शहर में एक ही परिवार के चार सदस्यों ने जहर निगलने से चारों को आगे के इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में भेजा गया। मां, बेटी और बेटे की कुछ देर के इलाज के बाद मौत हो गयी. जबकि आगे इलाज के दौरान पिता की भी मौत हो गई। जहर पीने के बाद सूरत के इस परिवार के पति जौहरी ने अपने मौसेरे भाई को बुलाकर कहा कि मेरे एक बेटे-बेटी को बचा लो। आत्महत्या करने से पहले हीराश्रमिक ने वीडियो बनाकर कहा कि मैं एक अच्छा पति या पिता नहीं बन सका। फिलहाल प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि परिवार ने आर्थिक तंगी के चलते आत्महत्या की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सूरत के सरथाना में रहने वाले मूल सीहोर के रहने वाले विनुभाई मोरडिया हीरा फैक्ट्री में काम करते हैं. बुधवार की शाम उसने अपनी पत्नी शारदाबेन और बेटे कृष व बेटी सेनीता के साथ जहर पीकर आत्महत्या करने की कोशिश की। इस घटना की सूचना मिलते ही चारों को आगे के इलाज के लिए 108 के माध्यम से अस्पताल भेज दिया गया. जहां इलाज के दौरान पत्नी, बेटी और बेटे की मौत हो गई। जबकि विनुभाई की हालत गंभीर थी, अंत में उनकी भी मृत्यु हो गई। घटना की जानकारी होने पर पुलिस भी अस्पताल पहुंची और आगे की जांच की।
इस संबंध में एसीपी पी.के. पटेल ने मीडिया को बताया कि मोरदिया परिवार के चार सदस्यों ने जहर खा लिया था.सामूहिक आत्महत्या के इस प्रयास में कुल तीन लोगों की मौत हुई है और विनुभाई का इलाज चल रहा है. उन्होंने आगे कहा कि इलाज कर रहे विनुभाई ने जहर खाने से पहले परिवार के साथ वीडियो बनाया था. जिसमें वह कहता है कि मेरे पास सुसाइड करने के अलावा और कोई चारा नहीं है। मैं एक अच्छा पिता नहीं बन सका। इस वीडियो को रिकॉर्ड करने के बाद उसने आत्महत्या कर ली।
सूरत डायमंड वर्कर यूनियन ने पुलिस कमिश्नर से इस बारे में परिवार के आत्महत्या की निष्पक्ष जांच करने तथा मुख्यमंत्री से मृतक परिवार के परिवार की आर्थिक मदद करने की माँग की!
हीरा उद्योग में मंदी का माहौल है लॉकडाउन के कारण वैश्विक मंदी के चलते हीरा उद्यमियों की परिस्थिति पतली हो गई है। ऐसे में हीरा उद्योग की जानी मानी कंपनी के गिरधरलाल ले 100 से अधिक हीरा श्रमिकों को नौकरी से निकाल दिए जाने का आरोप लगाया जा रहा है।
सूरत डायमंड वर्कर यूनियन ने कलेक्टर और लेबर विभाग को ज्ञापन देकर हीरा श्रमिकों को नौकरी पर रखने की मांग की है नहीं तो व गांधी जी के सत्य और अहिंसा के मार्ग पर आंदोलन करेंगे ऐसी धमकी दी है।
सूरत डायमंड वर्कर यूनियन ने कलेक्टर को दिए ज्ञापन में बताया है कि के गिरधरलाल कंपनी ने वहां पर लंबे से कम समय से काम करने वाले सबसे अधिक श्रमिकों को नियमों के विरुद्ध जाकर नौकरी से निकाल दिया है। अब यह श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं।
सरकार का कहना था कि लॉकडाउन डाउन के दौरान किसी भी श्रमिक को नौकरी से नहीं निकाला जाए और लोग डाउन के दौरान का वेतन भी दिया जाए। इसके बावजूद कंपनी के संचालकों ने सबसे अधिक हीरा श्रमिकों को निकालकर अपराध किया है।
यूनियन ने मांग की है कि इन हीरा श्रमिकों को तुरंत ही नौकरी पर रखा जाए लोग डाउन का पूरा पगार दिया जाए, 3 महीने का एडवांस पगार दिया जाए, प्रत्येक हीरा श्रमिक का पीएफ फंड तथा ग्रेजुएटी सहित अन्य तमाम लाभ दिए जाएं। डायमंड वर्कर यूनियन ने कलेक्टर और डिप्टी लेबर कमिश्नर को लिखित और मौखिक दोनों ढंग से यह जानकारी दी है।
डायमंड वर्कर यूनियन के ज्ञापन के बाद कंपनी मैनेजमेंट ने हीरा श्रमिकों से संपर्क करना शुरू कर दिया है और 24 घंटे में ही समग्र मामले का निकाल करने की आश्वासन भी दिया है।
उल्लेखनीय है कि हीरा उद्योग में मंदी का दौर है। ऐसे में छोटे बड़े सभी हीरा उद्यमियों की हालत खराब है। हीरा श्रमिक बड़ी संख्या में वतन जा चुके हैं। डायमंड इंडस्ट्री में काम नहीं मिलने के कारण हीरा श्रमिकों की भी हालत पतली हो गई है। बड़ी संख्या में हीरा श्रमिक उत्तर गुजरात की ओर चले गए हैं जो कि अब कब लौटेंगे कोई ठिकाना नहीं है।