अब से जीएसटी विभाग की कार्रवाई की होगी रिकार्डिंग


सूरत
जीएसटी विभाग के बदलते हुए नियमों के अनुसार अब डिपार्टमेंट की सर्च की कार्रवाई के दौरान की सारी गतिविधियां कैमरे से रिकॉर्ड की जाएगी। बीते कई दिनों से इस प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा था, जिसे की मंजूरी मिलने के बाद आगामी नजदीकी दिनों में अधिकारियों को कार्रवाई के दौरान इस नियम का पालन करना पड़ेगा। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी।


जीएसटी विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब तक जीएसटी विभाग सर्च की कार्रवाई शुरू होने से लेकर अंत तक रिकॉर्डिंग की व्यवस्था नहीं थी।इसमें कई बार अधिकारियों पर अलग-अलग प्रकार के आरोप लगते थे। इससे जाँच प्रक्रिया बाधित होती थी।इसके साथ कई मामलों में को कानूनी दाँवपेंच भी शुरू हो जाते। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए विभाग ने अब अधिकारी सर्च शुरू करने से पहले और बाद में समाप्त करने तक की तमाम गतिविधियों रिकॉर्ड करने का तय किया है। रिकार्डिंग के दौरान सर्च करने वाला अधिकारी कार्रवाई करने के लिए अधिकृत किया गया है। यह भी उसे रिकॉर्ड करके भेजना पड़ेगा।जीएसटी विभाग की कार्य प्रणाली को और पारदर्शी करने के लिए यह नियम अमल में जल्द ही लाया जाएगा।

जीएसटी विभाग के अधिकारी मिली जानकारी के अनुसार जब कहीं छापेमारी आदि की कार्रवाई करने जाते हैं तो कुछ मामलों मे व्यापारियों की ओर से विविध प्रकार के आरोप-प्रत्यारोपों का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे मे सच कौन और झूठा कौन यह साबित करने में समय लग जाता था लेकिन नई व्यवस्था अमल में आने के बाद इन चीजों से छुटकारा मिल जाएगा। जीएसटी विभाग देश भर मे इस तरह की व्यवस्था लागू करने की सोच रहा है।


बताया जा रहा है कि अधिकारियों को रिकॉर्ड की गई तमाम जानकारी नेशनल इनफॉरमेशन सेंटर को भेजनी होगी। सर्च की कार्रवाई शुरू करने से पहले अधिकारी को उसके पास जेब मे क्या-क्या चीज पड़ी है। इसकी जानकारी भी रिकॉर्डिंग के माध्यम से देनी होगी। तमाम गतिविधियों का 4-4 मिनिट का रिकॉर्डिंग करके नेशनल इनफार्मेशन सिस्टम को भेजना होगा।इस व्यवस्था से अधिकारियों के लिए ज्यादा सुविधा बढेगी। कोई व्यापारी यदि गलत इरादे से भी उन पर ग़लत दावा करना चाहता है तो रिकॉर्डिंग के माध्यम से सारी बातें स्पष्ट हो जाएगी।

मास्टर डेटा के आधार पर भी हो रहे है जीएसटी के नोटिस जारी

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जीएसटी डिपार्टमेंट हर तरह से टैक्सपेयर्स को समय समय पर नए नए नियमो,नोटिफिकेशन, के आधार पर सूचित करता रहता है।कि मास्टर डेटा से लेकर आप जीएसटी रिटर्न फाइल तक हर वक्त अपडेट रहे।

अब टैक्सपेयर्स के जीएसटी पोट्रल पर मास्टर डेटा व फिजिकल वेरिफिकेशन के आधार पर भी नोटिस जारी किए जा रहे हैं।जैसे कि टैक्सपेयर्स के निम्नलिखत विवरण जैसे कि व्यापार का नाम, व्यवसाय का प्रमुख स्थान, व्यवसाय का कामकाज,खासकर एचएसएन कोड (अधिकतम 5 अनुमत), सर्विस कोड (अधिकतम 5 अनुमत)इन सभी पॉइंट्स आपके निजी बुक्स व पते के आधार पर जीएसटी पोट्रल पर अपडेट होने चाहिए।

