कोरोना को लेकर WHO ने किया बड़ा खुलासा, बढ़ी चिंता


डेस्क
कोरोना को लेकर वर्ल्ड हेल्थ ओर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट में दुनिया की चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट मे कोरोना शायद कभी समाप्त नहीं हो ऐसा बताया गया है।विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी निदेशक डॉ माइकल जे रिया ने संभावना जताई है कि दुनिया में कोरोना वायरस कभी खत्म नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह बीमारी शायद हमारे बीच ही रहेगी।
कोरोना वायरस ने दुनिया के लगभग सभी देशो मे बड़ी संख्या मे लोगों को को संक्रमित किया है कई लोगों की जान जा चुकी है। अभी भी संक्रमण बढ़ता जा कहा हैऔर इस घातक वायरस का कोई इलाज या टीका अभी तक नहीं मिला है।

दुनिया में बड़ी संख्या में लोग कोरोना से पीड़ित है कई लोग कोरोना से मारे जा चुके है। दुनिया के आधे से अधिक देश वर्तमान में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन मे हैं, और लाखों लोग अपने घरों में रहने के लिए मजबूर हो गए हैं।

ऐसे समय में जब दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरोना के लिए एक वैक्सीन खोजने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं।कुछ देशों को इस दिशा में सफलता मिलने की उम्मीद है।

उन्होंने आगे कहा कि चूंकि कोरोना मामलों की संख्या अभी भी बढ़ रही है, इसलिए वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों को हटाना उचित नहीं है। यदि इन प्रतिबंधों को हटा दिया जाता है, तो लॉकडाउन को और विस्तारित किए जाने की संभावना है क्योंकि बड़ी संख्या में वायरस फैल जाएंगे।

ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन के अनुसार, कोरोना वायरस के टीकाकरण में एक और साल लग सकता है। उन्होंने कहा कि वायरस को मिटाने के लिए वैक्सीन बनाना बहुत जरूरी है और इसके लिए हमें मिलकर काम करने की जरूरत है। हालांकि, उन्होंने टीका कब तक बनेगी यह बता पाने से इंकार किया।


उल्लेखनीय है कि दुनिया में कोरोना की महामारी के चलते लाखो लोग संक्रमित है और कइ लोगों की जान जा चुकी है। ऐसे में यदि कोरोना से बचने वाली टीका या दवा की खोज हो जाती है तो बड़ी राहत होगी। अब तक कई देशों ने कोरना की दवा के नज़दीक पहुँचने का दावा किया है।

सूरत में 25 प्रतिशत लोग होम क्वारेन्टाइन में


सूरत
कोरोना किस तरह से आगे बढ रहा है वह शायद आप को यह आंकडे जानकर पता चल जाएगा। सूरत महानगरपालिका ने शहर में 36 क्षेत्रों को क्लस्टर के रूप में घोषित किया है, जिसमें 3.39 घर शामिल हैं। इन घरों में रहने वाले 15.63 लाख लोगों को होम क्वारेन्टाइन गया है। सूरत की कुल आबादी लगभग 60 लाख के करीब मानी जाती है। इसके अनुसार सूरत की एक चौथाई आबादी क्वारेन्टाइन में है।


सूरत में अब तक कोरोना के कारण बीमार हुए लोगों के ठीक होने का दर 58.8 पहुंच गया है। सूरत में सोमवार को 22 कोरोना के  मरीज दर्ज हुए। इसके साथ ही अब तक सूरत में कोरोना के 898 मरीज हो गए है। इनमें से 38 की मौत हो चुकी है। 528 लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है।

जिस क्षेत्र में कोरोना के ज्यादा मरीज मिलते हैं उसे क्वारन्टाइन घोषित कर वहां के लोगों को बाहर निकलने से मना कर दिया जाता है। सूरत में सबसे पहले रांदेर क्षेत्र को मास क्वारंटाइन घोषित किया था। सूरत में कोरोना मामला सामने आने के बाद एक -एक कर अब तक 36 स्थानो को क्ल्स्टर क्वारन्टाइन घोषित किया गया है।

सूरत में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले लिंबायत, सेन्ट्रल और वराछा जोने से मिले है। मनपा ने स्लम क्षेत्रों में कोरोना के मरीजो की संख्या देखते हुए वहां पर 48 फीवर क्लीनिक शुरू किए है। साथ ही आयुर्वेदिक और होम्योपेथिक दवा का वितरण भी शुरू किया है।

छोटे और मध्यम कपड़ा कारोबारियों के लिए अब अस्तित्व का संघर्ष!


