केंद्र सरकार अब हर राज्य में स्मार्ट मीटर लगाएगी. DGVCL ने इस प्रोजेक्ट को लाने की तैयारी भी शुरू कर दी है, जो दिसंबर से शुरू होगी. इस प्रोजेक्ट में कुल 2636.24 करोड़ रुपये खर्च होंगे और पहले चरण में 40 लाख, दूसरे चरण में 17.73 लाख मीटर और 23.89 लाख मीटर से ज्यादा स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे. घरों, सरकारी दफ्तरों और ट्रांसफार्मरों पर भी स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। जिससे बिजली चोरी पर लगाम लगेगी. इसके अलावा ग्राहक यह भी चेक कर सकेंगे कि उन्होंने नियमित रूप से कितना रिचार्ज इस्तेमाल किया है। रिचार्ज जरूरत के हिसाब से एक दिन और एक साल के हिसाब से भी कराया जा सकता है।
मोबाइल रिचार्ज की तरह बिजली का रिचार्ज भी पैन या मोबाइल शॉप पर किया जा सकता है। ग्राहक अपने मोबाइल से कभी भी रिचार्ज कर सकते हैं. स्मार्ट मीटर के लिए एक विशेष एप्लिकेशन बनाया जाएगा, ग्राहक अपने मोबाइल फोन पर देख सकेंगे कि उन्होंने हर घंटे, 6 घंटे या हर दिन कितनी यूनिट बिजली की खपत की है।
स्मार्ट मीटर उसी तरह एप्लिकेशन संचालित होगा जिस तरह उपभोक्ता अपने मोबाइल पर विभिन्न ऐप का उपयोग करते हैं। जैसे मोबाइल या D2H किसी भी समय रिचार्ज कर सकते हैं, रिचार्ज पूरा होने के बाद भी कुछ समय के लिए बिजली का उपयोग किया जाएगा। ग्राहक देख सकता है कि प्रतिदिन हर घंटे, 6 घंटे, 12 घंटे में कितनी इकाइयों का उपयोग किया जाता है।
गुजरात के सूरत में 24 सितंबर को तेज तूफान के कारण टेक्निकल कारणो से खरवासा में बिजली चली गई। सचिन रूरल सब डिविजन के लाइन स्टाफ ने पेट्रोलिंग कर पारडी स्कूल के पास पारडी अर्बन फीडर के माध्यम से बिजली बहाल करने की व्यवस्था की। इसके बाद यह जानकारी खरवासा सब डिविजन के स्टाफ को दी।
जब स्टाफ ने जांच की तो पता चला कि सचिन सब-डिविजन में अंबिका नगर के पास स्थित बिजली के खंभे पर जंपर टूट जाने से बिजली चली गई। यह जंपर बिजली के खंभे पर लगभग 20 फीट की ऊंचाई पर था। खाड़ी के पास होने के कारण यहां नीचे छाती तक पानी भरा गया था।
लेकिन दक्षिण गुजरात बिजली कंपनी के इस कर्मचारी ने जान की बाजी लगाकर सूरत के खरवासा क्षेत्र में बिजली चली जाने के कारण अंधेरे में रह रहे लोगों तक बिजली पहुंचाई। 24 सितंबर को तेज तूफान के कारण टेक्निकल कारणो से खरवासा सब-डिविजन में अंबिका नगर के पास स्थित बिजली के खंभे पर जंपर टूट जाने से बिजली चली गई। यह जंपर खाड़ी के पास होने के कारण यहां नीचे छाती तक पानी भरा गया था।
तेज बारिश में कंटीली झाडियों के बीच यहां जाकर बिजली बहाल करना मुश्किल काम था। इसके बावजूद लोगों की समस्या को समझते हुए इलेक्ट्रिकल आसिस्टन्ट विक्रम पटेल पानी में गए और बिजली व्यवस्था को अकेले ही दुरूस्त किया। विक्रम भाई को सम्मानित करते हुए डीजीवीसीएल के मैनेजिंग डायरेक्टर अरविंद विजयन ने प्रशंसापत्र दिया।
सौराष्ट्र के अमरेली, गिर सोमनाथ, बोटाद और अन्य जिलों के गांवों में चक्रवात की वजह से बिजली गुल हो गई है।ऊर्जा मंत्रालय द्वारा डीजीवीसीएल के इंजीनियर, लाइनमैन और अन्य तकनीकी विशेषज्ञों की 40 टीमों के 400 विद्युत कर्मचारी शुक्रवार की सुबह घोघा रो-रो फेरी के माध्यम से तुरंत हजीरा से रवाना हुए।
