लॉकडाउन में बंद कंपनियों के नुक़सान का अरबों का क्लैम नहीं स्वीकार होगा!

कोरोना के कारण जहां उद्यमी पहले से ही परेशान है वहां धीरे धीरे व्यापार खोलने से उनकी समस्याएं तो हल हो रही है लेकिन, अभी भी उनको कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।


चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से मंगलवार को इंश्योरेंस इस इश्यूज विषय पर आधारित पर वेबिनार में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के चीफ रीजनल मैनेजर के.के रैना उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन डाउन के दौरान बंद कंपनियों में जो नुकसान होगा उसका कोई क्लेम नहीं मिलेगा। हालांकि बेजिक पॉलिसी के अंदर लॉस ऑफ प्रॉफिट लिया होगा तो उसके अंतर्गत फैक्ट्री में आग के दौरान जो नुकसान होता है उससे नुकसान का क्लेम मिल सकता है।

इसी तरह मशीनरी के लिए पॉलिसी हो ती है मशीनरी को फिजिकल डैमेज अथवा आग के कारण प्लांट बंद हो जाए तब रिकंस्ट्रक्ट होने में 6 महीने लग जाए उस समय दौरान यदि कोई सेल ना हो तब पिछले वर्ष की तुलना कर फैक्ट्री मालिक को बिजनेस इन्टरेप्शन क्लेम मिलता है।स्टॉक की कीमत मार्केट वैल्यू के अनुसार गिनी जाती हैं।तब बिल्डिंग और मशीनरी की कीमत अलग होती है।

अधिक जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि प्राकृतिक आपदा, लॉकडाउन, सप्लाई चैन का डिसपप्शन हो तो इस चीजें बिज़नेस इन्टरेपशन में नहीं आती। बड़ी कंपनियां जोकि अलग-अलग देशों में व्यापार करती हैं यह कंपनियां सप्लाई चैन डिसरप्शन हो तो इन मामलों में इंश्योरेंस पॉलिसी में स्पेशल डिजाइन कवर में लेती हैं। हालांकि, इंश्योरेंस के एसडीएफआई में स्टार्म, टायकून और साइक्लोन कवर किया जाता है।

रैना ने कहा कि दक्षिण गुजरात में बड़े पैमाने पर उद्योग हैं यहां के उद्यमियों को एंप्लाइज कंपनसेशन एक्ट के अंतर्गत कर्मचारियों के लिए मेडिकल पॉलिसी लेनी चाहिए। इस एक्ट के अंतर्गत फैक्ट्री में यदि कोई दुर्घटना होती है तो कर्मचारी यदि मर जाए अथवा अपंग हो जाए तो उसके परिवारजनों को आर्थिक मदद मिलती है।इसके अलावा प्रोडक्ट लायबिलिटी और कस्टमर लायबिलिटी के लिये भी पॉलिसी ले सकते है।

आर्थिक संकट से जूझ रही माता ने दो बच्चों को कुवें में फेंका


सूरत
हालोल तहसील के रायणवडिया गाँव में पति पत्नी के बीच हुए झगड़े में माता ने दो बच्चों को कुंवे में फेंक दिया।दोनों बच्चों की मौत हो गई।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हालोल तहसील के रायणवडिया गांव में रहने वाले प्रताप खीमजी राठवा मजदूरी काम करके अपने परिवार का गुजरात चलाते है।

लॉकडाउन में काम धंधा बंद हो जाने से घर खर्च चलाना मुश्किल हो गया था।इस सिलसिले में रविवार को प्रताप राठवा और उसकी पत्नी चंपाबेन के बीच झगड़ा हुआ झगड़े में उग्र होने के कारण चंपा बेन नाराज हो गई।कई दिनों से काम धंधा नहीं मिलने के कारण उनके यहां भोजन की समस्या भी होने लगी थी।इन कई कारणों से चंपा मैंने अपने दोनों बच्चों को कुवें में डाल दिया। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है और सत्य का पता लगा रही है।चंपाबेन के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई है।


