अमेरिका की 100 से अधिक नर्स क्यों आना चाहती हैं भारत?

कोरोना की दूसरी लहर भारत के लिए बहुत घातक साबित हो रही है। कोरोना की दूसरी लहर ने भारत की मेडिकल व्यवस्था को चरमरा दिया है। दुनिया के कई देशो ने ऐसे में भारत की दवा और इंजेक्शन की मदद की है। भारत में भी कई सामाजिक संस्थाओ और औद्योगिक संगठनों ने अपनी जिम्मेदारियां निभाई है।

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ऐसे में अमेरिका से 100 से अधिक नर्स भारत आना चाह रहे है। भारत सरकार से इस बारे में वीजा और अन्य सभी मुद्दों पर बातचीत हो रही है। नर्सों के इस ग्रुप को नर्स ऑन ए मिशन नाम दिया गया है। इन सभी नर्स की इच्छा है की जून के पहले सप्ताह के पहले वह भारत आ जाये। 
नर्स चेल्सिया वोल्श ने इसकी पहल की है। सोशल मीडिया ग्रुप में भारत की अस्पतालों और सामूहिक अंतिम संस्कार की कुछ तसवीरों को शेयर करते हुये उन्होंने लिखा की यह सब देखकर हम दुखी है, इसलिए उन्होंने भारत आना चाहती है।

वोल्श इसके पहले भी भारत में एक अनाथालय में सेवा दे चुकी है। उन्होंने कहा की इस पोस्ट के बाद लगातार उनका फोन बज रहा है। भारत की मदद के लिए कई नर्स द्वारा उनका संपर्क किया गया है। वोल्श का कहना है कि भारत के मेडिकल प्रोफेशनल्स को उनकी मदद कि जरूरत है। वह कुछ चमत्कार तो नहीं कर सकते, पर अपनी पूरी कोशिश जरूर कर सकते है। 

वोल्श भारत में अपनी सेवा देने के लिए इच्छुक नर्सों का ध्यान रखेगी । अधिकतर नर्स इन सभी तकलीफ़ों के बावजूद अपनी सेवा देने के लिए तैयार है। यह टीम बिना किसी शुल्क के अपनी सेवा देंगी। कुछ नर्स भारत आने के ट्रिप नहीं उठा सकती। इसलिए क्राउड़ फंडिंग 36 लाख रुपए जमा करने की कोशिश की जा रही है। जिसमें रविवार तक 12 लाख जमा हो चुके है। दुनिया के कई देशो ने भारत की मदद के लिए हाथ बढाए हैं।

महाराष्ट्र से आ रही बसों में बड़ी संख्या में आ रहे कोरोना संक्रमित

सूरत में कोरोना के मामलों में लगातार तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है। प्रशासन की सभी तैयारियों को बावजूद कोरोना तेज़ी से बढ़ रहा है। रविवार को 649 मामले दर्ज हुए। इसके सीए गुजरात के पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र से भी सूरत में बड़ी संख्या में आ रहे कोरोना संक्रमितो को ज़िम्मेदार माना जा रहा है।


शुक्रवार की रात को पालिका के कर्मचारियों ने जब पलसाणा में बस की जांच की तो एक ही लग्जरी बस में आने वाले 52 यात्रियों को कोरोना था। पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के सरकारी हॉस्पिटल कोरोना से भरे हैं। इसलिए प्रतिदिन बड़ी संख्या में कोरोना के मरीज सूरत आ रहे हैं।

सूरत आने वाली एक बस को पलसाना के पास जब महानगर पालिका के कर्मचारियों ने रोका तो इसमें 56 के बजाय पर 65 यात्री भरे हुए थे। रैपिड टेस्ट करने पर 52 यात्रियों को कोरोना पॉजिटिव था।


