सूरत
कडोदरा और पालनपुर जकात नाका क्षेत्र में श्रमिकों की बवाल के बाद श्रम विभाग को अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास हुआ है। श्रम विभाग ने कपडा बाज़ार और लूम्स कारख़ाना संगठनों को पत्र भेजकर श्रमिकों का वेतन चुकाने ओर उन्हें नौकरी पर नहीं निकालने की गुहार लगायी है।
श्रम विभाग में भेजे पत्र में बताया है कि लॉकडाउन बढ़ जाने के कारण कपड़ा व्यापारी, उत्पादक और संचालक उनके यहाँ काम करने वाले श्रमिकों को समय- समय पर वेतन चुकाएं और उन्हें नौकरी से नहीं निकाले। श्रम विभाग ने साथ में यह भी अपील की है कि लॉक डाउन के दौरानउनके यहाँ काम करने वाले श्रमिकों को वेतन आदि के लिए परेशान न होना पड़े इसका भी ख्याल रखा जाए।
इस बात को लेकर एक सप्ताह पहले भी कपड़ा व्यापारियों के संगठन, लूम्स कारख़ाना संचालकों के संगठन तथा अन्य व्यापारिक संगठनों से मीटिंग हुई जिसमें कि, ज़्यादातर संगठनों ने बताया कि उन्होने मार्च महीने का वेतन चुका दिया है। अप्रैल महीने में तो कंपनी और व्यापारिक प्रतिष्ठान ही नहीं खुले हैं। ऐसे में रुपये कहाँ से आएंगे लॉकडाउन खुलने के बाद इसका भी किताब कर दिया जाएगा।
फैडरेशन ऑफ सूरत टैक्सटाइल ट्रेडर एसोसिएशन के रंगनाथ शारडा ने बताया कि श्रम विभाग की ओर से मंगलवार को भेजे गए पत्र में कपड़ा मार्केट में काम करने वाले श्रमिकों को को वेतन समय पर चुकाया जाए और नौकरी से नहीं निकाला जाए इस पर ध्यान केंद्रित किया गया है। हालाँकि ज़्यादातर कपड़ा व्यापारियों ने श्रमिकों के वेतन चुका दिए हैं और उनके भोजन आदि का भी ख्याल रखा है।
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को यह कडोदरा और पालनपुर जकात नाका क्षेत्र में श्रमिकों ने जमकर बवाल किया। उनकी माँग थी कि उन्हें वेतन नहीं मिल रहा। उनके पास जीवन ख़र्च चलाने के रुपया नहीं है। ऐसे में समय पर उनका वेतन दिया जाए परिस्थिति को बिगडता देख श्रम विभाग हरकत में आ गया है। विभाग में कंपनी, व्यापारिक प्रतिष्ठानो से श्रमिकों को समय पर वेतन देने और नौकरी से नहीं निकालने की माँग की है।
सूरत
लॉकडाउन के दौरान व्यापार धंधा बंद हो जाने से रोज़ी रोटी चलाने में हो रही दिक़्क़त से परेशान प्रवासी अब अपने वतन की ओर लौट रहे हैं, जिसको जो व्यवस्था मिल रही है वह उस व्यवस्था के उसके अनुरूप वतन के लिए निकल रहे हैं । ऐसे मेंशुक्रवार की रात सूरत से यूपी के लिए निकली कुछ गाड़ियों को वडोदरा में रोक लिया गया है। कुछ को सूरत वापिस भी लौटा दिया गया।
बताया जा रहा है कि गाड़ी रोक लेने के कारण सूरत के सैकड़ों लोग रास्ते में फँस गए है। मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार की शाम सूरत के डिंडोली सहित कई क्षेत्रों में बडी संख्या में लोग बस और टु व्हीलर पर वह वतन के लिए निकले थे उन्हें मध्यरात्रि के दौरान वड़ोदरा के सीमा में रोक कर जाँच पड़ताल की गई और इन्हीं कारणों से पहले भी रोक कर रखा गया था। बताया जा रहा है कि उनके पास जो परमिशन था उस पर प्रशासन को शक होने के कारण उन्हें शनिवार को भी दोपहर तक रोका गया ।
