दे दी जाए तो बीमारी की चेन को रोका जा सकता है.
शहर में नेत्र संबंधी दवा मोक्सी फ्लोरोसिन, लोटी प्रेटनॉल, पायरी मोल और सी प्लाक्स की मांग 80 फीसदी तक बढ़ गई है। उधर, शहर के मेडिकल स्टोरों को सामान नहीं मिल रहा है। जिसके कारण मेडिकल स्टोर में दवा का स्टॉक धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। ऐसे में मेडिकल स्टोर मालिक शहर में दवा का स्टॉक बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
संपर्क-जनित बीमारी को रोकने के लिए हाथों को साफ रखना जरूरी है।साबुन से बार-बार हाथ धोने के अन्य उपयोग, हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग, और चश्मे का उपयोग यदि संक्रमित है