कई यात्रियों को क्वारंटाइन तो कुछ को सिविल हॉस्पिटल में दाखिल करना पड़ा। आपको बता दें कि महाराष्ट्र में कोरोना का उपचार महंगा होने के कारण महाराष्ट्र के लोग गुजरात और सूरत का रुख कर रहे हैं। महाराष्ट्र आने वाली लग्जरी बसें नहीं रोकी गई तो सूरत में भी कोरोना विस्फोट होने में देर नहीं लगेगी।

महाराष्ट्र में जिस तरह से कोरोना फैल रहा है। उसके कारण वहां पर रहने वाले अन्य लोगों में भय बैठ गया है। एक बार फिर से लॉकडाउन की आशंका के चलते वहां पलायन शुरू हो गया है। लोग अपने गांव की ओर जा रहे हैं। कुछ लोग सूरत चले आ रहे हैं।सूरत में कई लोगों के परिचित रहते हैं। इसलिए वह सूरत की ओर रूख कर रहे हैं। महाराष्ट्र से सूरत में प्रतिदिन 60 से 70 बसें आती हैं। इनमें हजारों यात्री सूरत आ रहे हैं। जिनमें की नंदुरबार,जलगांव,धुलिया और अमलनेर क्षेत्र के लोग आते है। सूरत सिविल होस्पिटल और स्मीमेर होस्पिटल में भी लोग उपचार के लिए आ रहे है।


मनपा कमिश्नर बंछानिधि पानी ने बताया कि महाराष्ट्र से सूरत में आने वाली निजी बसों में प्रतिदिन 70-100 कोरोना के मामले मिल रहे हैं। हालाँकि सूरत में कड़े इंतज़ाम किए गए है। लोगों को भी ध्यान देने की ज़रूरत है।

बच्चों में तेजी से बढ रहा कोरोना का संक्रमण


सूरत महानगर पालिका के कमिश्नर ने लोगों को कोरोना की गाइडलाइन का पालन करने की अपील करते हुए कहा कि इन दिनों 10 वर्ष से कम के बच्चों में कोरोना संक्रमण बढा है। बच्चों को संक्रमण लगने का भय अधिक रहता है। इसलिए बच्चों को भी मास्क पहनाना चाहिए। विशेष तौर पर कन्टेनमेन्ट क्षेत्रों मं बच्चें नहीं खेलें इसका विशेष ध्यान देना चाहिए। यदि एक व्यक्ति जो कि सोश्यल डिस्टन्स का पालन नहीं करता वह दिन भर में 65 से 70 तथा 30 दिनों में 400 लोगों को संक्रमित कर सकता है।

सूरत शहर के सेन्ट्रल जोन मे गोपीपुरा,चोकबाजार,नानपुरा,सगरामपुरा, वराछा ए में अश्विनी कुमार, लंबे हनुमान रोड, वराछा बी में मोटा वराछा, रांदेर में अडाजण, अडाजण पाटिया, कतारगाम में अखंड आनंद कोलेज क्षेत्र,धनवर्षा सोसायटी, उधना में मीरानगर, संजय नगर,भेस्तान,वडोद पाटिया अठवा में अलथाण, सिटीलाइट, करीमाबाद और वेसू तथा लिंबायत में गोडादरा,डिंडोली,उमरवाडा और मगोब क्षेत्र में कोरोना के केस तेजी से बढ रहे हैं।

सूरत में बुधवार को 600 के पार कोरोना के मरीज

सूरत में कोरोना के मरीज़ों के तेज़ी से बढ़ने का क्रम जारी है।प्रशासन के प्रयास ना काफ़ी साबित हो रहा है।बुधवार को सूरत शहर में नए 602 मरीजों के साथ कुल संक्रमितों की संख्या 50,234 हुई। अब तक सूरत शहर में कोरोना से 888 मरीजों की मौत हो चुकी है।बुधवार को कोरोना संक्रमित नए 610 मरीज कोरोना को मात देकर स्वस्थ हुए। अब तक शहर में से 46,637 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं।


