हीरा उद्योग में मंदी के कारण अधिकांश उद्योगपतियों के यहां ओवरस्टॉक की समस्या उत्पन्न हो गई है। इसे कम करने के लिए जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) समेत प्रमुख संगठनों ने प्रयास शुरू कर दिए हैं।

जीजेईपीसी ने हाल ही में दुनिया की सभी कच्चे हीरे की खनन कंपनियों से दो महीने के लिए कच्चे हीरों की आपूर्ति निलंबित करने की अपील की, जिसे रूसी खनन कंपनी ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद प्रमुख संगठनों ने सूरत और मुंबई के सभी प्रमुख हीरा उद्योग को पत्र लिखकर 15 अक्टूबर से 15 दिसंबर तक कच्चे हीरों की खरीद स्थगित करने का आग्रह किया है। पत्र में हीरा उद्योग की मौजूदा स्थिति की जिम्मेदारी ली गई है और कहा गया है कि विदेशों में मांग घटने के कारण निर्यात में भारी गिरावट आई है। उद्योगपतियों के पास बड़ा स्टॉक है।

मांग और आपूर्ति के बीच बहुत बड़ा अंतर हो गया है. इन सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए सूरत और मुंबई के 100 से ज्यादा प्रमुख हीरा उद्योगपतियों की बैठक हुई. जिसमें अधिकांश उद्योगपतियों ने यह विचार व्यक्त किया कि कच्चे हीरों की खरीदी 15 अक्टूबर से 15 दिसम्बर तक स्थगित रखी जाये। इसके बाद दिसंबर के पहले सप्ताह में बैठक कर समीक्षा की जायेगी. जीजेईपीसी के पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष दिनेश नवादिया ने बताया कि जीजेईपीसी समेत प्रमुख संगठनों की बैठक हुई, जिसमें हीरा उद्योग से 15 अक्टूबर से 15 दिसंबर तक हीरा खरीदी बंद रखने की अपील करने का निर्णय लिया गया.

सूरत

शहर में आभूषण उद्योग बड़े पैमाने पर बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर, श्रमिकों के लिए आवश्यक स्कूलों और कई सुविधाओं की कमी के कारण बड़ी संख्या में इससे जुड़े श्रमिक बंगाल लौट रहे हैं या कहीं और नौकरी कर रहे हैं। ऐसे में बंगाली ज्वैलर्स लेबर की कमी से जूझ रहे हैं। इन सभी मुद्दों पर शुक्रवार को बंगाली आर्टिसंस एसोसिएशन और जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के पदाधिकारियों की बैठक हुई।


बंगाली कारीगर एसोसिएशन के अध्यक्ष वासुदेव अधिकारी ने कहा कि शहर में बड़ी संख्या में बंगाली कारीगर आभूषण उद्योग से जुड़े हैं। लेकिन चूंकि यहां बंगाली स्कूल का अभाव है। वे अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए परिवार को सूरत नहीं बुला सकते।परिणामस्वरूप, कुछ वर्षों के बाद श्रमिक भी अपने गृहनगर लौट जाते हैं और फिर नहीं लौटते। उन लोगों के जो यहाँ हैं उनके बच्चों की पढ़ाई में दिक्कत आ रही है.

इसके अलावा, कुछ ज्वैलर्स ने कहा कि वे बंगाल से लोगों को बुलाकर प्रशिक्षण देते थे लेकिन कुछ समय बाद वह अन्य आभूषण कंपनियों में चले जाते हैं । बंगाली ज्वैलर्स के लिए श्रमिकों की कमी से उत्पादन प्रभावित हो रहा है। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद क्षेत्रीय अध्यक्ष विजय मंगेकिया ने बंगाली कारीगर संघ को एक साथ आकर उनके व्यापार के विकास और हित के साथ-साथ व्यापार को उनके अनुकूल बनाने के लिए सभी कार्य करने का आश्वासन दिया।

