सूरत पूर्व में इस गणित से जीत गई बीजेपी, भारी उठक पटक के साथ!

सूरत की सबसे चर्चित सूरत पूर्व विधानसभा सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है। इस विधानसभा में कोट क्षेत्र के वोटरों ने बीजेपी की नैया पार कर दी है। इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच हुए जंग में बीजेपी ने बाजी मारी। लिहाजा रहस्यमय परिस्थितियों में आप प्रत्याशी का पर्चा वापस लेना भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हुआ है।

विधानसभा चुनाव में पूर्व सूरत सीट पर 92,000 अल्पसंख्यक मतदाता थे और यह सीट भाजपा के लिए चुनौती बन गई थी क्योंकि कांग्रेस ने अल्पसंख्यक उम्मीदवार असलम साइकिलवाला को टिकट दिया था। हालांकि, इस सीट पर चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने हथियार डाल दिए और आप उम्मीदवार ने रहस्यमय परिस्थितियों में अपना नामांकन वापस ले लिया, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को हुआ।

आप ने कंचन जरीवाला को प्रत्याशी बनाया था। कंचन जरीवाला ने नगर निगम चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था और समाज के वोट हासिल करने में सफल रहे थे। हालांकि, उन्होंने रहस्यमय परिस्थितियों में नामांकन पत्र वापस ले लिया था।

इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था क्योंकि आप का कोई उम्मीदवार नहीं था। मतगणना के अंत में बीजेपी के अरविंद राणा को 73142 वोट मिले जबकि कांग्रेस के असलम साइकिलवाला को 59135वोट मिले। इस चुनाव में दस अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के मैदान में होने की बात भी बीजेपी के लिए फायदेमंद रही है। इस चुनाव में बीजेपी के अरविंद राणा 14017 वोटों से जीते हैं। इस बार पिछले साल इसी सीट से अरविंद राणा 13347 वोटों से जीते थे।

सूरतः भाजपा की जीत पर कपड़ा बाजार में व्यापारियों ने मनाया जश्न

सूरत सहित गुजरात में भाजपा की प्रचंड जीत से शहर के कपड़ा बाजार क्षेत्र के व्यापारियों में खुशी का माहौल है. खुशी जाहिर करने के लिए जेजे एसी मार्केट में व्यापारियों ने मिठाई बांटकर और पटाखे फोड़कर जश्न मनाया।

बीजेपी की रिकॉर्ड तोड़ जीत से समर्थकों में खुशी की लहर है. बड़ी संख्या में कपड़ा व्यापारी भी भाजपा की जीत से खुश हैं। चुनाव प्रचार के दौरान भी बड़ी संख्या में व्यापारी प्रचार में सक्रिय थे और नतीजों का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. गुरुवार सुबह नतीजे घोषित होते ही बाजार में व्यापारियों में भी गहमागहमी रही।

दोपहर 2 बजे तक सूरत की सभी सीटों पर भाजपा की जीत सुनिश्चित होने के साथ ही जेजे एसी बाजार में व्यापारी जुटे और एक-दूसरे को जीत की बधाई दी और पटाखे फोड़कर जश्न मनाया। इस दौरान बड़ी संख्या में व्यापारी भी भाजपा की टोपी और सैश पहने मौजूद रहे। जेजे एसी बाजार के अलावा अन्य बाजारों में भी व्यापारियों ने भाजपा की शानदार जीत का जश्न मनाया।

जानिए भाजपा ने प्रतिद्वंदियों को हराने के लिए कैसा जाल रचा?

भारतीय जनता पार्टी ने लम्बी मंत्रणा के बाद गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए अपनी पहली सूची जारी कर दी है। इसमें 160 प्रत्याशियों के नाम हैं । इनमें से 84 प्रत्याशी पहले चरण के हैं। चुनाव के दूसरे चरण में 93 सीटों के लिए मतदान होगा और पार्टी ने उस में से 76 पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है।
पाटीदार आंदोलन का चेहरा रहे हार्दिक पटेल को पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है। हार्दिक कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में आए थे। वह कांग्रेस में अपनी उपेक्षा से नाराज थे। इसके अलावा पार्टी ने क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा को अपना प्रत्याषी बनाया है। हार्दिक पटेल विरमगाम से और रिवाबा जडेजा जामनगर उत्तर से प्रत्याशी होंगी।