बुधवार को नए 610 कोरोना संक्रमित मरीजों में से शहर में सबसे अधिक मरीज अठवा जोन से 117, रांदेर जोन से 100, वराछा-ए जोन से 76, ,लिंबायत जोन से 70, कतारगाम जोन से 67, वराछा-बी जोन से 59, सेन्ट्रल जोन से 58 और उधना जोन से 55 नए मरीजों का समावेश है।बुधवार को शहर के पुणागांव क्षेत्र से 69 वर्षीय पुरूष, पाल क्षेत्र से 55 वर्षीय महिला और डिंडोली क्षेत्र से 55 वर्षीय महिला की कोरोना चिकित्सा के दौरान मौत हो गई।

स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि सबसे अधिक मरीज अठवा जोन में 10504, रांदेर जोन में 8072, कतारगाम जोन में 7431, लिंबायत जोन में 5165, वराछा-ए जोन में 5123, सेन्ट्रल जोन में 4837, वराछा बी जोन में 4610 और सबसे कम उधना जोन में 4492 कोरोना संक्रमित मरीज है। इसी के साथ अब तक शहर में 888 लोगों की और ग्रामीण क्षेत्र से 288 लोगों की मौत हुई है।

सूरत में इस क्षेत्र में कोरोना की गति विस्फोटक, सभी दुकानदारों का होगा टेस्ट

सूरत में कोरोना बढ़ने के कारण अन्य राज्यों से आने वालों के लिए सात दिन क्वारन्टाइन में रहना अनिवार्य कर दिया है।मनपा आयुक्त ने अठवा जोन के चार मुख्य स्पोट सिटीलाईट रोड, पनास, वेसू और भटार में संक्रमण रोकने के लिए गुरूवार को दुकानदारों का आवश्यक रूप से कोरोना टेस्ट किया जायेगा।

कोई भी दुकानदार खुद टेस्ट नही करायेगा इस लिए पालिका के स्वास्थ विभाग ने घोडदौड रोड सीटीलाईट रोड पर गुरूवार सूबह बडी संख्या में धनवंतरी रथ की व्यवस्था की है। व्यापारी पहले अपना कोविड टेस्ट कराए उसके बाद रिपोर्ट निगेटिव होने पर ही दुकान खोलने की अनुमति दी जायेगी।


मनपा आयुक्त बंछा निधि पानी ने शहर में कोरोना संक्रमण पर जानकारी देते हुए कहा कि शहर में पिछले कुछ दिनों से काफी तेज गती से कोरोना संक्रमण फैल रहा है। अठवा जोन में ज्यादातर टेक्सटाईल मार्केट, टेक्सटाईल मीलों से जुडे लोग व्यापारी, कर्मचारी रहते है। इस जोन में शहर का पोश इलाके होने से ज्यादातर लोग घुमने फिरने के शौकिन है। कई लोग नोकरी धंधार्थ अन्य राज्य में ट्रावेल करते है तो कई लोग विदेश घुमने जाते है। आज कि स्थिति में अठवा जोन में शहर के सबसे अधिक कोरना संक्रमित मरीज है।

अगर आप अठवा जोन में रहते हो और आपने जरा सी भी लापरवाही बरती तो आप कोरोना संक्रमित हो सकते हो। अठवा जोन एक तरह से कोरोना का होटस्पोट बन चुंका है और होली तथा फागोत्सव के कारण आगामी दिनों में यह संक्रमण बढने की पुर्ण संभावना है। सूरत शहर में कोरोना वायरस तेजी से बढ़ रहा है और अठवा जोन में सबसे अधिक संक्रमण फैल रहा है।

पालिका आयुक्त ने गुरूवार को सिटीलाईट रोड घोडदौड रोड के सभी दुकानदारों को आवश्यक रूप से धनवंतरी रथ के माध्यम से स्थल पर कोरोना टेस्ट करना होगा। कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आती है तो ही दुकान खोलने की अनुमति अठवा जोन द्वारा दी जायेगी।