खास कर जीएसटी विभाग विशेष रूप से एचएसएन कोड और व्यवसाय के स्थान के लिए बहुत सख्त हो गया है। इसलिए पोट्रल व निजी जानकारी जैसे जहाँ जहाँ पर आपका व्यापार चल रहा है उसके एड्रेड पोट्रल पर अपडेट होने चाहिए।कारण की वास्तविक बिजनेस सेट अप के साथ मास्टर डेटा में विसंगति के कारण कई नोटिस जारी किए जा रहे हैं।

नारायण शर्मा- टैक्स कन्सल्टन्ट

જીએસટી વિભાગના અધિકારીઓની કાર્યવાહી સામે મુખ્ય કરદાતા અધિકારીને ફરિયાદ!

ચેમ્બર ઓફ કોમર્સ દ્વારા રાજ્ય મુખ્ય કરવેરા અધિકારી સમીર વકીલને જીએસટી સંબંધિત મુદ્દાઓની રૂબરૂ રજૂઆત કરાઇ

ચેમ્બર દ્વારા કરાયેલી રજૂઆત સંદર્ભે રાજ્ય મુખ્ય કરવેરા અધિકારી તરફથી સકારાત્મક પ્રતિસાદ મળ્યો અને વિભાગ તરફથી તમામ પ્રશ્નોનું વહેલી તકે નિરાકરણ લાવવામાં આવશે તેવી ખાતરી તેમણે આપી

સુરતઃ ધી સધર્ન ગુજરાત ચેમ્બર ઓફ કોમર્સ એન્ડ ઇન્ડસ્ટ્રીના પ્રમુખ રમેશ વઘાસિયા, ગૃપ ચેરમેન સીએ હાર્દિક શાહ, ચેમ્બરની જીએસટી કમિટીના ચેરમેન મુકુંદ ચૌહાણ તથા કો–ચેરમેનો રાજેશ ભાઉવાલા, ઇશ્વર જીવાણી, મહેશ સાવલિયા, ચંદુ સુહાગીયા અને પ્રકાશ બંભાણી સહિતના પ્રતિનિધિ મંડળે સુરતની મુલાકાતે આવેલા રાજ્ય મુખ્ય કરવેરા અધિકારી સમીર વકીલની રૂબરૂ મુલાકાત લઇ જીએસટીને લગતા વિવિધ મુદ્દાઓની રજૂઆત કરી હતી.

ચેમ્બર ઓફ કોમર્સ દ્વારા રજૂઆત કરવામાં આવી હતી કે, કોઇ પણ વેપારી દ્વારા જો બે મહિના સુધી જીએસટી રિટર્ન ફાઇલ કરવામાં આવતું નથી તો તેઓના બેંક એકાઉન્ટ એટેચ કરવામાં આવે છે, જે વિભાગ દ્વારા ખૂબ જ કડક કાર્યવાહી કહેવાય છે ત્યારે આવા કેસોમાં બેંક એટેચની પ્રક્રિયા બંધ કરવી જોઇએ. જીએસટી વિભાગ દ્વારા વેપારીઓને ASMT 10 ફોર્મ મારફત સેકશન ૬ર હેઠળ GSTR 2A અને GSTR 3B વચ્ચે તફાવત બાબતે શો કોઝ નોટિસ આપવામાં આવે છે. જ્યારે આ બાબતની વિગતો જીએસટી વિભાગ પાસે એન્યુઅલ રિટર્નમાં ઉપલબ્ધ હોય જ છે તેમ છતાં અધિકારીઓ આવા પ્રકારની નોટિસ ઇશ્યુ કરે છે, જે પ્રક્રિયા બંધ કરવા માટે રજૂઆત કરવામાં આવી હતી.