विशेष दल 40 वाहनों और पोल इरेक्शन मशीनों से लैस हैं। चक्रवात आए तीन दिन हो चुके हैं लेकिन सौराष्ट्र में और खासकर अमरेली जिले और ऊना के आसपास के गांवों में बिजली नहीं है, इसलिए लोगों को भी पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. लोगों के फोन में चार्जिंग भी नहीं है। लोग कार से फोन चार्ज कर रहे हैं।
साउथ गुजरात इलेक्ट्रिसिटी कंपनी लिमिटेड की ओर से जल्द से जल्द बिजली की व्यवस्था करने के लिए कर्मचारियों को भेजा गया है. इसके अलावा, सौराष्ट्र के प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों के माध्यम से बिजली आपूर्ति बहाल करने में 300 बिजली कर्मचारी शामिल होंगे।
डीजीवीसीएल की इन 40 टीमों में डे इंजीनियर, जूनियर इंजीनियर, हेल्पर सहित अनुबंध आधारित कर्मचारी हैं।प्रभावित जिलों में बिजली आपूर्ति जल्दी बहाल करने के लिए 400 से अधिक बिजली मिस्त्री सौराष्ट्र के पीजीवीसीएल कंपनी क्षेत्र में जाएंगे।
सूरत शहर के अडाजण के भाठा गाव में बिजली कंपनी का तार टूट कर एक महिला पर गिर प़डा। इससे महिला बुरी तरह से जलकर मर गई। महिला के परिवारजनों के सामने ही यह घटना हुई लेकिन कोई उसे बचा नहीं सके। तार में करंट आने के कारण एक घंटे तक लाश के पास भी कोई नहीं जा सका था। अंत में बिजली कनेक्शन बंद करने के पश्चात लाश को निकाला गया।
घटना के बार में मृतक महिला के पति कनुभाई राठोड ने मीडिया को बताया कि वह मजदूरी कर के परिवार में पत्नी और तीन बच्चियों को जीवन निर्वाह करते हैं। सोमवार को भी वह मजदूरी के लिए बगीचे में गए थे। इस दौरान बिजली का तार टूट कर उन पर गिर पड़ा और गले में उलझ गया और वह परिवार के सामने जलने लगी।
परिवार वालों के सामने वह जल रही थी। लेकिन बिजली का कार जीवित होने के कारण उन्हें नहीं बचाया जा सका। आसपास के लोगों ने पुलिस को जानकारी दी तब पुलिस आधे घंटे के बाद पहुंची और बिजली कंपनी को बताकर करंट बंद करवाया।
इसके बाद लाश को जाकर निकाला जा सका। भावना की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। पति का आरोप था कि तीन साल में तीन चार बार बिजली का तार टूट कर गिर चुका है, लेकिन प्रशासन ने लापरवाही बरती है। जांच के बाद सच्चाई का पता चलेगा।
राज्य सरकार की ओर से कपड़ा उद्यमियों के लिए जनवरी 2019 में टैक्सटाइल पॉलिसी की घोषणा की गई थी। इसके तहत नई कपड़ा इकाइयों को बिजली में सब्सिडी देने की घोषणा की गई थी लेकिन राज्य के कपड़ा उद्यमी इसका लाभ नहीं ले सके थे।
ऐसा बताया जा रहा है कि उर्जामंत्रालय की ओर से कपड़ा उद्यमियों को सब्सिडी देने के लिए मो लिए मॉड्यूल तैयार नहीं किया गया। चेंबर और शहर के उद्योगपतियों द्वारा राज्य सरकार को इस बारे में गुहार लगाने के बाद जनवरी 2021 में मॉड्यूल को जारी करने का आश्वासन दिया गया है।
सूरत के कपड़ा उद्यमी और व्यापारी संगठन कपड़ा उद्योग को बिजली सब्सिडी प्रदान देने के लिए 2018 से राज्य सरकार से मांग कर रहे हैं। कपड़ा उद्यमियों का कहना था कि जिसमे गुजराक सरकार द्वारा कपड़ा उद्यमियों को उचित संरक्षण नहीं होने के कारण महाराष्ट्र में सूरत से नवापुर-तारापुर में कपड़ा इकाइयों को स्थानांतरित हो जाने की चिंता व्यक्त की गई थी।
इसके पहले राज्य सरकार ने 10 जनवरी, 2019 को कपड़ा नीति की घोषणा की थी, जिसमें सरकार द्वारा उचित संरक्षण नहीं होने के कारण और महाराष्ट्र में गुजरात से सस्ती बिजली होने के कारण सूरत और दक्षिण गुजरात से नवापुर-तारापुर में कपड़ा इकाइयों को स्थानांतरित हो जाने की चिंता व्यक्त की गई थी।