कोरोना इफेक्ट: इस बार छठ पुजा घर पर ही करने की अपील


कोरोना के कारण सामाजिक और धार्मिक आयोजनों पर प्रतिबंध लग गए हैं। बीते दिनों गणेश स्थापना और नवरात्रि जैसे आयोजनों पर भी प्रतिबंध के बाद अब उत्तर भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता छठ पूजा का पर्व भी कोरोना के चलते घर पर ही मनाया जाएगा।

कोरोना के कारण सूरत महानगर पालिका ने इस बार छठ पूजा की परमिशन नहीं देने के कारण छठ पूजा समिति की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की जाएगी। अब तक हर साल तापी नदी के किनारे पर छठ पूजा के लिए छठ पूजा आयोजन समिति की ओर से व्यवस्था की जाती है। सूरत में जहांगीरपुरा,अडाजण,पांडेसरा, उधना और डिंडोली क्षेत्र में छठ पूजा समितियों द्वारा यह आयोजन किया जाता है लेकिन, कोरोनावायरस के संक्रमण के भय से इस बार धार्मिक और सामाजिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया गया है।

ऐसे में छठ पूजा पर भी पालिका ने भक्तों से घर पर ही रह कर पूजा अर्चना करने की अपील की है। क्योंकि छठ पूजा के दौरान बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होने से कोरोनावायरस का भय हो सकता है। जिसके चलते उत्तर भारत के बिहार और झारखंड के लोगों को घर पर ही पूजा करनी पड़ सकती है।

सार्वजनिक छठ पूजा समिति ने मीडिया को बताया कि कोरोना के संक्रमण के कारण जो परिस्थिति बनी है। इस परिस्थिति के कारण लोगों को खुद ही कोरोना संक्रमण न फैले इसलिए प्रशासन का साथ देते हुए घर पर ही पूजा अर्चना की व्यवस्था करें। लोगों तक यह मैसेज पहुंचे इसलिए बिहार से जिस क्षेत्र में बिहार के लोग रहते हैं वहां बैनर और पोस्टर लगाकर जानकारी दी जा रही है।

मानवता: कोरोनाग्रस्त डॉक्टर ने अपनी ऑक्सीजन की पाइप निकाल कर दूसरे की मदद की


कहते हैं कि अपने लिए तो सब जीते हैं लेकिन दूसरे के लिए जो जिए उसी की जीवन असली जीवन है। इसी तरह की घटना सूरत शहर के अडाजण क्षेत्र में बनी है।

अडाजण की एक होस्पिटल में एनेस्थेटिस्ट डॉ. संकेत पटेल को कोरोना के कारण दाखिल किया गया है। वहां पर वह आइसीयु में उपचाराधिन है। इस दौरान आइसीयु में उनके समीप के बैड पर एक मरीज की तबियत ज्यादा खराब हो जाने के कारण उन्हें वेन्टिलेटर पर चढाना था, लेकिन कुछ कारणो से उन्हें वेन्टिलेटर पर चढाने में दिक्कत आ रही थी। 


इस समय होस्पिटल में कोई एनेस्थेटिस्ट भी नहीं थे इतने जल्दी किसी को ले आना भी मुश्किल था। दूसरी ओर मरीज का ऑक्सीजन लेवल भी लगातार घटते जा रहा था। यह सब घटना डॉ. संकेत पटेल अपने बेड पर से देख रहे थे।

उस समय वह हाइ-फ्लो ऑक्सीजन पर थे। एक डॉक्टर की मुसीबत दूसरा डॉक्टर ही समझ सकता है और मरीज की मुसीबत को देखते हुए वह ऑक्सीजन के साथ ही खड़े हो गए। और मरीज को वेन्टिलेटर पर चढा कर उसकी जान बचाई।

हालाकि उस समय वहां जो डॉक्टर्स मौजूद थे उन्होंने डॉ. संकेत को बैड़ पर से उठने से इनकार किया। हालाकि अभी तक डॉक्टर संकेत आईसीयु में उपचाराधिन ही हैं।


