सचिन स्थित सूरत स्पेश्यल इकॉनामिक जोन में चार दिन पहले सिन्थेटिक हीरों के नाम पर भेजे जा रहे नेचरल हीरों के मामले ने सूरत के हीरा उद्योग में हवाला कारोबार को की दस्तक की बू आ रही है। हीरा की पहचान सामान्य ढंग से नही की जा सकती। इसलिए एक्सपोर्ट के समय ओवरवेल्युएशन कर के भी कई कारोबारी हवाला खेल करते हैं।

सचिन के सेज में स्थित युनिवर्सल जेम्स में भी कुछ इसी तरह से हुआ है। इस पेढी का संचालक विदेश से लेबग्रान डायमंड (यानि की जो लेबोरेटरी मे बनाए गए है) उसे इम्पोर्ट करता था। सेज के नियम के अनुसार इस पर वेल्युएडिशन कर उसे एक्सपोर्ट कर देना था। लेकिन वह ऐसा नहीं कर के लेबग्रोन डायमंड के स्थान पर असली हीरे भेज रहा था। डिपार्टमेन्ट ने जब उसके दो पार्सल पकड़े तो उसमें 50 हजार कैरेट डायमंड मिले। इसकी कीमत एक करोड़ से लेकर पांच सौ करोड भी हो सकती है। अभी गिनती की जा रही है।

विभाग ने पेढी के संचालक मीत नाम के शख्स को ढूढने का प्रयास शुरू किया है। पूणा गांव स्थित उसके कार्यालय को विभाग ने सील कर दिया है। कस्टम विभाग ने अब तक जो जांच की है उसमें यह सब हवाला का खेल नजर आ रहा है। इसलिए जल्दी ही इस मामले में एन्फोर्समेन्ट डायरेक्ट्रेट भी जांच करेगा। कस्टम विभाग का मानना है कि मीत सिर्फ एक प्यादा है इसका उपयोग कुछ बड़े उद्यमी कर रहे हैं। जो कि अपना हवाला का कारोबार चलाने के लिए मीत को कुछ प्रतिशत राशि कमिशन के तौर पर चुकाकर यहां से लेबग्रोन डायमंड के हीरे की आड़ में असली हीरे भेज रहे थे।
सूत्रों का कहना है कि सेज में जो चल रहा था वह हवाला का ही एक रूप हो सकता है। उदाहरण के तौर पर किसी अन्य देश में रहने वाले शख्स ने सूरत के हीरा उद्ममी को किसी कारण से 100 करोड़ रुपए दिए या उनके लिए काम किया तो उसके अवेज में पेमेन्ट करने में यह पद्धति उपयोग में ली जाती है। कोई भी एक्सपोर्ट बाकायदा नियम के साथ कस्टम विभाग में दर्ज कराकर किया जाए तो उसका पेमेन्ट कब आया यह भी दिखाना पड़ता है। बुक्स पर यह सब नहीं दिखाना पड़े इसलिए नेचरल हीरे हवाला के सेटलमेन्ट के लिए भेजे जा रहे थे।