राज्य सरकार की ओर से इन बातों को ध्यान में लेकर नई इकाइयों में, एलटी और एचटी बिजली लाइनों पर क्रमश: 2 रुपये और 3 रुपये प्रति यूनिट सब्सिडी की घोषणा की गई थी। सरकार की घोषणा के बावजूद, सैकड़ों नई स्थापित होने वाले कपड़ा यूनिट अभी तक बिजली सब्सिडी का लाभ नहीं उठा पाए हैं। क्योंकि राज्य सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने सब्सिडी को मंजूरी देने वाला मॉड्यूल (पोर्टल) तैयार नहीं किया। इसका नुकसान कपड़ा उद्योग को हो रहा है। मौजूदा इकाइयों को अभी भी 8 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली का भुगतान करना पड़ता है।
चैंबर के उपाध्यक्ष आशीष गुजराती ने कहा किकुछ दिन पहले गांधीनगर में और स्थानीय जिला उद्योग केंद्र में अधिकारियों के साथ बैठक में इस मुद्दे को उठाया था। जिसके बाद स्थानीय कार्यालयों को जनवरी तक पोर्टल तैयार करने का आश्वासन दिया गया है। पिछले हफ्ते ही उमरगाम इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के साथ चैंबर में एक बैठक हुई थी। उनका कहना था कि 20 से 400 करोड़ रुपये की इकाइयां उमरगाम से महाराष्ट्र में स्थानांतरित हो रही हैं।
दक्षिण गुजरात बिजली कंपनी के पास इन दिनों 200 और 500 केवी के ट्रान्सफर्मर की कमी है। इस कारण से उद्यमियों को पर्याप्त बिजली नहीं मिलने की शिकायत उद्यमी कर रहे हैं।दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (जीसीसीआई) ने आज ट्रांसफॉर्मर की कमी के कारण दक्षिण गुजरात के उद्योगपतियों को आर्थिक नुकसान होने की गुहार लगाते हुए बिजली कंपनी को ट्रांसफार्मर की कमी को दूर करने की मांग की है।
दक्षिण गुजरात बिजली कंपनी लिमिटेड जो कि पूरे दक्षिण गुजरात को बिजली की आपूर्ति करती है। बीते कई महीनो से कोरोना की असर के कारण कई चीजों की कमी से जूझ रही है ऐसा प्रतीत हो रहा है।को एक बार फिर सामग्री की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
लॉकडाउन के दौरान 200 और 500 केवी के ट्रान्सफॉर्मर नहीं होने के कारण औद्योगिक ईकाइयों को बिजली की कमी से जूझना पड़ रहा है। भारी बिजली भार वाली औद्योगिक इकाइयों को ट्रांसफार्मर की कमी के कारण पर्याप्त बिजली लोड नहीं मिल रहा है। इसलिए उद्यमियों को नुकसान हो रहा हैं। नए कनेक्शन की अर्जी पर दो महीने के बाद फिक्सड चार्ज लगाया जाता है।
लेकिन ट्रांसफार्मर 200 और 500 केवी के बिना बिजली कनेक्शन चालू नहीं किया गया था। उद्योगपतियों ने चेंबर से यह भी शिकायत की कि 200 और 500 केवी के ट्रान्सफार्मर की कमी दूर करने के लिए गुहार लगाने वाले उद्यमियों को निर्धारित मांग शुल्क का बिल लगाया जा रहा है। इस समस्या को दूर करने के लिए चैंबर ऑफ कॉमर्स ने बिजली कंपनी के एमडी को निर्देश दिया है।
दक्षिण गुजरात बिजली कंपनी ने कोरोना के दौरान ग्राहकों को बिजली कंपनी सम्बंधित कार्यों के लिए बिजली कार्यालय तक नहीं जाना पड़े इसके लिए एप्लीकेशन तैयार की है। DGVCL एंड्रॉयड एप्लीकेशन के माध्यम से ग्राहक बिजली बिल भरने के साथ बिजली कंपनी पर संबंधित शिकायतें भी इस पर कर सकते हैं।
