कपड़ा बाजार में पेमेन्ट की स्थिति कोरोना के बाद लगातार बिगड़ती जा रही है। कुछ व्यापारी छह महीने बाद भी भुगतान नहीं करते हैं और डिफॉल्ट की स्थिति में माल वापस करने की धमकी देते हैं। जिन व्यापारियों ने बिल बनने के एक साल बाद भी भुगतान नहीं किया है। ऐसे व्यापारियों का जीएसटी पंजीकरण रद्द करने की मांग सूरत के व्यापारियों ने की है। जीएसटी अधिकारी ने व्यापारियों की बात उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।

सूरत मर्केंटाइल एसोसिएशन की ओर से आयोजित बैठक में आज व्यापारियों ने जीएसटी विभाग के स्पॉट वेरिफिकेशन पर चर्चा की। जिसमें जीएसटी अधिकारी विमल सोनी ने व्यापारियों से कहा कि सत्यापन प्रक्रिया को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने व्यापारियों से कुछ बातों का ध्यान रखने का आग्रह किया। जैसा कि सभी व्यापारी अपनी दुकानों के आगे जीएसटी नंबर के बोर्ड लगाएं, प्रारंभिक सूचना दी कि जांच के दौरान व्यापारी अधिकारियों को सही जानकारी दें और पट्टों का नवीनीकरण कराएं।

व्यापारियों ने भुगतान की समस्या सोनी के समक्ष रखी और कहा कि कुछ व्यापारी समय से भुगतान नहीं करते हैं जिससे व्यवसाय की स्थिति अराजक हो गई है। जीएसटी का भुगतान समय पर नहीं करने वाले व्यापारियों की जानकारी हम देंगे और विभाग को ऐसे व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए और क्रेडिट ब्लॉक कर पंजीकरण रद्द करना चाहिए।

जीएसटी काउन्सिल की मीटिंग में शुक्रवार को केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने कपड़ा और फुटवेयर उद्योग में हर स्तर पर एक समान ड्यूटी की घोषणा की। कुछ उद्यमियों का कहना है कि इससे कपड़ा महँगा होगा।


सूरत के कपड़ा उद्यमी लंबे समय से इसकी माँग कर रहे थे। अब तक यार्न के कच्चे माल पर १८ प्रतिशत, यार्न पर १२ प्रतिशत और और फिनिश्ड फेब्रिक्स पर ५ प्रतिशत जीएसटी था। कपड़ा उद्यमियों के कई बड़े संगठनों ने जीएसटी की वर्तमान दरों में कोई परिवर्तन नहीं करने की मांग की थी।फोस्टा के प्रवक्ता रंगनाथ शारडा ने बताया कि जीएसटी की दरें बदलने के कारण कपड़ा महँगा होगा। व्यापार पर असर पड़ेगा। व्यापारियों को 1 जनवरी के पहले अपना पुराना स्टोक क्लीयर कर देना चाहिए नहीं तो नुकशान होगी।


फिआस्वी के चेयरमैन भरत गांधी ने कहा कि विविंग उद्योग को इससे नुकसान होगा। वीवर्स जब यार्न खरीदते हैं तो १२ प्रतिशत ड्यूटी चुकाते हैं और कपड़े पर ५ प्रतिशत ड्यूटी चुकाते थे। इसके बाद ७ प्रतिशत ड्यूटी में से कुछ ड्यूटी वह उपयोग में ले लेते थे और बाकी का रिफंड मिल जाता था। इस रिफंड का उपयोग वह अपने व्यापार विकास में करते थे। पुराने ढंग से व्यापार ठीक चल रहा था। अब इसमें परिवर्तन की आवश्यकता नहीं थी।

जीएसटी डिपार्टमेन्ट के बाद बोगस आईटीसी घोटालेबाजो पर आय़कर विभाग की शिकंजा कसेगा। घोटालेबाज़ों ने आयकर रिटर्न में जानकारी छुपाई है। जीएसटी डिपार्टमेन्ट की ओऱ से मिली जानकारी के बाद आयकर विभाग ने भी इन घोटालेबाजो के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है।