 तीन दर्जन से अधिक विधायकों के टिकट काटे

भाजपा की 27 सालों से गुजरात में सरकार है। पार्टी फिर सत्ता में वापसी करने के लिए पूरी तैयारी में जुटी है और उसकी उम्मीदवारों की सूची से उसकी इसी रणनीति की झलक मिलती है। पार्टी युवा और नए चेहरों को मौका देती नजर आ रही है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार पार्टी ने अपनी पहली सूची में 69 मौजूदा विधायकों पर फिर से भरोसा जताया है। लेकिन साथ ही तीन दर्जन से अधिक विधायकों के टिकट काट दिए हैं। लगता है पार्टी ने इस बात के संकेत राज्य में अपने बड़े नेताओं को पहले से ही दे दिए थे। क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, पूर्व उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल समेत आठ नेताओं ने सूची जारी होने से पहले ही घोषणा कर दी कि वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। यह पार्टी की रणनीति का ही हिस्सा रहा होगा ताकि कोई विवाद खड़ा नहीं हो। बड़े अनुशासन मानें तो छोटे नेता स्वत ही लाइन में आ जाते हैं।

14 सीटों पर महिला उम्मीदवारों को मौका, 38 मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं

पार्टी के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र यादव, गुजरात इकाई के अध्यक्ष सीआर और केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने प्रत्याशियों की सूची जारी की। यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को उनके निर्वाचन क्षेत्र घाटलोढ़िया से उम्मीदवार बनाया गया है। पार्टी ने अनुसूचित जाति से 13 और अनुसूचित जनजाति से 24 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। 14 सीटों पर महिला उम्मीदवारों को मौका दिया गया है। कुल घोषित उम्मीदवारों में से 69 मौजूदा विधायक हैं। यादव ने कहा कि पार्टी ने 38 मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया है। उन्होंने दावा किया कि ज्यादातर सीटों पर मौजूदा विधायकों की सहमति से ही अन्य उम्मीदवारों को उतारा गया है। गुजरात में पहले चरण में एक दिसंबर को 89 सीटों के लिए मतदान होगा और 5 दिसंबर को दूसरे चरण के चुनाव के लिए 93 सीटों लिए मतदान होगा। पार्टी ने पहले चरण के लिए 84 हैं जबकि दूसरे चरण के लिए 76 उम्मीदवारों की घोषणा की है। इससे पहले उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बुधवार को बैठक हुई जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह तथा राजनाथ सिंह समेत केंद्रीय चुनाव समिति के अन्य सदस्य मौजूद रहे। भाजपा को 1995 से राज्य विधानसभा चुनाव में अपनी जीत का सिलसिला जारी रहने की उम्मीद है।

गुजरात: चुनाव में जीती, लेकिन एक दिन पहले ही ज़िंदगी से हार गई लीलाबेन


गुजरात में आज स्थानीय निकाय के चुनाव के परिणाम में जिला और तहसील पंचायत सहित नगर पालिका के चुनाव में भाजप नए अपना विजय रथ दौड़ाया है। जारी परिणामों में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं की हार हुई है। सवेरे से ही मत गिनती को लेकर चुनावी माहौल छाया हुआ है। कई उम्मीदवार जीत रहे हैं तो कुछ बड़े उम्मीदवार हार भी पा रहे हैं।

ऐसे में साणंद तहसील पंचायत की पीपल सीट पर से लीलाबेन ठाकोर जीत गई है लेकिन ठाकुर का चुनावी परिणाम के एक दिन पहले ही निधन हो गया। जिला पंचायत तहसील की पीपल सीट पर से निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ रही थी।

मंगलवार को स्थानीय निकाय के चुनाव के परिणाम घोषित हुए लोगों को ने देखा लीला बहन को विजई तो बना दिया लेकिन वह इस जीत का मुंह नहीं देख सकी। लीला बहन का सोमवार को चुनाव परिणाम के एक दिन पहले ही निधन हो गया।

आपको बता दें कि गुजरात में महानगर पालिका नगर पालिका, जिला पंचायत और तहसील पंचायत के चुनाव में महानगर पालिका के चुनाव में भाजपा ने बाजी मारी। इसके अलावा जिला पंचायत,तहसील पंचायत और नगर पंचायत के चुनाव में भी भाजपा का विजय पताका लहराया।एक बात यह भी है कि इस चुनाव में पहली बार गुजरात में दावेदारी कर रही आम आदमी पार्टी को नगर पालिका में 27 सीटें बैठने मिलने से सभी राजनीतिक समीकरण बदल दिए है।