सूरत
कपड़ा उधोग के लिए आगे की डगर कांटो भरी नज़र आ रही है। ख़ासकर छोटे और मध्यम वर्गीय व्यापारियों के लिए व्यापार का अस्तित्व बचा पाना भी मुश्किल नज़र आ रहा है।एक ओर जहां कोरोना के बाद पूँजी की समस्या आएगी वहीं दूसरी ओर उन्हें कई पेमेंट भी करने होंगे । बड़े उधमी तो जैसे तैसे कर अपनी नाव निकाल लेंगे, लेकिन छोटे व्यापारियों के लिए अस्तित्व बचा पाना कठिन होने की आशंका है।


कपड़ा बाज़ार के सूत्रों का कहना है कि सूरत का कपड़ा व्यापार उधार पर चलता है। यहाँ के व्यापारी अन्य राज्यों के व्यापारियों को उधार माल बेचते है। इसके बाद व्यापारी अपनी अपनी शर्तों के अनुसार एक से तीन माह के बीच पेमेंट करते हैं।

जीएसटी और नोटबंदी के बाद छह महीने पहले के पेमेन्ट भी सूरत के व्यापारियों के फँस गए हैं। सूरत के व्यापारी तगड़ी पूँजी लगाते है। इसके बाद व्यापार चलाते है। उन पर प्रतिमास डाइंग यूनिट, एम्ब्रॉयडरी यूनिट, श्रमिकों का वेतन लोन का हप्ता, बिजली बिल, घर का खर्च सहित अन्य खर्च निभाने की ज़िम्मेदारी है।

लगभग डेढ माह से बाज़ार बंद होने के कारण सब की आय शून्य हो गई है और खर्च बने हुए है। शायद ही एकाध खर्च कम हुआ है। फ़िलहाल व्यापार कब शुरू होगा यह पता नही है लेकिन व्यापार खुलने के साथ ही वीवर, प्रोसेसर, एम्ब्रॉयडरी, जॉबवर्कर, बैंक लोन आदि मुँह फाड कर खड़े हो जाएँगे। ऐसे संजोगों में छोटे और मध्यम वर्गीय व्यापारियों के लिये व्यापार संभालना मुश्किल होगा।

व्यापारियों का कहना है कि जो माल अभी भेजा गया है। उसमें से आधा माल तो वापिस आना है और दूसरे कि पैमेन्ट भी कब मिलेगा यह तय नहीं है। 25 प्रतिशत राशि कम से कम डूबने की भी आशंका है।इन विपरीत परिस्थिति में व्यापारी को पूँजी जुटा कर व्यापार शुरू करना और अपने खर्च चलाने का दोनों ही भार रहेगा। आवक सिमित और खर्च अपार यह गणित व्यापारियों का समीकरण बिगाड़ने को काफ़ी है।यदि सरकार और बैंक व्यापारियों का साथ नहीं देगी तो निश्चित मानिए इस भँवर से उबर पाना मुश्किल हो जाएगा।

कपड़ा उधमी गिरधर गोपाल मूंदडा का कहना है कि कोरोना के कारण सभी देशों के सकल विकास दर में कमी आई है। इसके बावजूद दुनिया के अमरीका, जापान, कनाडा सहित कई विकसित देशों ने अपने विकास दर में से कुछ हिस्सा कम मानते हुए इन्डस्ट्री के लिए प्रोत्साहन देने की तैयारी दिखाई है। हम भी सरकार से उम्मीद लगाए बैठे है। यदि सरकार इन्ड्स्ट्री की मुसीबत समझते हुए लॉकडाउन पीरियड में लोन का ब्याज माफ़ कर दे तो भी हमें राहत होगी।