कोरोना की जाँच के लिए श्रमिकों को नि:शुल्क देगी कोरोना किट

सूरत के श्रमिकों के लिए अच्छी खबर है।श्रमिकों को अब कोरोनावायरस की जाँच लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। प्रशासन की ओर से श्रमिकों को निशुल्क किट दिया जाएगा। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री कुमार भाई कानाणी के नेतृत्व में बुधवार को आयोजित मीटिंग के दौरान यह निर्णय लिया गया।

दरअसल बात ऐसी है कि मंगलवार को वराछा के स्वास्थ्य केंद्रों पर हीरा श्रमिकों की जांच नहीं किए जाने का बोर्ड लगाया गया था। बोर्ड में लिखा गया था कि हीरा श्रमिकों की कोरोना की जाँच वहाँ नहीं की जाएगी। उसके अलावा यह भी लिखा गया था कि जिनका रिपोर्ट नेगेटिव रहेगा उन्हें रिपोर्ट नहीं दिया जाएगा। 

स्वास्थ्य केंद्रों का कहना था कि हीरा श्रमिकों का टेस्ट वह जहां काम करते हैं उस कंपनी के मालिक करवाएंगे। जिसके चलते बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। हीरा श्रमिकों की ओर से इसका विरोध किया गया चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के कार्यवाहक प्रमुख दिनेश नावडिया ने भी इस बारे में प्रशासन से चर्चा की थी। 

दिनेश नावडिया ने कहा कि शहर के स्वास्थ्य केंद्रों में श्रमिकों की जांच नहीं की जाएगी। ऐसे बोर्ड लगाए गए हैं। हीरा श्रमिकों के साथ अन्याय क्यों किया जा रहा है? जिसको लेकर बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री कुमार कानाणी महानगर पालिका कमिश्नर बंछानिधि पाणी, विधायक कांति भाई, वीडी झालावाड़िया,प्रवीण घोघारी उपस्थित रहे। 

मीटिंग में यह फैसला किया गया कि महानगर पालिका की ओर से सूरत में हीरा उद्योग रियल स्टेट सहित तमाम उद्योग और व्यापार धंधा से जुड़े लोगों को एंटीजन टेस्ट किट निशुल्क दी जाएगी। इसके अलावा जिस पैथोलॉजी लैबोरेट्री के साथ सूरत महानगरपालिका का टेस्ट का समझौता किया गया है। 

इन लैबोरेटरी को सूरत महानगरपालिका एंटीजन टेस्ट के लिए किट देगी। लैबोरेट्री का मिनिमम टेस्टिंग चार्ज बहुत कम तय किया जाएगा। जोकि टेस्टिंग करने वाले को देना होगा। इसके लिए लेबोरेटरी में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। यदि कोई यूनिट अपने कर्मचारियों के लिए कोरोना टेस्ट का आयोजन करेगी तो महानगरपालिका ₹500 लेकर रैपिड टेस्ट कर देगी।

श्रमिकों की जाँच के लिए सूरत की तमाम जीआईडीसी में बनेंगे टेस्टिंग सेन्टर

लॉकडाउन के बाद अनलॉक में व्यापार उद्योग शुरू हो जाने के बाद बड़ी संख्या में श्रमिक अन्य राज्यों से सूरत में आ रहे हैं। ऐसे में उनकी कोरोना की जाँच के लिए प्रशासन को भी आगे आया है। सूरत महानगर पालिका, जिला उद्योग केंद्र तथा श्रम विभाग की ओर से पांडेसरा, सचिन और कतारगाम सहित शहर की तमाम GIDC में श्रमिकों की जाँच के लिए कोरोना टेस्टिंग सेन्टर बनाया जा रहा है।

जल्दी ही यहाँ पर काम करने वाले तमाम श्रमिकों को कोविड-१९ टेस्ट के लिए कोरोना टेस्टिंग के लिए सेंटर खड़े किए जाएंगे।
मिली जानकारी के अनुसार प्रशासन की ओर से अन्य राज्यों से आने वाले श्रमिकों के लिए कोरोना की जाँच करने के बाद ही उन्हें नौकरी पर रखने को कहा गया था।