उल्लेखनीय है कि कोरोना में लॉकडाउन के कारण देशभर में व्यापार धंधा बंद होने से लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं।श्रमिक वतन पलायन कर रहे हैं ।ऐसे में देहाडी मजदूरी करके गुजरान चलाने वालों की हालत भी पतली हो चुकी है। अब तक सामाजिक संस्थाएं और राज्य सरकार की ओर से मिलने वाली मदद पर सभी लोग आश्रित थे ।

अब सामाजिक संस्थाओं की ओर से मिलने वाली मदद लगभग बंद हो जाने के कारण कई लोगों को जीवन का निर्वाह चलाने में मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि राज्य सरकार की ओर से हर संभव प्रयास किया जा रहा है लेकिन फिर भी कहीं से छिटपुट घटनाएं सामने आ रही है।

प्रशासन का निर्देश-कोरोना में रमज़ान के दौरान बरतनी होगी सावधानी !

सूरत
शहर में बढ़ते कोरोना की परिस्थिति को देखते हुए मनपा सोशल डिस्टैंस पर ज़ोर दे रही है। जिन क्षेत्रों में कोरोना के पॉज़िटिव ज़्यादा है ऐसे क्षेत्रों में मनपा का फोकस ज़्यादा है।
रमजान पर्व शुरू होने जा रहा है। इस पर्व पर लोग समूह में होकर कोई कार्यक्रम नहीं करें इसलिए मनपा ने अपील की है। प्रशासन ने पहले ही अलर्ट जारी कर दिया है। लोगों से रमजान के दौरान एक साथ एक जगह पर जमा न होने की अपील की जा रही है।कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए प्रशासन ने अपने संदेश में साफ कहा है सोशल डिस्टेंसिंग के साथ त्योहार मनाया जाए। साथ ही चेतावनी दी कि इस दौरान जरा सी लापरवाही, पूरे शहर के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन सकती है। इसलिए सोशल डिस्टैंस का पालन करें और मास्क पहनें।

मनपा आयुक्त बंछानिधि पाणि ने आगामी दिनों में रमजान पर्व के दौरान लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है। उन्होंने कहा कि कोरोना के सामुदायिक प्रसार को रोकने के लिए एक जगह पर एकत्र होने से बचना होगा।

लिंबायत, वराछा और सेन्ट्रल ज़ोन में स्लम एरिया को क्लस्टर कन्टोनमेंट कर वहाँ रोकथाम के प्रयास शुरू किए गए है। उन्होंने कहा कि यहां आगामी दिनों में फीवर क्लीनिकों की संख्या बढ़ाई जाएगी। उन्होंने कहा कि शहर में जगह-जगह हैंड वाशिंग मशीनें रखने के प्रयास किए जा रहे हैं|
यहाँ सोशल डिस्टैंस का पालन करवाना बड़ी चुनौती!
सूरत महानगर पालिका ने स्लम क्षेत्रों में से कोरोना के मरीज मिलने के कारण वहाँ पर संक्रमण रोकने की कार्रवाई शुरू की है, लेकिन
स्लम क्षेत्रों में जनसंख्या ज्यादा होने के कारण मनपा के लिए वहां कई चुनौतियां आ सकती है। वहां सोशियल डिस्टैंस का पालन और मास्क का उपयोग करवाना मनपा के लिए कड़ी चुनौती बन सकता है।
लिंबायत, उधना और वराछा के स्लम क्षेत्रों में कोरोना के मामले सामने आने से मनपा ने इन क्षेत्रों को क्लस्टर कन्टेन्मेन्ट कर कार्यवाही शुरू की है।
सूरत के नगर आयुक्त बंछानिंधि पाणि ने कहा कि अब तक कोरोना के पॉज़िटिव मामलों मे लिंबायत ज़ोन में सबसे अधिक पॉज़िटिव 178 हैं। फिर सेंट्रल जोन और फिर वराछा ए में 52 मामले पाए गए हैं। जबकि उधना में 39 मामले सामने आए हैं। कोरोन के केस लिम्बायत, उधना और वराछा के स्लम इलाकों में मिले हैं।

कोरोना के बाद बढ सकती है बेरोज़गारी! बड़ी कंपनियाँ भी हाँफ गई!!