ટેક્ષ્ટાઇલ એકમો, જે પેકીંગ મટિરિયલનો ઉપયોગ કરે છે તેના પર ઇનપુટ ટેક્ષ ઊંચો છે અને આઉટપુટ ટેક્ષ ઓછો છે. ટેક્ષ્ટાઇલ ઇન્વર્ડ ડયૂટી સ્ટ્રકચરમાં કાપડ અને ગારમેન્ટ માટે પેકિંગ મટિરિયલનો ટેક્ષ ઇન્વર્ટેડ ડયૂટીમાં આવે છે. સીજીએસટી વિભાગ દ્વારા ઉપરોકત આઇટમ હેઠળ જમા થયેલું આઇટીસીનું રિફંડ તાત્કાલિક ધોરણે રિલીઝ કરવામાં આવે છે, પરંતુ રાજ્ય સરકાર દ્વારા પેકિંગ મટિરિયલ્સ પર લાગેલા ટેક્ષ ક્રેડિટને બ્લોક કરવામાં આવે છે તથા વેપારીઓ પાસે અપિલમાં જઇ ક્રેડિટ લેવાનો અધિકારીઓ દ્વારા અભિગમ રાખવામાં આવે છે, આથી આવા કેસોમાં કેશ રિફંડ ઓટોમેટિક વેપારીઓને મળવી જોઇએ તેવી રજૂઆત ચેમ્બર ઓફ કોમર્સ દ્વારા રાજ્ય મુખ્ય કરવેરા અધિકારી સમક્ષ કરવામાં આવી હતી.

છેલ્લાં બે વર્ષથી પેન્ડીંગ ASMT 12ના કિસ્સાઓમાં કાર્યવાહી સંતોષકારક પૂર્ણ થઇ છે છતાં પણ ASMT 12 ઇશ્યુ કરવામાં આવતા નથી, આથી ASMT 12 ઇશ્યુ કરવામાં આવે તેવી રજૂઆત કરવામાં આવી હતી. એન્ફોર્સમેન્ટ દ્વારા ગેરલાયક ITCના કિસ્સાઓમાં DRC 03થી ITC રિવર્સ કરાવવામાં આવે છે, પરંતુ કેસ કાર્યવાહી બંધ થયા બાદ વિભાગ દ્વારા DRC 04 ઇશ્યુ કરવાનું હોય છે. જો કે, વિભાગ દ્વારા DRC 04 ઇશ્યુ કરવામાં આવતું નથી, આથી વિભાગ દ્વારા DRC 04 ઇશ્યુ કરવામાં આવે તેવી રજૂઆત કરાઇ હતી.

તદુપરાંત SGST વિભાગ દ્વારા એડવાઇઝરી ઇશ્યુ કરવામાં આવી છે, જેને કાયદાકીય પીઠબળ નથી એવા સંજોગોમાં ITC રિવર્સ કરવા દબાણ કરવામાં આવે છે. જેથી વિભાગ દ્વારા દબાણ નહીં કરવામાં આવે તેવી રજૂઆત કરવામાં આવી હતી.

આ ઉપરાંત એસેસમેન્ટ પ્રોસિજર માટે ચાર મુદ્દાઓની રજૂઆત કરવામાં આવી હતી. જેમાં (૦૧) relied upon documents શો કોઝ નોટિસ સાથે પાઠવવામાં આવે, (૦ર) વેપારીઓને શો કોઝ નોટિસનો જવાબ આપવા માટે ૩૦ દિવસથી વધુનો સમય આપવામાં આવે, (૦૩) ઓર્ડર પાસ કરતા પહેલાં પર્સનલ હિયરીંગ આપવામાં આવે (વેપારીઓને સાંભળવામાં આવે) અને (૦૪) વેપારીઓને જે ઓર્ડર આપવામાં આવે છે એ હાલમાં ખૂબ જ ટૂંકમાં હોય છે, આથી વિભાગ દ્વારા વિસ્તૃત માહિતીવાળો ઓર્ડર આપવામાં આવે તેવી રજૂઆત કરાઇ હતી.

