भारत में इन दिनों कोरोना की दूसरी लहर चल रही है। देश के कई राज्यों में बड़ी संख्या में मरीज़ आ रहे है। सरकार की ओर से वैक्सिन के लिए ज़ोर दिया जा रहा है । ऐसे में केंद्र सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय की ओर से नई एडवाइजरी धोषित की गई है। इस नई एडवाइजरी की सहायता से SARS Cov-2 वायरस के संक्रमण को कम किया जा सकता है।
भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय ने बयान में कहा कि एरोसोल और ड्रॉपलेट्स वायरस के फैलने से रोकने में मदद करते हैं। एरोसोल हवा में 10 मीटर तक जा सकते हैं। जबकि संक्रमित व्यक्ति के दो मीटर के दायरे में ड्रॉपलेट्स गिरी रहती है। भले ही किसी संक्रमित व्यक्ति में कोई लक्षण न हो, पर उसमें से संक्रमण फैलाने के लिए पास पर्याप्त ड्रॉपलेट्स निकल सकती है। जो दूसरे लोगों को भी संक्रमित कर सकता है।
जब कोई संक्रमित व्यक्ति छींकता है, बात करता है, बोलता है, गाता है, हंसता है या खांसता है या छींकता है तो लार और नाक के मार्ग से बूंदों और एरोसोल का निर्माण हो सकता है। जो वायरस के संचरण को फैला सकता है। गाईडलाइंस में यह भी स्पष्ट किया गया है की सभी को डबल मास्क या N95 मास्क पहनना चाहिए। वायरस के संचरण को रोकने और संक्रमण की दर को कम करने के लिए नागरिकों, समाज, स्थानीय तंत्र के साथ-साथ अधिकारियों का समर्थन आवश्यक है। मास्क, वेंटिलेशन, डिस्टेंस, हाइजीन के इस्तेमाल से ही कोरोना के सामने की इस जंग को जीता जा सकता है।
नई एडवाइजरी के अनुसार अच्छे वेंटिलेशन के कारण, एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे में वायरस के संक्रमण का जोखिम बहुत कम होता है। ऑफिस और घर में अच्छा वेंटिलेशन हो तो संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है। कार्यालय और घर में वेंटिलेशन के संबंध में, यह सुझाव दिया गया है कि सेंट्रल एयर मैनेजमेंट सिस्टमवाली इमारतों में सेंट्रल एयर फिल्टर में संशोधन कर काफी बड़ा बदलाव किया जा सकता है। ऑफिस, ऑडिटोरियम, शॉपिंग मॉल आदि में गैबल फैन सिस्टम और रूफ टॉप वेंटिलेटर का इस्तेमाल करने की सलाह भी दी गई है।पंखा ऐसी जगह नहीं होना चाहिए जहां से दूषित हवा सीधे व्यक्ति तक ना पहुंच सके।