सूरत
कोरोना के कारण विश्व भर में महामारी फैली है। कोरोना ने जहां दुनियाभर में महामारी फैला रखी है , वहीं कोरोना के बाद भी हालात मुश्किल नज़र आ रहे है। कोरोना का असर कब समाप्त होगा कह पाना कठिन है लेकिन , कोरोना ठीक होने के बाद भी गाड़ी पटरी पर आने में कम से कम छह महीने लग जाएँगे। ऐसे में बड़े बड़े कोर्पोरेट सेक्टर और उधोगो के लिए भी आगे की डगर संघर्ष पूर्ण नज़र आ रही है।

कई कंपनियाँ कर सकती हैं छँटनी, बेरोज़गारी का भय

कोरोना के बाद दुनिया भर में बड़े पैमाने पर बेरोज़गारी फैलने की आशंका व्यक्त की जा रही है ।इसका उदाहरण अभी तक नज़र आने लगा है ।कई बड़ी कंपनियों ने केंद्र सरकार की ओर से लॉकडाउन के दौरान पूरा वेतन दिए जाने की घोषणा के बावजूद अपने कर्मचारियों को आधा -तिहा वेतन देकर मना लिया ।कोरोना के कारण लॉकडाउन को अभी एक महीना ही हैं हुंआ है कि बड़े बड़े कोर्पेरेट और कई कंपनियाँ हाँफ गई है उन्होंने अंजाने वाले दिनों के लिए अपने कई प्लान में बदलाव कर दिए। नए प्रोजेक्ट और निवेश पर रोक लगा दी। इसका सीधा असर रोजगारी पर होगा।

नोटबंदी और जीएसटी से पहले से प्रभावित थे

नोटबंदी और जीएसटी के चलते कई सेक्टर पहले से प्रभावित थे। भारत में जनवरी से लेकर मई महीना शादी-ब्याह का सीजन रहता है। इस दौरान कपडे, ज्वैलरी, वाहन आदि की जमकर ख़रीद लोग करते है, लेकिन इस बार सीजन शुरू होते ही कोरोना का ग्रहण लग गया। यदि अभी से यह हालात है तो आनेवाले दिनों में क्या होगा अंदाज लगाया जा सकता है।

कोर्पोरेट सेक्टर को लड़नी है लंबी लड़ाई
सभी सेक्टर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर हो ट्रेडिंग या अन्य पर सेक्टरो कोरोना के कारण चौपट हो गए। व्यापार धंधे बंद होने के कारण में श्रमिकों की आमदनी घट गई है ।जहाँ परश्रमिक पर दो वक्त की रोटी के लिए परेशान है ।वहीं पर कॉर्पोरेट सेक्टर बिज़नस चौपट हो जाने से परेशान है।कोरोना समाप्त होते ही तुरंत ही व्यापार नहीं निकल पड़ेगा इसके लिए भी दो से तीन महीने का कम से कम समय लगेगा। कंपनियां मात्र एक महीने में कर्मचारियों का वेतन नहीं चुका पाई वह दो-तीन महीने भला किस तरह कर्मचारियों का निर्वाह कर पाएंगे?

ग्रामीण क्षेत्रों से होने वाली ख़रीद को लगा झटका
भारत का अर्थतंत्र बड़े तौर पर ग्रामीण क्षेत्र पर टिकी है। कोरोना के कारण वहाँ भी लोगों की आय पर चोट पहुँची है। ग्राम्य क्षेत्रों में रहने वाले भी कई लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर से शहर पर टिके हैं ।शहर में बंद का माहौल होने से उनकी हालत भी पतली है एैसे में किसी भी सेक्टर में जल्दी रिकवरी मुश्किल है।

