डीजीजीआई के खिलाफ व्यापारियों की शिकायत के सिलसिले में मंगलवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। मुख्य केस भूमि एसोसिएट के संचालक द्वारा दायर मामले के अलावा, तीन अन्य मामलों की भी सुनवाई की गई। सभी चार मामलों में, व्यापारियों ने DGGI अधिकारियों पर जबरन टैक्स वसूली का आरोप लगाया था। मामले की सुनवाई के अंत में उच्च न्यायालय द्वारा एक अंतरिम आदेश जारी किया गया था। जिसमें चार बिंदु सुझाए गए थे।

मामले की जानकारी देते हुए,अधिवक्ता अविनाश पोद्दार ने कहा कि उच्च न्यायालय ने आज भूमि एसोसिएट्स के संचालक द्वारा दायर मामले पर सुनवाई की। इसके साथ ही उत्पीड़न के मुद्दे पर DGGI के समक्ष तीन अन्य कंपनियों द्वारा दर्ज मामलों को भी जोड़ दिया गया था।
पोद्दार ने कहा कि किसी केस के मामले के संबंध में डीजीजीआइ के अधिकारियों द्वारा भूमि एसोसिएट्स के निदेशक मुकेश मारू को पिछले महीने 40 घंटे तक बिठाकर रखा गया था। इससे परेशान होकर मुकेश ने पांचवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश की। हालांकि, वह बच गए।
सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल देवांग व्यास इस संबंध में आज की सुनवाई के दौरान उपस्थित थे। वह सीधे अस्पताल से पेश हुए। स्वास्थ्य सही नहीं होने से उन्होने कोर्ट से दो दिनों का समय मांगा। अदालत ने उनकी मांग स्वीकार कर ली और अब 18 तारीख को सुनवाई होनी है। इस बीच, हालांकि, चार मुद्दों का एक अंतरिम आदेश जारी किया। इस संबंध में सीबीआईसी, मुख्य आयुक्त और राज्य सरकार को दिशा-निर्देश भी जारी किए जाने चाहिए। कोर्ट ने DGGI अधिकारियों के देर से आने पर नाराजगी जताई।

-सर्वे या सर्च की प्रक्रिया के दौरान डिपार्टमेन्ट की ओर से आईटीसी, नकद, चेक या किसी अन्य ढंग से वसूली नहीं की जा सकती है।

-करदाता चाहे तो सर्च के एक दिन बाद टैक्स भर सकता है।
-अगर कोई करदाता सर्च ऑपरेशन से असंतुष्ट है या टैक्स भरने के लिए मजबूर किया है, तो शिकायत के लिए शिकायत शाखा स्थापित की जानी चाहिए।
-किसी भी अधिकारी के दोषी पाए जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।