बंगाली कारीगरों की वजह से स्थानीय लोगों के रोजगार पर पड़ रहे असर का वीडियो वायरल

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक शख्स बंगाल के आभूषण कारीगरों के बारे में विवादित वाक्य बोल रहा है और यह भी कह रहा है कि बंगाली कारीगर गुजरात के श्रमिकों के लिए नौकरी की समस्याएँ पैदा कर रहे है।जिससे बंगाली कारीगरों में आक्रोश है। अधिकारियों का कहना है कि यह वीडियो बंगाल में वायरल हो रहा है, जहां परिजन परेशान हैं और बार-बार फोन कर रहे हैं. हालांकि, बंगाल आर्टिजन एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि किसी ने इस तरह से वीडियो वायरल कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की है, लेकिन इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा. सूरत के उद्योगपतियों से हमें सहयोग मिल रहा है.

जीजेईपीसी ने भारत के संपूर्ण रत्न और आभूषण उद्योग की ओर से विजेताओं को विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए सुंदर आभूषण (बीजवेल्ड ब्रोच) देने की घोषणा की है। एथलीटों को एक उपहार जीजेईपीसी ने भी सभी खिलाड़ियों को भारत का प्रतिनिधित्व करने और जीतने के लिए उनके जबरदस्त प्रयासों के लिए बधाई भी दी।

जीजेईपीसी के अध्यक्ष कॉलिन शाह ने कहा कि जीजेईपीसी हर साल रत्न और आभूषण के क्षेत्र में प्रतिभाशाली निर्यातकों और उनके मालिकों को सम्मानित और बढ़ावा देता है। उसी भावना से, हम विजेता एथलीटों को असाधारण प्रतिभाओं के साथ सम्मानित करने जा रहे हैं जिन्होंने भारत बनाया है प्रसिद्ध और गौरवान्वित किया है। हमें यकीन है कि यह रोमांचक क्षण एथलीटों की अगली पीढ़ी के लिए प्रेरणा होगा। रत्न और आभूषण उद्योग ने हमेशा देश के भविष्य को बढ़ावा देने में विश्वास किया है। टोक्यो ओलंपिक जीतने वाले भारतीय एथलीटों ने हमारे देश की शान बढाया है।भारतीय एथलीटों ने जो हासिल किया है वह असाधारण है।

उल्लेखनीय है कि भारत ने इस साल 127 एथलीटों के साथ सबसे बड़ी ओलंपिक टीम भेजी, जिसमें रवि कुमार दहिया (कुश्ती (57 किग्रा)) और मीराबाई चानू (49 किग्रा महिला) ने रजत पदक जीता, जबकि पीवी सिंधु (महिला एकल बैडमिंटन), लवली की बोरगोहेन (महिला वेल्टरवेट) शामिल हैं। बॉक्सिंग), भारतीय पुरुष हॉकी टीम और बजरंगपुनिया (कुश्ती) ने कांस्य पदक जीते हैं।

16 जून 2021 से अनिवार्य हॉलमार्किंग के लागू होने के बाद, भारतीय आभूषण उद्योग हॉलमार्किंग के नए नियमों के संबंध में कई मुद्दो पर स्पष्टता चाहता है। जेम एंड ज्वैलरी ट्रेड के संगठन जीजेईपीसी ने 28 जून को एक वेबिनार का आयोजन किया, जिसमें प्राधिकरण और मुख्य वक्ता प्रमोद कुमार तिवारी, महानिदेशक, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के साथ विनिर्माण, खुदरा और संबंधित प्रश्नों को संबोधित करने के लिए एक वेबिनार का आयोजन किया गया। इस दौरान तिवारी ने उद्योग जगत से सवाल पूछे और सत्र के दौरान हॉलमार्किंग पर कुछ प्रमुख घटनाक्रमों की घोषणा की।