अपने खर्च से ही लाचार कोर्पोरेट सेक्टर

कोरोना कारण व्यापार नहीं होने से वैसे भी कंपनियां बहुत नुक़सान कर रही हैं एक ओर जहाँ उनके स्थानीय ख़र्च भी बढ़ा है वहीं दूसरी ओर बैंकों के लोन ब्याज मंत्री पर टैक्स किराया आदि वे निकालने की जद्दोजहद उन्हें करनी पड़ेगी ।एक और व्यापार बंद बद है और दूसरी ओर बढ़ते ख़र्च ऐसे में किसी के लिए भी सँभल पाना मुश्किल है।

सरकार से उम्मीदे

भारतीय उधोग जगत को इस बुरे वक्त में सरकार से बड़ी उम्मीदें है। कई संगठनों ने सरकार से खुलकर गुहार लगाना भी शुरू कर दिया है। दरअसल वह राज्य और केन्द्र सरकार दोनों से उम्मीदें लगा रहे है। राज्य सरकार से उनकी उम्मीद है कि वह स्थानीय टैक्स में रियायत दे। कुछ महीनों तक बिजली बिल नहीं ले और उनकी पैंडिंग सब्सिडी लौटाए। वहीं केन्द्र सरकार से भी वर्तमान बैंक लोन में रियायत के साथ ही नए लोन की व्यवस्था करे। नई योजना शुरू करें। साथ ही पेन्डिंग सब्सिडी जल्दी जी जाए ।

क्लीनिक मॉल और दुकानों में सैनिटाइजर अनिवार्य नहीं तो 25,000 का दंड

सूरत
कोरोना के तेजी से बढ़ते आंकड़ों ने प्रशासन के हाथ-पांव फुला दिए हैं ।गंभीरता को समझते हुए प्रशासन अब किसी भी प्रकार की कोताही चला लेने के मूड में नहीं है ।मंगलवार से शहर में कार्यरत क्लीनिक, मॉल ,जनरल स्टोर ,किराने की दुकान आदि सभी जगह संचालकों को ग्राहकों के लिए सैनिटाइजर रखना अनिवार्य है ।नहीं तो ₹25000 का दंड दिया जाएगा ।

एपेडेमिक डीसिज एक्ट के तहत होगी कार्रवाई

मिली जानकारी के अनुसार सूरत मुंसिपल कमिश्नर ने सोमवार की शाम को सैनेटाइजर अनिवार्य होने की घोषणा की । कोरोना के कारण अब तक शहर में मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी था ।मंगलवार से मॉल , जनरल स्टोर , आदि में भी सैनिटाइजर रखने की सूचना दी गई है ।जो लोग इसका उल्लंघन करेंगे उन्हें एपिडेमिक डिसिज एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा ।साथ ही ₹25000 भी देना पड़ेगा ।

शहर में तीन स्थान रेड ज़ोन घोषित

शहर में तीन स्थानों को रेड ज़ोन घोषित किया गया है जिसमें रांदेर, बेगमपुरा हॉस्पिटल और लोखात होस्पिटल शामिल है ।सूरत में कल कोरोना के नौ पॉजिटिव मामले एक साथ सामने आने पर प्रशासन चिंता दोगुनी हो गई है ।

कम्युनिटी टेस्ट के कारण बढ़े पॉज़िटिव मामले

शहर में मनपा ने कोरोना को फैलते रोकने के लिए कम्युनिटी टेस्टिंग शुरू की है ।इसके चलते कोरोना पॉज़िटिव की संख्या बढ़ रही |है अब तक एक साथ इतनी बड़ी संख्या में कोरोना पॉजिटिव सामने नहीं आए थे ।सूरत में अब कोरोना पॉजिटिव की संख्या 40 के करीब पहुंच गई है ।इन सभी बातों को देखते हुए मनपा ने शहर में तमाम सुपर स्टोर जनरल स्टोर दुकान क्लीनिक आदि पर भी सावधानी के लिए सैनिटाइजर के निर्देश दिए हैं ।


जारी किया परिपत्र

इस सिलसिले में एक पत्र भी जारी कर दिया गया है ।सोमवार को सोशल डिस्टैंस का पालन नहीं करने वाले 153 लोगों से ₹31000 और मास्क नहीं पहनने वाले पाँच लोगों से ₹25000 का दंड वसूला गया ।इसके अलावा शहर में निजी वाहनों पर प्रतिबंध है ।निजी वाहन लेकर घूमने वाले 3 लोगों से 15 सो रुपए का दंड लिया गया।

आज हो सकती है लॉकडाउन को लेकर घोषणा, कई उधोगों को छूट देने पर विचार!