फैडरेशन ऑफ सूरत टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री चंपालाल बोथरा ने बताया कि लॉकडाउन के बाद व्यापार खुलते ही व्यापारियों पर एक साथ कई खर्च आ जाएँगे। जैसे कि उन्होंने जो माल बना रखे है उसके लिए वीवर, प्रोसेसर, एम्ब्रॉयडरी आदि के पैमेन्ट की ज़िम्मेदारी आ जाएगी। इसके बाद बैंक हप्ता, स्कूल फीस, सरकारी टैक्स आदि कई चींजे व्यापारी को परेशान कर सकती है।

व्यापारियों के लिए चिंताजनक बात यह है कि उन्होंने तैयार किए करोड़ों का माल अब दिसंबर के बाद ही बिक सकता है। दूसरे राज्यों में से पैमेन्ट भी जल्दी मिलने की उम्मीद नहीं है। इसलिए आने वाले दिनों में व्यापारियों को वर्किंग कैपिटल की समस्या से जूझना पड सकता है। हमने सरकार से दो से पाँच करोड़ तका का टर्न ओवर वाले व्यापारियों को कम दर पर लोन मुहैया कराने, मुद्रा योजना के तहत लोन देने, राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के कई टैक्स से छूट देने तथा लॉकडाउन के पीरियड के बैंकों का ब्याज माफ़ करने की माँग की है। इसके अलावा जिन शहरों में लॉकडाउन खुल रहा है वहाँ माल भेजने की व्यवस्था करने की गुहार लगाई है ताकि वहाँ माल जाए और बिक्री हो सके। इससे पैमेन्ट आना शुरू हो जाएगा।

24 घंटो में 10 राज्यों में कोरोना का नया केस नही!!


डेस्क

देशभर में जहां ज़्यादातर राज्यों में कोरोना के मामलों ने हाहाकार मचा रखा है। वहाँ कुछ स्थानों से राहत के समाचार भी है। 24 घंटों में देश के 10 राज्यों में कोविद -19 का एक भी मामला सामने नहीं आया है, जबकि देश के 4 राज्य अभी तक कोरोना वायरस के संक्रमण से मुक्त हैं।

रविवार को मंडोली में कोविड -19 केयर सेंटर का दौरा करने के लिए, हर्षवर्धन ने कहा कि वर्तमान में देश में कुल 4362 कोविड केयर केंद्र हैं, जिनमें 3,46,856 हैं।उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 72 लाख एन 95 मास्क, और 36 लाख पीपीई किट राज्यों को भेजे गए हैं।

जिन चार राज्यों में अभी तक कोविद -19 का कोई मामला सामने नहीं आया है उनमें सिक्किम, नागालैंड और लक्ष्यदीप हैं। अंडमान और निकोबार, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मिजोरम में कोरोना वायरस के कोई पॉजिटिव मामले नहीं आए।

उल्लेखनीय है के कारण देश में मरीजो की संख्या लगातार बढ रहे हैं। देशभर में रविवार दोपहर तक कोरोना पॉज़िटिव की संख्या 63000 के क़रीब थी। भारत में सबसे अधिक कोरोना के मामले महाराष्ट्र में है। यहा कोरोना पॉज़िटिव मामलों की संख्या 20000 के ऊपर पहुँच गई है। यहाँ मृतांक भी ज़्यादा है।

सूरत के उधमियों ने किया वायरस और बैक्टीरिया प्रूफ़ सुट का अविष्कार !
हमेशा कुछ नया करने वाले सूरत के कपड़ा उद्यमियों ने कोरोना के मुसीबत के समय को मौके में बदल दिया है। सूरत के कपड़ा उद्यमी अब कोरोना से लड़ने के लिए काम करने वाले फ़्रंट लाइन वारियर्स के उपयोग में आने वाली पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन किट )का उत्पादन करने में जुट गए हैं।


सूरत में यश फैशन, लक्ष्मीपति ग्रुप और नोबेल टैक्स में पीपी सूट का उत्पादन शुरू किया है।बताया जा रहा है कि यह सूट 30 बार री यूज़ कर सकते हैं। साउथ इंडिया टैक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन ने इसे प्रमाणित किया है।