गुजरात में जिला पंचायत और तहसील पंचायत के चुनाव आज


सूरत जिला पंचायत की 34 और तहसील पंचायत में 176 बैठकों सहित पुरे गुजरात में तहसील पंचायत और जिला पंचायत के लिए चुनाव शुरू हो चुका है। 9.37 लाख मतदाता अपने मत का प्रयोग करेगे।

जिला पंचायत की 36 बैठकों में से दो बैठक कामरेज और पिंजरत पंचायत में भाजपा के प्रत्याशी निर्विरोध चुन लिए जाने के बाद 34 बैठकों के लिए चुनाव होंगे। इसमें आधी बैठक यानी कि 16 बैठक पर भाजपा कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर होगी। जबकि आम आदमी पार्टी तथा अन्य पार्टियों के प्रत्याशियों की उपस्थिति के कारण चुनाव रोमांचक हो सकता है।

कुल 34 बैठकों के लिए 89 प्रत्याशी मैदान में हैं। भाजपा और कांग्रेस के कई नाराज नेताओं ने पार्टी छोड़ देने के बाद चुनाव में और प्रतिस्पर्धा होगी। बारडोली की वांकानेर बैठक पर चुनाव लड़ने वाले भावेश पटेल नानी नरौली बैठक पर से कांग्रेस के दर्शन नायक और सुराली बैठक पर आम आदमी के भी चुनाव में शामिल होने के कारण यह चुनाव और रोमांचक हो गया है।

तहसील पंचायत में भाजप को चौर्यासी तहसील पंचायत की दो, ओलपाड की पांच तथा बारडोली की खोज बैठक निर्विरोध हासिल की है। जबकि बाकी 9 तहसील पंचायत की बैठको में तीन से अधिक प्रत्याशी मैदान में खड़े हैं। इससे बड़े पैमाने पर विभाजन होने की संभावना है।

चौर्यासी तहसील में 31, ओलपाड में 51, कामरेज में 62, पलसाना में 44, बारडोली में 49, महुआ में 52, मांडवी में 70, मांगरोल में 65, और उमरपाड़ा तहसील पंचायत में 42 प्रत्याशी मैदान में है।

गुजरात:कम मतदान के कारण प्रत्याशियों के छूटेंगे पसीने, जीत-हार का घटेगा मार्जिन


राज्य के 6 नगर निगम अहमदाबाद, राजकोट, वडोदरा, सूरत, भावनगर और जामनगर चुनाव में धीमी गति से मतदान के कारण राजनीतिक पार्टियों की पसीने छूट गए हैं। सभी पार्टियों ने अपने समर्थकों को घर से बाहर निकलकर मतदान केन्द्र तक जाकर मतदान करने की अपील की।

दोपहर एक बजे तक 20 प्रतिशत के करीब मतदान होने पर ही राजनीतिक पार्टियों को समझ में आ गया था कि इस बार सामान्य से भी कम मतदान रह सकता है। भाजपा, कांग्रेस, आप सहित सभी पार्टियों के समर्थको ने मतदाताओं से फोन पर और सोशियल मीडिया के माध्यम से अपील की।

दरअसल बात यह है कि कम वोटिंग होने के कारण वर्तमान शासक पक्ष को भी चिंता होने लगी है। इसके अलावा इस बार भाजपा, कांग्रेस के साथ आप पार्टी भी चुनाव में होने से जीत का मार्जिन कम होने की संभावना पार्टियों को नजर आ रही है। मतदान कम होने के पीछे कोरोना और लोगों की उदासीनता को कारण माना जा रहा है।

कम मतदान होने से बडे़ ही कम अंतराल से प्रत्याशियों के जीत-हार का फैसला होगा। इसिलए अंतिम दो घंटों में सभी पार्टियों ने मतदान बढाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। बताया जा रहा है कि सूरत में 43 प्रतिशत के करीब मतदान रह सकता है। संभावना है कि जीत हार का मार्जिन बहुत ही पतला हो।  

केन्द्रीय गृहमंत्री अमितशाह ने मनपा चुनाव में सह परिवार मतदान किया। उन्होंने अपनी पत्नी और पुत्रवधु के साथ मतदान किया।


