राजकोट: कोरोना मृतको की होगी ओटोप्सी, मिलेगी राह


कोरोना की बिमारी से बचने के लिए देश-दुनिया के मेडिकल साइन्स के जानकार प्रयास कर रहे हैं। हालाकि अभी तक बहुत सफलता नहीं मिली है। अभी तक देशभर में सिर्फ दिल्ली के एम्स में मृतक की ओटोप्सी की गई थी, लेकिन आने वाले दिनों में राजकोट में भी कोरोनाग्रस्त मरीज की ओटोप्सी शुरू की गई है।

इसके माध्यम से कोरोनोवायरस मानव शरीर में किस हद तक और आंतरिक अंगों पर किस तरह का प्रभाव डालता है? इसका पता चल जाएगा। इस उपचार से कोरोना संक्रमण के उपचार में मदद मिलने की बड़ी उम्मीद है।


राजकोट को मिली पैथोलॉजिकल ओटोप्सी के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए पी.डी.यू. मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख और कोविड होस्पिटल के इन्चार्ज ए़डिशनल सुप्रिन्टेन्डेन्ट डॉ हेतल क्याडा ने मीडिया को बताया कि “कोविद -19 एक नए प्रकार की बीमारी है,” हेतल कयादा कहती हैं। इसका मानव शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है? उनके व्यापक ज्ञान और अनुसंधान के हिस्से के रूप में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, गुजरात सरकार के निर्देश और मार्गदर्शन में, फोरेंसिक मेडिसिन विभाग, इस संक्रामक वायरस से मरने वालों का पोस्टमॉर्टम करेगा।

जिसके माध्यम से मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों और इससे बचाव के उपायों को जानना सरल हो जाएगा । इन उपायों का उपयोग अन्य रोगियों के उपचार को बेहतर करने के लिए किया जा सकता है। कोरोना महामारी पर अंकुश लगाने के लिए चल रहे प्रयासों में यह प्रयोग मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने मीडिया को बताया कि

वायरस के संक्रमण के कारण जिन लोगों की जल्दी मौत हो गई हो उनकी ओटोप्सी संभव नहीं होगी। ओटोप्सी के लिए मृतक के परिवारजनों की मंजूरी जरूरी है। जो परिवार इसके लिए आगे आएंगे, वे उनके स्वजन के मृतदेह से सेम्पल लेंगे और इसका परीक्षण करने के बाद, होस्पिटल की डेड बोडी मैनेजमेन्ट कमेटी द्वारा सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाएगा। ताकि संक्रमण रिश्तेदारों और अन्य लोगों तक न फैले।

अब तक संभवत: भारत के एम्स भोपाल में केवल एक कोरोना मृतक की ओटोप्सी की गई है। उसके बाद, गुजरात में पहली बार राजकोट को मंजूरी दी गई। कोरोनरी आर्टरी डिजीज पर पैथोलॉजिकल ऑटोप्सी रिसर्च में सभी उम्र के लोग शामिल होंगे, जिन्हें कोरोना संक्रमण के अलावा कोई गंभीर बीमारी नहीं है, और जिनकी अस्पताल में इलाज के कम से कम पांच दिन या उससे अधिक समय के बाद मृत्यु हो गई है।

जिन्हें कोरोना संक्रमण के अलावा कोई गंभीर बीमारी है और जो वायरस के संक्रमण के कारण कम समय में मर गए हैं। किसी व्यक्ति के शरीर में वायरस अधिक होने पर पोस्टमार्टम खतरनाक हो सकता है इसलिए कम समय में जिनकी मौत हो गई हो उनकी ओटोप्सी नहीं की जाएगी।