सूट बिल्कुल कारगर साबित है इसलिए इसको सर्टिफिकेट भी दिया गया है। सर्टिफिकेट मिलने के बाद लक्ष्मीपति ग्रुप में पांडेसरा जीआईडीसी क्षेत्र में पीपई सूट का उत्पादन भी शुरू कर दिया है। कोरोना के वायरस से बचने के लिए उपयोगी पीपीई सूट नॉन-वुवन यानी कि बिना बुने कपड़ों में से बनाया जाता है।


सूरत का कपड़ा उद्योग हमेशा से कुछ नया करने के लिए पहचाना जाता है नॉन-वुवन के बदले वूवन फैब्रिक में से पीपीई सुट तैयार कर टेक्सटाइल उद्योग को नई दिशा दी है। सूरत के पांडेसरा जीआईडीसी में यश फैशन ने भारत सरकार के मंत्रालय से मंजूरी लेकर प्रतिदिन 20000 पीपी सूट का उत्पादन शुरू कर दिया है। लक्ष्मीपति ग्रुप में भी प्रतिदिन 10000 सूट बनाना शुरू कर दिया है।

लक्ष्मीपति ग्रुप के संजय सरावगी ने बताया कि नॉन-वुमन एक ही बार उपयोग में लिया जा सकता है जबकि, वॉवन फैब्रिक से तैयार किया गया सुट कम से कम 30 बार पहन सकते हैं यह सूट 70 बार यूज हो सकता है। इस सूट के बारे में दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि नॉन वुवन सुट सिर्फ 4 घंटे ही पहन सकते हैं जबकि, वॉवन सुट 8 घंटे तक पहन सकते हैं। यह सिर से लेकर पांव तक होने के कारण पूरे शरीर को कवर करता है।


अन्य उद्यमी मनन गोंडलिया ने बताया कि गवर्मेंट ऑफ इंडिया की ओर से मंजूरी मिलने के बाद वह अपने डाइग मिल में पीपीई सूट तैयार कर रहे हैं। प्रतिदिन 60000 मीटर फैब्रिक से 20000 सूट का प्रोडक्शन किया जा रहा है। यह तमाम सूट भारत सरकार को सप्लाई किया जाएगा|

20 श्रमिक जा रहे थे पटरी पर ,सामने से आ गई ट्रेन फिर….


डेस्क
पश्चिम बंगाल में गत रोज अब औरंगाबाद की तरह रेलवे पटरी पर बड़ी दुर्घटना टल गई। यह घटना टलने से बड़ी संख्या में श्रमिकों की जान बच गई। मिली जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल के बिर्बहूम ज़िले में से झारखंड जा रहे श्रमिक एक नदी के पुल के पास पहुँचे तब सामने से इन्सपेक्शन वैन आ रही थी। ट्रेन के ड्राइवर नेश्रमिकों को दूर कई देखकर गाड़ी रोक दी। ड्राइवर के इस समय सूचकता से श्रमिकों की जान बच गई।

लॉकडाउन थ्री में अन्य राज्यों के श्रमिकों को कई शर्तों के साथ अपने वतन जाने की छूट दी गई है।ऐसे में कोई ट्रेन से तो कई पैदल ही अपने वतन के लिए निकल पड़े हैं।2 दिन पहले महाराष्ट्र से वतन की ओर जा रहे रही है जा रहा है श्रमिकों को औरंगाबाद मेंमालगाड़ी ने कुचल दिया।

ऐसी ही घटना गत रोज पश्चिम बंगाल में घटने से बच गई। पश्चिम बंगाल में लॉकडाउन के कारण बेरोज़गार श्रमिक पटरी पर से रहे थे वह बर्धमान ज़िले में से तारापीठ पहुँचे थे।वहाँ से वह पड़ोसी राज्य झारखंड की ओर जा रहे थे।जब वह ब्रामभणी नदी के पुल पर पहुँचे।इस दौरान सामने से इंस्पेक्टर वैन आ रही थी। बड़ी संख्या में श्रमिकों को देखकर इन्सपेकेशन वैन के श्रमिक ने ट्रेन को रोक लिया और घटना के बारे में स्थानीय पुलिस बल को जानकारी दी।कुछ देर में वहाँ पहुँचे पुलिस ने श्रमिकों को को झारखंड जाने की व्यवस्था करा दी।ड्राइवर के समय सूचकता ने बडी संख्या में लोगों की जान बचा ली।

चीन से 600 अरब डॉलर्स वसूली के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका!