• ज्वैलर्स  की चिंताओं को दूर करने के लिए एक सलाहकार समिति का गठन किया जाएगा
• हॉलमार्किंग के लिए 20k, 23k, और 24k की अतिरिक्त सोने की शुद्धता की भी अनुमति होगी।
• बीआईएस कम मात्रा के बावजूद हॉलमार्किंग केंद्रों को बनाए रखने के लिए 75% की सब्सिडी के बारे में सोच रहा है।
• बीआईएस ने रजिस्ट्रेशन मुक्त कर दिया है, कुछ ही दिनों में  ज्वैलर्स का रजिस्ट्रेशन 36,000 से 40,000 तक पहुंच गया है।
• विनिर्माता और खुदरा विक्रेता को हॉलमार्क के अलावा आभूषणों पर अपना लोगो लगाने की अनुमति है।
• खुदरा विक्रेता मैन्युअल प्रविष्टियों की आवश्यकता के बिना जांच केंद्रों पर इन्वेंट्री को थोक में अपलोड कर सकते हैं।
• सभी मौजूदा हॉलमार्क वाले आभूषणों पर HUID के साथ फिर से हॉलमार्क करने की आवश्यकता नहीं है।
• कोई भी घरेलू आभूषण बिना हॉलमार्क के किसी भी रिटेलर/ज्वैलर को बेचा जा सकता है
• अभी ज्वैलरी फोटोग्राफ भी अनिवार्य नहीं है।
• पिघले हुए स्टॉक के HUID को निष्क्रिय कर दिया जाएगा।
• हॉलमार्किंग की आज की कोई समाप्ति तिथि नहीं है। सलाहकार समिति की बैठक में यह मुद्दा उठाया जाएगा।
• राज्य या केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित डोमेस्टिक बी2बी ट्रेड शो में हॉलमार्क ज्वैलरी को प्रदर्शित करना अनिवार्य नहीं है क्योंकि कोई बिक्री नहीं हो रही है।
• यदि आभूषण दो धातुओं से बने हैं, तो अभी केवल आभूषण में केवल सोने और चांदी के घटक के लिए हॉलमार्किंग अनिवार्य है।

वेबिनार में बोलते हुए, जीजेईपीसी के अध्यक्ष श्री कॉलिन शाह ने कहा, “16 जून, 2021 भारत में आभूषण उद्योग के इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन था। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय,पीयूष गोयल के साथ हमारी सभी बैठकों में, लक्ष्य बहुत स्पष्ट था: उपभोक्ता के हितों की रक्षा करना। जीजेईपीसी की ओर से, मैं आज के सत्र के लिए बीआईएस और हमारे सवालों के ईमानदार और स्पष्ट जवाब के लिए प्रमोद तिवारी को धन्यवाद देता हूं। हम आपके साथ हैं।

जीजेईपीसी उद्योग द्वारा सुचारु परिवर्तन के लिए उठाए गए मुद्दों को कारगर बनाने के लिए एक सलाहकार समिति बनाने के लिए बीआईएस द्वारा उद्योग के सुझाव की स्वीकृति की सराहना करता है।



कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अमेरिका और यूरोपीय देशों में कोरोना के मामलों में कमी आने से कट और पॉलिश किए गए हीरे के साथ हीरे के आभूषणों की मांग में भी बढ़ोतरी आई है।नतीजतन, हीरे के निर्यात में भी काफी वृद्धि हुई है।

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जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 के पहले दो महीनों यानी अप्रैल और मई में रत्न एवं आभूषण क्षेत्र में 4 फीसदी की वृद्धि हुई है।जेम्स एंड ज्वैलरी सेगमेन्ट का निर्यात इस साल अप्रैल और मई में 6.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो कि बीते साल 6.10 बिलियन था।

जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन कोलिन शाह ने बताया कि धीरे धीरे विदेशों में मार्केट खुल रहे है। इसके कारण माँग बढ़ी है। इसके अलावा केन्द्र सरकार द्वारा रत्न एवं आभूषण क्षेत्र में कुछ वस्तुओं पर आयात शुल्क में कमी से हीरा उद्योगपतियों को प्रोत्साहन मिला है। गोल्ड मोनेटाईजेशन योजना में सुधार और शिपमेंट के आने से तीन महीने पहले और बाद में इन्टरेस्ट इक्वेजिशन स्कीम के चलते भी उद्यमी उत्साहित हैं।