ચેમ્બર ઓફ કોમર્સ દ્વારા કરાયેલી રજૂઆત સંદર્ભે રાજ્ય મુખ્ય કરવેરા અધિકારી સમીર વકીલ તરફથી ખૂબ જ સકારાત્મક પ્રતિસાદ મળ્યો હતો અને વિભાગ તરફથી તમામ પ્રશ્નોનું વહેલી તકે નિરાકરણ લાવવામાં આવશે તેવી ખાતરી તેમણે આપી હતી.

सूरत सहित राज्यभर में 50 स्थानों पर जीएसटी का छापा!

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स्टेट जीएसटी डिपार्टमेंट ने सूरत मे 24 सहित राज्यभर में से अधिक स्थानों पर कंप्यूटर क्लासिस पर छापा मारा और 20 करोड़ रुपये से अधिक के GST चोरी का ख़ुलासा किया है।यह लोग ख़ास तौर पर बनाए गए सॉफ़्टवेयर का उपयोग करते थे जिसमें की जानकारी छुपाकर GST चोरी की जा रही थी।

GST विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्टेट GST डिपार्टमेंट ने 2 दिन पहले सूरत,राजकोट, वडोदरा, अहमदाबाद मे कंप्यूटर कोर्स कराने वाले से अधिक कोचिंग क्लास पर छापा मारा था।यह कंप्यूटर क्लास मल्टीमीडिया एनीमेशन तथा अन्य कंप्यूटर भी क्लास चला रहे थे।यह लॉग विद्यार्थियों से नक़द में फ़ीस थे लेते थे लेकिन इसकी जानकारी अपने हिसाबी भी दस्तावेजों में नहीं दिखाते थे।

इन्होंने इसके लिए विशेष सॉफ़्टवेयर बना रखे थे जिसमें की यह सब जानकारियां छुपाईं थी। GST डिपार्टमेंट में जाँच के दौरान बड़े पैमाने पर है हिसाबी दस्तावेज़ ज़ब्त कर लिए हैं। प्राथमिक जाँच में 20 करोड़ रुपये से अधिक की टैक्स चोरी का ख़ुलासा होने की संभावना बतायी जा रही है।उल्लेखनीय है कि GST डिपार्टमेंट को इंटेलिजेंस यूनिट की मदद से मिली जानकारी के आधार पर विभाग कार्रवाई करता है।

आयकर रिटर्न की तारीख नहीं बढ़ने के संकेत से करदाताओं की लगी भीड़!

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वित्तीय वर्ष 2022-23 आयकर रिटर्न फाइल की अंतिम तारीख 31 जुलाई 23 हैं और लगातार इनकम टैक्स विभाग से भी टेस्ट मेसेज के जरिये करदाताओं को सूचना दी जा रही हैं की सरकार का तारीख बढ़ाने का कोई मन नही है जिसको लेकर जून महीने से लेकर अभी तक कम से कम 60 से 70% रिटर्न फाइल हो चुके है।

साथ ही अंतिम इन 7 दिनों में करदाताओं का काफी उत्साह देखा जा रहा है जिसकी वजह से इन दिनों सी ए लोगो की ऑफिस में सुबह 10 बजे से लेकर रात्रि 10 बजे तक काफी भीड़ देखी जा रही हैं।

इसके साथ साथ दूसरी तरफ तो टीडीएस के फस्ट क्वाटर के रिटर्न की तारीख भी 31 जुलाई 23 होने पर भी इनकम टैक्स रिटर्न भरने में सी ए अपनी जी जान लगा रहे है जिससे अपने क्लाइंट को लेट फीस ना लगे।और उनका रिटर्न जल्द ही प्रोसर्स हो जिससे रिफण्ड भी जल्द मिल सके।

सूरत: 20000 करोड के फर्जी बिल से 600 करोड की आईटीसी लेने का पर्दाफ़ाश!