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका कर्ता नें याचिका दायर कर कोरोना वायरस के कथित प्रसार पर भारत में नुक़सान के बदले चीन से 600 अरब डॉलर की मांग की है। इसने मांग की कि उच्चतम न्यायालय केंद्र सरकार को चीन से हर्जाने की वसूली के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में आवेदन करने का निर्देश दे।

याचिका में कहा गया कि इस बात के सबूत हैं कि कोरोना वायरस, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया था और भारत में हजारों लोगों का दावा किया था, चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से फैला था।
यह याचिका तमिलनाडु के मदुरै में रहने वाले एक व्यक्ति ने दायर की थी। इसमें कहा गया कि चीन ने जानबूझकर कोरोना वायरस को भारत के खिलाफ जैविक हथियार के रूप में विकसित किया। इस संबंध में एक आवेदन दायर किया जाए ताकि कोई भी व्यक्ति अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में न जा सके इसलिए केन्द्र सरकार इस सिलसिले में अर्ज़ी दाखिल करने का आदेश देने की माँग की गइ है।

लॉकडाउन के कारण सूरत की मद्रेसा में रूके 670 विधार्थी पहुंचे वतन!


सूरत
कोरोना के कारण सूरत की मद्रेसा इस्लामिया वकफ में अभ्यास करने वाले 670 विधार्थी रूक गए थे। इनकी गुहार पर सूरत कलक्टर धवल पटेल ने उनकी मदद की। कलक्टर ने उनके लिए तत्काल स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था कर दी। इसके माध्यम से उन्हें नौ मई को रात के डेढ बजे बिहार उनके वतन भेजा गया।

इनके साथ अन्य श्रमिक मिलाकर कुल 1195 लोग ट्रेन में गए। यह ट्रेन 24 घंटे का नॉन स्टॉप सफर कर बिहार पहुंचेगी। बताया जा रहा है कि शहर की मद्रेसा इस्लामिया वकफ में शहर की अलग-अलग  शाखाओं में बिहार के गरीब परिवारों के 14 से 22 वर्ष के बच्चे अभ्यास कर रहे है।

23 और 24 मार्च की तारीख को ट्रेन बुक कराई गइ थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण वह फंस गए थे। बिहार में उनके माता-पिता को चिंता होने से वह बारबार फोन कर रहे थे। लॉक़डाउन के कारण वाहन व्यवहार बंद होने से संचालक भी चिंतित हो गए थे। ऐसे में बिहार के लिए वतन जाने की मंजूरी मिलने के बाद संचालकों ने कलक्टर से मुलाकात कर अपनी चिंता व्यक्त की।

कलक्टर ने इस पर तुरंत ही व्यवस्था कर दी। इसके बाद बच्चों को सोशल डिस्टैंस के पालन के साथ, मास्क की व्यवस्था के साथ और जरूरी चैक-अप के बाद बिहार के पूर्णिया की ट्रेन में बिठा दिया गया।

तो इस तरह बढ़ा सूरत में कोरोना से जीतने वालो का दर
जहां कुछ गुजरात सहित देश के कई शहरों में कोरोना के आंकड़े तेजी से बढ़े हैं, वहीं सूरत में कोरोना से रिकवरी 52.9फीसदी तक पहुंच गई है। नगर निगम आयुक्त ने कहा कि नगर निगम द्वारा शुरू की गई डोर-टू-डोर सर्वे और तमाम सावधानियों के कारण रिकवरी रेट बढ़ा है।


इस बारे में जानकारी देते हुए सूरत के नगर निगम आयुक्त बंछानिधि पाणि ने कहा कि शनिवार शाम तक सूरत में 841 कोरोना के मरीज दर्ज हुए थे, इनमे से 37 मरीजों की मौत हो चुकी है। सूरत में, कोरोना के कारण मृत्यु दर 4.4 प्रतिशत है जबकि कुल 445 ठीक हो चुके है। सूरत में, कोरोना से ठीक होने वालों का रिकवरी रेट 52.9 प्रतिशत है। जो कि कल तक 49.5 प्रतिशत थी।

