कोरोना ने पिछले पांच महीनों में देश के खुदरा व्यापार को 19 लाख करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है। लॉकडाउन के तीन महीने बीत चुके हैं, लेकिन भुगतान वापस न मिलने के कारण व्यापारियों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसके चलते कई व्यापारियों के लिए बडी मुसीबत खडी हो गई है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेन्द्रा शाह और गुजरात रीजन के अध्यक्ष प्रमोद भगत ने कहा कि देश भर के खुदरा बाजार का मूल्य विभिन्न राज्यों के 20 प्रमुख शहरों से लिया जाता है। इनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, नागपुर, रायपुर, भुवनेश्वर, रांची, भोपाल, सूरत, लखनऊ, कानपुर, जम्मू, कोचीन, पटना, लुधियाना, चंडीगढ़, अहमदाबाद, गुवाहाटी शामिल हैं।
इन शहरों में विक्रेताओं से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर, यह पता चला है कि कोरोना देश के व्यापार और उद्योग पर बुरा असर डाल रहा है। लोग कोरोना से डरते हैं इसलिए वह बाजार में नहीं आ रहे हैं। पड़ोसी राज्य या शहर से सामान खरीदते समय वे अधिक भय महसूस करते हैं।
इसके अलावा, ट्रेन, परिवहन सहित उपलब्धता की कमी के कारण वस्तुओं के आवागमन की भी समस्या है।वर्तमान में, स्थानीय व्यापार बुरे दौर से गुजर रहा है और खुदरा व्यापार सभी तरफ से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रहा है और अगर इसे सुधारने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो देश भर की 20 प्रतिशत दुकानें बंद होने के लिए मजबूर हो जाएंगी। जिससे बड़ी संख्या में बेरोजगारी की आशंका पैदा होगी।
कैट ने सरकार से व्यापारियों की मौजूदा स्थिति पर नजर रखने और खुदरा कारोबार को फिर से स्थापित करने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है। कैट ने मांग की है कि वर्तमान में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बैंकों को निर्देश दिया है कि बैंक व्यापारियों को ब्याज देने के लिए मजबूर न करें। जबकि, सरकार अन्य क्षेत्रों के लिए ऋण माफ कर रही है। व्यापारी बस मांग कर रहे हैं कि वर्तमान में कोई शुल्क नहीं लगाया जाए और कोई जुर्माना न लगाया जाए।