उन्होंने आगे कहा कि रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के आने वाले दिनों में और तेजी से बढ़ने की संभावना है। उन्होंने विदेश में आने वाले दिनों में शो आयोजित होने पर निर्यात में अच्छी बढ़ोतरी की संभावना भी जताई। पिछले वित्त वर्ष के अप्रैल और मई की तुलना में स्टडेड गोल्ड ज्वैलरी में 41% की वृद्धि हुई है।

जो पिछले वित्त वर्ष में 516.81 मिलियन थी। यह बढ़कर 730.04 मिलियन हो गया है। कट और पॉलिश किए गए हीरे क एक्सपोर्ट 21 फीसदी बढा हैं। अप्रैल और मई में 3.5 बिलियन से बढ़कर अब 4.26 बिलियन हो गया है।प्लेन और गोल्ड ज्वैलरी में 71 फीसदी की गिरावट आई है। इस साल सादे सोने के आभूषणों का निर्यात महज 1.49 अरब रहा, जो पिछले वित्त वर्ष में.43.11 करोड़ था।

जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल की ओर से ज्वेलरी की ऑनलाइन बिक्री के लिए ई-कॉमर्स वेबसाइट ईबे के साथ एमओयू किया गया है शुरू करने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है।

केन्द्र सरकार की ओर से ज्वैलरी कुरियर के माध्यम से भी भेजी जा सके इस दिशा में मार्ग खोलने का प्रयास शुरू किय गया है।जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउन्सिल ने इ-कॉमर्स कंपनी इ-बे के साथ एमओयु किया है। इसके अनुसार ई-कॉमर्स कंपनी ज्वैलरी की बिक्री के लिए डिस्प्ले के लिए माइक्रो साइट मेड इन इन्डिया तैयार करेगी।

जीजेईपीसी गुजरात सहित देश के छह राज्यो में ज्वैलर्स को जागृत करने के लिए प्रमोशन और हेल्प डेस्क तैयार करेगा। जीजेइपीसी के रीजनल चेयरमैन दिनेश नावडिया ने बताया कि अब व्यापार डिजिटल हो रहा है। इसलिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग कर व्यापार आगे बढाया जा रहा है।

फिलहाल ऑनलाइन व्यापार पर दो प्रतिशत टैक्स है। सरकार से इस बारे में स्पष्टता मांगी गई है। विदेशी कंपनियों ने भारतीय कंपनियों से इस बारे में लिखित स्पष्टता मांगी है। यह तमाम स्पष्टता होने के बाद व्यापार सरल हो जाएगा।ू  उल्लेखनीय है कि एक बार ऑनलाइन ई-कॉमर्स कंपनियों के माध्यम से व्यापार शुरू हो जाने पर भारत की ज्वैलरी इन्डस्ट्री बहुत तेजी से आगे बढेगी।


चेंबर ऑफ कॉमर्स से आयोजित स्पार्कल 2021 के उद्घाटन समारोह में उपस्थित रहने के लिए सूरत आए जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन कॉलिन शाह ने पत्रकार परिषद को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की ओर से जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर के लिए फॉरेन ट्रेड पॉलिसी बनाई जा रही है।

ई-कॉमर्स के माध्यम से 800 डॉलर तक जेम्स ज्वेलरी की बिक्री कर सकेंगे। आगामी दिनों में ई- कॉमर्स का क्षेत्र व्यापक होगा। इस सिलसिले में कॉमर्स मिनिस्ट्री इसके लिए मार्गदर्शिका बना रही है। ई-कॉमर्स की सरलता के लिए पोस्ट ऑफिस को भी जोड़ लिया जाएगा। कस्टम विभाग के तमाम नियमों का पालन करके यह व्यापार आगे बढ़ाया जाएगा। दुनिया के 200 कंपनियों के साथ इसके माध्यम से सीधा व्यापार होगा।