कमिश्नर ने कहा कि पालिका की टीम डोर टु डोर सर्वे के माध्यम से एआरआई के मरीजों के लगातार नजर बनाए हुए है। आज तक, कुल 25,000 मामलों का विश्लेषण किया गया है। ऐसे मामलों में लगातार फॉलो-अप किया जाता है। ऐसे मामलों में जो संदिग्ध दिखाई देते हैं, आरबीएक्सए डॉक्टर मरीज के घर-घर जाकर उसके लक्षणों के आधार पर परीक्षण शुरू करते हैं। नतीजतन, उनका इलाज जल्द से जल्द शुरू हो जाता है जैसे ही मामले मिलते हैं। जिससे रोगी के ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है।

सिर्फ़ कोरोना से बहुत कम लोग मरे, साथ में हो यह बिमारी तो…!!


सूरत
सूरत में बुधवार को करोना के 30 नए मामले सामने आए अब तक सूरत में रोना के 742 के आ चुके हैं। इसमें अब तक कोरोना के कारण 34 लोगों की मौत हो चुकी है| बुधवार को दो लोगों की मौत हो गई ।अब तक कुल 345 लोगों को छोड़ा जा चुका है।

सूरत महानगर पालिका के कमिश्नर बाज़ार में भी पानी ने बताया कि सूरत में कोरोना से ठीक होने वालों का रिकवरीरेट 46% से ऊपर है कोरोना की जाँच में पॉज़िटिव आने वालों का दर 5.4 प्रतिशत के क़रीब है जबकि सूरत में कोरोना से मरने वालों का दर साढ़े 4.6 प्रतिशत के क़रीब है!

कमिश्नर ने बताया कि सिर्फ़ कोरोना हो और मरीज़ की मौत हो जाए यह अनुपात बहुत ही कम है। जिन मरीज़ों को पहले से ही डायबिटीज़ या ब्लड प्रेशर आदि की बीमारी हो, उन्हें कोरोना के कारण ज़्यादा तक़लीफ़ होती है।पहले से ही बीमारी हो उन लोगों को कोरोना से भय ज़्यादा है। जिन मरीज़ों को सर्दी खासी या बुखार आदि के लक्षण ज़रा सा भी देखें उन्हें तुरंत ही नज़दीकी अस्पताल या फिर सिविल हॉस्पिटल में जाँच करा लेनी चाहिए। क्योंकि यदि शुरुआती दौर में ही कोरोना का पता चल जाता है तो उपचार बहूत ही असरकारक साबित होता है।

कोरोना वायरस के संक्रमण और फैलने से पहले तुरंत ही रोक लिया जाता है।मनपा कमिश्नर ने बताया कि लिंबायत ज़ोन मैं कोरोना के मरीज़ों की संख्या सब से ज़्यादा है। बुधवार को लिंबायत जॉन में कोरोना के 18 मामले सामने आए थे। इसके अलावा सेंट्रल जॉन में से और बाद में उधना झोन में कोरोना के मरीज़ों की संख्या ज्यादा है।

कमिशनर ने बताया कि बुधवार को सूरत में कोरोना से ठीक होने वाले 42 लोगों को डिस्चार्ज किया गया उन्होने बताया कि जिन क्षेत्रों में कोरोना के मरीज 10 से अधिक है वहाँ पर एक दो दिन में शाकभाजी और किराना की दुकानें बंद करवा दी जाएगी। इसलिए लोगों को इंतज़ाम कर लेना चाहिए।

10 दिन की सब्जी रख लो! सरदार मार्केट 9 से 14 मई तक बंद रहेगा!