बिजली कंपनी का कहना है कि इस एप्लीकेशन के माध्यम से बिजली कंपनी लोगों का अधिक से अधिक सुविधा घर बैठे देना चाहती है। इस एप्लिकेशन में बिजली कंपनी ने कई तरह के फ़ीचर भी रखे हैं।ऑनलाइन भुगतान के दायरे को बढ़ाने के लिए डीजीवीसीएल ने बीती 31 अगस्त को एप लांच किया था। जोकि अब बिजली कंपनी लोगों तक तेज़ी से पहुँचाने का प्रयास कर रही है।
बिजली बिलों के भुगतान और शिकायतें दर्ज कराने के लिए लोगों को डीजीवीसीएल का एप लुभाने लगा है। करीब डेढ़ महीने में चार सौ लोगों ने इस एप का इस्तेमाल कर अपने बिजली बिलों का भुगतान किया है। इससे बिजली कंपनी को चार करोड़ रुपए मिले हैं। बिजली संबंधी शिकायतों के लिए भी लोग इस एप का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। अब तक करीब एक हजार लोगों ने एप के जरिए अपनी शिकायतें दर्ज कराई हैं।
कोरोना संक्रमण के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे।इसे देखते हुए हर तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं। बिजली बिलों के भुगतान के लिए लगने वाली लंबी कतारों में सोशल डिस्टेंसिंग का सबसे ज्यादा उल्लंघन होने की आशंका को देखते हुए डीजीवीसीएल ने भी अपने उपभोक्ताओं को ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा देने का निर्णय किया था।
हालांकि नेट बैंकिंग और दूसरे पेमेंट एप्स के माध्यम से भी बिजली बिलों का ऑनलाइन भुगतान लोग कर रहे थे अब वह इस ऐप के ज़रिए भर सकेंगे। इसमें लोग बिजली नहीं होने, बिजली चोरी की शिकायत भी कर सकते है। साथ ही पावर कट और बिजली सुरक्षा जैसी जानकारियाँ भी उपलब्ध होगी।
लॉकडाउन के दौरान कारखाने बंद होने के बावजूद उद्यमियों को तगड़ा बिजली का बिल दिया गया था और 30 मई तक बिजली बिल भरने वालों नहीं भरने वालों से 11% की दर से लेट फीस के साथ बिजली बिल वसूला गया। इस बारे में विवर्स ने बिजली कंपनी में शिकायत की थी। जिसके बाद एल टी कनेक्शन धारकों को लेट फीस रिटर्न करने के लिए कहा गया है।
मिली जानकारी के अनुसार कोरोना संक्रमण से बचने के लिए केंद्र सरकार ने मार्च से मई महीने तक लॉकडाउन घोषित किया था। इस दौरान औद्योगिक इकाइयां बंद थी। राज्य सरकार ने तब मार्च से अप्रैल के बिजली बिल 30 मई तक भरने से मुक्ति दी थी हालांकि कई उद्यमी मई के अंत तक भी बिजली बिल नहीं भर पाए थे।
जब इन्होंने बिजली बिल भरा तब बिजली कंपनी ने 11% के हिसाब से वसूल किया था पर थी। इस मामले में सचिन के विवर और सचिन इंडस्ट्रियल कोऑपरेटिव सोसाइटी के पूर्व सेक्रेटरी मयूर गोल वाला ने ऊर्जा मंत्री और डीजीवीसीएल के उच्च कर्मचारियों को गुहार लगाई थी। उनका कहना था कि 30 मई के बाद जितने दिन देरी से बिल भरे गए हो उन्हीं का विलंबित चार्ज लिया जाए।
प्रशासन ने इस मांग को स्वीकार करते हुए जिन ग्राहकों से लंबित फ़ीस लिया गया है। ऐसे एलटी ग्राहकों को जुलाई और अगस्त महीने के बिल में वह क्रेडिट कर दिया जा रहा है एचटी कनेक्शन धारकों के लिए भी लेट फीस क्रेडिट करने की प्रक्रिया चल रही है।
सूरत शहर और जिले में विविंग और डाइंग प्रोसेसिंग युनिटो में लॉकडाउन के दौरान केपेसीटर चालू रह जाने से बिजली कंपनी की ओर से उनसे बिल के साथ लंबित बिल पर ब्याज मांगा जा रहा है।
इस बारे में अंजनी इन्डस्ट्रियस एस्टेट, कृष्णा इन्डस्ट्रियल एस्टेट, तथा सचिन जीआईडीसी कंपनी के संचालको की ओर से बिजली कंपनी के चीफ इंजीनियर एच.आर.शाह को एक ज्ञापन देकर केपेसीटर चार्ज के सिलसिले में तथा लंबित बिल पर ब्याज के बारे में छूट देने की मांग की गई है।
