कोरोना के कारण लोगों की जीवन शैली बदल गई है। लोगों के सोचने समझने का ढंग बदला है। वहीं भोपाल की एक शिक्षिका ने माँ बनने से इनकार कर दिया क्योंकि वह ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान बच्चों से तंग आ गई थी। इससे परेशान उसके पति ने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन वह नही समझी तो यह पूरा मामला अदालत में पहुंच गया। फिर भी महिला नही मान रही। उसने अपने फैसले से परिवार को अवगत करा दिया है। बात अब इतने हद तक आगे बढ गई है कि ससुराल पक्ष वाले भी विवाहिता से नाराज हो गए हैं।
महिला के पति ने महिला को मनाने के लिए परिवार अदालत में गुहार लगाई है। अदालत ने महिला की कई बार काउंसलिंग की, फिर भी वह महिला बनने के लिए तैयार नहीं थी। वह भोपाल में एक निजी स्कूल में एक महिला शिक्षक है। वह प्राथमिक विद्यालय की कक्षाओं में एक शिक्षिका है। जब महामारी के दौरान ऑनलाइन कक्षाएं चल रही थीं, तब पढाई के दौरान वह बच्चों से कंटाल गई थी। जिस कारण उसने यह निर्णय लिया है।
शिक्षिका के अनुसार, बच्चे कक्षा के दौरान शोर करते हैं, वे कुछ भी नहीं मानते हैं। मैं ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान बच्चों का उसके साथ ऐसा व्यवहार देखकर बहुत व्यथित थी। इसलिए वह बच्चा नही चाहती। दूसरी ओर महिला के पति का कहना है कि पत्नी अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए ऐसा बहाना बनाती है।
काउंसिलर ने इसके लिए महिला की चार बार काउंसलिंग की। शिक्षिका का कहना है कि वह कई वर्षों से प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को पढ़ा रही है। स्कूल में भी, वह बच्चों की आवाज़ से परेशान थी, लेकिन ऑनलाइन क्लास में, वह बच्चों के व्यवहार से तंग आ गई। स्कूल के बाद भी घर पर ऐसा करना बर्दाश्त नहीं कर पाएगी।
पांडेसरा क्षेत्र में गत दिनों ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल नहीं मिलने से एक किशोरी ने फांसी लगाकर जान दे दी थी। ऐसी ही एक दूसरी घटना में ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले 12वीं कक्षा की छात्रा ने ऑनलाइन क्लास के बारे में मोबाइल को लेकर छोटे भाई से बहस होने के कारण माता ने एक तमाचा मार दिया जिससे, कि वह नाराज होकर घर छोड़कर चली गई।
मिली जानकारी के अनुसार पांडेसरा क्षेत्र में रहने वाले श्रमजीवी परिवार की कक्षा 12 में पढ़ने वाले छात्रा निशा का उसके छोटे भाई मीत के साथ ऑनलाइन क्लास में मोबाइल को लेकर झगड़ा हुआ था।जिसके चलते किशोरी को उसकी माता ने समझाने का प्रयास किया लेकिन किसी बात पर किशोरी नहीं समझ रही थी। जिससे कि माता ने उसे एक तमाचा जड़ दिया और बेटे को लेकर काम पर चली गई थी।
उस दौरान निशा ने अपने दादी के फोन से अपने पापा को फोन करके कहा कि मम्मी ने मुझे फोन नहीं दिया। मैं घर से जा रही हूं। पिता ने अपनी बेटी को समझाने का प्रयास किया और शाम को घर आएंगे तो फोन दिला देंगे ऐसा कहा था। इस दौरान पिता ने उसकी माता को फोन करके निशा के बारे में पूछताछ की तो माता ने कहा कि निशा स्कूल का रिजल्ट,आधार कार्ड और स्कूल बैग लेकर स्कूल गई है।
जिससे कि पिता ने तुरंत ही उसकी माता को स्कूल पर जाने के लिए कहा लेकिन निशा वहां पर नहीं थी। आसपास के लोगों से भी पूछताछ करने पर निशा के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। तब परिवार जनों ने चिंतित होकर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई है। ऑनलाइन पढाई को लेकर इन दिनों बच्चों में आपस में मोबा इल और लेपटॉप को लेकर झगड़े बढने की घटनाए बढ गई है। गत दिनों पांडेसरा में इसी तरह से एक 10वीं कक्षा की छात्रा ने आत्महत्या कर दी।
कोरोना के कारण स्कूल के साथ कॉलेजों में भी ऑनलाइन एजुकेशन चल रहा है। इसलिए विद्यार्थी पढ़ने की तैयारी कर सकें इसे ध्यान में रखते हुए यूनिवर्सिटी ने तमाम कॉलेजों को प्रश्न बैंक बनाकर वेबसाइट पर अपलोड करने की सूचना दी है। यूनिवर्सिटी के इस फ़ैसले के बाद कॉलेज के प्रोफ़ेसर का काम बढ़ गया है। बताया जा रहा है कि इसके चलते कुछ तो काम बढ़ने के डर से चिंतित भी है।
