हाईकोर्ट ने अहमदाबाद में चोरी के केस में कोर्ट ने निर्देश दिया है कि चोर ने जहां पर चोरी कर के कार खरीदी है। वह कार उसके घर पर दे दे। हाईकोर्ट ने पुलिस को और याचिकाकर्ता को तमाम प्रक्रिया पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं।
पुलिस की जांच में आरोपी ने यह कबूल किया था कि चोरी के रुपए से उसने अपने बेटे के नाम पर कार खरीदी है। हालाकि ट्रायल कोर्ट में दिए इस निर्देश में आरोपी के इस बयान का उपयोग नहीं किया जा सका। इससे भूतकाल में ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को कार सौंपने के लिए आर्डर को रद्द कर दिया था। चोरी के बारे में आनंद नगर पुलिस स्टेशन में चोरी की शिकायत दर्ज हुई थी।
पीडीत के वकील की गुहार थी कि कार जिन रूपए से खरीदी है वह उसके घर से चोरी हुए है। इसलिए कार उसे मिलनी चाहिए। चोर को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस की जांच पड़ताल में आरोपी ने यह बात स्वीकार की थी कि उसने 19.50 लाख रुपए और कीमती चीज वस्तु की चोरी की थी। जिसमें कि बेटे के नाम से 12.50 लाख रुपए की कार खरीदी थी। इसके पश्चात शिकायत कर्ता ने मिर्जापुर कोर्ट में कार का मालिकाना हक पाने के लिए याचिका लगाई थी।
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डायरेक्टरेट जनरल आफ ट्रेड रेमेडीज की ओर से नायलॉन यार्न पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाए जाने की सिफारिश के बावजूद अभी तक वित्त मंत्रालय की ओर से इस बारे में कोई नोटिफिकेशन नहीं आया है। इसके कारण चिंतित नायलॉन उत्पादकों ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई है।
मिली जानकारी के अनुसार सूरत के नायलॉन यार्न उत्पादकों ने चीन, वियतनाम सहित अन्य देशों से आने वाले नाम पर रोक लगाने के लिए सरकार से एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने की मांग की थी। स्थानीय नायलॉन यार्न उत्पादकों का कहना था कि विदेश से आयात नायलॉन यार्न के कारण घरेलू उत्पादकों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
जब भारत में ही यार्न का उत्पादन हो रहा हैं। विदेश से यान आने से घरेलू उद्योग को को ख़तरा है। उन्होंने सरकार को यह भी कहा था कि विदेश से आयात होने वाला नायलॉन यान कीमत में सस्ता होने के कारण स्थानीय उत्पादकों को तगड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। वीवर्स कहना था कि विदेश से बहुत कम यार्न आता है। स्थानीय यार्न उत्पादक जो दावा कर रहे हैं वह ग़लत है।
यह मामला डायरेक्टर जनरल ऑफ ट्रेड रेमिडिज(डीजीटीआर) में गया था। इसमें फैसला देते हुए डीजीटीआर वित्त मंत्रालय को इस बारे में सूचित कर दिया था लेकिन वहाँ से नोटिफिकेशन जारी होने के पहले ही
सूरत के वीवर संगठनों ने प्रधानमंत्री कार्यालय और कई मंत्रियों को डीजीटीआर ने इस बारे में वीवर्स से सुनवाई नहीं की होने की शिकायत की थी। इसके बाद अब तक नायलॉन यान उत्पादकों के लिए वित्त मंत्रालय से यान पर एंटि डंपिंग ड्यूटी लगाने का कोई परिपत्र नहीं जारी किया गया। इसके चलते नायलॉन उत्पादकों ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई है आगामी दिनों में इस मामले की सुनवाई होनी है।