अग्रणी विवर केयूर पटेल, मयूर गोलवाला, अश्विन सोजित्रा ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान की घोषणा के दौरान उद्योगपतियों और नागरिकों ने लॉकडाउन का संपूर्ण पालन किया और कारखाने तीन महीने तक बंद रहे।पुलिस भी लॉकडाउन के दौरान उद्योगपतियों को फैक्ट्री जाने से रोक रही थी।
इसके कारण इकाइयों के कैपेसिटर चालू रहे। सरकार ने 30 मई तक बिल का भुगतान करने की कट-ऑफ तारीख तय की थी। लेकिन जिन लोगों ने 6 जून को बिल का भुगतान किया था, उन्हें देर से भुगतान पर ब्याज का भुगतान करने के लिए कहा गया। परिणामस्वरूप, कई लोगों ने अपने बिलों का भुगतान करना बंद कर दिया है।
जर्क के नियम 3.8 के प्रावधान के अनुसार, यह ग्राहक की जिम्मेदारी है कि वह यह देखे कि मीटर नियमित रूप से चल रहा है या धीमी गति से चल रहा है, लेकिन कारखाने के बंद होने पर केपेसीटर को बंद करने के लिए बिजली कंपनी जिम्मेदार है। ग्राहकों ने सिर्फ बिजली के इस्तेमाल का कोन्ट्राक्ट किया है कैपेसीटर का नहीं किया है।
अगर बिजली कंपनी अप्रैल में रीडिंग लेती तो समस्या पैदा नहीं होती। बिजली कंपनी के अधिकारियों ने इस बारे में हेड क्वार्टर की राय मांगी है। इस संबंध में उचित निर्णय लेने का आश्वासन दिया है। उन्होंने विलंबित बिल पर ब्याज की वसूली के मामले को स्पष्ट करने का भी वादा किया है।
चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से मंगलवार को बिजली कंपनी के बड़े अधिकारियों के साथ कई मुद्दों पर चर्चा करने के लिए वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार में कई औद्योगिक अग्रणी उपिस्थत थे। बिजली कंपनियों से उन्होंने बिजली कनेकेशन और बिजली बिल की कई समस्याओं को हल करने की गुहार लगाई।
उद्यमियों का कहना था कि बिजली कंपनी की ओर से लिए जाने वाली सिक्योरिटी डिपॉजिट फीस तथा जितनी बिजली इस्तेमाल की जाए उतना ही बिल देने की गुहार लगाई। उद्यमियों का कहना था कि नई बिजली कनेक्शन के लिए कई बार अर्जी करने पर भी लंबा समय भी जाता है। इसलिए उद्यमियों को परेशान होना पड़ता है।
बिजली का कनेक्शन जल्दी मिलने से उद्यमियों को राहत होगी। कई उद्यमियों का कहना था कि बिजली बिल में जो जानकारी दी जाती है वह समझ पाना ग्राहकों के लिए मुश्किल होता है। ग्राहक बिल को सरलता से समझ सके इसलिए आंकड़ा की माहिती भी सरल होनी चाहिए। लॉकडाउन के दौरान सभी क्षेत्रों में कारखाने बंद रहे लेकिन कारखानों का बिल ज्यादा होने की शिकायत भी कई औद्योगिक क्षेत्रों से आ रही है।
एचटी बिजली कनेक्शन में यदि कोई राशि बिजली कंपनी की ओर से जोड़ी गई है या कुछ घटाई गई है तो भी ग्राहकों को बता देना चाहिए। बीते दिनों एक डिवीजन के बिल दूसरे डिवीजन में मरने जाने के कारण भी ग्राहकों को मुसीबत का सामना पड़ा। लॉकडाउन के दौरान कारखाने बंद थे ऐसे में के केपेसीटर चार्ज जोड़कर बिजली का बिल दिया गया है। उसे भी आगामी बिल में एडजस्ट कर दिया जाए ऐसी मांग की।
दक्षिण गुजरात बिजली कंपनी लिमिटेड के अधिकारियों का कहना था कि ग्राहकों को उपयोगी बन सके ऐसी एप्लीकेशन 15 अगस्त को लॉन्च की जाने वाली है। इस एप्लीकेशन में ग्राहकों को बिल की जानकारी तथा उनकी शिकायत को लेकर हर प्रकार की समस्या दूर जाएगी। हर प्रकार की सुविधा इस एप्लीकेशन के माध्यम से उपलब्ध कराने के लिए भी प्रयास कर रही है।