मनपा ने हीरा कारख़ाने और कपड़ा बाज़ार की दुकानों को सील किया

कपड़ा बाज़ार तथा कतारगाम और वराछा जोन क्षेत्र में कोरोना के संक्रमितों की संख्या बढ़ने के कारण मनपा प्रशासन में डायमंड यूनिटों को सख़्त नियमों के पालन के साथ शुरू करने की छूट दी है। परिस्थिति को समझते हुए भी कुछ कपड़ा व्यापारी और हीरा यूनिट के संचालक मनमानी करने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। ऐसे में सूरत महानगर पालिका ने मनपाकी गाइडलाइन का पालन नहीं करने वाले इन कपडे की दुकानों और हीरा युनिटों को बंद कर दिया और दंड दिया है।


मिली जानकारी के अनुसार सूरत महानगर पालिका के स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कतारगाम ज़ोन में 10 यूनिटों में सर्वे किया था जिसमें किए कतारगाम के आश्रम रोड क्षेत्र में आए भोजाणी डायमंड और श्रीयमु डायमंड सहित अन्य एक यूनिट की जाँच की।

नियम के उल्लंघन के कारण यूनिटों को सील कर दिया। इन हीरा यूनिटों में एक घंटी पर एक कारीगर बिठाने के नियम का पालन नहीं किया जा रहा था। यूनिटों में कारीगरों का एंटिजन टेस्ट भी नहीं कराया गया था। साथ ही सोशल डिस्स्टंस का पालन भी नहीं किकया जा रहा था।


इसके अलावा कपड़ा बाज़ार में मनीष मार्केट की चार और मनोज मार्केट की दो मार्केट में भी नियम के पालन में अनियमितता पाए जाने पर प्रशासन ने इन्हें बंद करवा दिया। बताया जा रहा है कि कपड़ा बाज़ार में मनपा की टीम की बारीकी से नज़र है। पहले भी मनपा अधिकारी इस तरह की कार्यवाही कर चुके है।


उल्लेखनीय है कि मनपा कि ओर से कपड़ा मार्कट और हीरा बाज़ार खोलने के लिए कई कड़े नियम बनाए गए है। इसका पालन ज़्यादातर मार्केट कर रहे है लेकिन कहीं कहीं सामान्य चूक के कारण भी व्यापारियों को नुक़सान का सामना करना पड़ रहा है।

कपड़ा उद्यमियों को परेशान कर रही श्रमिकों की समस्या


यूपी, बिहार और उड़ीसा के श्रमिकों को वापस लाने की चेंबर ऑफ कॉमर्स सरकार को गुहार लगाएगा। लॉकडाउन के दिनों में सूरत से बड़ी संख्या में अन्य राज्यों के श्रमिक गांव लौट जाने के कारण सूरत के उद्योगों की हालत डामाडोल हो गई है।

खासकर लूम्स कारखानों में श्रमिकों की कमी के कारण उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। इस परिस्थिति को देखते हुए चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से यूपी बिहार और उड़ीसा के श्रमिकों को वापस लाने के लिए सरकार से गुहार लगाई जाएगी।


चेंबर ऑफ कॉमर्स के कार्यवाहक प्रमुख दिनेश नावडिया ने बताया कि कोरोना के कारण दुनिया भर में तमाम उद्योगों को बुरे दौर से गुजरना पड़ रहा है। हीरा उद्योग के लिए इंटरनेशनल मार्केट है, जबकि कपड़ा उद्योग के लिए डॉमेस्टिक मार्केट बहुत बड़ा है। यह दोनों ही अभी मुसीबत के दौर से गुजर रहे हैं।

दोनों को श्रमिकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इस सिलसिले में उद्यमियों के सुझाव जानन के लिए गुरुवार को चेंबर में मीटिंग हुई। जिसके आधार पर चेंबर की ओर से सूरत महानगर पालिका और रेलवे श्रमिकों के लिए गुहार लगाई जाएगी। नावडिया ने बताया कि सूरत महानगर पालिका की गाइड लाइन में कुछ परिवर्तन करने के लिए मांग करेंगे।

साथ ही अन्य राज्यों का श्रमिक जहां पर नौकरी में लगेगा वहां के मालिक की जिम्मेदारी रहेगी। गुजरात की नई इंडस्ट्री पॉलिसी में भी कारीगरों के निवास के लिए 5 करोड़ की तब्दीली का उल्लेख किया गया है। जिसका लाभ लेने के लिए चेंबर की ओर से उद्यमियों को कहा गया। कारीगरों के ग्रुप इंश्योरेंस के लिए भी सरकार मेडिक्लेम पॉलिसी शुरू करें इसके लिए भी गुहार लगाई जाएगी।

श्रमिकों की कोरोना जाँच के लिए पालिका हर जोर में धन्वंतरि रथ जिस तरह चला रही है उसी तरह औद्योगिक क्षेत्र में भी चलाए ऐसी मांग की जाएगी।


मीटिंग में फिआस्वी के चेयरमैन भरत गांधी फोगवा के प्रमुख अशोक जीरावाला पांडेसरा विवर सोसायटी के आशीष गुजराती बृजेश गोंडलिया तथा फोस्टा के अग्रणी कपड़ा उद्यमी उपस्थित रहे