श्रमिकों का टेस्ट मालिकों को अपने ख़र्च पर करवाने के लिए कहा गया था लेकिन, मालिक इससे कतरा रहे थे। इसके कारण कई स्थानों पर श्रमिकों को बिना टेस्ट के ही नौकरी पर रख लिए होने की जानकारी सामने आ रही थी। साथ ही कई संस्थाओं ने मनपा से श्रमिकों का टेस्ट करवाने का आग्रह किया था। औद्योगिक संगठनों का कहना था कि यदि श्रमिकों के काम के स्थान के नज़दीक में टेस्टिंग सेंटर बनाए जाए तो बड़ी संख्या में श्रमिकों का टेस्ट किया जा सकता है।

इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए सूरत महानगर पालिका श्रम विभाग और जिला आरोप उद्योग केन्द्र ने मिलकर सूरत में स्थित तमाम जीआईडीसी में श्रमिकों का टेस्टिंग सेंटर बनाने का फ़ैसला किया है। इस एंटीजेन सेन्टर पर तमाम श्रमिकों की कोरोना की जाँच की जाएगी। यहाँ पर प्रशासन की ओर से डॉक्टर भी तैनात किए जाएंगे।किसी श्रमिक को जाँच के बाद उपचार की आवश्यकता दिखती है तो तुरंत ही हॉस्पिटल भी रेफ़र कर दिया जाएगा।


उल्लेखनीय है कि मनपा की ओर से जिला उद्योग केंद्र और स्वास्थ्य विभाग विभाग की ओर से मिल कर दिए गए प्रयास के बाद अन्य राज्यों से आने वाले श्रमिकों में सेरेना की संख्या घटने की उम्मीद है नियंत्रण लगेगा।

इन लोगों से रखें सावधानी, यह हो सकते हैं कोरोना वाहक


कोरोना के कारण देश भर में बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं। ऐसे में ज्यादा लोगों को संक्रमित होने से रोकने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही हैं। हाल में ही केंद्र सरकार ने जारी की एक मार्गदर्शिका में बताया है कि लारी वाले और अनाज किराना की दुकान में काम करने वाले सबसे ज्यादा सुपर स्प्रेडर हो सकते हैं।

इनके कारण बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमण लग सकता है। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर सलाह दी है और इन लोगों की जांच बड़े पैमाने पर की जाए ऐसा कहा है। पत्र में बताया गया है कि जेल और वृद्धाश्रम भी कोरोनावायरस के हॉटस्पॉट बन सकते है। इसके अलावा ग्रॉसरी की दुकान तथा लारी वालों से भी बड़े पैमाने पर संक्रमण फैल सकता हैं।

साथ ही यह भी बताया है कि ऑक्सीजन की जरूरत और बढ़ सकती है। कई राज्यों में मरीजों को एंबुलेंस की सुविधा नहीं उपलब्ध होने की शिकायतें मिल रही है। भारत में अन्य देशों की अपेक्षा पर अच्छा काम हुआ है। फिर भी भारत में कोरोना से मृत्यु दर कम कर 1% तक लाना है। इसलिए टेस्टिंग की संख्या बढ़ाने पड़ेगी और जल्दी उपचार मिले ऐसी व्यवस्था करनी पड़ेगी।

इसके अलावा यदि किसी को कोरोना पॉजिटिव मिलता है तो 72 घंटे में कम से कम कांटेक्ट 80 जानकारी एकत्रित करनी चाहिए। एक व्यक्ति कम से कम 30 व्यक्तियों के कांटेक्ट में आता है।
सरत में शनिवार को कोरोना के 226 मरीज दर्ज हुए है। इसमें सूरत सिटी के 182 और डिस्ट्रिक्ट के 44 है। इसके अलावा 10 लोगों की मौत हो गई।

