1 अक्टूबर से इलेक्ट्रॉनिक इनवाइस बिलिंग सिस्टम शुरू हो जाएगी। इस नई व्यवस्था में व्यापारी जो माल भेजा जा रहा है उसका नाम, मात्रा और उसकी कीमत तथा टैक्स की राशि जीएसटी के पोर्टल पर डालनी होगी। इसके आधार पर इनवॉइस जनरेट होगा।

पोर्टल पर इनवाइट की जानकारी दर्ज होने के बाद यह सरकारी अधिकारियों को भी दिखेगा। यह बिल सरकार के जीएसटी के पोर्टल पर ही उपलब्ध होंगे। बताया जा रहा है कि फिलहाल यह सिस्टम 500 करोड रुपए से अधिक के टर्न ओवर वाली कंपनियों और व्यापारियों के लिए अनिवार्य है।

मिली जानकारी के अनुसार 1 अक्टूबर से माल भेजने के लिए इलेक्ट्रॉनिक इनवॉइस बिल अनिवार्य किया गया है। जीएसटी आने के बाद सरकार ने ई-वे बिल लागू किया था।

अब सरकार एक कदम आगे बढ़ते हुए ऑनलाइन इनवॉइस बिल लाने जा रही है। यह व्यवस्था 1 अक्टूबर से लागू होगी। इनवॉइस बिलिंग सिस्टम के माध्यम से सभी जगह एक समान ढंग से बिल बनाए जाएंगे और रियल टाइम जीएसटी विभाग के अधिकारियों को भी दिखेगे।

इस नई व्यवस्था में व्यापारी को व्यवस्थित जानकारी देनी होगी, जैसे कि किसी सामान को कोई व्यापारी आइटम लिख रहा है, कोई प्रोडक्ट लिख रहा है यह सब नहीं मान्य होगा। छूट के लिए कोई डिस्काउंट लिख रहा है कोई एक्जमेप्टेड लिख रहा है। इस तरह से नहीं चलेगा।

इलेक्ट्रॉनिक इनवाइस बिलिंग सिस्टम में हर एक हेड को स्टैंडर्ड फॉर्मेट में लिखा जाएगा। कंपनियों को अपनी मैन्युफैक्चरिंग या ऑफिस से बाहर भेजने जाने वाले हर माल सामान के लिए इस व्यवस्था के तहत कम्प्यूटर जनरेटेड इनवॉइस ही लेने होंगे।

इसके लिए सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना होगा। फिलहाल इस व्यवस्था से बैंक बीमा सहित वित्तीय सेवाओं से जुड़ी कंपनियों और ट्रांसपोर्ट को दूर रखा गया है।