सूरज डीजीजीआई ने 600 करोड़ रूपए के बोगस आईटीसी के मामले का पर्दाफ़ाश किया है। कुछ लोगों ने सूरत, मुंबई, राजस्थान और मध्य प्रदेश में बोगस फ़र्म खोलकर 600 करोड़ रुपया है कि ITC हासिल कर ली थी। जाँच में पता चला कि इन लोगों ने 20, हज़ार करोड़ रुपये के फ़र्ज़ी एक्सपोर्ट के नाम पर छह सौ करोड़ रुपये का ITC हासिल किया था। इस मामले में एक को गिरफ़्तार कर लिया गया है।


मिली जानकारी के अनुसार सूरज डीजीजीआई के अधिकारियों ने बीते दिनों सूरत, मुंबई, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में 30-40 ठिकानों पर छापेमारी की थी। जिसमें कि सभी फ़र्म बोगार्ट निकलें या फ़र्म डायमंड ख़रीद बिक्री के फ़र्ज़ी बिल की ख़रीद बिक्री करते थें साथ हैं यह सारी फार्म श्रमिकों के नाम पर रजिस्टर्ड करवाई गई थी।

जांच के दौरान डीजीजीआई ने 1 आरोपी को गिरफ़्तार भी कर लिया। बताया जा रहा है कि इन लोगों ने बीसहज़ार करोड़ रुपये के बोगस बिल बनाए थे जिसके आधार पर सरकार से 600 करोड रुपये की आईटीसी भी ले ली थी देश भर में फैले इतने बड़े घोटाला के चलते डीजीजीआई भी चौंक गया है फ़िलहाल डिपार्टमेंट ने एक आरोपी को गिरफ़्तार कर लिया है।

कपड़ा बाज़ार में रेंट पर दुकान लेने से पहले बरते सावधानी

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जीएसटी डिपार्टमेंट की तरफ से पूरे देश मे एक फेक इनवॉइस व फेक रजिस्ट्रेशन को लेकर स्पेशल ड्राइव चलाई जा रही हैं।उसमें अगर आपने अपनी दुकान चेंज की हैं या रेंट पर ली हैं तो आपको अपने मालिक व जो पहले जो पर्सन दुकान ले रखी थी।उसको पूछना होगा कि उसका पहले से कोई जीएसटी में रजिस्ट्रेशन तो नही है या अगर है तो उसने एडर्स चेंज कराया हैं या नही।

कारण की पूछताछ जब तक जीएसटी पोट्रल पर जब तक एडर्स चेज नही होगा जब तक उसका ही रहेगा।और जीएसटी डिपार्टमेंट जो पोट्रल पर एडर्स होता हैं उसी पर ही विजिट करते हैं यानी कि आपका रजिस्ट्रेशन नही है फिर भी आपकी दुकान का विजिट हो सकता है और जब कोई भी अधिकारी आता हैं तो व कुछ न कुछ आपसे सवाल जरूर करेंगे ही।

यानी आपसे अपना टर्न ओवर, सेल बिल,परचेज बिल मांग सकते है और अगर आपका बिजनेस जीएसटी नियमो के विरुद्ध पाया गया तो आप पर प्लेंनटी भी लगाई जा सकती हैं।

( नारायण शर्मा-टैक्स कन्सल्टन्ट)

जीएसटी में फर्जीवाडा कर पाना अब होगा मुश्किल


जीएसटी डिपार्टमेंट ने जब से अपनी ऑल इंडिया बेसिस पर फेंक रजिस्ट्रेशन व फेक इनवॉइस को लेकर जो स्पेशल ड्राइव चालू की थी उसने सरकार को काफी सारे फ़र्ज़ी रजिस्ट्रेशन मिले हैं जिसमे ये पाया गया कि जो आधार कार्ड हैं उसका मिसयूज किसी ओर के मोबाइल नंबर के साथ लिंक करके रजिस्ट्रेशन लिया जा रहा है और फेक इनवॉइस के जरिये आईटीसी क्लेम किया जा रहा है।

जिसको लेकर सरकार ने अब नए रजिस्ट्रेशन को लेकर ओर सख्त हो रही हैं।यानी कि अगर आप कोई भी नया रजिस्ट्रेशन लेने के लिए पहले अगर आधार एथॉरिटीकेसन के जरिये रजिस्ट्रेशन लिया है तो उसका फिजिकल वेरिफिकेशन नही किया जाता था।