आयकर विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सेन्ट्रल जीएसटी डिपार्टमेन्ट ने 30 से अधिक घोटालेबाजो की सूची आयकर विभाग को सौंपी है। इन सभी के यहां पिछले दिनों जीएसटी विभाग ने सर्च के दौरान करोड़ो रूपए की टैक्सचोरी की है । आय़कर की भी चोरी सामने आ रही है। आयकर के नियम के अनुसार इन लोगो पर १०० प्रतिशत पैनल्टी के साथ टैक्स की जिम्मेदारी बनती है। जीएसटी विभाग से जानकारी मिलने के बाद आयकर विभाग ने इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है।डिपार्टमेन्ट इनकी संपत्ति भी सील कर सकता है।

आयकर विभाग ने इन्हें नोटिस भेजकर जवाब देने के लिए बुलाया है। दूसरी ओर जीएसटी विभाग का रवैया अभी भी करदाताओ के लिए चिंता का सबब बना है।


जीएसटी के अधिकारियों ने अब से यदि कोई व्यापारी नया कार्यालय खोलता है या जीएसटी की डिटेल में नाम, नंबर या पता बदलने की अर्जी करता है तब भी स्पोट वेरिफिकेशन करना शुरू किया है। जीएसटी सलाहकार प्रशांत शाह ने बताया कि नए रजिस्ट्रेशन में स्पोट वेरिफिकेशन करना ठीक है लेकिन जो पहले से व्यापार कर रहा है उसके यहां भी स्पोट वेरिफिकेशन के नाम पर परेशान किया जा रहा है।

गुजरात सरकार के माल एवं सेवा कर विभाग के अधिकारी पिछले वर्षो के बाकी टैक्स की रिकवरी के लिए  एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है ऐसे में करदाताओं की ओर से कई शिकायतें भी आ रही है। एक गांव में वैट के बकाया राशि की वसूली के लिए  पिता और दादा के एक ही नाम हो ऐसे  तीन लोगो की भूमि को जब्त कर लिया गया। इस बारे मे जीएसटी डिपार्टमेन्ट के उच्च अधिकारियों को शिकायत की गई है, लेकिन डिपार्टमेन्ट का कहना है कि पूरी जांच पड़ताल  के बाद और टैक्स रिकवरी के बाद जमीन छोड़ी जाएगी। दूसरी ओर डिपार्टमेन्ट अब तीन में से वाकई किस के नाम से टैक्स वसूल करना है इसकी जांच पड़ताल में जुट गया है।

अहमदाबाद में कारोबार कर रहे परेश रमणिकलाल पटेल (बदला हुआ नाम) नाम के शख्स की  वैट चोरी का मामला आया है. शख्स के पिता अहमदाबाद से 60 किलोमीटर दूर एक गांव में रहते हैं. इस गांव में रमणिकलाल दशरथलाल पटेल नाम के तीन व्यक्ति हैं।इस मामले में, परेश रमणिकलाल किसका पुत्र है यह पता नहीं चलने से  अधिकारी गांव में गए और रमणिकलाल दशरथलाल पटेल नाम के तीन व्यक्तियों की भूमि को जब्त लीइस प्रकार अन्य दो व्यक्ति, भले ही उनका परेश रमणिकलाल पटेल के साथ कोई संबंध नहीं है, उनकी जमीन भी अटैच कर ली । इससे भी जमीन मालिक कारण बिना परेशान हो रहे है।

दूसरे केस भी कुछ ऐसे ही हैं, आमतौर पर 10 साल वैट के केस नहीं किए जाते हैं, लेकिन अहमदाबाद कार्यालय द्वारा 2008 और 2011 के बीच दर्ज किए गए 10 साल पुराने एक मामले में, 11 साल पुराने विवाद के लिए जुलाई में व्यापारी के खिलाफ  केस कर व्यापारी को जेल करवाई गई है। वैट जानकारो का कहना है कि सामान्य तौर पर पुराने मामले में 10 साल बीत जाने के बाद शिकायत दर्ज नहीं की जा सकती है। लेकिन वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम में वैट के पुराने मामलों को जीएसटी में स्थानांतरित करने की शक्ति है। इसका उपयोग कर डिपार्टमेन्ट पुराने केस निकाल रहा है।