डेस्क
21 दिनों के लॉकडाउन के बाद छूट मिलेगी या लोग डाउन आगे बढ़ेगा इस पर आज सरकार की ओर से बड़ी घोषणा हो सकती है। कोरोना के संक्रमित मरीज़ों। की बढ़ती संख्या को देखते हुए कई राज्यों ने लोग डाउन बढ़ाने की मांग की है। कई लोग बेरोजगार हो चुके हैं और व्यापार धंधा चौपट हो चुका हैं। ऐसी कई समस्याएं उत्पन्न हुई है।ऐसे में देखना यह है कि केंद्र सरकार लॉकडाउन बढ़ाती है या समाप्त हो जाता है।

आज हो सकती है घोषणा
हालांकि एक जानकारी है अभी सामने आ रही है कि कुछ छूट के साथ केंद्र सरकार लॉकडाउन बढ़ाने का घोषणा कर सकती है। मिली जानकारी के अनुसार कोरोना पर नियंत्रण पाने के लिए केंद्र सरकार ने 22 मार्च से देशभर में लॉकडाउन कर दिया था। इसके बाद से देश में सभी कुछ बंद है। बिना जरूरत के लोगों को निकलने पर पाबंदी लगा दी गई है।यूपी, पंजाब, गुजरात सहित कई राज्यों में तो मास्क पहनना भी अनिवार्य कर दिया गया है।

सरकार लोगों की रोजगार को लेकर गंभीर
लॉकडाउन के कारण संक्रमण पर काबू पाया जा रहा है। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि जो लोग रोज कमा कर खाते थे उनका जीना मुश्किल हो गया है।इन कई मुद्दों को देखते हुए सरकार गंभीरता से विचार कर रही है इसलिए सरकार सोश्यल डिस्टैंस के साथ कुछ सेक्टर में काम चालू रखने पर सोच सकती है।

कई राज्य लॉकडाउन बढ़ाने की कर चुके हैं माँग
दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विविध राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस पर योगदान को लेकर चर्चा की थी। इसमें कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने लॉकडाउन बढ़ा दिया जाए ऐसी गुहार लगाई थी। पश्चिम बंगाल, पंजाब ,यूपी ,और महाराष्ट्र में तो लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा भी कर दी है अब अन्य राज्यों में लोकडाउन बढ़ेगा या समाप्त हो जाएगा इसे लेकर सरकार बड़ी घोषणा कर सकती है ।

इन सेक्टर में मिल सकती है छूट
बताया जा रहा है कि उद्योग मंत्रालय ने टेक्सटाइल, बांधकाम जेम्स एंड ज्वेलरी उद्योग तथा स्ट्रीट वेंडर को लॉकडाउन में छूट देने की मांग की है। हालाँकि इस स्थिति में अंतिम निर्णय तो प्रधानमंत्री का ही रहेगा लोक में यदि छूट देने से कोरोना का संक्रमण फैलने का भय रहता है तो इन्हें छूट नहीं दी जाएगी । कुछ देर के लिए बाज़ार भी खुल सकते है, लेकिन सोशल डिस्टैंस का पालन अनिवार्य होगा।


इस तरह से होगा फ़ैसला
बताया जा रहा है कि राज्यों को के अनुसार रेड ऑरेंज और ग्रीन जोन में बांटकर निर्णय लिया जाएगा हॉटस्पॉट है उन्हें रोड जॉन में माना जाएगा वहां सब बंद ही रहेगा जहां पर ऑरेंज ग्रीन जोन होंगे वहां बाजार खुल सकते हैं खाना कि उनका समय मर्यादित रहेगा ।