आज तक सूरत सिटी में कुल 12527, डिस्ट्रिक्ट में 3061 मिलाकर 15588 केस दर्ज हुए हैं। कुल मृत्यु की बात करें तो सिटी में 540 डिस्ट्रिक्ट में 138 मिलाकर कुल 678 लोगों की मौत हो चुकी है। अब तक कुल 9302 सिटी में और डिस्ट्रिक्ट में 2407 मिलाकर कुल 11709 लोगों को डिस्चार्ज कर दिया गया।

फिर बंद हो सकते हैं कई लूम्स,डाइंग और एम्ब्रॉयडरी यूनिट!

कपड़ा उद्योग खुला होने के बावजूद कोरोना के कारण व्यापार नहीं होने से उद्यमियों में इन दिनों चिंताजनक माहौल बना हुआ है। अनलॉक-१ के बाद व्यापार उद्योग तो खुल तो गए लेकिन कारोबार अच्छे से नहीं चलने के कारण लूम्स कारख़ाने और डाइंग प्रोसेसिंग यूनिट की हालत ख़राब है। परिस्थिति नहीं सुधरी तो आगामी दिनों में कई लूम्स कारख़ाने और डाईंग प्रोसेसिंग यूनिट बंद भी हो सकते हैं।

लगातार बढ़ रहे कोरोना के कारण पूरा देश परेशान है। इसके चलते सूरत का कपड़ा उद्योग की गाड़ी पटरी पर नहीं चढ़ पाई है। देश भर में कोरोना होने के कारण अन्य राज्यों के व्यापारी सूरत में ख़रीदी के लिए नहीं आ रहे। सूरत में ख़रीदी के लिए आने के बाद 14 दिन तक क्वारंटाइन रहना पड़ेगा।

इसके लिए भीव्यापारी आने से कतरा रहे हैं। कोरोना का रोग एक महीना पहले तक बड़े शहरों में ही था जो कि, यह गाँव में भी फैल गया है। इसके चलते छोटे छोटे गांवों में जो कपड़े की दुकानें थी वह भी बंद हो गई है। इसका सीधा असर सूरत के कपड़ा मंडी पर पड़ा है। जो थोड़ा बहुत व्यापार चल रहा था वह भी बीते दिनों से ठप पड़ा है।

रक्षा बंधन को लेकर व्यापारियों को उम्मीद थी लेकिन जिस तरह से कोरोना ने गाँव में पकड़ बनायी है। उसके कारण रक्षा बंधन पर भी व्यापारियों को निराश नहीं होना पड़ा। सूरत के कपड़ा व्यापारियों को ऑर्डर नहीं मिल रहा। इसका असर डाइंग प्रोसेसिंग यूनिटों पर देखा जा रहा है।

अनलॉक-१ के बाद शहर में स्थित कई डाइंग प्रोसेसिंग यूनिट चाल तो रहे हैं लेकिन, उनकी हालत भी अच्छे नहीं है। डाइंग प्रोसेसिंग यूनिटसंचालकों का कहना है कि इन दिनों उनके पास मिल में 50 प्रतिशत जॉब बार भी नहीं है। क्योंकि व्यापारी नए ऑर्डर नहीं दे रहे हैं। एक और श्रमिकों की समस्या और दूसरी ओर जॉबवर्क नहीं मिलने के कारण प्रोसेसर को ज़्यादा नुक़सान उठाना पड़ रहा है। उनका कहना है कि कम माल के प्रोडक्शन के लिए मशीन चलाने पर ज़्यादा नुक़सान होता है। यदि परिस्थिति नहीं सुधरी तो उन्हें यूनिट बंद करना पड़ सकता है।