व्यापारियों का आरोप है कि राज्य जीएसटी विभाग के अधिकारी मामले के पकड़े जाने के बाद दस से बारह साल से व्यापारियों को परेशान कर परेशान कर रहे हैं, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत, अहमदाबाद में पार्टी के वकील द्वारा एक तर्क दिया गया है. अहमदाबाद ही नहीं सूरत में भी राजकोट पार्टी के पुराने मामलों में उछाल देखने को मिल रहा है. अहमदाबाद ग्रामीण सत्र न्यायालय में दायर एक मामले में, आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि 2008 और 2011 के बीच हुई एक घटना के लिए 1 जुलाई, 2021 को शिकायत दर्ज की गई थी। यह शिकायत 10 साल देरी से क्यों की गई, इस पर सवाल उठे हैं।

वकील ने तर्क दिया है कि जब व्यापारी माल का निर्यात करता है, तो वह सरकारी कार्यालय में निर्यात किए गए माल का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करता है। वैट कार्यालय उन्हें इस प्रमाण पत्र के आधार पर वैट का भुगतान करता है। दस साल बाद इन परिस्थितियों में विभाग ने एक जुलाई 2021 को शिकायत दर्ज कर आरोप लगाया कि उसने फर्जी प्रमाण पत्र पेश कर मुआवजा लिया है। इस शिकायत के आधार पर व्यवसायी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।


राज्य में चेकपोस्ट के जरिए टैक्स चोरी रोकने के लिए जीएसटी विभाग ने एक नया प्रयोग किया है। विभाग फास्टैग की मदद से चेक पोस्ट से प्रवेश करने वाले सभी वाहन कानूनी सामान ले जा रहे हैं या नहीं? इस पर पर वॉच लगा दी गई है। आंतरिक उपयोग के लिए उपयोग किया जाने वाला आरएफआईडी सिस्टम फास्टैग से जुड़ा है। ताकि वाहन नंबर के आधार पर वाहन मालिक को ई-वे बिल समेत जरूरी दस्तावेजों की जानकारी मिल सके।

सूरत में पिछले एक हफ्ते में 10 से ज्यादा ऐसे वाहन जब्त किए गए हैं। एक अनुमान के मुताबिक सूरत में रोजाना दस हजार से ज्यादा ट्रेनें आती हैं। इससे पहले मोबाइल चेकिंग के जरिए अधिकारी महीने में औसतन एक करोड़ रुपये का पता लगा चुके है। डबल टैक्स चोरी का पता लगाने के लिए अधिकारी सिस्टम पर भरोसा कर रहे हैं।

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चेकपोस्ट पर सभी वाहनों के लिए फास्टैग अनिवार्य है। GST ने Fastag को अपने RFID सिस्टम से जोड़ दिया है। जिसमें वाहन संख्या से व्यापारी के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। जिसमें नंबर ट्रेस किया जाता है। यदि डिटेल नहीं मिले तो अधिकारी तीन तरह से जांच करते हैं। Fasteg से पहले, GST दो तरह से चोरी का पता लगाता था, एक मोबाइल दस्ते की मदद से चेकपोस्ट पर चेक करके, और दूसरा RFID को चेकपोस्ट या मुख्य सड़क पर लगे कैमरे से जोड़कर कंट्रोल रूम से जानकारी प्राप्त करता था। हालाकि कई बार कैमरे के किनारे से वाहन गुजरते तो टेक्सचोरी में पकड़ में नहीं आते थे।

कार नंबर महत्वपूर्ण | वाहन संख्या सबसे महत्वपूर्ण है। चूंकि मुद्रा में माल की डिलिवरी का चलन में उल्लेख है, तो वह जानकारी सिस्टम पर अपलोड की जाती है। इसमें ई-वे बिल सहित विवरण शामिल है। यह नंबर फास्टैग की मदद से जीएसटी सिस्टम से जुड़ता है और विवरण प्राप्त करता है।