सामाजिक आयोजन फिर भी प्रतिबंधित रहेंगे ।गुजरात की बात करें तो यहां अहमदाबाद में सबसे अधिक कोरोना पॉजिटिव के मामले सामने आए हैं।देशभर में दिहाड़ी पर में काम करने वाले लाखों लोग बेरोज़गार बैठे है ।उनकी नज़र लॉकडाउन के फ़ैसले पर टिकी है।

दुनिया में एक लाख सात हज़ार लोगों को निगल चुका है कोरोना

डेस्क
कोरोना वायरस का आतंक कब समाप्त होगा पता नहीं, लेकिन जाते -जाते बड़ी जानहानी कर के जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार अब तक कोरोनावायरस से दुनियाभर में 17 लाख 85 हजार लोग संक्रमित हैं। एक लाख सात हज़ार की मौत हो चुकी है। इसमें अमरीका के 20,500 से अधिक है।

दुनिया में अब तक जितने लोग कोरोना से संक्रमित है उनमें चार लाख पाच हज़ार लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं।शनिवार को अमरीका के लिए और चिंताजनक समाचार आई कि अमरीका से युद्ध पोत थियोडोर रूजवेल्ट के 4,800 सदस्यों में 525 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। आनन-फ़ानन में उनके जाँच और उपचार का इंतज़ाम किया गया।


ब्रिटन में भी कोरोना से मरने वालों की संख्या तेज़ी से बढ रही है। मिले आंकड़े के अनुसार रविवार रात कोरोना के मृतकों का आँकड़ा 10 हजार के पार हो गया।ब्रिटन में अब तक 10 हजार से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित होने के बाद मौत के शिकार बने। करीब 85 हजार संक्रमित हैं।

एक चिंता की बात यह है कि ब्रिटेन में कोरोना संक्रमण में अभी कोई कमी नहीं दिख रही। इसके अलावा बेल्जियम में 3300,फ़्रांस मे तेरह हज़ार और चीन में 3200 लोगों की जान जा चुकी है|अमेरिका में बीते 24 घंटे में 1950 लोगों की मौत हो गई ।अमेरिका में शुक्रवार को 29 हजार से ज्यादा नए केस मिले। अब तक कुल पांच लाख 34 हज़ार लोग संक्रमित हो चुके हैं।

भारत की बात करें तो भारत में अब तक नौ हज़ार से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। इसमें महाराष्ट्र में सबसे अधिक 2000 संक्रमित है और 125 लोगों की जान जा चुकी है इसके बाद तमिलनाडूमें 11सौ में से दस लोगों की जान जा चुकी है!


इसी तरह राजस्थान में आठ सो में से नौ और मध्य प्रदेश में 550 लोगों में से 40 लोगों की मौत हो चुकी है। देश के अन्य राज्यों में भी यही हालात है।भारत में लॉकडाउन बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। संभवत: अप्रेल के अंत तक लॉकडाउन बढ़ा देने के आसार हैं।

कोरोना का बदलता रूप, बढ़ेगी चुनौती!!

डेस्क
कोरोना के बदलते रूप ने दुनियाभर के डॉक्टर्स के सामने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। विदेशों में जांच के दौरान कई देशों में कोरोना के मरीज़ों में लक्षणों में कुछ परिवर्तन आ रहा है। अब तक कोरोना वायरस का लक्षण सर्दी और खांसी तथा बुखार के रूप में ही दिखाई देता था, लेकिन अब इसका असर पेट, दिमाग और फेफड़े पर भी दिख रहा है।

विदेशों में मरीज़ों मे दिखे नए लक्षण
हाल में ही विदेश में मिले कुछ मरीजों में पेट में तकलीफ और दस्त जैसे लक्षण भी पाए गए है ।बताया जा रहा है कि कोरोना अब और घातक साबित हो रहा है। मरीजों में नई नई शिकायत मिलने पर कोरोना पर जाँच कर रहे विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना आप लोगों के दिमाग तक संक्रमण फैला रहा है ।इस कारण सिर दर्द और दिमाग में सूजन की समस्या भी बढ़ रही है।