सूरत
शहर में कोरोना मामलों की बढ़ती संख्या ने प्रशासन को चिंतित कर दिया है। शहर के मुख्य सब्जी बाजार सरदार मार्केट में भी कोरोना मामलों की संख्या देखते हुए सतर्कता के तौर पर  प्रशासन ने एपीएमसी को 9 मई से 14 मई तक बंद करने का फैसला किया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, शहर में वर्तमान स्थिति में कोरोना के 673 पॉजिटिव मामले हैं, जिनमें से सबसे अधिक संख्या लिंबायत क्षेत्र में पाई गई है। इसके बाद सेन्ट्रल जोन  उधना क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में केस मिले है।

कई क्षेत्रों में सब्जी विक्रेताओ के कारण कोरोना संक्रमण अधिक लोगों में फैलने के कारण सूरत महानगर पालिका द्वारा शहर भर के सब्जी विक्रेताओं का एक सर्वेक्षण भी शुरू किया गया है।  जिस तरह से कोरोना संक्रमण फैल रहा है, उसे देखते हुए सूरत महानगर पालिका ने एपीएमसी को 9 से 14 मई तक बंद करने का निर्णय लिया है। नगर आयुक्त बंछानिधि पाणि ने कहा कि लिंबायत के साथ-साथ वराछा क्षेत्र कोरोना पॉजिटिव केस की संख्या तेजी से बढ़ रही है ऐसे में एक या दो दिन में सब्जी और किराने की दुकानें बंद हो सकती हैं। इसलिए लोगों से 10 दिनों के लिए आवश्यक वस्तुओं को स्टोर करने की अपील की।

जिन क्षेत्र में 10 से अधिक कोरोना मरीज वहां पर किराना और शाकभाजी की दुकानें होगी बंद

सूरत महानगरपालिका ने शहर में कोरोना के बढते मरीजों की संख्या को देखते हुए मनपा ने जिन क्षेत्रों में बीते 10 से अधिक कोरोना पॉजिटिव केस मिले हैं वहां पर किराना और शाकभाजी की दुकाने बंद कराने के संकेत दिए हैं। इसलिए लोगों से एक-दो दिन में लोगों से जरूरत की चीजें खरीद लेने का आग्रह किया है।
सूरत के मनपा कमिशनर बंछानिधि पानी ने बताया कि जिन क्षेत्रों में कोरोना के मरीज ज्यादा है वहां पर शाकभाजी, मे़डिकल स्टोर और डेरी तथा किराना विक्रेताओं की जांच की गई थी, जिनमें से अब तक 16 लोगों का कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आया है। इनमें से चार लोग डेरी से जुड़ें है। एक भी दवाई विक्रेता नहीं है। उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों में कोरोना तेजी से आगे बढ रहा है।

लिंबायत क्षेत्र की बात करते हुए उन्होनें कहा कि बुधवार को भी लिंबायत से 18 मामले सामने आए। कमिश्नर ने कहा कि जिन क्षेत्रों में 10 से अधिक कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आए है वहां पर लोग एक दो दिन मेंअपने लिए आवश्यक किराना और शाकभाजी ले ले क्योंकि वहां पर इन दुकानों को बंद कराया जाएगा। जो दुकानदार बात नहीं मानेगा उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। 

10 दिन के लिए आवश्यक अनाज और शाक-सब्ज़ी खरीद लो!


सूरत
सूरत महानगरपालिका ने शहर में कोरोना के बढते मरीजों की संख्या को देखते हुए मनपा ने जिन क्षेत्रों में बीते 10 से अधिक कोरोना पॉजिटिव केस मिले हैं वहां पर किराना और शाकभाजी की दुकाने बंद कराने के संकेत दिए हैं। इसलिए लोगों से एक-दो दिन में लोगों से 10 दिन तक की जरूरत की चीजें खरीद लेने का आग्रह किया है।


सूरत के मनपा कमिशनर बंछानिधि पानी ने बताया कि जिन क्षेत्रों में कोरोना के मरीज ज्यादा है वहां पर शाकभाजी, मे़डिकल स्टोर और डेरी तथा किराना विक्रेताओं की जांच की गई थी, जिनमें से अब तक 16 लोगों का कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आया है। इनमें से चार लोग डेरी से जुड़ें है। एक भी दवाई विक्रेता नहीं है। उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों में कोरोना तेजी से आगे बढ रहा है। लिंबायत क्षेत्र की बात करते हुए उन्होनें कहा कि बुधवार को भी लिंबायत से 18 मामले सामने आए। कमिश्नर ने कहा कि जिन क्षेत्रों में 10 से अधिक कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आए है वहां पर लोग एक दो दिन में अपने लिए आवश्यक किराना और शाकभाजी ले ले क्योंकि वहां पर इन दुकानों को बंद कराया जाएगा।