पर अब आधार एथॉरिटीकेसन वालो व बिना आधार एथॉरिटीकेसन दोनों ही परिस्थितियों में बिजली बिल,फ़ोटो,रेंट एग्रीमेंट, इतियादी दिया है उसका कोर्स वेरिफिकेशन होगा।उसके बाद ही नम्बर दिया जाएगा यानी कि कुल मिलाकर अपनी चल रही स्पेशल ड्राइव में फिजिकल वेरिफिकेशन पर काफी जोर दिया है ताकि फेक रजिस्ट्रेशन,फेक इनवॉइस व फेक आईटीसी क्लेम को रोका जा सके।

नारायण शर्मा- टैक्स कन्सल्टन्ट

जीएसटीः 100 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले व्यापारियों को मिली यह सुविधा!

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जीएसटी विभाग की ओर से व्यापारियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सतत नियमों में परिवर्तन किए जा रहे है। इसी के तहत हाल में ही और एक परिवर्तन किया गया है।

सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एन्ड कस्टम्स ने जीएसटी पोर्टल पर ई वे बिल व ई इनवॉइस के लिए जिन टैक्सपेयर्स का टर्न ओवर 100 करोड़ से ज्यादा का है उनके लिए पोर्टल पर 2 फेक्ट एथॉरिटी द्वारा ओटीपी सिस्टम जनरेट सिस्टम की फेसिलिटी दी गई हैं।

जो व्यापारी एसएमएस,संदेश एप्लीकेशन, यहा NIC GST SHIELD एप्लीकेशन के द्वारा कर सकेंगे किसके लिए आपको रजिस्ट्रेशन के लिए पोर्टल पर लॉगिन करके मेन मैन्यू में जाकर 2 फेक्ट एथॉरिटी के द्वारा कन्फर्म करके सिस्टम के द्ववारा ओटीपी प्राप्त कर सकेंगे जिसके लिए आपको कोई इंटरनेट या मोबाइल नेटवर्क की जरूरत नही होगी।

– नारायण शर्मा, टैक्स कंसलटेंट

जीएसटी नम्बर लेने के बाद कोई बिज़नेस नहीं किया फिर भी भरना होगा रिटर्न

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अक्सर देखा जाता हैं कि कई टैक्सपेयर्स बिना सोचे समझे जीएसटी में अपना रजिस्ट्रेशन करवा लेते है और जीएसटी नम्बर प्राप्त कर लेते है टैक्सपेयर्स को इस चीज का पता नही होता कि जीएसटी नम्बर लेने के बाद अगर उसने कोई बिजनिस नही किया तो उसका नम्बर केंसिल हो सकता हैं साथ ही ये भी पता नही होता कि बिजनिस न करने पर भी जीएसटी आर 1 व 3 बी के रिटर्न निल की स्थिति में रिटर्न फाइल करना होता हैं।

ऐसी परिस्थिति में अगर उस टैक्सपेयर्स का कोई 6 महीने तक बिजनेस नही चला न ही रिटर्न फाइल किया तो डिपार्टमेंट उस टैक्सपेयर्स का जीएसटी नम्बर केंसिल कर देगा साथ ही जो रिटर्न फाइल नही की हैं उसकी लेट फीस की अदा करेगा साथ ही नोटिस भी जारी कर सकता हैं।

कई बार ऐसे भी टैक्सपेयर्स होते है जो जीएसटी नम्बर को बार बार लेते हैं और केंसिल करवाते रहते है ऐसे में व भी डिपार्टमेंट के शक के घेरे में आते है और उनको भी बिना किसी वजह से ही नोटिस का सामना करना पड़ता हैं।और अभी जो डिपार्टमेंट की इस्पेसल ड्राइव जो चल रही हैं उसमें भी इस पॉइंट को देखा जा रहा है।

नारायण शर्मा -टैक्स कन्सल्टन्ट