अब तक सर्दी-खांसी और बुख़ार का लक्षण था
कोरोना के सामान्य लक्षण मैं अभी तक डॉक्टर्स यदि मरीज को खांसी बुखार या सर्दी की दिक्कत कुछ दिनों से दिख रही हो तो कोरोना हो सकता है ऐसा कहते थे। लेकिन अब से कोरोना के कारण लोगों के पेट में दर्द और दस्त भी हो रही है।

इसके अलावा शरीर में दर्द और अकड़न भी हो रही है। कई मरीज बताते हैं कि कुछ लोगों का कहना है कि कोरोना के संक्रमण के कारण सूंघने की शक्ति क्षीण हो जाती है। सामान्य तौर पर कोरोना रोग प्रतिकारक शक्ति कम हो ऐसे मरीजों को जल्दी असर करता है।

डॉक्टर्स के सामने नई चुनौती
कोरोना के इस बढ़ते रूप में दुनिया भर के डॉक्टर के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है कोरोना के वर्तमान का भी अभी तक इलाज नहीं मिल पाया है। ऐसे में रूप बदलता कोरोनी दुनिया के देशों के लिए और घातक साबित हो सकता है ।

भारत में बढ रहे पीड़ित
भारत में पीड़ितों की संख्या 8 हज़ार से अधिक पहुंच चुकी है।260 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है ।भारत सरकार को रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास कर रही है ।हालांकि भारत में अभी तक कई कोरोना के इलाज के बाद ठीक कर भी भेजा जा चुका है ऐसा नहीं है ,कि कोरोना के संक्रमण में सफल नहीं हो रहा है ।

क्योंकि बड़ी संख्या में ऐसे मामले भी हैं जिनमें की कोरोना के संक्रमण के बाद मरीज ठीक हुए हैं ।हालांकि विदेश में जिस तरह को रोना के लक्षण बदल रहे ।हैं उससे यह तो तय है कि आने वाले दिनों में डॉक्टर के सामने भी कोरोना का उपचार एक चुनौती के तौर पर उभरेगा।

लसकाणा में रैपिड एक्शन फोर्स की टुकड़ी पहुँची

सूरत
शहर के लसकाणा क्षेत्र में शुक्रवार की रात श्रमिकों ने वतन जाने की माँग के चलते कई स्थानों पर तोड़फोड़ की और आग लगा दी थी। इस घटना के कारण शनिवार को इस क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए रैपिड एक्शन फ़ोर्स की टुकड़ी भेज दी गई है।

बताया जा रहा है कि लॉकडाउन के कारण बेरोज़गार श्रमिक शुक्रवार की रात को वतन जाने की माँग के साथ मैन रोड पर आ गए पुलिस ने जब उन्हें रोकने का प्रयास किया तब धमाल मचाना शुरू कर दिया ।देखते देखते बार में उन्होंने कई लारियाों को आग लगा दी।वाहन आदि जला दिए ।पुलिस ने बाद में इन पर क़ाबू पा लिया।इस क्षेत्र में परिस्थिति तनावपूर्ण होने के कारण शनिवार को रैपिड एक्शन फ़ोर्स की टीममैदान में आ गई है।

क्या था पूरा मामला
लसकाणा क्षेत्र में कई एंब्रॉयडरी और लूम्स के कारखाने आए हैं ।जहां की हजारों की संख्या में प्रांतीय श्रमिक नौकरी करते हैं और आसपास के क्षेत्र में ही रहते हैं ।21 दिनों के कारण उनके पास रुपए घटने लगे हैं।