-१ बजे से ३ बजे तक का मतदान

शहर 1 बजे तक 2 बजे तक 3 बजे तक 
अहमदाबाद 12 फीसदी 18 फीसदी 22 फीसदी
वडोदरा 16 फीसदी 24 फीसदी 28 फीसदी
सूरत 15 फीसदी 24 फीसदी 27 फीसदी
राजकोट 16 फीसदी 23 फीसदी 28 फीसदी
भावनगर 18 फीसदी 24 फीसदी 31 फीसदी
जामनगर 16 प्रतिशत 28 प्रतिशत 28 प्रतिशत

कांग्रेस के नेता ने कहा ईवीएम में कमल दिख रहा बड़ा


गुजरात में मनपा और पंचायतों के चुनाव आते ही पार्टियों की ओर से एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है। हर चुनाव की तरह इस बार भी इवीएम पर अभी से सवालिया निशान लगने लगे हैं।अभी मनपा के चुनाव में लगभग एक सप्ताह बाकी है तब तक और आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी रहेगा।

राजकोट में कोंग्रेस के नेता हेमंत वसावडा ने इवीएम में भाजपा के कमल का निशान बड़ा रखे गए होने का आरोप लगाया है। इसके अलावा कमल के निशान को गाढी स्याही से छापे गए होने का आरोप लगाया है। 


हेमांग वसावडा ने मीडिया को बताया कि मतदाता जब मतदान करने के लिए ईवीएम मशीन के पास पहुंचे तो उसे सबसे पहले कमल का निशान ही बडे़ तौर पर दिखेगा। इसके अलावा अन्य पार्टियों के निशान छोटे हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव अधिकारी ने निशान देखने के लिए बुलाया था। इस पर हमने विरोध भी किया है।

इस आरोप के जवाब में सौराष्ट्र भाजपा के प्रवक्ता राज ध्रुव ने कहा कि कांग्रेस हार को जान गई है। पराजय जान जाने के बाद कांग्रेस के नेता अब फिजूल आरोप लगा रहे हैं। राज्य चुनाव पंच निष्पक्ष चुनाव के लिए जाना जाता है। अभी मनपा के चुनाव में लगभग एक सप्ताह बाकी है तब तक और आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी रहेगा।

कोंग्रेस के सिनियर नेता दिलाना चाहते हैं अपनी जवान प्रेमिका को टिकिट, चर्चा ज़ोरों में


कहते है कि प्यार का नशा अच्छे अच्छे को पागल बना देता है। बडे ब़ड़े राजा महाराजाओं को इस प्यार ने बदनाम कर दिया। फिलहाल अहमदाबाद कोंग्रेस में एक सिनियर नेता का प्यार जोर शोर से लोगों मे चर्चा में है। कुछ दिनों पहले कोंग्रेस के एक सिनियर नेता का दिल एक जवान खुबसूरत महिला कार्यकर्ता पर आ गया।

अब वह महिला कार्यकर्ता की टिकिट के लिए एड़ीचोटी का जोर लगा रहे हैं। मंगलवार को अपनी प्रेमिका को लिए सिनियर नेता कांग्रेस भवन तक आए थे लेकिन कोई बड़े नेता उपस्थित नहीं होने के कारण उन्हें वापस जाना पड़ा। चर्चा है कि गुजरात कांग्रेस के नेता अपनी प्रेमिका को वैलेंटाइन पर कॉरपोरेशन की टिकट गिफ्ट देना चाहते हैं।

यह बात पूरी कांग्रेस पार्टी में आग की तरह फैल गई है। वह जहां से अपनी प्रेमिका को टिकिट दिलाना चाहतें हैं वहां अन्य अग्रणी कार्यकर्ताओं ने भी अपनी कमर कस ली है और यदि टिकट नहीं मिलेगी तो जंग शुरू करने का भी ऐलान कर दिया है।पूरा मामला छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री और ऑब्जर्वर ताम्रधव्ज शाहू तक पहुंचाने के लिए भी कार्यकर्ताओं ने प्रयास शुरू कर दिया है।

हालांकि वार्ड के अग्रणी प्रभारी राजीव सातव को इस बारे में गुहार नहीं लगाएंगे क्योंकि उनको प्रदेश के नेता जरा भी मान नहीं देते। यह सब तो ठीक कई नेताओं ने अपने मन से पैनल बदल देने की शिकायतें भी उठ रही है। जिसके कारण कांग्रेस पार्टी के निरीक्षक नाराज हैं।

निरिक्षकों का कहना है कि कार्यकर्ता और कई नेता निरीक्षकों की इज्जत ही नहीं कर रहे। यदि यही सब करना था तो दावेदारों को सुनने का क्या फायदा है? दूसरी और कार्यकर्ताओं का कहना है कि वास्तव में जो काम करते हैं उनकी तो कोई सुनवाई ही नहीं होती। इस हंगामे के बाद कई बोर्ड में फिर से नाम बदलकर निरीक्षकों ने जो नाम बताए थे वह नाम तय किए गए।

गुजरात:उप मुख्यमंत्री की सभा में चप्पल फेंकनेवाला भाजपा का ही निकला!