जो दुकानदार बात नहीं मानेगा उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।उन्होंने लिंबायत और वराछा झोन के लोगों को भी यह सूचना दी। अब तक लोग शाकभाजी और किराना का सामान लेने के लिए निकल रहे थे इसलिए यह रोक लगाई जा रही है।

ओडिशा गए बस संचालक ओडिशा में फसे
सूरत से उड़ीसा में लग्जरी बस लेकर गए बस ड्राइवर वहां पर फस गए हैं।ओडिशा सरकार ने वहां पहुंचने के बाद इन सभी ड्राइवरों को एक गार्डन में उनकी बसें खड़ी कर रुकने का आदेश दिया है।इसके बाद से उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की जाने की शिकायत आज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है एक वीडियो में 20ड्राइवर एक साथ खड़े होकर यह शिकायत कर रहे हैं कि उड़ीसा में वह सूरत के उड़ीसा वासियों को लेकर गए थे।इसके बाद राज्य सरकार ने ओडिशा वासियों को एक स्कूल में क्वॉरेंटाइन कर दिया जबकि, इन बस ड्राइवरों के लिए एक बड़े से गार्डन में बस खड़ी करने की व्यवस्था है और इन ड्राइवरों को भी वहीं रहने का निर्देश दिया गया है।

1100 किलोमीटर जाने पैदल ही भूखे प्यासे निकल पड़ा दम्पति!!!


सूरत

लॉकडाउन के कारण लाखों लोग बेरोज़गार हो गए हैं। खाने पीने का ठिकाना नहीं है। ऐसे में वलसाड के पारडी में रहने वाला एक दंपति सतना जाने के लिए पैदल ही निकल पड़ा। सूरत से सतना लगभग 1100 किलोमीटर दूर है!


यह दंपत्ति मंगलवार को अपने डेढ़ वर्ष के बच्चे के साथ चला था। वहाँ से निकलकर बीआरसी के पास पहुँचते पहुँचते वह इतना थक गए थे कि फूटपाथ पर ही गिर पड़े। इतने में वहाँ से पेट्रोलिंग कर रही पुलिस की नज़र जब उन पर पड़ी तो पुलिस ने गाड़ी रोक कर उन से पूछा कहाँ जा रहे हो? पुलिस को अचानक देखकर डर गई औरत अपने पति और बच्चे की ओर देखने लगी और आँखों में पानी भर आया। इस दौरान उसके पति ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान व्यापार धंधा बंद हो जाने से खाने पीने के लिए रुपया नहीं है ऐसे में वह अपने वतन जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े।

पुलिसवालों ने ज़्यादा पूछताछ की तब पता चला कि वह लोग वलसाड की पारडी से आए हैं, और सतना जाना चाहते हैं। युवक ने बताया कि उसका नाम मोहन कौशल है। वह वलसाड के पारडी में मज़दूरी करता है। लेकिन लॉकडाउन के बाद काम धंधा बंद हो जाने से रोज़गार बंद हो गया है। उनकी इतनी कमाई नहीं है कि वह कुछ बचत करता कर सकें।

अभी तक सेवाभावी संस्था से मिलने वाली सहायता से कुछ दिन पर निकल गए लेकिन, अब दिन निकालना मुश्किल हो रहा था ।इसलिए उन्होने सोचा कि यहाँ भूखे प्यासे रहने से अच्छा 1100 किलोमीटर की दूरी धीरे धीरे काटकर अपने वतन पहुँच जाएँगे। यह सुनकर महिला पुलिस कर्मचारी भी दंग रह गयी।

यह परिवार दो दिन पहले से वलसाड से निकला है और एक दिन से भूखा था। इतनी बातें सुनकर पुलिस के कर्मचारियों ने उन्हें शेल्टर होम में भेज दिया वहाँ उनके भोजन की व्यवस्था की।दूसरे दिन उन्हें अपने वतन भेजने की व्यवस्था कर दी और मध्य प्रदेश जाने वाली बस में बैठाकर मानवता धर्म निभाया।