कोरोनावायरस में भारत में 133 देशो को दवाओं की मदद की। भारत ने एक बार फिर से कोरोना की आफत के समय में अपनी उदारता का परिचय दिया है।दुनिया के 133 देशों को दवाई निर्यात कर भारत की महानता का परिचय दिया है।
शांघाई कोर्पोरेशन ऑर्गेनाइजेशन के महासचिव व्लादीमीर नौरोव का कहना है कि कोरोना के समय में भारत दुनिया भर में दवा की केंद्र का किरदार निभा रहा है। भारत ने दुनिया भर में अपना नाम एक अलग दिशा में तय कर दिया है।
दवा के क्षेत्र में भारत का विशाल अनुभव यहां पर काम आ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार कोरोनावायरस के दौरान बहुत बढ़िया काम कर रही है।घरेलू स्तर पर कोरोना से संघर्ष के बावजूद भारत ने 133 देशों को दवाइयां भेजी है।
भारत एक शक्तिशाली देश होते हुए भी भारत का यह जिम्मेदार कदम भारत की महानता बताता है। उज़्बेकिस्तान के पूर्व विदेश प्रधान नौरोव का कहना था कि भारत आज दुनिया के देशों को दिशा दिखाता है। भारत में बनने वाली सस्ती दवाइयां और मेडिकल साधन कई देशों को बड़ी मदद करते हैं। भारत जेनेरिक दवाइयों का सबसे बड़ा केंद्र है वैश्विक दवाओं के उत्पादन में भारत का हिस्सा 20% है वैश्विक हिस्से में से 60% से अधिक हिस्सा भारत बनाता है।
उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग की मजबूती बढ़ाने के लिए भारत की प्रशंसा की।उल्लेखनीय है कि भारत में अमरीका ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों को भारत में बनने वाली हाइड्रो क्लोरोक्वीन दवाई देकर भरत दवा के क्षेत्र में कितना आगे है। यह साबित कर दिया है।
सूरत के हॉटल एंड रेस्टोरेन्ट इंडस्ट्री को दो सौ करोड़ का नुक़सान
अनलॉक-1 के बावजूद दक्षिण गुजरात के होटल और रेस्टोरेन्ट उद्योग में अभी तक विशेष सुधार नहीं आयाहै। होटेल एसोसिएशन की कहना है कि 25 मार्च से लेकर 15 जून तक दक्षिण गुजरात में होटेल और रेस्टोरेन्ट उद्योग को 200 करोड रुपए का नुकसान हुआ है। सरकार को भी इससे लगभग 20 करोड़ रुपए से अधिक की जीएसटी आय गंवानी पड़ी है।
केन्द्र सरकार की ओर से आठ जून के बाद अनलॉक-1 में होटेल और रेस्टोरेन्टइन्ड्स्ट्री को कई छूट दी गई है, लेकिन रात्रि कर्फ्यू के कारण होटेलों में अब डिनर के स्थान पार्सल सेवा शुरू की गई है। बताया जा रहा है कि स्फ्र पचास प्रतिशत ग्राहकों को डिनर में बिठाया जाता है। पुलिस के भय के कारण शाम के सात बजे ही होटेल बंद हो जाते हैं।
होटेल इन्डस्ट्री को यिद रात्रि करफ्यू से मुक्ति दी जाए तो अच्छा होगा। इसके अलावा दूसरी ब़ड़ी बात तो यह है कि श्रमिको की कमी सहित अन्य कई कारणो से अभी सिर्फ पचास फीसदी होटेल ही खुल सके हैं। 350 होटल में से सिर्फ पांच प्रतिशत मे ही लंच अवर्स अच्छे से शुरू हो पाया है।
फिलहाल अन्य स्थानों के लोग भी खरीद आदि के लिए नहीं आ रहे है। सरकार के नियम के अनुसार अन्य स्थानों से आने वालों के लिए 14 दिन क्वोरन्टाइन अनिवार्य होने के कारण टैक्सटाइल मार्केट में खरीद के लिए आने वाले व्यापारी नहीं रहे हैं। इससे भी नुकसान हो रहा है। होटल में आय कम है लेकिन बिजली बिल, गैस बिल और स्टाफ का खर्च चुकाना प़ड रहा है।
दूसरी ओर ऑनलाइन सर्विस देने वाली कंपनिया कमा र ही है।सरकार यदि दक्षिण गुजरात के पर्यटन क्षेत्रों को खोल दे तो होटेल एन्ड रेस्टोरेन्ट इन्डस्ट्री को कुछ राहत हो सकती है।