दो दिन पहले बड़ौदा के करजण गांव में उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल की कांफ्रेंस के दौरान चप्पल फेंकने के आरोप में पुलिस ने भाजप के शिनोर तहसील के पूर्व चेयरमैन को गिरफ्तार कर लिया।

मिली जानकारी के अनुसार करजण के तहसील के कुराली गांव में विधानसभा के उप चुनाव के प्रचार के दौरान उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल मीडिया से बात कर रहे थे। उस दौरान उनके ऊपर चप्पल फेंका गया था।

इस घटना में पुलिस में शिकायत दर्ज कर जांच शुरू की थी। जांच के दौरान पुलिस ने शिनोर में रहने वाले रश्मिन पटेल को गिरफ्तार किया। उन्होंने कहा कि रश्मिन के मोबाइल में चप्पल फेंकने को लेकर अमित नाम के शख्स से बातचीत की ऑडियो क्लिप भी है।

इस क्लीप के बारे में भी जांच चल रही है रश्मिन पटेल 2010 में तहसील पंचायत में भाजपा की सीट से विजेता बने थे और भाजपा ने उन्हें 2 साल के लिए चेयरमैन के पद पर जिम्मेदारी दी थी।

चप्पल फेंकने की घटना में कार्यकर्ता का नाम सामने आने से भाजपा की परिस्थिति असमंजसकारक हो गई है। दूसरी ओर कांग्रेस का कहना है कि चप्पल फेंकने वाले का कांग्रेस के साथ कोई संबंध नहीं है। कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी ने बताया कि शिनोर तहसील पंचायत के चुनाव परिणामों की कॉपी  दिखाते हुए बताया कि रश्मि पटेल को टिकट दी थी और उन्हें कारोबारी चेयरमैन बनाया था।

वह कांग्रेस में कभी नहीं थे। उल्लेखनीय है कि इसके पहले भाजपा के प्रत्याशी के प्रचार के लिए वराछा में आयोजित एक सभा के दौरान भी अंडे फेके गए थे। इसमें कांग्रेस के महिला कोर्पोर्टरट के पति और अन्य दो लोगों की गिरफ्तारी की गई है।

मनपा, नपा, जिला और तहसील पंचायत का चुनाव तीन महीने टला!

कोरोना की महामारी के कारण सरकार की ओर से कई कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। धार्मिक और सामाजिक आयोजनों पर रोक लगाने के साथ ही सरकार में अब चुनाव से जुड़े विषय पर भी कड़े फैसले लेने की शुरुआत की है। गुजरात में आगामी नवंबर में विधानसभा के उपचुनाव होने हैं लेकिन कोरोना के बढ़ते कदम को देखते हुए गुजरात में स्थानिक स्वराज के चुनाव स्थगित करने का फैसला किया है।

जिसके चलते 6 महानगर पालिका, 55 नगर पालिका 31 ज़िला पंचायत और 231 तहसील पंचायत के चुनाव पर असर पड़ सकता है।इनकी समय सीमा नवंबर में समाप्त हो रही है।राज्य में विधानसभा के चुनाव को लेकर चुनाव पंच असमंजस में था।

बीते कई दिनों से ऐसी चर्चा थी कॉरपोरेशन पंचायत के चुनाव देरी से होंगे। चुनाव पंच ने इस बारे में एक घोषणा पत्र जारी करते हुए बताया कि 3 महीने के बाद कोरोना की स्थिति की समीक्षा करने के बाद फैसला किया जाएगा।

आपको बता दें कि अहमदाबाद, राजकोट ,बड़ौदा सूरत ,भावनगर और जामनगर महानगर पालिका के चुनाव 2015 में संपन्न हुए थे। इनका समय नवंबर में समाप्त हो रहा है। उल्लेखनीय है कि गुजरात में विधानसभा के उपचुनाव 3 नवंबर को होने वाले हैं। ऐसे में पालिका पंचायत के चुनाव भी नवंबर में योजना करने के लिए तैयारी की जा रही थी।जिसके समक्ष विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने विरोध किया था।