जीएसटी विभाग में गलत जानकारी देकर अपना टर्नओवर कम दर्शाने वाले व्यापारियों के लिए आने वाले दिनों में मुसीबत खड़ी हो सकती है। दरअसल बात ऐसी है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम ने दो दिन पहले ही सूरत समेत देशभर में लाखों व्यापारियों को नोटिस भेजकर उनकी गणना 5 करोड रुपए से अधिक के टर्नओवर वाले व्यापारियों में बताई है।

सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम बोर्ड ने यह गणना व्यापारियों के पिछले जीएसटी रिटर्न के आधार पर की है। साथ ही व्यापारियों को यह भी कहा है कि यदि उन्हें इस फैसले से आपत्ति है तो वह जरूरी डोक्यूमेन्ट विभाग के सामने पेश कर सकते हैं।

आपको बता दें कि हाल में ही पाँच करोड रूपए से कम टर्न ओवर के व्यापारियों के लिए रिटर्न फाइल करने की समय अवधि बढ़ा दी है जबकि पांच करोड़ रुपए से अधिक टर्न ओवर वाले व्यापारियों के लिए यथास्थिति रखी है।

दरअसल बोर्ड व्यापारियों को बताना चाहता है कि जिन्होंने अपना टर्न ओवर कम बताया था उन्हें सही जानकारी देना चाहिए। क्योंकि बोर्ड के पास व्यापारियों के सारे आर्थिक लनदेन की सारी जानकारी उपलब्ध हैं। इसलिए व्यापारियों को जीएसटी रिटर्न में गलत जानकारी नहीं देनी चाहिए।


उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स ने भी इसी प्रकार आयकर रिटर्न में पहले से ही कई बड़े सौदों की जानकारी भरकर करदाताओं के समक्ष रख दिया है ताकि, करदाता चाह कर भी अपने रिटर्न में यह गलती ना कर सके अब जीएसटी विभाग की इस पहल के कारण कर चोरी कर पाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा।

केन्द्र सरकार की ओर से बीते दिनों करचोरी के ख़िलाफ़ मुहिम शुरू की गई थी। यह उसी अभियान का हिस्सा माना जा रहा है।

शहर के प्रतिष्ठित सीए सुशील काबरा ने बताया कि किसी भी एक्शन से पहले व्यापारियों को सूचित कर दिया गया, यह सरकार की अच्छी पहल है।

डायरेक्टरेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट ने नवजीवन सर्कल के पास तथा अलथान में स्थित ममंगलम प्लाई में छापा मारकर जीएसटी के भुगतान में गड़बड़ी पकड़ी है। डिपार्टमेंट में यहां से बड़े पैमाने पर दस्तावेज जप्त किए दस्तावेजों की जांच के दौरान अभी तक डिपार्टमेंट ने यहां से 97 लाख रुपए की जीएसटी चोरी वसूल की है।


मिली जानकारी के अनुसार मंगलम प्लाई पीढ़ी के दोनों ठिकानों पर गत दिनों डीजीजीआई के अधिकारियों ने जांच की थी। जांच के दौरान यहां पर बड़े पैमाने पर खरीद बिक्री के दस्तावेज मिले थे। इनकी बारीकी से जांच में पता चला कि वह ई बिल में जितना बताया गया था उसकी अपेक्षा कहीं ज्यादा माल खरीदा गया था। इसके अलावा उन्होंने उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा सहित कई राज्यों से बिन रजिस्टर्ड व्यापारियों से भी प्लाईवुड खरीदा था।

प्लाईवुड खरीदने के लिए जो टैक्स भरना था वह भी उन्होंने नहीं चुकाया था। इसके अलावा किसी रिकॉर्ड के बिना प्लाईवुड बेच दिया था। डीजीजीआई के अधिकारियों ने पेढी के भागीदार संजय बांगड़ का स्टेटमेंट दर्ज किया है। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार अधिकारियों ने जीएसटी चोरी के बदले में ₹97 का भुगतान करवा लिया है। विभाग की जांच के दौरान 5 करोड रुपए से अधिक के प्लाइवुड की खरीदी में गड़बड़ी की आशंका पाई गई थी।
उल्लेखनीय है कि डीजीजीआई ने बीते एक सप्ताह से करचोरी करने वालों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। अब तक विभाग ने आठ जगह कार्रवाई करते हुए करोडो रूपए की करचोरी का खुलासा किया है।