सामाजिक संस्थाएं भोजन की व्यवस्था तो कर रही हैं, लेकिन उन्हें यह पसंद नहीं कि बार-बार किसी के सामने हाथ फैलाए और ऐसा कब तक चलेगा यह सोचकर श्रमिकों ने वतन जाने की सोच रखा था।लिखा जा रहा है तब तक पुलिस ने स्थिति पर काबू पा लिया है।आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भी पहुंच चुकी हैं।

पहले भी हो चुकी है बवाल
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले पांडेसरा में भी श्रमिकों ने वतन जाने की माँग के साथ पुलिस के साथ बवाल की थी ।यदि श्रमिकों के लिए लॉकडाउन के दौरान और व्यवस्था नहीं की गई तो कई अन्य क्षेत्रों में भी इस तरह का बवाल देखा जा सकता है ।फ़िलहाल प्रशासन अपनी ओर से सारी व्यवस्था में लग गया है।लॉकडाउन बढ़ेगा या नहीं इसको लेकर एक दो दिन में फ़ैसला आ जाएगा।

जहां जाने से सब डरते है-कोरोना मृतकों का अंतिम संस्कार कर दिखाई मानवता

सूरत
कोरोना की महामारी के समय में जरूरतमंद लोगों को भोजन कराने वाले तो कई संगठन हैं,लेकिन एक ऐसा भी संगठन है जोकि अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना से जिनकी मौत हो जाती है ।उनकी अंतिम विधि में मदद कर रहा है ।


हम सूरत शहर के एकता ट्रस्ट की बात कर रहे हैं, जिसके सदस्य अपनी जान की परवाह किए और किसी जाति-पातिका भेदभाव रखे बिना इस सेवा कार्य में जुट गए हैं । सूरत महानगर पालिका ने कोरोना कि महामारी में जिन लोगों की मौत हो जा रही है।उनकी, अंतिम विधि के लिए एकता ट्रस्ट की मदद लिए गुहार लगाई है। कोरोना से मृतकों का अंतिम संस्कार सरकार की गाइडलाइन के अनुसार किया जाता है।

लंबे समय से मानवता का काम
कई बार तो किसी की मृत्यु के बाद जब परिवार जन भी संक्रमण से डरते हैं।ऐसे में, एकता ट्रस्ट का यह कार्य बहुत सराहनीय है ।ट्रस्ट के 20 सदस्य अंतिम विधि में मदद देते हैं ।ट्रस्ट में कुल 40 सदस्य हैं।
एकता ट्रस्ट सूरत शहर में लंबे समय से मानवता का काम कर रहा है।

कोरोना मृतकों के लिए गाइड लाइन

एकता ट्रस्स्ट लंबे समय से शहर में जिन लाशों का कोई वारिश नहीं मिलता ।ऐसी लावारिस लाशों को अंतिम संस्कार मानवता का काम करता है।कोरोनाके कारण जिनकी मौत हो जाती है उनके लिए सरकार की ओर से गाइडलाइन है उसी के अनुरूप अंतिम संस्कार करना होता है ।ऐसे में डेड बॉडी को ले जाने के लिए सूरत महानगर पालिका ने एकता ट्रस्ट से गुहार लगाई थी।

विशेष प्रकार की किट

मृतकों को के अंतिम संस्कार के लिए विशेष व्यवस्था रखी जाती है।ताकि अन्य लोगों को भी इन्फेक्शन ना लग सके ।लाश ले जाने वाले के लिए विशेष प्रकार की किट है ।यह किट पहन के वह लाश को से से स्मशान घाट ले जाते हैं।यदि परिवार जन मिलना चाहे तो भी उन्हें दूर से दर्शन कराया जाता है।

विधी से किया जाता है अंतिम संस्कार

यदि मृतक हिंदू हो तो उसे 40 डिग्री टेंपरेचर तक तापमान में दाह संस्कार का जाता है और मुस्लिम को 10 फीट से अधिक गड्ढे में दफनाया जाता है,और केमिकल छांटा जाता है ।सूरत में अभी तक कोरोना के कारण चार लोगों की मौत हो चुकी है और शंकास्पद कोरोना के कारण 7 लोगों की जान जा चुकी है।