इसी तरह लूम्स कारख़ाने में भी निराशा का माहौल है। जो लोग जॉब वर्क लेकर ग्रे का उत्पादन करते हैं। उनके पास तो बिलकुल ऑर्डर नहीं है। इसलिए वह निराश हैं। इसके बावजूद कई लोग कारख़ाने सप्ताह में दो दिन छुट्टी देकर या एक ही पाली में काम चलाकर उत्पादन करवा रहे हैं। उनका भी कहना यह है कि श्रमिकों की कमी और कम मास का उत्पादन होने के कारण कपड़े की क़ीमत बढ़ गई है। ऐसे में वह नुक़सान कर ज़्यादा दिन तक उत्पादन नहीं कर सकते।

एम्ब्रॉयडरी उद्योग की बात करें तो अनलॉक के बाद 50% से अधिकएम्ब्रॉयडरी यूनिट अभी तक बंद हैं। अन्य राज्यों के व्यापारियों से ऑर्डर नहीं मिलने के कारण सूरत के व्यापारियों के पास भी माल का स्टॉक हो गया है। इसलिए वह नए जवाब नहीं दे रहे हैं जिसके चलतेउद्यमियों को कारख़ाने बंद रखने पड़े हैं और कई एम्ब्रॉयडरी श्रमिक बेरोज़गार हो गए हैं।

कोरोना से मृतकों में कई लोगों की मौत 72 घंटे के भीतर ही हो गई

सूरत में कोरोना ने बीते 1 महीने से हाहाकार मचा रखा है। कोरोना के कारण प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग मौत की मौत हो रही है। कई लोगों को तो कोरोना होने की जानकारी अंतिम समय में पता चलता है।अब तक के मृतकों में 60% मरीज ऐसे हैं।जिनकी मौत उपचार के 48 से 72 घंटों के भीतर में ही हो गई।

बताया जा रहा है कि बीते 25 दिन में जो भी मौत हुई उनमें 60 लोग ऐसे हैं जो कि सिर्फ कोरोना से सिर्फ मरे हैं। यह हॉस्पिटल में चलते हुए आए थे और वापस नहीं जा सके। कोरोना के कारण इन दिनों सबसे खराब परिस्थिति महाराष्ट्र और गुजरात की है। सूरत शहर भी इन दिनों बड़ी गंभीर परिस्थिति गुजर रहा है। बीते 25 दिन में सूरत में 279 लोगों की मौत हो चुकी है।

इनमें से 108 मरीज ऐसे हैं जिनको करोना के साथ दूसरी बीमारियां थी जैसे कि डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर, किडनी, ह्रदय रोग सहित अन्य बीमारियां भी थी। लेकिन इनके सिवाय 171 थे। जिनको कोई बीमारी नहीं थी। वह सिर्फ़ कोरोना के कारण ही मरे हैं। हॉस्पिटल में आने के 40 से 72 घंटे के दौरान ही उनकी मौत हो गई।

इसलिए लोगों से अपील है कि वह अपने स्वास्थ्य के प्रति जरा भी लापरवाही नहीं बरतें। यदि उन्हें सर्दी खांसी और बुखार की शिकायत हो तो डॉक्टर से एक बार जरूर मिलें। बताया जा रहा है कि कई लोगों को अंतिम समय तक कोरोना के लक्षण नहीं पता चल पाता।

जिसके चलते समस्या और गंभीर बन जाती है। अभी तक कोरोना के कारण जो लोग मरे हैं। उनमें सबसे ज्यादा लोग 61 से 70 वर्ष के बीच के हैं जो कि 28% के करीब है। इसके बाद 51 से 60 के बीच 27% लोगों की मौत हुई है। 21 से 71 से 80 के बीच 20% लोगों की मौत हुई है। 41 से 50 के बीच 15% लोगों की मौत हुई है। 31 से 40 के बीच साडे 4.5 प्रतिशत लोगों की मौत हुई है। इसी तरह से कोरोना आगे बढ़ रहा है।


बताया जा रहा है कि कई लोगों को तो अचानक से तकलीफ होती है।तब पता चलता है कि उन्हें और उनकी शिकायत है और ऐसे मरीजों को सीधे वेंटीलेटर पर ही रखा जाता है।