कोरोना के कारण विद्यार्थी कॉलेज नहीं जा पा रहे जिसके चलते उनकी पढ़ाई अच्छे से नहीं हो पा रही। विद्यार्थियों को ऑनलाइन एजुकेशन लेना पड़ रहा है। अध्यापक भी घर पर ही से ऑनलाइन एजुकेशन दे रहे हैं। कॉलेज की ओर से जितना पढ़ाया जा रहा है विद्यार्थी उसकी तैयारी कर सकें इसलिए शिक्षा विभाग द्वारा प्रश्न बैंक बनाकर विद्यार्थियों को ऑनलाइन यह सुविधा देने की सूचना दी गई है।
गत दिनों शिक्षा विभाग ने सभी यूनिवर्सिटी के कुलपति के साथ बैठक करके प्रश्न बैंक बनाने के लिए कह दिया है। हाल में ही एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में भी कुलपति ने कॉलेज के संबंधित विषयों का प्रश्नबैंक बनाकर ऑनलाइन अपलोड कर देने को कहा है ताकि विद्यार्थियों को पढ़ाई में कोई दिक्कत ना हो सके।
उल्लेखनीय है कि बच्चे कॉलेज नहीं जा पा रहे उन्हें ऑनलाइन एजुकेशन लेना पड़ रहा है। ऑनलाइन एजुकेशन की प्रथा में कई बच्चे समझ पा रहे हैं लेकिन कई बच्चे नहीं समझ पा रहे हैं य। ऐसे में बच्चों को पढ़ाई सरलता से समझ आ सके इसलिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने यह फैसला किया गया है
एक और सरकार ऑनलाइन एजुकेशन की बात करती है दूसरी ओर गुजरात के कई गांवों में नेटवर्क नहीं आता। इस कारण विद्यार्थियों को परेशान होना पड़ रहा है। यहाँ तक कि कुछ गांवों में तो जान की बाजा भी लगानी पड़ रही है।
सोनगढ के कई गाँव ऐसे हैं जहाँ नेटवर्क नाम की कोई चीज़ ही नहीं है। वहाँ पर नगों का नेटवर्क के लिए दूर दूर तक जाना पड़ता है। शुक्रवार को सोनगढ के खपाटिया गाँव में लोहार मोहल्ले में रहने वाले और कॉलेज के प्रथम भारत में अभ्यास करने वाला 1 विद्यार्थीउसके गाँव में नेटवर्क वहीं आने से मोबाइल चलाने के लिए जंगल में टेकरी पर चढ़ा था। वह टेकरी पर मोबाइल में नेटवर्क का इंतज़ार कर रहा था।
उस दौरान वह एक तेंदुए ने उनपर हमला कर दिया। टेकरी पर लोगों का आवन-जावन कम होने के कारण वहाँ पर जंगली जानवरों का आना जाना रहता है। तेंदुए के हमले में वह युवक बुरी तरह से घायल हो गया। घायल युवक को उपचार के लिए दान के हॉस्पिटल में ले जाया गया है। फ़िलहाल युवक की हालत स्थिर है।
घटना की जानकारी मिलने के बाद वन विभाग के अधिकारी वहाँ पहुँच गया और उन्होंने तेंदुए को ढूँढना शुरू किया है। खपाटिया गाँव के लुहार मोहल्ले में रहने वाले गोविंदा गुरूजी गामित ने भी तेंदुए का जमकर सामना किया। इस दौरान उसके साथ टेकरी पर गया उसका दोस्त दौड़कर गांव आया और वहाँ के लोगों को मदद के लिए ले कर गया।
इस दौरान गोविंदा अकेले ही तेंदुए का सामना कर रहा था। लोगों ने गोविंद के इस बहादुरी का भी सम्मान किया। फ़िलहाल उसके हांथ में तेंदुए के हमले से चोट के कारण वह अस्पताल में है।
गाँव के लोगों का कहना है कि सरकार ऑनलाइन एजुकेशन की बात करती है लेकिन गांवों में तो नेटवर्क की नहीं है। ऐसे में सरकार को पहले नेटवर्क की व्यवस्था करने चाहिए इसके बाद ऑनलाइन पढ़ाई की बात करनी चाहिए।
कोरोना संक्रमण के समय में जहां स्कूल कॉलेज सहित सभी शैक्षणिक संस्थान बंद है और बच्चों की पढ़ाई कोरोना के भेंट चढ रही है। वहीं छत्तीसगढ़ के बस्तरपुर में एक अनोखी पहल शुरू की गई है। छत्तीस ग़ढ के एक गांव में बच्चों को पढ़ाने के लिए स्पीकर लगा दिए गए हैं। स्पीकर के माध्यम से ही बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में भाटपार नाम का एक गांव है। यहां पर बीते चार महीनों से कोरोना के कारण बीते 4 महीने से गांव के स्कूल बंद है जिसके चलते बच्चों की पढ़ाई नहीं शुरू हो सकी है बच्चों की पढ़ाई नहीं होते देख डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड के डेवलपमेंट असिस्टेंट निखिलेश हरि को गांव में स्पीकर लगाने का ख्याल आया। शुरू में प्रायोगिक तौर पर किया गया। यह कार्य गांव के लोगों को पसंद आया और सफल भी रहा।