सूरत,मुंबई,जयपुर सहित देश में पांच पोस्ट ऑफिस को कुरियर सर्विस के लिए मान्य रखा जाएगा। जिससे कि शिपमेंट चार्ज 200 से 1000 तक ही पड़ेगा। आगामी भविष्य में 25% व्यापारी कॉमर्स के माध्यम से विकसित होगा। उन्होंने कहा कि बीते दिनों में जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर की ओर से जो मांग की गई थी वह केंद्र सरकार ने मान ली है। जैसे कि टफ योजना में डायमंड ज्वेलरी की मशीन के उपरांत लेबग्रोन डायमंड जिन मशीनों पर तैयार होता है उन मशीनों को भी टफ योजना का भी लाभ मिलेगा। इससे उन्हें सब्सीडी मिल सकेगी।

सरकार ने गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में भी परिवर्तन किया है। सरकार ने ज्वेलर्स को भी इस योजना का लाभ देने का तय किया है। इस योजना से एक साल में 200 टन सोना सिस्टम में आएगा। इसका लाभ ज्वैलरी सेक्टर को भी होगा। कोलिन शाह ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने हमारी मांगों को मानते हुए गोल्ड की इंपोर्ट ड्यूटी साढे बारह प्रतिशत से घटकर साढे सात प्रतिशत कर दी है।

लेबग्रोन डायमंड की ड्यूटी दोगुनी कर के 15% कर दी है जिससे कि सूरत के लोगों को लाभ मिलेगा। वर्तमान में भारत में 200 करोड़ रुपए के सिंथेटिक डायमंड का उत्पादन हो रहा है। इस मौके पर जीजेईपीसी के रीजनल चेयरमैन दिनेश नावडिया ने बताया कि काउंसिल की ओर से इच्छापोर में इंटरनेशनल ड्राई ट्रेड सेंटर के डिनोटिफाइड जोन में ऑक्शन हाउस शुरू करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। यहां के ऑक्शन हाउस शुरू होने के बाद देश विदेश की माइनिंग कंपनियों के अलावा सूरत और मुंबई के हीरा उद्यमी अपनी ज्वेलरी यहां पर बेच सकेंगे।


कोरोना के बाद वैश्विक मंदी के कारण परेशान हीरा उद्यमियों के लिए खुशखबरी है। जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ने राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम के साथ शुक्रवार को एमओयू किया है। जिस एमओयू के चलते भारत के जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर को बड़ा लाभ मिलेगा। बताया जा रहा है कि महंगी मशीनें नहीं खरीद सकने वाले छोटे ज्वैलरी उद्यमियों के लिए यह एमओयू वरदान साबित होगा।

जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल की ओर से हाल में ही हीरा उद्यमियों को सरलता से बैंक लोन मिल सके इसलिए भी बैंक के साथ चर्चा की गई थी जिसका परिणाम अच्छा रहा था। इसके बाद काउंसिल ने एनएसआईसी के साथ एमओयू किया है। इस एमओयू के चलते छोटे और मध्यम हरा उद्यमियों को एनएसआइसी के माध्यम से मशीनें खरीदने वाले उद्यमियों को केन्द्र सरकार की ओर से जारी सब्सिडी का लाभ मिलेगा। साथ ही उन्हें मशीनें सस्ते दर से उच्च टैक्नोलॉजी वाली मशीने सरलता से मिल सकेगी। NSIC, MS स्कीम के तहत NSIC वेबसाइट पर मार्केटिंग सपोर्ट और उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए डिजिटल सहायता प्रदान करेगा। इसके अलावा NSIC सभी मौजूदा योजनाओं जैसे कि Infomediary Services (इंफोमेडायरी सर्विस), RMA, प्रदर्शनी, बैंक टाई-अप और रॉ मटेरियल वितरण आदि की सुविधा भी प्रदान करेगा।

