केन्द्र सरकार ने जेम्स एंड ज्वैलरी इन्डस्ट्री की वर्षो पुरानी मांग स्वीकार कर ली है। ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने और छोटे हीरा उद्योगपतियों और ज्वैलर्स को एक्सपोर्ट से जोड़ने के लिए, भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय ने अब कूरियर के माध्यम से डायमंड और डायमंड ज्वैलरी के निर्यात को मंजूरी दी है।
जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउन्सिल के सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार देश के छोटे और मध्यम ज्वैलर्स की ओर से लंबे समय से सरकार कुरियर के माध्यम से उन्हें ज्वैलरी भेजकर व्यापार की छूट देने की गुहार लगाई जा रही थी। कुछ दिनों पहले भी जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउन्सिल ने इस बारे में गुहार लगाई थी।

छोटे और मध्यम हीरा उद्यमियों को भी कई बार विदेश से छोटे छोटे ऑर्डर मिलत थे लेकिन उसे भेजने में उन्हें ज्यादा खर्च करना पड़ता था। इसलिए वह पार्सल कूरियर मोड से हीरे और हीरे के आभूषणों का निर्यात करने के लिए केन्द्र सरकार से मांग कर रहे थे। जिसे कि केन्द्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है।
जीजेईपीसी के उपाध्यक्ष विपुल शाह ने कहा कि अब तक कार्गो के जरिए छोटे पार्सल का निर्यात किया जाता है। जिसमें छोटे हीरा उद्यमियो और ज्वैलर्स को पार्सल भेजने के लिए ज्यादा लागत चुकानी पड़ती थी। सरकार ने कूरियर एंड एक्सपोर्ट्स (इलेक्ट्रॉनिक डिक्लेरेशन एंड प्रोसेसिंग) एक्ट 2010 के तहत स्पष्ट किया कि हीरे और हीरे से जड़े आभूषणों का निर्यात कूरियर के जरिए किया जा सकता है। हालाँकि, इसके लिए कुछ मानदंड निर्धारित किए गए हैं। सर्टिफाइड होने के बाद ही उद्यमी ज्वैलरी का निर्यात कर सकेंगे। हालांकि, हीरे या हीरे के आभूषण कूरियर के माध्यम से आयात नहीं कर सकते।
जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउन्सिल के रीजनल चेयरमैन दिनेश नवाडिया ने कहा कि इस फैसले से छोटे और मध्यम वर्गीय हीरा उद्यमियों को राहत होगी। अब तक कुरियर के माध्यम से निर्यात की छूट नहीं होने से अन्य माध्यमों से भेजने पर इसकी निर्यात लागत बढ़ रही थी। केन्द्र सरकार ने छोटे उद्यमियों को फायदा पहुंचाने और ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने के लिए कूरियर द्वारा निर्यात को मंजूरी दी है। अब तक, कार्गो शिपमेंट को अमरीका में निर्यात करने के लिए छोटे उद्यमियों 65 से 100 डॉलर तक चुकाना पडता था।
चीन और मध्य पूर्व से माल का निर्यात केवल 3.5 से 5 डॉलर में हो जाता था। इस कारण प्रतिस्पर्धा में भारत के उद्यमी पीछे रह जाते थे। शिपिंग शुल्क अधिक होने के कारण भारतीय हीरे के आभूषण अधिक महंगे हो रहे थे और चीनी उत्पाद कम शुल्क के कारण सस्ते हो रहे थे। इस फैसले से अब रत्न और आभूषण क्षेत्र के छोटे उद्यमियों को सीधा फायदा होगा।