इसके बाद गांव में 14 जून से लाउडस्पीकर की मदद से पढ़ाने का कार्य शुरू किया गया है। 90 मिनट के 2 सेशन में किया जाता है। शिक्षक लाउडस्पीकर की मदद से अंग्रेजी भाषा भी सिखा रहे हैं। इतना ही नहीं बच्चों को पसंद आए इसलिए कहानियां भी स्पीकर पर बताई जा रही है।
लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाने वाले एक शिक्षक शैलेंद्र तिवारी ने बताया कि लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाने की पद्धति अभी तक सफल रही है। यह लाउडस्पीकर ऐसी जगह लगाए गए हैं।
ताकि गांव के हर कोने में आवाज सुनी जा सके बस्तर जिला के कलेक्टर रजत बंसल ने बताया कि फिलहाल साथ में 7 ब्लॉक में इस तरह से पढ़ाई का प्रोग्राम चलाया जा रहा है। और बच्चों को भी इसमें पढ़ने में अच्छा लग रहा है।
सूरत़
कॉन्फिडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को पत्र लिखकर कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को ऑनलाइन शिक्षण में शामिल नहीं करने की मांग की है।
कैट के गुजरात रीजन के प्रमुख प्रमोद भगत ने राज्य सरकार को लिखे पत्र में बताया है कि छोटे बच्चों को ऑनलाइन शिक्षण के कारण उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पडने की आशँका है। जैसे कि उनकी गरदन, आंख आदि पर असर पड़ेगा।
इसके अलावा कैट ने यह भी मांग की है कि सरकार की ओर से ऑनलाइन एज्युकेशन की घोषणा किए जाने के बाद से स्कूलों ने फीस की वसूली शुरू कर दी है। पाठ्यपुस्तक के बहाने अभिभावकों से यूनिफॉर्म और अन्य तमाम वस्तुओं को खरीदने का दबाव बनाया जा रहा है। कई हॉस्टल जो कि महीनों से बंद है उसकी फीस भी स्कूल मांग रहे हैं।
ऐसे स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही सरकार की ओर से बनाई गई एफआरसी किस ढंग से स्कूलो का फीस तय करती है। यह जानकारी देने का भी आग्रह किया है। लॉकडाउन के कारण रोजगार बंद होने से अभिभावक परेशान है ऐसे मं उनसे 30 अगस्त तक कोई फीस के लिए दबाव नहीं किया जाए।
ऑनलाइन शिक्षण के कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर ख़तरा होता है। यह कारण बताते हुए ऑनलाइन पढाई पर रोक लगाने की माँग की जा रही है।सूरत ही नहीं बल्कि वे के कई राज्यों में एक तरह शिक्षण व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा किया गया है। सूरत में भी कुछ जानकार लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी को मेल भेजकर इस व्यवस्था पर रोक लगाने की माँग की है
लॉकडाउन के कारण बीते दिनों सब कुछ बंद होने से कई स्कूलों में ऑनलाइन एजुकेशन देना शुरू किया था। लेकिन इसके खिलाफ अभिभावकों में विरोध और असंतोष खड़ा हो रहा है। बिजली कंपनी में बड़े पद निवृत्त भूपेंद्र बुरखा वाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चूड़ासामा को मेल भेजकर ऑनलाइन एजुकेशन बंद करने की मांग की है।
उन्होंने कहा है कि वर्तमान संजोग में विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटलाइजेशन का बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है लेकिन उसके उपयोग में सावधानी रखनी जरूरी है। बच्चों पर इसका गंभीर असर पड़ने की आशंका है लोकडाउन के बाद काम धंधा शुरू हो गया है। ऐसे में बच्चों के साथ बहुत देर तक अभिभावक नहीं रह सकते घंटों पर छोटी स्क्रीन पर नजर केंद्रित करने से बच्चों के यहां काम को नुकसान पहुंच सकता है।
ऑनलाइन एजुकेशन में कई बातें नहीं समझ पड़ने पर भी बच्चे किसी से पूछ नहीं सकते हैं। इसके अलावा उन पर मानसिक दबाव बनता है। यदि किसी के दो तीन बच्चों हो तो उनके लिए मोबाइल या कंप्यूटर आदि उपलब्ध करा पाना मुश्किल है। ऑनलाइन शिक्षण के साथ भेजी जाती भेजी जाने वाली पीडीएफ फाइल के प्रिन्ट का खर्च उठा पाना सबके बस की बात नहीं। इसलिए ऑनलाइन एजुकेशन को बंद करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि कई राज्य सरकारों ने इस बारे में विचार करना भी शुरू कर दिया है। कई शहरों में छोटे बच्चों के ऑनलाइन पढाई पर रोक लगाने के लिए भी सोचा जा रहा है। किसी भी चीज के दो पहलू होते हैं।एक अच्छा और दूसरा बुरा होता है। इसी तरह डिजीटलाइजेशन का भी दो रूप है एक लाभदायक है और दूसरा नुक़सानदायक!