वर्तमान समय की मांग को देखते हुए उद्यमियों को एनएसआईसी के माध्यम से डिजिटल प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जाएगा। अभी तक जो हीरा उद्यमी पूंजी की कमी के कारण लागत नहीं लगा पा रहे थे। उन्हें कम पूंजी में भी अब अपना व्यापार जमाने में सरलता रहेगी। सरकार भारत हीरा उद्योग वैश्विक स्तर पर आगे बढ़े और भारत का ज्वेलरी निर्यात का आंकड़ा बड़े ऐसा चाहती है।

जीजेईपीसी के चेयरमैन कोलिन शाह ने बताया कि जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर में लगभग 85% इकाइयां एमएसएमई में शामिल हैं। राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम के साथ किया गया एमओयू छोटे और मध्यम उद्यमियों के लिए लाभदायक होगा। इस योजना के माध्यम से कम कीमत पर ज्वेलरी सेक्टर के लिए आवश्यक मशीनें खरीदी जा सकेंगी। जिससे कि भारत के उद्यमी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी प्रतिस्पर्धा में टिक सकेंगे। छोटे और मध्यम उद्यमियों के लिए यह बड़ा लाभदायक साबित होगा।

एनएसआइसी के प्लानिंग और मार्केटिंग विभाग के डायरेक्टर पी.उदय कुमार ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से इस सिलसिले में चर्चा की जा रही थी। उन्होंने बताया कि एनएसआईसी की कई योजनाओं के तहत जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर से जुड़े लाभ ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि एनएसआइसी मार्केटिंग,टेक्नोलॉजी,फाइनेंस मशीनरी एनालिस्ट और स्कीम प्रोक्योरमेन्ट मार्केटिंग स्कीम सहित नए बाजारों का पता लगाने के लिए भी मदद करता है।

जीजेइपीसी के वाइस चेयरमैन विपुल शाह ने बताया कि एनएसआईसी और जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउन्सिल के कार्यों की प्रशंसा की। कहा कि इस कदम से उद्यमियों को लाभ मिलेगा।


केन्द्र सरकार ने जेम्स एंड ज्वैलरी इन्डस्ट्री की वर्षो पुरानी मांग स्वीकार कर ली है। ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने और छोटे हीरा उद्योगपतियों और ज्वैलर्स को एक्सपोर्ट से जोड़ने के लिए, भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय ने अब कूरियर के माध्यम से डायमंड और डायमंड ज्वैलरी के निर्यात को मंजूरी दी है।


जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउन्सिल के सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार देश के छोटे और मध्यम ज्वैलर्स की ओर से लंबे समय से सरकार कुरियर के माध्यम से उन्हें ज्वैलरी भेजकर व्यापार की छूट देने की गुहार लगाई जा रही थी। कुछ दिनों पहले भी जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउन्सिल ने इस बारे में गुहार लगाई थी।

छोटे और मध्यम हीरा उद्यमियों को भी कई बार विदेश से छोटे छोटे ऑर्डर मिलत थे लेकिन उसे भेजने में उन्हें ज्यादा खर्च करना पड़ता था। इसलिए वह पार्सल कूरियर मोड से हीरे और हीरे के आभूषणों का निर्यात करने के लिए केन्द्र सरकार से मांग कर रहे थे। जिसे कि केन्द्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है।

जीजेईपीसी के उपाध्यक्ष विपुल शाह ने कहा कि अब तक कार्गो के जरिए छोटे पार्सल का निर्यात किया जाता है। जिसमें छोटे हीरा उद्यमियो और ज्वैलर्स को पार्सल भेजने के लिए ज्यादा लागत चुकानी पड़ती थी। सरकार ने कूरियर एंड एक्सपोर्ट्स (इलेक्ट्रॉनिक डिक्लेरेशन एंड प्रोसेसिंग) एक्ट 2010 के तहत स्पष्ट किया कि हीरे और हीरे से जड़े आभूषणों का निर्यात कूरियर के जरिए किया जा सकता है। हालाँकि, इसके लिए कुछ मानदंड निर्धारित किए गए हैं। सर्टिफाइड होने के बाद ही उद्यमी ज्वैलरी का निर्यात कर सकेंगे। हालांकि, हीरे या हीरे के आभूषण कूरियर के माध्यम से आयात नहीं कर सकते।


जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउन्सिल के रीजनल चेयरमैन दिनेश नवाडिया ने कहा कि इस फैसले से छोटे और मध्यम वर्गीय हीरा उद्यमियों को राहत होगी। अब तक कुरियर के माध्यम से निर्यात की छूट नहीं होने से अन्य माध्यमों से भेजने पर इसकी निर्यात लागत बढ़ रही थी। केन्द्र सरकार ने छोटे उद्यमियों को फायदा पहुंचाने और ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने के लिए कूरियर द्वारा निर्यात को मंजूरी दी है। अब तक, कार्गो शिपमेंट को अमरीका में निर्यात करने के लिए छोटे उद्यमियों 65 से 100 डॉलर तक चुकाना पडता था।

चीन और मध्य पूर्व से माल का निर्यात केवल 3.5 से 5 डॉलर में हो जाता था। इस कारण प्रतिस्पर्धा में भारत के उद्यमी पीछे रह जाते थे। शिपिंग शुल्क अधिक होने के कारण भारतीय हीरे के आभूषण अधिक महंगे हो रहे थे और चीनी उत्पाद कम शुल्क के कारण सस्ते हो रहे थे। इस फैसले से अब रत्न और आभूषण क्षेत्र के छोटे उद्यमियों को सीधा फायदा होगा।

कोरोना के संक्रमण का भारत की जेम्स एन्ड ज्वैलरी इन्डस्ट्री पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2020-21 में अप्रैल-सितंबर के दौरान, भारत के जेम्स एन्ड ज्वैलरी सेक्टर में निर्यात में 43 प्रतिशत की गिरावट आई है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के पहले छह महीनों जेम्स एन्ड ज्वैलरी सेक्टर का निर्यात 8.48 बिलियन है। जो पिछले साल इस दौरान 14.87 बिलियन यूएस था।


कट और पॉलिश्ड हीरों की बात करें तो सितंबर महीने में निर्यात में 18 प्रतिशत की गिरावट आई है। बीते साल सितंबर के दौरान 1946.01 मिलियन से घटकर 1564 मिलियन रह गया। हालांकि, अक्टूबर में दिवाली, अमेरिका में शादियों और यूरोप में क्रिसमस त्यौहार के कारण भारत में व्यापार में सुधार हुआ है।

आगामी दिनों मे क्रिसमस के कारण तथा भारत में दिवाली और लग्नसरा के कारण ज्वैलरी की डिमांड बढी है। इसके चलते हीरा उद्यमियों के पास ऑर्डर होने से रफ हीरों की आयात सितंबर में 16 प्रतिशत बढी है। बीते साल सितंबर में 1159.53 मिलियन के मुकाबले इस साल सिंतबर में 1347 मिलियन के रफ हीरों की आयात हुई।


कट और पॉलिश किए गए हीरे के निर्यात में 37 फीसदी की गिरावट आई है। जबकि घरेलू टैरिफ क्षेत्र में हीरे के आयात में 70 फीसदी की गिरावट आई है। अप्रैल-सितंबर 20 कोरोना अवधि के दौरान रफ डायमंड्स का आयात 57 प्रतिशत घटकर 2.5 बिलयन डॉलर रह गया। इसका मतलब है कि सूरत और मुंबई में साइट धारक कंपनियों ने किसी न किसी हीरे का आयात कम कर दिया है। इस दौरान सोने और हीरे के आभूषणों के निर्यात में 55 प्रतिशत की गिरावट आई। सोने के आयात में 76 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।


कोरोना काल के दौरान सूरत के स्पेशल इकोनॉमिक जोन से चांदी के आभूषणों का निर्यात बढ़ा अप्रैल-सितंबर 20 के दौरान चांदी के आभूषणों के निर्यात में 180 प्रतिशत की वृद्धि हुई। देशभर में से 664.29 मिलियन की चांदी के आभूषणों का निर्यात किया गया था। चांदी के अधिकांश आभूषण सूरत सेज द्वारा निर्यात किए गए थे