प्रशासन फ़िलहाल पर परिमशन की सत्यता की जाँच में जुट गया है ।आपको बता दें कि ओडिशा के लिए शनिवार से ट्रेन की सेवा शुरू हो गई है , लेकिन अभी पर यूपी, बिहार का ठिकाना नहीं है ।इससे पहले भी ओडिशा, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के लिए वहाँ की सरकारों ने अपने श्रमिकों को आने की मंज़ूरी दे दी थी पर UP और बिहार से कोईजवाब नहीं आया था । ऐसे में यूपी और बिहार के श्रमिक असमंजस में है वह किस तरह वतन जा सकते है।हालाँकि अभी यह प्राथमिक जानकारी है पूरी पुष्ट जानकारी देर से मिल सकेगी।
इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए पंकज तिवारी नाम के युवक में बताया कि उनके पिताजी बीते दिनों सूरत में ज़रूरी काम से आए थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण फँस गए थे। पंकज के पिताजी, दादाजी सहित कुल पाँच जनों का पास बनवाकर गत रोज शाम यूपी के लिए निकले थे, लेकिन रात को 11 बजे के क़रीब दाहोद चेकपोस्ट पर रोककर यूपी सरकार से परमिशन नहीं होने का कारण बताकर सूरत लौटा दिया गया।
सूरत
लॉकडाउन के कारण जीवन जीना मुश्किल होने से अब यूपी और बिहार के लाचार श्रमिकों ने सड़क और रेलवे ट्रेक के रास्ते से वतन जाने की राह पकड़ ली है ।कुछ श्रमिकों ने साइकिल को ही अपना सहारा बनाया है।
मिली जानकारी के अनुसार लॉकडाउन के कारण सूरत में रहने वाले श्रमिकों की हालत दयनीय हो गई है ।कपड़ा उद्योग, हीरा उद्योग सहित तमाम उधोग बंद हो जाने से लाखों श्रमिक बेरोज़गार हो गए हैं ।अब तक सामाजिक संस्थाओं की ओर से मिल रही सहायता पर जी रहे थे लेकिन, कई क्षेत्रों में सामाजिक संस्थाओं का सेवा कार्य बंद हो गया है । प्रशासन की ओर से मिल रही राशन की किट भी उन तक तक नहीं पहुँच रही है ।इसलिए उनके खाने के लिए भी कुछ नहीं है। डेढ महीने से कम्पनी बंद होने के कारण उनका वेतन भी अब समाप्त हो चुका है ।ऐसे में वह क्या करें ?
राज्य सरकार को बार बार अपने वतन लौट जाने की गुहार लगाने के बाद भी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। आखिर लाचार होकर श्रमिकों ने रात के अंधेरे में पैदल ही निकलने का फ़ैसला किया है । उधना, पांडेसरा, लिंबायत आदि क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रमिक रात को पैदल ही निकल लेते हैं ।जो कि आगे रेलवे या सड़क मार्ग पकड़कर चलते हैं जाते हैं । कुछ श्रमिक साइकल का सहारा ले रहे हैं। पांडेसरा पुलिस में बुधवार की रात को कई लोगों को पकड़कर वापिस भेज दिया।पुलिस की नज़र में आ जाते हैं वह वापस आ जाते है नही तो फिर राम भरोसे अपने आगे का रास्ता तय करते हैं ।
आपको बता दें कि सूरत में इन दिनों लॉकडाउन के चलते अपने दयनीय हालत अन्य राज्यों के श्रमिकों की है काम बंद होने से वेतन नहीं मिल रहा दूसरी ओर घर के खर्च लगे हैं । इन समस्याओं के बीच श्रमिक घिरे हुए हैं ।उड़ीसा सरकार में वहाँ के श्रमिकों के लिए लौटने की मंज़ूरी दे दी है, लेकिन UP और बिहार के श्रमिकों और वहाँ की सरकारों ने अभी कुछ जवाब नही दिया है ।बात यहीं पर अटकी हुई है ।वहीं कई श्रमिकों का कहना यह है कि अगर मंजूरी मिल भी जाती है तो बस वाले 5 हज़ार रुपया पर मांगते हैं इतने रुपये उनके पास नहीं है ।अगर इतने रुपए होते तो वतन जाते ही क्यों ?कुल मिलाकर अन्य राज्यों के श्रमिकों की हालत दयनीय है ।प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर एक बार सूरत से श्रमिक चले गए तो जल्दी नहीं लौटेंगे।